दीदी की चुदाई देख मैं भी चुद गयी
दोस्तो, मेरी पिछली कहानी जीजू ने दीदी को अपने दोस्त
इंडियन वाइफ हार्ड सेक्स मैंने अपनी आँखों से देखा. मैं तब 19 साल की थी, अपनी सहेली के घर रुकी थी. वहां मैंने उसके मामी पापा की चुदाई देखी.
दोस्तो, मेरा नाम साक्षी है. मैं पुणे में रहती हूं. मेरी उम्र 35 साल है और मैं एक शादीशुदा औरत हूं.
यह Indian Wife Hard Sex Story मेरी कमसिन जवानी के दिनों की है, पूरी सेक्स कहानी पढ़िए, मजा आएगा.
मैं अपने मम्मी पापा की इकलौती बेटी हूं और पापा की बहुत ज्यादा लाड़ली.
बचपन से ही पापा मुझसे बहुत प्यार करते थे. मुझे कभी किसी बात के लिए टोकते नहीं थे.
मेरे पापा एक सरकारी अफसर हैं, इसी वजह से उनका हर बार ट्रांसफर होता रहता था.
उस वक्त पापा का ट्रांसफर नए शहर में हो गया था.
हम नए शहर रहने आए थे.
मेरा नए स्कूल में दाखिला कराया गया था.
तब मेरा जन्मदिन भी आने वाला था.
मैं कली से फूल बनने की कगार पर थी.
उस दिन मैं सुबह जल्दी उठकर नहा कर तैयार हो रही थी. बाथरूम से तौलिया लपेट कर मैं दर्पण के सामने खड़ी हो गई और खुद को दर्पण में निहार रही थी.
मुझे शीशे में खुद के शरीर पर जवानी की निशानियां नज़र आ रही थीं.
मैं देख रही थी मेरे नितंब बढ़ गए थे. मैं हल्की सी तौलिया खोल कर देखने लगी.
मेरी छाती के दोनों गोले अब एक टेनिस बॉल की तरह उभर गए थे.
मैं खुद को देख मुस्कुरा रही थी.
मैंने नोटिस किया कि मैं कुछ ज्यादा ही सेक्सी दिखने लगी थी.
मैं तौलिया निकाल कर अब अच्छे से अपने अंग पौंछने लगी.
छाती की दरार में थोड़ा पानी रह गया था, उसे मैंने कुछ ज्यादा ही अच्छे से पौंछ दिया जिससे मेरे मम्मे रगड़ कर मुझे मजा देने लगे थे.
उसके बाद मेरा हाथ धीरे से नीचे चला गया.
दोनों जांघों के बीच, छोटे छोटे घुंघराले बालों में कुछ पानी की बूंदें बची हुई थीं.
मैं तौलिया से रगड़ कर उन्हें सुखाने की कोशिश करने लगी थी.
मुझे अपने जोड़ पर तौलिया की रगड़ असीम आनन्द की अनुभूति दे रही थी.
मैं आंख बंद करके उस रगड़ का मजा लेने लगी थी.
तभी मां की आवाज़ आई- साक्षी बेटा, जल्दी से आ जा … नाश्ता तैयार है.
मैंने तौलिया बाजू रख दिया और अलमारी खोल ली.
अलमारी में मां ने मेरे लिए कुछ नई ब्रा पैंटी रखी थीं.
मैंने एक नया पैकेट उठा आया और मैं बिस्तर पर बैठ गई.
मैंने उन्हें पहनना शुरू किया.
ब्लैक कलर की पैंटी और ब्रा मुझे बहुत पसंद आ गई.
पैंटी की दोनों टांगों की जगह में मैंने अपने पैर डाल दिए और खड़ी होकर पैंटी ऊपर खींच ली.
मेरे नितंब काफी बढ़ गए थे इसलिए वो इस नई व टाइट पैंटी में मानो समाने के लिए तैयार नहीं थे.
आईने में देख कर मैंने पीछे से पैंटी एडजस्ट की और मुड़ कर देखा तो सामने से झांटों के घुंघराले बाल साइड से बाहर निकल रहे थे.
मैंने उन्हें भी उंगलियों से अच्छे से सैट किया और ब्लैक कलर की ब्रा पहन ली.
फिर ऊपर से स्कूल की यूनिफॉर्म पहनी.
नए स्कूल की नई यूनिफॉर्म में मेरा शरीर बहुत खूबसूरत दिख रहा था.
मेरे चूचों का उभार कोई भी नोटिस कर सकता था और पीछे से तो पूछो ही मत.
मैंने अच्छी तरह से तैयार होकर एक बार फिर से अपने आपको दर्पण में देखा, अपने रस से भरे गुलाबी होंठों को सेक्सी स्टाइल में दांतों से चबाया और अपना खूबसूरत रूप देख खुशी से नाश्ता करने चली गई.
मां पापा भी आज मेरा रूप देख हल्के से चौंक गए थे.
नाश्ता करके मैं स्कूल चली गई.
नए स्कूल में मुझे नई सहेलियां मिलीं.
उनमें से रिया मेरी अच्छी सहेली बन गई.
हमारी बस का रूट एक ही था और स्कूल में हम दोनों एक ही बेंच पर बैठ गए थे.
धीरे धीरे हमारी दोस्ती और गहरी होती गई.
हम दोनों सभी तरह की बातें शेयर करने लगी.
रिया भी एक खूबसूरत लड़की थी. उसके नितंब मुझसे कम थे लेकिन छाती कुछ ज्यादा ही बड़ी थी.
मैंने उससे इस बारे में पूछा तो उसने बताया कि इस उम्र में मेरी मम्मी के भी बड़े थे, शायद यह हमारे खून में ही है.
रिया का एक ब्वॉयफ्रेंड था, उसका नाम सनी था.
सनी एक काला सा लेकिन हट्टा कट्टा लड़का था.
पता नहीं रिया को उसमें क्या पसंद आया था.
वो कहते हैं ना कि प्यार अंधा होता है.
हफ्ते में 2 से 3 बार रिया स्कूल बंक करके उसके साथ घूमने चली जाया करती थी.
जब स्कूल खत्म होने के टाइम पर वह वापस आती थी तो बहुत ज्यादा थक जाती थी, उससे ठीक से चला नहीं जाता था.
रिया मुझे उसकी पूरी ट्रिप डिटेल में बताती थी कि कैसे सनी उसे कभी पार्क में कभी कार में तो कभी लॉज में प्यार करता था.
अब वो प्यार था या चुदाई का मामला था, वो साफ़ लिखने का कोई मतलब नहीं है.
उसकी प्रेम कहानी सुनकर मेरा पानी छूट जाता था.
रिया का सीक्रेट सिर्फ मुझे पता था.
कभी कभी ऐसी बातें सुनकर मेरा भी मन करता था कि मुझे भी कोई ऐसी ही मस्ती से भरा हुआ प्यार करे.
जिस दिन रिया सनी के साथ जाती थी, तो उस दिन की पढ़ाई पूरी करने के लिए वह मुझे अपने घर पर रोकती थी.
मेरे मां पापा मुझे रुकने देते थे.
उसके घर में उसके पापा महेश, उसकी मां मालिनी और उसका भाई रोहन रहते थे.
रिया की मां भी रिया की तरह बहुत ज्यादा सुंदर थीं.
और जैसे रिया ने बताया था कि मालिनी आंटी की छाती के गोले बड़े आम जितने बड़े थे और पीछे से दो तरबूज जैसे नितम्ब थे.
उनकी हाईट की वजह से उन पर यह जंचता था.
रिया भी अपनी मां की तरह थी.
रिया का बड़ा भाई पड़ाकू था, वह अपने कमरे में ही रहता था जबकि रिया के पापा हमेशा बाहर रहते थे.
मैं इन 4-5 महीनों में उनसे कभी मिली नहीं थी.
एक दिन ऐसे ही मैं रिया के घर रुकी थी.
रिया अपने रूम में फ्रेश हो रही थी.
उसने मुझसे अपनी मां के रूम में फ्रेश होने को कहा.
आंटी मार्केट गई थीं.
मैं रूम में गई, मुझे बाथरूम से शॉवर के पानी की गिरने की आवाज आ रही थी.
मैंने बाथरूम की तरफ देखा, बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था.
मुझे लगा कि आंटी से गलती से शॉवर ऑन रह गया.
मैं बिना कुछ सोचे समझे दौड़ती हुई बाथरूम में गई ताकि पानी बंद कर सकूं.
जैसे ही मैंने बाथरूम में पैर रखा, मेरा पैर साबुन के पानी पर फिस गया और मैं फिसलती हुई शॉवर के नीचे किसी से जा टकराई.
शॉवर चालू था, मैं कुछ ही पलों में पूरी भीग गई.
मैंने तुरंत शॉवर बंद किया और पीछे मुड़ी.
सामने का नजारा देख कर मैं चिल्लाने ही वाली थी, तो उस आदमी ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया.
मैं चिल्ला नहीं पाई.
मैंने देखा रिया के पापा बिना कपड़ों के मेरे सामने खड़े हैं.
मैं झट से घूम गई और दौड़ कर रिया के रूम में चली गई.
रिया मुझे इस तरह से देख कर चौंक गई.
वह पूछती रही, मैंने उसे कुछ भी नहीं बताया.
मैंने बहाना बताकर टाल दिया.
रिया ने मुझे बदलने के लिए कपड़े दे दिए.
मैंने झट से कपड़े लिए और बाथरूम में चली गई और दरवाज़े की कुंडी लगा कर अपनी आंखें बंद कर लीं.
मुझे फिर से वही नजारा दिखा.
बिना कपड़ों के रिया के पापा, उनकी सख्त कसी हुई बॉडी और उनकी कमर के नीचे दोनों जांघों के बीच लटकता हुआ बड़ा सा उनका काला मर्दानगी का हथियार, जो लगभग तना हुआ था.
मैंने इस हथियार के बारे में रिया से कई बार सुना था.
रिया ने सब बताया था कि सनी का कितना बड़ा लंड था. उसका साइज क्या था … कलर क्या था.
लेकिन मैंने रियल में कभी भी लंड नहीं देखा था.
बार बार मेरी आंखों के सामने वही तस्वीर आ जा रही थी.
मैंने देखा था कि रिया के पापा के लौड़े पर एक भी बाल नहीं था और वो पूरा काला था.
लेकिन लंड के मुहाने पर एक गुलाबी टोपा था.
मैं सोच ही रही थी कि रिया ने बाथरूम का दरवाजा खटखटा दिया.
मैंने झट से कपड़े बदल लिए और बाहर आ गई.
रात में डिनर के वक्त रिया ने मेरा अपने पापा से इंट्रो कराया.
मैंने शर्माते हुए उनकी तरफ देखा.
वह स्माइल करते हुए मुझे देख रहे थे.
मैं उनसे नज़र नहीं मिला पा रही थी.
उन्होंने भी ऐसे रिएक्ट किया जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
मैंने चुपचाप डिनर किया और रिया के कमरे में चली गई.
रिया और मैंने कुछ देर पढ़ाई की.
रिया पढ़ाई करते करते सो गई लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मुझे बार बार बाथरूम का सीन याद आ रहा था.
मैं पानी पीने किचन में जाने लगी थी तो मुझे आंटी के रूम से ताली बजाने की आवाज़ आ रही थी.
मैंने सोचा कि कोई मच्छर मार रहा होगा.
मैं किचन में चली गई. पानी पीकर वापस आ गई.
ताली की आवाज अब भी आ रही थी और साथ में किसी के दर्द में चिल्लाने की आवाज भी आ रही थी.
मुझे लगा कि अंकल आंटी का झगड़ा चल रहा है.
कहीं अंकल आंटी को मार तो नहीं रहे हैं, इसलिए मैं दरवाजे के पास जाकर उनकी बातें सुनने की कोशिश करने लगी.
मुझे अभी भी आंटी के चिल्लाने की आवाज आ रही थी, साथ में थप थप करके ताली की भी आवाज आ रही थी.
मैंने दरवाजे को थोड़ा सा धक्का लगा कर देखा तो मुझे पता चल गया दरवाजा अन्दर से बंद नहीं है.
मैंने धीरे से दरवाजा खोलकर अन्दर झांकने की कोशिश की और अन्दर का नजारा देखकर मेरे तो होश ही उड़ गए.
मैंने देखा आंटी अपने पूरे कपड़े निकाल कर बिस्तर पर नंगी लेटी हुई हैं. आंटी के ढाई ढाई किलो के मैंगो बिल्कुल आजाद हैं.
आंटी ने अपनी दोनों टांगें उठा कर हाथ में पकड़ी हुई हैं. आंटी के कमर के नीचे एक तकिया रखा हुआ है और आंटी के बिल्कुल नीचे अंकल दो टांगों पर बैठकर आंटी को टांगों के बीच मर्दानगी के जोरदार झटके दे रहे हैं.
अंकल के हर एक झटके के साथ आंटी के मुँह से मदहोश कर देने वाली चीख निकल रही थी- आआ अहअह … अहअ एजी थोड़ा आराम से … अहअ … आराम से करिए ना … आह प्लीज आह आह.
आंटी का इस तरह चिल्लाना, अंकल को और भी ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.
अंकल और तेजी से झटके मार रहे थे.
दोनों की जांघें एक दूसरे पर तेजी से टकरा रही थीं और पूरे कमरे में थाप थाप थाप की आवाज़ गूंज रही थी.
उन दोनों की कामुक सिसकारियां कमरे का माहौल और हसीन बना रही थीं.
मैंने सेक्स के बारे में रिया से कई बार सुना था लेकिन मैं सेक्स लाइव पहली बार देख रही थी.
अब अंकल रुक गए और उन्होंने अपना मर्दानगी का हथियार आंटी की टांगों के बीच से बाहर निकाल लिया.
तब आंटी ने थोड़ी चैन की सांस ली.
जब मैंने अंकल का हथियार देखा तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.
मैं समझ गई कि जो बाथरूम में देखा था, वह तो एक ट्रेलर था.
फिल्म देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए थे.
अब मुझे समझ आ गया था कि आंटी इतना क्यों चिल्ला रही थीं.
तभी अंकल ने आंटी को पलटने का इशारा किया.
आंटी भी उनका इशारा तुरंत समझ गईं और बिस्तर पर झुक कर घोड़ी बन गईं.
अचानक से अंकल कुछ ढूंढने लगे और उन्होंने आंटी को तेल की शीशी के बारे में पूछा.
आंटी ने डर कर उन्हें जवाब दिया- जी आज नहीं प्लीज … कल पक्का … प्लीज … आज आगे ही डालिए ना!
अंकल ने कहा- ठीक है.
लेकिन जब वह इधर उधर देख रहे थे तो उन्होंने मुझे दरवाजे पर नोटिस कर लिया था.
उन्हें पक्का यकीन हो गया था कि मैं दरवाजे पर खड़ी हूं.
मैं झट से पीछे हो गई और मैंने देखा कि अंकल दरवाजे की तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे.
फिर उन्होंने अपनी इंडियन वाइफ के नितंबों पर जोर की चमाट मारी.
हार्ड सेक्स से आंटी के मुँह से ‘आह …’ की जोरदार चीख निकल गई.
उनके नितंबों पर अंकल के उंगलियों के निशान छप गए थे.
उन्होंने फिर से एक बार दरवाजे की तरफ देख कर अपने हथियार को ऐसे सहला कर दिखाया, मानो जैसे मुझे ज्वाइन करने के लिए इन्विटेशन दे रहे हों.
अब अंकल आंटी को पीछे से प्यार कर रहे थे.
मुझे भी उनका सेक्स देख मजा आ रहा था.
कुछ देर बाद अंकल ने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
आंटी चिल्ला रही थीं और अंकल चोदे जा रहे थे.
तभी वो एकदम से अकड़ गए और हूँ हूँ करते हुए अपनी कमर को धीरे धीरे करते गए.
अंकल अगले कुछ ही पलों में आंटी के ऊपर ढेर हो गए.
मेरा हाथ कब मेरी पैंटी में चला गया था, मुझे पता ही नहीं चला था.
मेरी उंगलियां चिपचिपी हो गई थीं.
मैं बहुत ज्यादा गर्मा गई थी. मैं दौड़कर बाथरूम में चली गई और अपने लोअर को पैंटी समेत घुटनों तक सरका दिया.
झट से मैं टॉयलेट सीट पर बैठ गई और जोरों से टांगों के बीच उंगलियां रगड़ना शुरू कर दिया.
वासना से भरी सिसकारियां लेती हुई झट से हल्की हो गई.
मैंने मेरा हाथ और टांगों के बीच पानी से अच्छे तरह से साफ किया और बेड पर आकर लेट गई.
आंटी की मदहोश करने वाली सिसकारियां अभी भी मेरी कानों में गूंज रही थीं.
मेरी आंखों के सामने अभी भी वही नजारा चल रहा था.
वो सब सोचते सोचते मुझे नींद आ गई.
दोस्तो … इस कहानी में इतना ही!
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