दोस्त की भाभी संग मेरी रंगरेलियां
देसी भाबी Xxx कहानी मेरे दोस्त की भाभी की है।
यह हिंदी सेक्सी चुत कहानी है मेरी दोस्त की चुदाई
दोस्तो, मेरा नाम हिमांशु है। मैं काशीपुर का रहने वाला हूं और आजकल दिल्ली व कभी-कभी मेरठ में रहता हूं। मैं वॉलीबॉल का खिलाड़ी रह चुका हूं जिस वजह से मेरी बॉडी सॉलिड है और ऐब्स के साथ-साथ सात इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लन्ड है। मैं देखने में गोरा व आकर्षक बॉडी वाला बंदा हूं।
अन्तर्वासना सेक्स कहानी पर आज पहली बार अपनी स्टोरी शेयर करने आया हूं। विद्यामंदिर से पास आउट होने के बाद जब कॉलेज की पढ़ाई के लिए दिल्ली गया; तब की ये कहानी है। मैं नया-नया दिल्ली शहर में गया था. जोश तो भरा हुआ पहले से ही था, बस गर्मी बाहर निकालने की जरूरत थी। ये काम एक आंटी ने कर दिया।
नेहरू नगर दिल्ली में मेरे घर के पास एक आंटी किराए पर रहती थी। सोनम नाम था आंटी का। क्या बताऊं दोस्तो … क्या माल थी वो, आस पास के सभी लोग उसकी कमर, गोरेपन और चूचियों के दीवाने थे. फिगर उसका 34-30-36 था। गांड भी बहुत मस्त थी उस चालू चीज की।
शक्ल से तो वो सती सावित्री दिखती थी लेकिन अंदर से पक्की वाली रांड थी. उसके ऊपर मेरे ही कॉलेज की जवान माल लड़की नेहा रहती थी जिसका फिगर 32-28-32 था। नेहा देखने में भी सीधी थी और वैसे भी सीधी थी। लेकिन जब से वो आंटी से मिली थी तब से उसकी चाल बदल गई थी और ऐटिट्यूड आ गया था उसके अंदर। शायद आंटी ने कुछ सिखाया होगा उसे।
एक दिन की बात है मैं अपनी सबसे ऊपर वाली छत पर खड़ा था और आंटी को चुपके चुपके काम करते हुए देख रहा था। साथ ही साथ अन्तर्वासना सेक्स कहानी की स्टोरी पढ़ रहा था। छत ऊपर होने की वजह से कोई देख नहीं सकता था कि मैं क्या कर रहा हूं और आंटी के खयाल में खोकर मैं मुट्ठी मारने लगा। आंख बंद हो गई और आंटी की चूत दिखाई देने लगी।
तभी नेहा पता नहीं कहां से आ गई और उसने मुझको अपना लम्बा सा लन्ड हिलाते हुए देख लिया. मुझे उसकी आहट सुनाई दी तो मैं एकदम से चौंक गया. मेरा लंड मेरे हाथ में था लेकिन मैं डर गया था. डर और शर्म के कारण लंड को एक तरफ करके छिपाना भी भूल गया था.
नेहा ने कुछ सेकेण्ड तक मुझे देखा और फिर सीधे आंटी के पास भाग गई।
मेरे तो होश उड़ गए … बहनचोद ये क्या हुआ!
मगर अगले ही पल मैंने मन को समझाया कि मुठ ही तो मार रहा था, कोई चूत तो नहीं चोद रहा था जो उसको दिक्कत हो जाती। वैसे भी वो मुझे पहले से जानती थी. मैंने मन को तसल्ली दे दी कि वो आंटी को कुछ नहीं बताने वाली.
उस दिन की रात गई तो बात गई.
मगर उस दिन के बाद से आंटी ने मुझ पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देना शुरू कर दिया था. नेहा भी अक्सर अपनी छत से देखती रहती थी.
आंटी ने मुझे अपने पास बुलाने के लिए एक दिन एक छोटे बच्चे को भेजा। मेरे मन में शक हो तो गया था कि जरूर दाल में कुछ काला है, नहीं तो आंटी कभी इस तरह से मुझे बुलाने के लिए नहीं कहती. साथ में यही डर था कि कहीं नेहा ने मुठ मारने वाली बात आंटी को बता न दी हो. ये साली नेहा मुझे मकान से ही न निकलवा दे और एक नई मुसीबत मेरे गले पड़ जाये. इस तरह के खयाल मेरे मन में आ रहे थे।
मैं आंटी के पास गया डरता-डरता हुआ।
आंटी बोली- तुम्हारा नाम हिमांशु है?
मैं बोला- जी हां।
फिर वो बोली- नेहा ने तुम्हारे बारे में कुछ बताया है मुझे।
मैं- जी, मैं कुछ समझा नहीं?
वो बोली- नेहा कह रही थी कि एक दिन तुम मुझे गंदी नजरों से देख रहे थे और साथ में कुछ और भी कर रहे थे.
आंटी के इतना कहने पर मेरी गांड फट कर हाथ में आ गई. मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी कि क्या जवाब दूं.
आंटी बोली- क्या हुआ, बताओ कुछ, क्या नेहा सही कह रही थी?
मैंने हकलाहट के साथ कहा- जी आंटी वो … वो …
आंटी बोली- अरे घबराओ मत, खुल कर बोलो क्या बात थी?
मैं- कुछ नहीं आंटी … वो बस ऐसे ही हो गया।
आंटी मेरी बात सुन कर मुस्कराने लगी. मैं समझ गया कि मामला कुछ और ही है। ये भी शायद कुछ चाहती है।
मगर फिर अगले ही पल आंटी ने नेहा को फोन करके बुला लिया. नेहा भी ऐसे टपक पड़ी जैसे वो दरवाजे पर ही खड़ी थी. वो अंदर आकर दरवाजे के पास मुंडी नीचे करके खड़ी हो गई।
आंटी बोली- हिमांशु, ये लड़की नेहा तुमको पसंद करती है।
ये बात आंटी के मुंह से सुनकर मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ. सामने खड़ी हुई लड़की खुद किसी को कह कर अपनी भावनाएं बता रही थी।
आंटी बोली- ये तुमको चाहती है, क्या तुम इस बात को जानते हो?
मैं- नहीं आंटी, मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा।
आंटी बोली- जो तुम उस दिन कर रहे थे वो आज मेरे सामने करके दिखाओ. हम दोनों ही देखना चाहती हैं कि तुम्हारा कैसा है।
एक बार तो मैं सकपका गया लेकिन फिर सारा माजरा समझ आ गया. ये दोनों मुझसे चुदने की फिराक में हैं. इसलिए इस तरह से मुझे उकसा रही हैं. फिर मेरे अंदर भी हिम्मत सी आ गई और मैं मुस्करा दिया.
इससे पहले मैं कुछ शुरू करता आंटी ने मेरी लोअर के ऊपर से ही मेरे लंड को टच कर दिया. मैंने थोड़ा हिचकते हुए आंटी के चूचों को छेड़ दिया तो वो बोली- डर क्यूं रहे हो, अच्छे से दबा लो. मैं खुद तुम्हें परमिशन दे रही हूँ.
मैंने आंटी के चूचों को कस कर दबा दिया तो आंटी की कसक उनके मुंह से फूट पड़ी.
आंटी बोली- हम्म … अच्छा माल है नेहा, तू दूर क्यों खड़ी है … आ जा… जिस चीज की हमें तलाश थी वो मिल गई है.
नेहा भी धीरे से हम दोनों के पास आ गई और आंटी ने नेहा की शर्ट के बटन खोलने चालू कर दिये. नेहा ने मेरी तरफ देखा तो उसकी आंखों में अब वो शर्म नहीं रह गई थी. उसने मेरे चेहरे को देखते हुए नीचे मेरी लोअर में तने हुए लौड़े पर नजर गड़ा ली. मेरा लंड मेरी लोअर में तंबू बना चुका था.
आंटी ने एक हाथ से मेरे तंबू को पकड़ कर हिला दिया. मैंने आंटी की गांड दबा दी. अब तक नेहा की शर्ट उतर चुकी थी और वो ब्रा में थी. फिर आंटी ने नेहा से पैंट भी उतारने के लिए कह दिया. वो भी अब बेशर्म होकर पैंट खोलने लगी और अगले ही पल वो केवल ब्रा और पैंटी में थी.
मैंने नेहा के चूचों को ब्रा के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया. इधर नेहा आंटी का ब्लाउज खोलने लगी. आंटी के मोटे चूचे नंगे हो गये. मैंने आंटी के निप्पलों की तरफ मुंह बढ़ाया तो उन्होंने मुझे रोक लिया.
बोली- पहले इस बेचारी की प्यास बुझा दो. मैं तुम्हारे लौड़े का मजा बाद में लूंगी.
कहते हुए आंटी ने मेरी लोअर को नीचे खींच दिया. मेरे कच्छे में मेरा सात इंच का लंड तन कर बेहाल हो रहा था.
आंटी ने मेरा कच्छा भी उतार दिया. मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी तो मेरी सिसकारी निकल गई. फिर नेहा ने भी मेरी गोलियों को छेड़ना शुरू कर दिया. इन दोनों रंडियों के कोमल हाथों की छुअन से मेरे लंड का पानी छूटने को हो गया था इसलिए मैं थोड़ा पीछे हो लिया.
मैंने नेहा की ब्रा उतरवा दी और उसके चूचों को चूसने लगा. वो मेरे बालों में हाथ फिराते हुए सिसकारी भरने लगी. मैं नीचे से उसकी चूत को सहलाने लगा.
तब तक आंटी ने नेहा की पैंटी निकाल दी। नेहा अब पूरी नंगी हो गई थी. मैं नेहा के चूचे चूस रहा था और आंटी ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया था. मैं तो पागल सा होने लगा था कि कौन सी को संभालूं. ये दोनों तो निचोड़ लेंगी आज मुझे।
आंटी ने फिर उठ कर कमरे में चलने के लिए कहा और अंदर ले जाकर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. आंटी ने मेरा लंड को फिर से अपने मुंह में भर लिया और नेहा मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर फिराने लगी.
नेहा की चूत में मैंने उंगली डाल दी तो वो चिहुंक गई.
मैंने आंटी से कहा- जरा आराम से चूसो, नहीं तो मेरा माल आपके मुंह में निकल जायेगा.
आंटी मेरे लंड के ऊपर से हट गई. फिर उसने नेहा को इशारा किया और नेहा बेड पर मेरी बगल में आकर लेट गई.
आंटी बोली- पहले इस बेचारी की चूत को शांत कर दो. ये बहुत दिनों से तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही है.
मैंने नेहा की टांगें फैला दीं और उसकी चूत पर मुंह लगाकर उसकी खुशबू लेने लगा. उसकी चूत से मस्त खुशबू आ रही थी.
अगले ही पल मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी तो उसकी सिसकारी निकल गई. उसने मेरा मुंह अपनी चूत पर दबा लिया और अपने मुंह को किसी वाइब्रेटर के माफिक हिलाने लगी. उसके पूरे बदन सुरसुरी सी दौड़ रही थी.
आंटी ने नेहा के बूब्स दबाने चालू कर दिये. नेहा की कामुक आवाजें कमरे में गूंजने लगीं. आह्ह … इस्स् … ओह्ह … हिमांशु …
जब आंटी को नेहा की हालत खराब होती दिखी तो आंटी ने कहा- राजा अब देर मत कर, इसकी चूत की खुजली मिटा दे.
मैंने आंटी के कहने पर अपना सात इंच लंबा लंड नेहा की चूत पर लगा दिया.
नेहा की चूत पर लंड टिकते ही वो तड़प सी गई. फिर आंटी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और एक-दो बार नेहा की चूत पर लगा कर हटा दिया. आंटी ने मेरे लंड को नेहा की चूत पर लगाकर दो-तीन बार लगाया और हटाया. नेहा लंड को अंदर डलवाने की भीख मांगने लगी.
आंटी को भी उस जवान नंगी लड़की की चूत को तरसाने में कुछ मजा सा आ रहा था. आंटी ने मेरे लंड को फिर चूत पर सेट किया और बोली- अब ठोक दे साली को!
उनके इशारे पर मैंने नेहा की चूत में लंड को पेल दिया और नेहा की चीख निकल गई, वो चिल्ला उठी- आआ … आंटी … बचा लो … मर गई …
आंटी बोली- मर गई नहीं … चुदक्कड़ बोल कि चुद गई।
नेहा की चूत ज्यादा खुली हुई नहीं थी जिससे मुझे पता लग रहा था कि उसने शायद अपनी चूत में लंड का स्वाद न के बराबर ही चखा है. मगर उसकी हरकतों को देख कर मैं ये भी नहीं कह सकता था कि वो कुंवारी है. लेकिन जो भी हो, मुझे तो एक सेक्सी लड़की की चूत फ्री में चोदने को मिल ही रही थी.
मैं जोर से नेहा की चूत को चोदने लगा और सोनम आंटी नेहा के चूचों को दबाने लगी. कभी हाथ में लेकर जोर से दबा देती तो कभी चूसने लगती. आंटी भी नंगी थी और अब नेहा को भी चुदाई का मजा आने लगा था. वो आंटी की चूत में उंगली करने लगी थी.
लगभग बीस मिनट तक मैंने नेहा की चूत को चोदा और फिर मैं उसकी चूत में झड़ने को हुआ तो मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.
नेहा बोली- क्या हुआ, और करो?
मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है.
उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर खुद ही अपनी चूत में डलवाते हुए मुझे अपने ऊपर लेटा लिया. वो मेरे होंठों को चूसने लगी. मैं समझ गया कि ये माल को अंदर ही लेना चाहती है. साली बहुत प्यासी लग रही थी मेरे लंड की।
मैंने तीन-चार मस्ती भरे धक्के लगाए और उसकी चूत में वीर्य की पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी. मैं पूरा का पूरा उसकी चूत में खाली हो गया.
जब मैं बिल्कुल रुक गया तो दो मिनट तक नेहा के ऊपर लेटे रहने के बाद उठने लगा तो आंटी बोली- बस कर, अब मेरी तरफ भी देख ले. इसकी चूत को तो भर दिया तूने हरामी लेकिन मेरी प्यासी चूत को भी तेरा लौड़ा चाहिए.
मैंने कहा- आंटी, पांच मिनट तो दो. एकदम से कैसे खड़ा होगा मेरा अभी. अभी-अभी तो नेहा की चूत में निकाला है।
आंटी बोली- तू उठ जा, तेरे लंड को उठाना मेरा काम है.
आंटी के कहने पर मैं उठ गया और नेहा एक तरफ हो गई. आंटी ने मुझे बेड पर गिरा लिया और मेरी छाती पर चूमने लगी. आंटी के चूचे मेरी नाभि के इर्द-गर्द टच हो रहे थे.
फिर आंटी ने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया. नंगी आंटी के बदन का स्पर्श पाकर मुझे भी मजा सा आने लगा. मैंने आंटी को कस कर पकड़ लिया और जोर से उनके होंठों को चूसने लगा.
आंटी ने मेरी गर्दन पर होंठ चिपका दिये और पूरी लार मेरी गर्दन पर लपेटती हुई मेरी गर्दन को चूसने लगी. आंटी के मस्त चूचे अब मेरी छाती पर टच हो रहे थे. नीचे से आंटी एक हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी. जल्दी से जल्दी उसको खड़ा करने की जुगत में लगी हुई थी.
कुछ देर तक आंटी मेरे जिस्म को चूमती रही और फिर एकदम से आंटी के होंठ मेरे लंड पर जा सटे। आंटी मेरे अध-सोये लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. मुझे गुदगुदी सी हो रही थी लेकिन हल्का-हल्का मजा भी आ रहा था. आंटी ने मेरे लंड के टोपे को अंदर ही अंदर ही अंदर अपने मुंह में खोल लिया और तेजी के साथ लंड के टोपे पर जीभ फिराने लगी. अब मेरे लंड में हलचल पैदा होनी शुरू हो गई थी.
पांच मिनट के बाद मेरे लंड में तनाव आना शुरू हो गया था. आंटी को तनाव का अहसास हुआ उसने और तेजी के साथ मेरे लंड पर मुंह चलाना शुरू किया और अब मेरे मुंह हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी थी. नेहा मेरी छाती पर हाथ फिराकर मेरे निप्पलों को छेड़ने लगी. मैंने नेहा की चूत को छेड़-छेड़ कर उसका मजा लेने लगा.
जब मेरा लंड पूरा का पूरा आंटी के मुंह में तन कर भर गया तो आंटी ने थूक से चिकने हो चुके मेरे लंड को बाहर निकाल दिया. लंड पूरा गीला था. आंटी ने अपनी दोनों टांगें फैलायीं और मेरे दोनों तरफ करके मेरी जांघों पर बैठ गई. थोड़ी आगे खिसकी और लंड को अपनी चूत पर फिराने लगी.
आंटी लंड को लेने के लिए तैयारी कर चुकी थी. फिर सोनम आंटी उठी और उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ते हुए अपनी चूत के मुंह पर लगाया और मेरे लंड पर बैठती चली गई. लंड आंटी की चूत में उतरने लगा. आह्ह … आंटी की चूत बहुत ही चिकनी और गर्म थी. मुझे तो मजा आ गया. इतना मजा तो नेहा की चूत में लंड डालने पर भी नहीं आया था.
सोनम आंटी ने पूरा लंड अपनी चूत में उतरवा लिया और अपने चूचों को दबाने लगी. पूरा लंड आंटी की चूत में उतर गया तो मुझे स्वर्ग का सा मजा आने लगा. आंटी मेरे लंड पर धीरे-धीरे उछलने लगी.
फिर नेहा भी उठ गई. उसने मेरी छाती के दोनों तरफ अपने पैरों को रखा और अपनी चूत को मेरे मुंह के सामने रखती हुई मेरी छाती पर बैठ गई.
आंटी अब तेजी के साथ मेरे लंड पर उछलने लगी और नेहा ने अपनी चूत मेरे मुंह पर सटा दी. नेहा अपनी चूत को मेरे मुंह पर पटकने लगी और आंटी अपनी चूत को मेरे लंड पर। दोनों के ही मुंह से तेज-तेज आवाजें निकलने लगीं, उम्म्ह… अहह… हय… याह… हिमांशु … हय … आआस्स … स्सस … उफ्फ.. करती हुई वे दोनों मेरे जिस्म को भोगने लगीं.
मैंने नेहा की गांड को पकड़ कर अपनी तरफ खींचते हुए उसकी चूत को अपने होंठों से चिपका लिया और अपनी जीभ को नेहा की चूत में घुसा दिया. नेहा मेरे बालों को नोंचने लगी. जीभ उसकी चूत में घुस चुकी थी और वो पागल सी हो उठी थी. मैं तेजी से नेहा की चूत में जीभ को चलाने लगा. आंटी नीचे की तरफ मेरे लंड पर कूद रही थी.
पांच-सात मिनट बाद नेहा की चूत ने मेरे मुंह पर पानी फेंक दिया. वो शांत हो गई और उसने मुझे छोड़ दिया. वो उठकर एक तरफ लेट गई. मगर आंटी अभी भी मेरे लंड पर कूद रही थी. मैंने आंटी की गांड को अपने हाथों से पकड़ लिया और जोर से अपने लंड पर पटकने लगा. गच्च-गच्च की आवाज के साथ मेरा लंड आंटी की चूत को चोदने लगा.
पांच मिनट बाद आंटी की चूत ने भी गर्म-गर्म पानी मेरे लंड पर छोड़ दिया लेकिन मैंने आंटी को उठने नहीं दिया. मैंने आंटी को नीचे पटका और उसकी टांग उठाकर उसकी चूत को फाड़ने में लग गया. आंटी के मुख-मंडल पर संतुष्टि के भाव साफ-साफ दिखाई दे रहे थे. वो मेरे लंड की चुदाई का जमकर आनंद लूट रही थी.
मैंने पांच तक आंटी की चूत चोदी और फिर दूसरी बार मेरा लंड झड़ने के कगार पर पहुंच गया. मैंने तीन-चार धक्के जोर से लगाये और आंटी की चूत को भी अपने माल से मालामाल कर दिया.
उस दिन के बाद तो चुदाई का सिलसिला चलने ही लगा. जब भी उनमें से कोई भी प्यासी होती तो मेरे कमरे पर आकर अपनी चूत चुदवा लेती थी. जब तक मैं वहां पर रहा उन्होंने मेरे लंड की और अपनी चूत की प्यास को मजे से शांत करवाया.
दोस्तो, ये थी मेरी कहानी. जवानी में मुझे पहली बार में ही इतना मजा मिल गया था. आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी, कमेंट कर प्रोत्साहित करें.
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बंगालन भाभी Xxx स्टोरी में जानें कि एक शाम शराब