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में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपने जिगरी दोस्त की दादी की चुदाई करके उनकी अन्तर्वासना को शांत किया था.

अब आगे की माँ बेटी चुदाई कहानी:

अगले चार छह दिन तक योजनानुसार दादी ने मल्लिका से उसकी शादी की चर्चा से बात शुरू की और शादी के बाद मिलने वाले शारीरिक सुख के आनन्द का जिक्र करते हुए उसे गर्म करना शुरू किया.

एक दिन दादी ने बताया कि हम दोनों दादी पोती दोपहर में दो बजे तक खाना खाकर सो जाते हैं और चार पांच बजे तक सोते हैं. तुम कल तीन बजे आना. रिस्क तो बहुत है लेकिन हिम्मत करते हैं.

अगले दिन तीन बजे मैं पहुंचा तो दादी गेट पर ही मिल गई.

ड्राइंग रूम में पहुंचते ही दादी मुझसे लिपट गई और चुम्मा चाटी होने लगी जिससे मेरा लण्ड कड़क हो गया.

योजनानुसार दादी और मैं बेडरूम में पहुंचे, दरवाजा अन्दर से लॉक कर दिया.

दादी पूरी तरह से नंगी होकर मल्लिका की बगल में लेट गई.
कमरे की खिड़कियों पर पर्दे होने के कारण कमरे में अंधेरा था लेकिन ऐसा अंधेरा भी नहीं था कि कुछ दिखाई न दे. करीब करीब सब कुछ दिखता था.

मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे, दादी के चूतड़ों के नीचे तकिया रखा और अपने लण्ड पर कोल्ड क्रीम लगाकर दादी की चूत में डाल दिया.

लण्ड को दादी की चूत के अन्दर बाहर करते करते मैंने अपना हाथ मल्लिका की चूत पर रख दिया.

मल्लिका ने मिडी पहनी हुई थी, जिसे मैंने ऊपर उठा दिया था.

मल्लिका की चूत पर हाथ फेरने से उसकी नींद खुल गई.
उसने यह सब देखा लेकिन कुछ बोली नहीं … और ऐसा नाटक करने लगी जैसे सो रही है.
शायद वो दादी और मेरे रिश्ते के बारे में सोचने लगी थी.

यही मौका था, मैंने दादी से कहा- दादी सच बताना, चुदवाने में औरत को क्या मजा मिलता है?

“मजे की बात नहीं है, विजय. भगवान ने औरत का शरीर बनाया ही ऐसा है कि उसे लण्ड चाहिए. जो औरतें लण्ड नहीं पातीं, तमाम बीमारियों की शिकार हो जाती हैं, यहां तक कि चेहरे की रौनक खत्म हो जाती है, कई बार पागल तक हो जाती हैं. मैं तो चाहती हूँ कि मालू भी तुझसे चुदवाया करे ताकि जब तक इसकी शादी न हो, इसकी खूबसूरती और चेहरे की रौनक भी बनी रहे.”

“आप सही कह रही हैं, दादी.” यह कहते कहते मैंने मल्लिका की पैन्टी नीचे खिसकाकर उसकी चूत पर हाथ फेरा तो उसकी चूत के लब गीले थे.

मैंने दादी का हाथ दबाकर इशारा किया तो दादी बोलीं- बस करो, विजय. अब मुझे बाथरूम जाना है और मैं चाय बनाती हूँ. तब तक मालू भी जग जायेगी फिर एक साथ पियेंगे.
यह कहकर दादी कमरे से बाहर चली गई.

मैंने मालू की पैन्टी उतार दी और उसकी चूत पर जीभ फेरने लगा.
मालू की चूत से रिस रहा पानी मेरा नशा बढ़ा रहा था और मालू को बेचैन कर रहा था.

चूत चटवाने से मालू बेचैन हो गई और चुदवाने के लिए फड़फड़ाने लगी.
मालू ने मेरे बाल पकड़ लिये और मुझे अपने ऊपर खींचा.

मैंने अपने होंठ मालू के होंठों पर रखे और चूसने लगा.
मालू भी बराबर जवाब दे रही थी.

मेरा लण्ड मालू की चूत से सटा हुआ था और मालू अपने चूतड़ इधरउधर खिसकाकर अपनी चूत के मुखद्वार पर रगड़ रही थी.

जब मालू ने अपने चूतड़ उचकाकर लण्ड को अपनी चूत में लेना चाहा तो मैंने कहा- मालू मेरी जान, अपना टॉप तो उतारो, अपने संतरों का रस पिलाओ, स्वीटी.

मालू ने एक झटके में अपना टॉप व ब्रा उतार दी और मिडी भी अपने शरीर से अलग कर दी.
मेरी मालू मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी.

मैंने उठकर दरवाजा अन्दर से लॉक किया और कमरे की लाइट जला दी.

संगमरमर की मूर्ति की तरह चमकती मालू को देखकर मैं पागल हो गया.

69 की मुद्रा में मालू पर लेटकर मैं उसकी चूत चाटने लगा. मालू ने मेरे लण्ड पर जीभ फेरी और चूसने लगी.

मालू की चूत से रिसता पानी उसके चुदासी होने की गवाही दे रहा था.

मैंने मालू के चूतड़ों के नीचे तकिया रखा, अपने लण्ड पर और मालू की चूत पर कोल्ड क्रीम लगाई और मालू की चूत के गुलाबी लबों को फैलाकर अपने लण्ड का सुपारा रख दिया.
थोड़ी देर पहले दादी की चूत से निकला लण्ड पोती की चूत में जाने को तैयार था.

मालू की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में दबोचकर मैंने अपने होंठ मालू के होंठों पर रख दिये.
फिर अपने लण्ड का दबाव बढ़ाया तो टप्प की आवाज हुई और मेरे लण्ड का सुपारा मालू की चूत के अन्दर हो गया.

मालू के होंठ चूसते चूसते मैं अपना लण्ड अन्दर धकेलता रहा.
चूंकि मालू की चूत काफी गीली हो चुकी थी और लण्ड पर क्रीम चुपड़ी हुई थी इसलिए करीब आधा लण्ड मालू की चूत में सरक गया.

मैंने आँखों ही आँखों में मालू से पूछा- कैसा लग रहा है?
तो उसने शर्माकर अपनी आँखें बंद कर लीं.

अपना आधा लण्ड मालू की चूत के अन्दर बाहर करते हुए मैंने मालू की कमर कसकर पकड़ी और झटके से पूरा लण्ड उसकी चूत में ठोंक दिया.

लण्ड ठोकते ही मैंने अपना हाथ उसके मुंह पर रख दिया.
वो चिल्लाई तो बहुत जोर से … लेकिन उसकी आवाज बाहर नहीं जा पाई.

अब मैंने उसको चोदना शुरू किया तो देखा कि मेरा लण्ड खून से सना हुआ है.

मालू के दर्द की कोई परवाह न करते हुए मैंने चुदाई जारी रखी.
और कुछ देर में वो भी दर्द भूलकर मजा लेने लगी.

जैसे जैसे लण्ड की ठोकर पड़ती … मालू आह … आह … कहकर मेरा जोश बढ़ा देती.

अब जब मैं मंजिल के करीब पहुंचने वाला था तो मैंने मालू को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत में अपना लण्ड पेल दिया.
मालू की कमर पकड़ कर फुल स्पीड से घोड़ा दौड़ाते हुए मेरे लण्ड ने फव्वारा छोड़ दिया.

एक एक बूंद निचुड़ जाने के बाद मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और मालू से लिपट कर लेट गया.

एसी चलने के बावजूद दोनों पसीने से तरबतर थे.

कुछ देर बाद मालू ने अपने कपड़े उठाये और बाथरूम चली गई.

मैंने अपने कपड़े पहने और देखा कि मालू की चूत से रिसे खून से चादर पर निशान बन गया था.
उसे मैंने तकिये से ढकना चाहा तो देखा तकिया भी खून से सना था.

दरवाजा खोलकर बाहर आया तो दादी बाहर ही खड़ी थी.
आँखों ही आँखों में इशारा हुआ कि काम हो गया.

मैंने चादर और तकिये पर लगे खून के बारे में बताया तो दादी ने लापरवाही से हाथ हिलाते हुए कहा कि अभी धुल जायेंगे.

मालू बाथरूम से बाहर आई.

हम तीनों ने चाय पी.
मालू नजरें झुकाये चुपचाप बैठी थी.
चाय पीकर मैं अपने घर लौट आया.

रात को एक बजे मेरे मोबाइल पर घंटी बजी, देखा तो मालू थी.
“क्या कर रहे हो, विजय?”
“लेटा हूँ, मगर नींद नहीं आ रही है.”
“आई लव यू, विजय. अब कब आओगे?”
“कल सुबह 11 बजे.”

“आ जाना विजय, मैं बहुत बेकरार हूँ. और हां प्रिकाशन लेकर आना.”
“मैंने 20 कॉण्डोम का पैक खरीद लिया है और एक इमरजेंसी पिल भी.”
“आई लव यू, विजय.”

अगले दिन सुबह 11 बजे पहुंचा तो मालू व दादी ड्राइंग रूम में थीं.
मुझे देखते ही दादी ने मालू से कहा- तुम दोनों बेडरूम में चलो, मैं चाय बना कर लाती हूँ.

मैं और मालू बेडरूम में चले गये और चुदाई शुरू हो गई.

करीब डेढ़ घंटे बाद हम बाहर निकले, दादी के साथ चाय पी.

अब मालू ने कहा- दादी आप आराम कर लो, मैं खाने की तैयारी करती हूँ.

मैं और दादी दोनों बेडरूम में आ गये.
दोनों नंगे हो गये और दादी मेरा लण्ड पकड़ कर खाल आगे पीछे करते हुए बोलीं- हम दादी पोती की चूत ठण्डी करते रहना विजय.

मल्लिका और उसकी दादी को चोदते हुए दिन मजे से कट रहे थे.

तभी एक दिन मल्लिका का फोन आया- दादी बाथरूम में गिर गई हैं, तुम जल्दी आ जाओ.
मैं भागकर पहुंचा, दादी को अस्पताल पहुंचाया.

पता चला कि कम से कम 15-20 दिन अस्पताल में रहना पड़ेगा, उसके बाद तीन महीने का कम्पलीट बेडरेस्ट होगा.

अस्पताल में मल्लिका और उसकी मम्मी रेखा बारी बारी से रूकतीं.

मल्लिका दिन में घर में रहती और उसकी मम्मी अस्पताल.
दिन में मल्लिका घर में अकेली होती इसलिये चुदाई का भरपूर मौका मिलता.

एक दिन शाम को मैं मल्लिका को अस्पताल पहुंचाने गया और वापसी में रेखा को लाना था.

वापसी के समय करीब 8 बज गये थे. मेरी स्पोर्ट्स बाइक पर रेखा मेरे पीछे बैठी तो बाइक की बनावट के कारण मेरे ऊपर लदी हुई थी.

घर से अस्पताल लगभग 22 किलोमीटर दूर था.

अभी 5 किलोमीटर ही चले होंगे कि बूंदाबांदी शुरू हो गई.
रूकने की अपेक्षा भीगते हुए घर पहुंचना बेहतर समझकर मैंने बाइक की रफ्तार बढ़ाई तो रेखा ने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर को घेर लिया.

रेखा की चूचियां मेरी पीठ से सटी हुई थीं.
आज मुझे अहसास हुआ कि रेखा भी चुदाई के लिए बुरी नहीं है.

करीब 45 साल की उम्र, 5 फीट 6 इंच का कद, गोरा चिट्टा रंग, 38 इंच की चूचियां और 42 इंच के चूतड़. और क्या चाहिए? 8 इंच का लण्ड झेलने की पूरी क्षमता थी रेखा में.

इन्हीं ख्यालों में डूबे हुए, बरसात से तरबतर हम रेखा के घर पहुंचे.

उसने दरवाजा खोला और मैं बिना उसके निमन्त्रण के अन्दर घुस गया.
वो शायद सोच रही थी कि मैं भीगा हुआ हूँ तो सीधे अपने घर जाऊंगा लेकिन मैं तो किसी और जुगाड़ में था.

अन्दर पहुंचकर रेखा ने लाइट ऑन की तो उसे देखकर मैं दंग रह गया.
बरसात में भीगकर उसका सलवार सूट उसके बदन से चिपक गया था.

मुझे एक टॉवल देकर वो चेंज करने चली गई.

मैंने अपने सारे कपड़े उतारकर सूखने के लिए फैला दिये और टॉवल लपेट लिया.

कुछ ही देर में रेखा गाऊन पहनकर अपने बाल झटककर सुखाने की कोशिश करते हुए आई.
हम दोनों की नजर एक दूसरे पर पड़ी और दोनों एक दूसरे को निहारते रह गये.

मेरी नजर उसकी चूचियों पर थी और उसकी नजर बालों से भरी मेरी छाती से होते हुए टॉवल में छिपे हुए मेरे टनटनाये लण्ड पर टिक गई.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो सकपका कर बोली- कुछ नहीं. मैं यह पूछ रही थी कि खाना बनाऊं या पहले चाय पियोगे?
“पहले चाय पियूंगा, फिर खाना खाऊंगा और उसके बाद दूध पिला देना!”

यह कहते कहते मैंने अपने लण्ड को नीचे दबाकर बैठाने के लिए हाथ फेरा.
लेकिन वो टनटनाकर फिर खड़ा हो गया.

रेखा ने कातिल निगाहों से मुझे देखा और पलटकर चाय बनाने के लिए चल दी.
उसके वापस पलटते ही मेरी नजर उसके चूतड़ों पर पड़ी तो मेरा लण्ड मतवाला हो गया.

मैं किचन में पहुंच गया, रेखा गैस जलाने वाली थी कि मैंने उसे पीछे से दबोच लिया.
मेरा लण्ड रेखा की गांड की दरार में फंस गया, रेखा की चूचियां मेरी मुठ्ठी में थीं.

रेखा की गर्दन पर मैंने चुम्बन किया तो कसमसा कर बोली- छोड़ो विजय कोई आ जायेगा.
“कोई नहीं आयेगा.” कहते हुए मैंने रेखा का गाऊन कमर तक उठा दिया और अपना टॉवल खोल दिया.

मेरा लण्ड रेखा के चूतड़ों के बीच था.

अपनी टांगों को फैलाकर रेखा ने मेरे लण्ड को अपनी चूत के मुखद्वार से छूने की कोशिश की.
तो मैंने रेखा की कोहनियां किचन टॉप पर टिकाकर उसको घोड़ी बना दिया.

रेखा की चूत के लब फैला कर अपने लण्ड का सुपारा रखकर धक्का मारा तो अन्दर नहीं गया. रेखा की चूत काफी टाइट थी.
उसकी कमर पकड़कर मैंने दोबारा धक्का मारा तो भी लण्ड अन्दर नहीं गया.

तो रेखा ने सामने रखा देसी घी का डिब्बा खोल दिया. मैंने डिब्बे में दो ऊंगलियां डालकर घी लिया, घी अपने लण्ड पर चुपड़ दिया और घी से सनी ऊंगली रेखा की चूत में फेर दी.

अपनी उंगलियों और हथेलियों पर लगा घी मैंने रेखा के चूतड़ों पर मल दिया.

अपने लण्ड का सुपारा रेखा की चूत के मुखद्वार पर सेट करके मैंने धक्का मारा तो पहले धक्के में आधा और दूसरे में पूरा लण्ड रेखा की गुफा में समा गया.

“विजय, मेरी जान, तुम अभी तक कहाँ थे? मेरे राजा, तुम्हारा लण्ड है या कामदेव का हथियार? मैं तो पिछले सात आठ साल से चुदी ही नहीं. कारण यह कि तेरे अंकल आते थे और जब तक मेरी कामवासना जागे तब तक पानी टपका देते थे और मैं तड़पती रहती थी इसलिये मैंने चुदवाने से मना करना शुरू कर दिया लेकिन तुमने तो जन्नत दिखा दी. चलो बेडरूम में चलो, मुझे जी भरकर चोदो, राजा. मेरी जवानी लूट लो.”

लण्ड को रेखा की चूत से बिना निकाले मैं उसको लेकर बेडरूम में आ गया.

“एक मिनट निकाल लो, मैं अभी आ रही हूँ.”

मैंने अपना लण्ड निकाला तो रेखा उठी और अलमारी में से शहद की शीशी निकाल लाई.

बेड पर लेटकर रेखा ने अपनी गांड के नीचे दो तकिये रखकर अपनी टांगें फैला दीं जिससे रेखा का इण्डिया गेट पूरी तरह से खुल गया और मेरा कुतुबमीनार अन्दर जाने को तैयार था.

रेखा ने अपनी चूचियों पर शहद लगाया और मुझे ऊपर आने का न्यौता दिया.
गांड के नीचे दो तकिये रखने की वजह से रेखा की चूत का मुंह आसमान की तरफ हो गया था.

घुटनों के बल खड़े होकर मैंने अपने लण्ड का सुपारा रेखा के इण्डिया गेट पर रखा और लण्ड को अन्दर सरकाते सरकाते मैं रेखा पर लेट गया और उसकी चूचियां चाटने लगा.

शहद खत्म हो जाता तो रेखा फिर से शहद का लेप कर देती.

कुछ देर तक यह करने के बाद रेखा ने अपनी चूत सिकोड़ना शुरू किया, वो अपनी चूत ऐसे सिकोड़ती जैसे टॉफी चूसते हैं.

मैंने लण्ड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया तो रेखा ने मेरे हाथ पकड़कर अपनी चूचियों पर रख दिये.
धीरे धीरे मैंने चूचियां सहलाईं तो रेखा बोली- थोड़ा वाइल्ड हो जाओ, बेरहमी से चोदो, ऐसे चोदो जैसे कोई दुश्मनी निकाल रहे हो.

रेखा की दोनों चूचियां दबोचकर मैंने रेखा को चोदना शुरू किया. चार छह धक्के पड़ते ही रेखा उफ्फ उफ्फ करने लगी.
मेरे लण्ड का सुपारा जब उसकी बच्चेदानी के मुंह पर ठोकर मारता तो आह आह करने लगती.

थोड़ी देर पहले वाइल्ड होने के लिए कहने वाली रेखा अब हाथ जोड़ने लगी.
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और एक सेकेण्ड में रेखा को पलटाकर घोड़ी बना दिया.

घोड़ी बनाते ही अपना लण्ड रेखा की चूत में पेल दिया और उसकी गर्दन, पीठ व कमर पर शहद मलकर चाटने लगा.
अपनी बायीं हथेली में थोड़ी सी शहद लेकर मैंने दायें हाथ के अंगूठे से रेखा की गांड के चुन्नटों पर शहद लगा दी और धीरे धीरे मसाज करने लगा.

मसाज करते करते मैंने अपना अंगूठा शहद में डुबोया और रेखा की गांड में डाल दिया.
“आह, विजय, ये क्या कर रहे हो?”

अंगूठा धीरे धीरे गांड के अन्दर बाहर करते हुए मैंने कहा- अपनी रानी की गांड को शहद चटा रहा हूँ.

“मैंने बहुत सी ब्लू फिल्म में औरतों को गांड मराते देखा है. एक बार इच्छा हुई कि मैं भी मराकर देखूँ तो मैंने तेरे अंकल से कहा. तेरे अंकल ने काफी कोशिश की लेकिन उनका लण्ड इस चक्रव्यूह को भेदने में असफल रहा. आज तुमने अंगूठा डालकर मेरी सोई इच्छा को जगा दिया.”

“तो आपकी इच्छा हम अभी पूरी कर देते हैं.”

अपनी हथेली में बची हुई सारी शहद मैंने अपने लण्ड पर चुपड़ दी और लण्ड का सुपारा रेखा की गांड के गुलाबी चुन्नटों पर रख दिया.

रेखा की कमर पकड़कर लण्ड को दबाया तो लण्ड का सुपारा उसकी गांड में घुस गया.
लेकिन गांड के चुन्नट फटने के कारण रेखा चिल्ला पड़ी.

बाहर जोरदार बारिश हो रही थी जिस कारण उसकी आवाज पड़ोसियों के घर तक नहीं पहुंची.
वरना कोई न कोई पड़ोसी आ धमकता कि क्या हुआ?

अपने मुंह पर हाथ रखकर रेखा ने खुद को चुप कराया और अपने गाऊन से अपने आँसू पौंछ लिये.

रेखा की कमर को मजबूती से पकड़कर मैंने दो तीन धक्कों में पूरा लण्ड रेखा की गांड में उतार दिया.
मल्लिका की मम्मी चिल्लाती रही, रोती रही, गिड़गिड़ाती रही लेकिन उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में दबोचकर मैं धकाधक उसकी गांड मारता रहा.

जब मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ी तो दर्द के कारण रेखा फूटफूटकर रोने लगी.
वीर्य की एक एक बूंद निचुड़ जाने तक मैं धक्के मार मारकर उसकी गांड का भुर्ता बनाता रहा.

पूरी तरह से डिस्चार्ज होने के काफी देर बाद तक मैंने अपना लण्ड उसकी गांड से निकाला नहीं और प्यार से उसके चूतड़ व पीठ सहलाकर उसे दिलासा देता रहा.

जब मैंने अपना लण्ड निकाला तो उस पर खून की छोटी छोटी बूंदें थीं.
रेखा को अपने सीने से चिपकाकर मैं उसके साथ लेट गया.

“तुम बहुत गंदे हो, कोई ऐसे करता है क्या? मैं मर जाती तो?”
“ऐसे कैसे मर जाती?” कहते हुए मैं रेखा की चूचियां सहलाने लगा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये.

रेखा का हाथ मैंने अपने लण्ड पर रखा जो रेखा के छूते ही हरकत में आ गया.
“विजय, आज रात यहीं रूक जाओ. मैं खाना लाती हूँ, पहले खाना खा लो फिर अपनी मनमानी कर लेना.”

हम दोनों बाथरूम गये, शावर लिया और नंगे ही पूरे घर में घूमते रहे.
रेखा की गांड में दर्द की वजह से उसकी चाल बदल गई थी.

खाना खाने के बाद हम लोग बेड पर आ कर लेट गये.

थोड़ी देर की अठखेलियों के बाद रेखा ने मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.

लण्ड जब मूसल की तरह कड़क हो गया तो लण्ड पर क्रीम मलकर रेखा मुझ पर सवार हो गई.
अपनी टांगें फैला कर रेखा ने अपनी चूत के लब फैलाये और मेरे लण्ड पर बैठ गई.
पूरा लण्ड अन्दर लेकर रेखा उचक उचककर मुझे चोदने लगी.

जब तक दादी अस्पताल रहीं, दिन में मल्लिका और रात को रेखा चुदती.

दादी के घर आने के बाद दादी को तीन महीने बेडरेस्ट करना था लेकिन करीब एक महीना ही बीता होगा कि मैं उनके घर गया तो दादी लेटी थीं और मल्लिका पास में बैठी थी.

अक्सर ऐसा ही होता था और मल्लिका बगल वाले कमरे में आकर चुदवा लेती थी.
आज मैं पहुंचा तो मल्लिका उठ खड़ी हुई.

तभी दादी बोली, मालू आज मेरा चाय पीने का बहुत मन कर रहा है. बेटा दरवाजा बंद कर दे और तू चाय बना ले.
“क्या कह रही हो, दादी? आपको तीन महीने का कम्पलीट बेडरेस्ट बताया गया है.”
“हां मालू, मुझे पता है. प्लीज तू जा, चाय बना.”

मैंने मल्लिका से कहा- जाओ ज्यादा चिन्ता न करो, आई विल भी केयरफुल.
मल्लिका चली गई और दरवाजा बंद कर दिया.

मैंने अपनी जींस और अण्डरवियर उतार दिया और दादी के बेड के करीब खड़ा हो गया.
दादी मेरा लण्ड सहलाने लगीं जो तुरन्त ही टनटना गया.

अपना लण्ड मैंने दादी के मुंह में दिया तो दादी चूसने लगी.
मैंने दादी की चूत पर हाथ फेरते फेरते चूत में ऊंगली चलाना शुरू कर दिया.

जब दादी गर्म होकर पूरे जोश में आ गई तो बोली- एक बार चूत में डाल दे विजय. बहुत तड़प रही है.
“डालूंगा दादी, तुम चूसती रहो. जब डिस्चार्ज के करीब पहुंचूंगा तो डाल दूंगा, डिस्चार्ज तुम्हारी चूत में ही करूँगा.”

दादी पूरी तल्लीनता से चूस रही थी, पूरा लण्ड मुंह में ले लेती थी.

चूत में ऊंगली चलाने से चूत काफी गीली हो गई थी.

मैंने दादी को बेड के किनारे पर खींचते हुए दादी की टांगें धीरे से मोड़ दीं और दादी के बेड से सटकर खड़े होकर अपना लण्ड दादी की चूत में सरका दिया.

दादी ने मेरा हाथ पकड़ा और बेतहाशा चूमने लगीं.
लण्ड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करते हुए डिस्चार्ज का समय आया तो न चाहते हुए भी चार छह धक्के फुल स्पीड से लगाकर फव्वारा छोड़ दिया.

उसके बाद मालू चाय लेकर आ गई.
चाय पीने के बाद मालू मुझसे बोली- उस कमरे में बैठो, मैं अभी आती हूँ.

वीर्य से सनी दादी की चूत साफ करके मालू ने दादी से पूछा- दादी मैं थोड़ी देर के लिए बगल वाले कमरे में जाऊं.
“जा मेरी रानी … जा. यही जिन्दगी है, जी ले अपनी जिन्दगी. बस प्रिकाशन का ध्यान रखना, कोई गड़बड़ न हो जाये.”

“विजय ने मुझे कॉण्डोम का पैकेट लाकर दे रखा है, दादी. खत्म होने से पहले दूसरा पैकेट ला देता है, बहुत चिंता करता है मेरी.”

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