ट्रेन में एक हसीना से मुलाक़ात-2
हसीना की कहानी के पहले भाग में अब तक
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दोस्तो, मेरा नाम मुदित है। मैं फरीदाबाद का रहने वाला हूं। आज मैं आपको एक सच्ची बहनचोद कहानी बताना चाहता हूं। ये कहानी मेरी और मेरी बहन के बीच हुई एक सच्ची घटना है। मैं अपने बारे में बता दूं कि मेरी उम्र 24 साल है। रंग गोरा है और हाइट 5.8 फीट है।
मेरी एक मुंह-बोली बहन है सुलक्षणा। वो मुझसे हाइट में तो छोटी है लेकिन है एकदम माल लगती है देखने में। उसका रंग भी गोरा है और उसका फिगर 34-32-36 होगा। वो भी दिल्ली में ही रहती है।
मेरा अक्सर उसके घर आना-जाना रहता है और उसके मम्मी-पापा यानि कि अंकल-आंटी से भी अच्छे रिलेशन हैं हमारे। कुल मिला कर सब अच्छा है।
एक दिन की बात है कि मैं सुलक्षणा के घर गया था किसी काम से। अंकल की जॉब है तो वो घर पर नहीं थे। घर पर बस आंटी और सुलक्षणा ही थे।
जैसे ही मैं उसके घर पहुंचा और डोर बेल बजाई तो अन्दर से सुलक्षणा ने दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि उसने गाउन पहना हुआ था और वो बहुत सुंदर दिख रही थी। शायद उसने वो नया खरीदा था। मैंने देखा कि उसके बूब्स उसमें से टाइट और आकर्षक दिख रहे थे। मैं तो जैसे देखता ही रह गया उसको।
वो पहली बार था जब मैंने उसे ऐसे देखा था और मेरे मन में उसके लिए ऐसे विचार आए थे। इतना होने के बाद मैं फिर अन्दर चला गया।
सामने आंटी बैठी थी तो मैं उनसे बातें करने लगा और सुलक्षणा चाय बनाने रसोई में चली गई। सुलक्षणा चाय लेकर आ गई और उसने मुझे और आंटी को चाय दी. अपने लिए चाय लेकर मेरे पास वाले सोफे पर बैठ गई। हम तीनों चाय पी रहे थे तो मेरी नज़र बार-बार सुलक्षणा के बूब्स पर ही जा रही थी।
बातों-बातों मैं मैंने महसूस किया कि आंटी की तबियत ठीक नहीं थी तो वो चाय पीने के बाद बोली- बेटा तुम दोनों बातें करो, मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है तो मैं थोड़ा आराम कर लेती हूं. आंटी इतना कह कर वो अंदर रूम में चली गई।
मैं और सुलक्षणा दोनों बातें करने लगे। मैंने उससे बोला- सुलक्षणा तूने ये ड्रेस नया लिया है क्या?
वो बोली- हां, नया है तभी तो पहना है।
मैंने कहा- अच्छी लग रही हो.
तो वो बोली- थैंक्यू भाई।
मैं और सुलक्षणा आपस में थोड़े खुले थे. हम मॉडर्न भी थे तो हम दोनों कुछ हद तक काफी बातें एक दूसरे को बताते रहते थे। हालांकि मुझे पहले से ही पता था कि सुलक्षणा का कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है।
मैंने फिर भी पूछा- सुलक्षणा तूने अपनी फोटो निकाली है क्या?
तो वो बोली- हां, निकाली तो है।
मैं बोला- अच्छा तो किसको सेंड की? अपने ब्वॉयफ्रेंड को?
वो बोली- यार कहां बॉयफ्रेंड। तुझे तो पता है कि मेरा कोई ब्वॉयफ्रैंड नहीं है।
“लेकिन मैंने सोचा कि शायद बना लिया होगा तो इसी लिए पूछा।” मैंने कहा.
“नहीं ऐसा कुछ नहीं है, अगर ऐसा होगा तो तुझे तो पता चल ही जाएगा।”
ऐसे बोल कर वो हंसने लगी. सेक्सी लग रही थी वो। पता नहीं बस मैं कैसे अपने आप को रोके हुए था. मन किया कि उसे अभी किस कर लूं।
मैंने कहा- सुलक्षणा एक बात बोलूं?
वो बोली- हां कहो.
“अगर तेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड होता और आज तुझे देखता तो अपने आप को रोक नहीं पाता। आज तू बहुत अच्छी लग रही है.”
ऐसे बोलते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके बूब्स को देखने लगा।
उसने मुझे देखा और बोली- भाई, तेरी बहन लगती हूं. तू बहन मानता है मुझे और मेरे ही बारे में ऐसे बोल रहा है?
वो गुस्सा हो गई और मैंने अपने हाथ खींच लिए और उसको सॉरी बोला।
मैं उठा और उठ कर बाथरूम की तरफ चला गया लेकिन अपना मोबाइल छोड़ दिया वहीं। मैंने उसमें उसकी कुछ फोटो निकाली थी चुपके से।
उसको इस बारे में पता नहीं था. फोटो के अलावा भी मेरे फोन में कुछ पॉर्न वीडियो थे। मैं तो अन्दर बाथरूम में चला गया और अन्दर ही मुट्ठी मारने लगा और वहीं झड़ गया। क्या करता मैं, सुलक्षणा को देखने के बाद खुद को शांत भी तो करना था।
सुलक्षणा ने मेरा मोबाइल लिया और देखने लगी कि मेरे मोबाइल में क्या-क्या है। पहले उसने अपनी फोटो देखी और बाद में वो ब्लू फिल्म भी देखने लगी। अचानक से पीछे से मैं आ गया और मैंने उसे देख लिया था फिल्म देखते हुए।
लेकिन मैंने ऐसे रिएक्ट किया कि मैंने कुछ भी नहीं देखा और जाकर बैठ गया।
वो बोली- एक बात कहूं?
मैंने कहा- हां बोलो।
वो बोली- तू मेरा भाई है इसलिए मुझे गुस्सा आ गया लेकिन मुझे भी लगता है कि कोई तो हो जिससे मैं अपने मन की बात कर सकूं।
मैंने हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ा और बोला- जब तक कोई नहीं है तब तक मै हूं तेरे साथ। जब तुझे मन हो ऐसे बात करने का तो तू उस टाइम भूल जाना कि मेरे और तेरे बीच भाई और बहन का रिश्ता है।
वो बोली- लेकिन ऐसे कैसे?
इतना कहकर वो मायूस सी हो गई.
मैं बोला- मैं तेरा सगा भाई थोड़ी हूं जो ऐसे नहीं कर सकती। मैं तो रेडी हूं तेरी हेल्प के लिये. अब तू खुद देख ले कि तुझे क्या करना है. फिर ऐसे बोलते हुए मैंने उसके हाथ को जोर से भींचा और हल्का सा उसके पास चला गया।
अब मैं उसके हाथ को सहला रहा था। उसे शायद अच्छा लगने लगा था और वो कुछ नहीं बोली। ऐसे ही करते-करते हम बहुत नजदीक आ गए और मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया। मेरे होंठ उसके होंठों के बिल्कुल पास थे।
मैंने उसे हल्का सा किस किया और वो तुरंत पीछे हट गई, बोली- ये क्या कर रहे हो? अन्दर मम्मी है।
मैंने बोला- बस तुम रेडी हो जाओ तो हम दूसरे कमरे में चलते हैं.
“लेकिन मम्मी के होते हुए?”
मैंने कहा- आंटी सो गई है और मैंने पहले ही उनके रूम का दरवाजा लॉक कर दिया है.
मैंने उसको अपने पास खींचा और उसे किस करने लगा। अब वो भी मुझे किस करने लगी और मैं उसके बूब्स दबाने लगा। अब वो सिसकारियां लेने लगी।
मैं बोला- अन्दर चलें? मेरी जान …
वो बोली- चलो।
मैंने उसे गोद में उठाया और रूम में चला गया। अन्दर से रूम लॉक कर लिया और हम दोनों बिस्तर पर लेट कर किस करने लगे। मैंने एक-एक कर उसके सारे कपड़े निकाल दिए और उसके बूब्स चूसने लगा.
वो सिसकारियां लेने लगी- आह्ह … उम्म …
मैंने अब उसकी चूत पर अपना हाथ रखा और सहलाने लगा तो वो एकदम से सिहर उठी और अपनी टांगें भींच दी। मैं उसे किस करता रहा और धीरे-धीरे उसकी चूत को मसलता रहा। अब उसने अपनी टांगें खोल दीं और मजा लेने लगी। अब मैं धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा। उसके बूब्स को किस किया और चूसने लगा और धीरे-धीरे पेट से किस करते हुए बहन की चूत तक पहुंच गया। उसकी सिसकारियां अब बहुत तेज हो गई थीं।
अब मैंने अपने कपड़े निकाले और अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया। मेरा लंड 6.5 इंच का है और 3 इंच मोटा है।
मेरा लंड देख कर बोली- भाई, ये तो बहुत मोटा और बड़ा है।
मैंने मजा लेने के लिये कहा- क्या बड़ा है मेरी जान?
“ये आपका लंड।”
“हाँ है तो बड़ा, पर तुम्हारी चूत के लिये तो शायद छोटा ही पड़े।” मैंने हवस भरे अंदाज में कहा.
वो बोली- इसको मत डालना वरना बहुत दर्द करेगा।
मैं मन ही मन सोच रहा था कि आज मैं बहनचोद बन जाऊँगा. मैं बोला- हां दर्द तो होगा लेकिन थोड़ा सा … उसके बाद अच्छा लगेगा तुम खुद ही देखना।
ऐसा बोलते हुए मैं अपना लंड उसके मुंह के पास ले गया और बोला- अब इसे अपने मुंह में लेकर चूसो.
मेरी मुंह बोली बहन मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर मजे से चूसने लगी. उसने शायद पहली बार लंड मुंह में लिया था इसलिए वो लंड को लेकर ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी.
जब उसको चूसते हुए बहुत देर हो गई तो मैंने अपना लंड उसके मुंह से निकाला और उसकी चूत के पास ले गया और उसकी चूत को अपने लंड से सहलाने लगा।
वो सिसकारते हुए तड़पने लगी.
अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था तो मैंने बोला- अब मुझे डालना है, तुम तैयार हो?
“ठीक है लेकिन आराम से डालना।” उसने हवस भरी आवाज में जवाब दिया.
मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर लगाने लगा. उसने अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत पर सेट कर लिया. मैंने हल्का झटका लगाया तो वो अपनी जगह से हट गया। उसने फिर लगाया और फिर हट गया।
लगभग 2-3 बार के बाद मैंने पुश किया तो इस बार मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में चला गया और उसकी चीख निकल गयी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आराम से … आह्ह, दर्द हो रहा है बहुत।
फिर मैंने थोड़ा विराम दिया और जोर का धक्का दे मारा तो पूरा लंड उसकी चूत में चला गया.
वो चिल्लाने लगी लेकिन मैंने अपने होंठों से उसका मुंह बंद किया और लंड बाहर खींच कर थोड़ा फिर और तेज झटका लगाया और पूरा लंड चूत में समा गया।
उसके मुंह से आवाज़ निकली तो सही लेकिन लिप-लॉक होने के कारण इतनी नहीं निकली।
मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा और वो अब शांत हो गयी और चुदने का मजा लेने लगी। उसका दर्द कम होता जा रहा था और उसके मुंह से अब सिसकारियां निकल रही थीं.
अब मैंने पोजीशन चेंज की और उसे घोड़ी बनने को कहा। वो घोड़ी की पोजीशन में आ गई। मैं उसके पीछे पहुंच गया और लंड से चूत को रगड़ने लगा।
रगड़ते-रगड़ते वो बोली- अब अंदर डाल दो ना प्लीज … रुका नहीं जा रहा है।
मैंने ओके कहा और नारियल का तेल लगाया लंड पर और बोला- इससे रगड़ो तो उसने मेरा लंड रगड़ा, मैंने उसकी चूत पर तेल लगाया।
अब मैंने फिर उससे पोजीशन में आने को कहा और वो आ गयी जल्दी से।
मैं उसके पीछे गया और लंड सेट करके एक तेज झटका लगाया और एक झटके में लंड पूरा अंदर समा गया। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और वो मेरे नीचे आ गई.
मैंने तेजी के साथ उसकी चूत को चोदना शुरू किया तो वो भी मजे लेने लगी और फिर मेरा पूरी तरह से साथ देने लगी. अब हम दोनों को ही चुदाई का मजा आने लगा था.
अपनी स्पीड मैंने थोड़ी तेज कर दी तो उसने और तेज आवाजें करनी शुरू कर दी. मैं तेजी से उसकी चूत को चोदने में लगा हुआ था और वो जल्दी ही अपने चरम पर पहुंच गई।
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। अब मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके बूब्स दबाने लगा और बहुत जोर से उसके चूचों को खींचने लगा।
अब मेरा भी होने ही वाला था. आह्ह … ओह्ह … हाय … उसकी चूत में मेरे लंड की आवाज गच्च-गच्च हो रही थी. मैं अब झड़ने के कगार पर पहुंच गया और मेरे लंड ने उसकी चूत में वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया.
झड़ने के कुछ देर बाद तक मैं उसके ऊपर लेटा रहा और फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला। लंड वीर्य से सन चुका था। मैं एक तरफ लेट गया और उसने लंड मुंह में लेकर साफ किया और हम दोनों थोडी देर ऐसे ही लेटे रहे। फिर हमने कपड़े पहने, एक-दूसरे को किस किया और बाहर आ गये.
मैंने उससे पूछा- मजा आया?
तो बोली- मजा तो बहुत आया लेकिन थोड़ा दर्द भी हो रहा है।
मैंने कहा- थोड़ी देर होगा दर्द और फिर ठीक हो जाएगा।
हमने आंटी जी के कमरे का दरवाजा खोल दिया और सोफे पर जाकर बैठ गए। उसे बैठने में थोड़ी तकलीफ़ हो रही थी।
कुछ टाइम बाद आंटी जी आ गयी और सुलक्षणा फिर चाय बनाने रसोई में चली गयी. उसे चलने में भी हल्की सी प्रॉब्लम हो रही थी।
आँटी ने देखा तो वो पूछ बैठी- क्या हुआ अचानक से? चलने में क्या दिक्कत हो गयी?
उसने बात को टालते हुए बहाना बना दिया कि बाथरूम में फिसल गई थी और पैर में मोच सी आ गई थी. इतना कहकर मेरी मुंह बोली मेरी तरफ देख कर हल्के से मुस्करा दी.
उसके बाद मैंने उसे बहुत बार चोदा। अब जब भी टाइम मिलता है वो मुझसे अपनी चूत की चुदाई करवा लेती है और हम दोनों ही मजे करते रहते हैं.
आपको मेरी यह बहनचोद स्टोरी कैसी लगी कमेंट्स में मुझे बताना जरूर. अगली स्टोरी में मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने सुलक्षणा की मम्मी को भी चोद दिया. लेकिन उसके लिए आप लोगों को थोड़ा इंतजार करना होगा. तब तक के लिए आप से अलविदा लेता हूं. धन्यवाद।
ये कहानी आपको कैसी लगी, नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
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