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न्यूड भाभी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मैंने सनी लियोनी की नंगी फिल्म दिखाकर पड़ोस की भाभी को गर्म करके उसकी चूत को चोदा. फिर गांड भी मारी.

फ्रेंड्स, मैं संजीव एक बार फिर से अपनी पड़ोसन शशिकला भाभी की चुदाई की कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.
न्यूड भाभी सेक्स स्टोरी के पिछले भाग
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में अब तक आपने पढ़ा था कि शशिकला भाभी मुझसे चुदने के लिए राजी हो गई थीं.

अब आगे न्यूड भाभी सेक्स स्टोरी:

मैंने भाभी को अपनी ओर खींचा, तो वो बोलीं- इधर नहीं … कोई भी आ सकता है.

उनकी बात ठीक थी. गांव के माहौल में किसी को आने जाने से रोका नहीं जा सकता था.

भाभी के घर के बगल में एक उन्हीं का एक टूटा हुआ टपरा टाइप का कमरा था, जिसमें फ़ालतू सामान रखा रहता था.

उधर उनकी एक चारपाई भी पड़ी थी.
उन्होंने उसी टूटे हुए टपरे में मुझे जाकर इन्तजार करने के लिए बोला.
मैं झट से उसमें चला गया.

थोड़ी देर बाद भाभी हाथ में एक बाल्टी लेकर आ गईं. वो इधर उधर देख कर मेरे पास आ गईं.

जैसे ही भाभी आईं, तो मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और भाभी की चूचियों को अपने हाथों से जोर जोर से दबाने लगा.

भाभी खुद भी गर्म थीं. उन्होंने मेरे पैन्ट के अन्दर हाथ डाल दिया और वो अपने हाथों से मेरे लंड को खूब जोर जोर से दबाने लगीं.
मेरा 6 इंच का लंड बिल्कुल टाइट हो गया.

मैं भाभी से बोला- भाभी, अब मुझसे रहा नहीं जाता है, पहले एक बार जल्दी से ले लूं … बाकी का खेल तसल्ली से करूंगा.
भाभी ने कहा- हां आज मुझे भी कुछ खुटका सा लग रहा है. आज तुम जल्दी से खड़े खड़े ही कर लो. वो भी बिना कपड़े उतारे हुए … क्योंकि न जाने मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि आज तुम्हारे भैया जल्दी घर वापस आ जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने भाभी की नाइटी नीचे से ऊपर अपने हाथों से पकड़ कर एक हाथ से उनकी चड्डी थोड़ी सी नीचे कर दी. फिर अपनी पैंट की चैन खोली और अपना लंड निकाल कर भाभी की चूत पर सैट कर दिया.

भाभी की चूत एकदम चिकनी थी. मुझे कुछ लगा तो मैंने भाभी से पूछा- चूत की झांटें कब साफ़ की थीं, ऊपर से नीचे तक एकदम मखमल की तरह चिकनी लग रही है.
भाभी हंस दीं और बोलीं- चिकनी और खुरदुरी को छोड़ो … जल्दी से धकापेल कर दो.

मैंने भी भाभी की चूत पर अपना लंड सैट करने के बाद धीरे से धक्का दिया, तो भाभी की चूत में मेरे लंड का टोपा अन्दर चला गया.

मेरा लंड जैसे ही थोड़ा सा चुत के अन्दर गया तो भाभी की कराह निकल गई और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे.
मगर भाभी ने अपने होंठ दबा कर लंड का मीता दर्द सहन कर लिया.

मैंने थोड़ा लंड बाहर खींच कर इस बार कुछ जोर से धक्का दे मारा.
मेरा आधा लंड भाभी की चूत में चला गया.

और भाभी दर्द से तड़फ उठीं. वो मुझे धक्का देकर हटाने लगीं.
मगर मैंने उनको कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से उनकी बुर में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.

भाभी को मैंने झुका दिया था इसलिए मेरा लंड मस्ती से भाभी की चुत में चलने लगा था. कसम से क्या मजा आ रहा था.

मेरे जोर जोर से धक्का मारते हुए ही भाभी एकदम से हांफने लगी थीं.
वो कह रही थीं कि आह … अब रहने दो संजीव … बाकी कल दिन में आराम से करेंगे. अभी मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज … अपना निकाल लो.

लेकिन मैं कहां मानने वाला था. मैंने तो चुदाई की स्पीड को और बढ़ा दिया.

अब हालत ये हो गई थी कि भाभी जितना मना करतीं कि छोड़ दो, उतना ही मैं अपना लंड और तेजी से अन्दर बाहर करने लगता.

ऐसे करते करते काफी देर हो गयी थी. भाभी अब तक झड़ चुकी थीं.

अब मेरे लंड का माल गिरने वाला था, तो मैं भाभी से बोला- मेरा माल गिरने वाला है.
भाभी ने कहा- अन्दर ही गिरा दो, यही तो मुझे चाहिए.

मैंने दो-तीन झटके तेज तेज मारे और भाभी की चुत के अन्दर ही झड़ गया.

उसके बाद भाभी सीधी हुईं और उनकी नाइटी नीचे को हो गई.

उन्होंने पैंटी को नाइटी के अन्दर डाल कर चुत पौंछी और मुझे उधर ही हांफता छोड़ कर अपने घर के अन्दर चली गईं.

कुछ देर बाद मैंने भी अपनी पैन्ट की चैन लगाई और अपने घर आ गया.

उसके बाद दूसरे दिन भाभी का फोन आया कि आज दोपहर को आ जाना.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर उसके बाद मैं भाभी के घर गया, तो देखा भाभी कोई कपड़ा सिलाई कर रही थीं.

मैं अन्दर गया, तो भाभी ने मुझे देखा, तो बिना कुछ बोले तुरंत उठ कर बाहर की बढ़ गईं.

बाहर एक बार उन्होंने इधर उधर देखा और मेन दरवाजा बाहर से बंद करके पीछे से अन्दर आकर अपने रूम में चली गईं.

मैं भी पीछे से उनके कमरे में घुस गया और भाभी को पीछे से पकड़ लिया.

भाभी उस दिन लाल साड़ी पहने हुई थीं. बड़ी कयामत माल लग रही थीं.

मैंने भाभी को अपनी तरफ किया और उनको किस करने लगा.
भाभी भी मुझे किस कर रही थीं.

उसके बाद मैंने भाभी की साड़ी को खोल दिया और उनकी ठोड़ी पाकर कर उन्हें किस करने लगा.

आज भाभी के मुँह से मस्त आवाजें आने लगीं. फिर मैंने उनके ब्लाउज को भी खोल दिया और तब तक भाभी ने खुद अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.

उनका पेटीकोट नीचे गिर गया और ब्लाउज चूचियों पर झूल गया.

मैंने देखा कि भाभी ऊपर से तो नंगी थीं, पर नीचे चड्डी पहनी हुई थी.

केवल चड्डी में भाभी की मस्त जवानी को देख कर मुझसे रहा ही नहीं गया और मैंने भाभी की पैंटी में अपनी उंगलिया फंसा दीं.
भाभी ने मुझे चूमा और मैंने उनकी चड्डी नीचे कर दी.

तब तक भाभी ने खुद अपनी चूचियों पर लटका ब्लाउज भी हटा कर अलग कर दिया.

अब भाभी मेरे सामने पहली बार बिना किसी कपड़े के एकदम नंगी खड़ी थीं. मैं भाभी को नंगी देख कर पागल हो रहा था.

भाभी ने हंस कर कहा- क्या कभी नंगी लड़की नहीं देखी!
मैंने कहा- भाभी तुम एक शोला हो … तुम्हारे सामने तो जन्नत की हूर भी फेल है.

भाभी हंस पड़ीं और उसके बाद उन्होंने मेरे सारे कपड़े अपने हाथों से उतार दिए.

हम दोनों नंगे हो कर बेड पर लेट गए.

मैं भाभी को ऊपर से लेकर नीचे तक किस करने लगा और भाभी मछली की तरह छटपटाने लगीं.

जैसे ही मैं भाभी की चूत के पास गया, तो मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था और भाभी की चूत में घुस जाने के लिए बेचैन था.

मैंने भाभी की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर अपना लंड भाभी की चूत में आधा डाल दिया.
भाभी की चीख निकल गई.

और मैंने बिना रुके तेजी से दूसरा झटका मार दिया और अपना लंड अन्दर डाल दिया.
भाभी ने कहा- संजीव थोड़ा धीरे धीरे चोदो … बहुत दर्द हो रहा है.

मगर मैं अपनी मस्ती में भाभी की चुत चोदे जा रहा था.

थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को उठा कर घुटने के बल आगे की तरफ झुका दिया और पीछे जाकर भाभी की गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा.

भाभी ने कहा- मेरी हालत खराब हो गई है … तुम गांड के चक्कर में हो … प्लीज आगे के छेद से काम चला लो.

लेकिन मैं नहीं माना. मैंने कहा कि भाभी कल का किसने देखा आज मौक़ा है भाभी, गांड भी खुलवा ही लो. भैया के बस का कुछ नहीं है. यदि होता तो अब तक एकाध पैदा कर देते.

ये कहते हुए मैंने अपना लंड भाभी की गांड में डाल दिया.
लेकिन उनकी गांड बहुत टाइट थी … तो मेरा लंड आधा ही अन्दर गया था.

उधर भाभी जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आह मार दिया हरामी … साले निकाल ले … मुझे नहीं खुलवानी.
मैं भाभी से बोला- भाभी चुप रहो, कोई आवाज सुन लेगा … तो दिक्कत हम दोनों को होगी.

मेरी इस बात से भाभी एकदम से शान्त हो गईं और मैं तेजी से भाभी की गांड मारने लगा.

कुछ ही ठोकरों में भाभी का दर्द जाता रहा और वो हूँ हूँ करके लंड लेने लगी.

मुझे भी मजा आने लगा था, तो मैं भाभी की गांड मारते वक्त उनकी दोनों चूचियों को खूब मसल रहा था.

दस मिनट भाभी की गांड मारने के बाद मैंने भाभी को फिर से सीधा लिटा दिया और न्यूड भाभी की दोनों टांगों को उनके सर तक कर दिया.

इस समय भाभी की लपलप करती हुई चुत बड़ी मस्त लग रही थी.
मैंने अगले ही पल अपना लंड भाभी की चुत में पेल दिया और खूब तेजी से उनको चोदने लगा.

चुत में लंड लेने से भाभी को भी राहत मिल गई और वो भी मस्ती भरी आवाजें लेने लगीं.

काफी देर तक चुत चोदने पर मुझे लगा कि अब मेरा माल गिरने वाला है, तो मैंने भाभी से बोला- मेरा माल गिरने वाला है … जल्दी बोलो क्या करूँ?
भाभी ने धीरे से कहा- साले तुझसे किस लिए चुद रही हूँ तुझे मालूम नहीं है क्या … तुम पूरा रस अन्दर ही टपका दो.

मैं उनकी बात सुनकर आश्वस्त हुआ और कुछ तेज झटके मारने के बाद मैं भाभी की चुत के अन्दर ही रस टपका कर उनके ऊपर ही लेट गया.

भाभी भी पूरी तरह से निढाल हो गई थीं.
उनके मुँह से आवाज तक नहीं आ रही थी.
वो बस तेजी से सांसें लिए जा रही थीं.

कुछ मिनट बाद हम दोनों सीधे लेट गए और चिपक कर नंगे ही सो गए.

हम दोनों 2 बजे तक सोते रहे.
शाम को हम दोनों उठे और साथ में नहाने चले गए.
नहाते हुए वहां भी मैंने भाभी की चुदाई की और फिर से कमरे में आ गए.

मैंने बड़े प्रेम से तौलिये से न्यूड भाभी का पूरा बदन पौंछा और भाभी ने मेरा बदन पौंछा.

बिना कपड़े पहने कुछ देर हम दोनों वैसे ही बैठे रहे.
मैं भाभी को किस करने लगा और भाभी ने मेरा लंड को अपने हाथों से हिलाने लगीं.

इससे मेरा लंड चोदने के लिए फिर से तैयार हो गया.

मैंने भाभी को देखा तो उन्होंने आंख दबा कर रजामंदी दे दी. मैंने भाभी को पलंग के सहारे झुका कर घोड़ी बना दिया और पीछे से भाभी की चूत में अपना लंड डाल कर उन्हें चोदने लगा.

अब तक बार बार चुदाई होने से हम दोनों का स्खलन मानो थम सा गया था.

काफी देर तक भाभी की चुत चोदने के बाद मैंने उनकी चूत में ही माल गिरा दिया और पलंग पर बैठ गया.
भाभी भी मेरे बगल में बैठ गईं.

दस मिनट आराम करने के बाद भाभी उठीं और नंगी ही रसोई में चली गईं.

वो चाय बनाने लगीं, तो मैं भी किचन में आ गया और फिर से न्यूड भाभी को पीछे से पकड़ लिया.

भाभी बोलीं- क्या बात है बड़ी जल्दी रेडी हो जाते हो? अब क्या मेरी जान लेकर ही मानोगे.

मैंने हंस कर धीरे से भाभी को बिना कुछ कहे उनकी गांड में अपना लंड डाल दिया.

भाभी आह करके बोलने लगीं- अरे रहने दो … चाय गिर जाएगी.

मैंने बिना हिल-डुल किए वैसे ही भाभी की गांड में अपना लंड फंसा दिया और भाभी को कसके अपने हाथों से पकड़े रहा.

भाभी बोलीं- चलो चाय बन गई.

मैंने उनकी गांड में से अपना लंड बाहर निकाला और हम दोनों पलंग पर बैठ कर चाय पीने लगे.

उसके बाद भाभी और मैंने कपड़े पहन लिए क्योंकि शाम काफी गहरा गई थी और भैया का आने का समय हो गया था.

भाभी बोलीं- तुम्हारे भैया के आने का समय हो गया है.
मैंने उनकी बात समझते हुए उनको एक किस किया और अपने घर आ गया.

उस दिन से आज तक जब भी मैं पंजाब से आता हूं तो भाभी और मेरे बीच चुदाई होती रहती है. मेरी चुदाई से भाभी को एक लड़का भी पैदा हो गया था.

इसके बाद मैं दूसरे कहानी में बताऊंगा कि कैसे लॉकडाउन में मैंने शशिकला भाभी के साथ रात भर चुदाई की.

दोस्तो, आपको मेरी और न्यूड भाभी सेक्स स्टोरी कैसी लगी, प्लीज़ कमेंट करना न भूलें.
धन्यवाद.

Related Tags : इंडियन सेक्स स्टोरीज, ओरल सेक्स, गांड, गैर मर्द, देसी भाभी, हिंदी पोर्न स्टोरीज
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