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देसी चूत की इंडियन चुदाई कहानी में पढ़ें कि भाभी की ननद को पटाने के बाद उस जवान कुंवारी लड़की की चुदाई करके मैंने मज़ा ले लिया. मगर मुझे उससे प्यार हो गया और …

दोस्तो, मैं जीत इस भाग में आपको जवान लड़की की देसी चूत की इंडियन चुदाई बताऊंगा.

जैसा कि मैंने पिछले भाग
बंगाली भाभी की ननद की अन्तर्वासना- 1
में बताया था कि बंगाली भाभी को मैंने भाईसाहब से चुदवाने के लिए कहा और वो चुद भी गयी. जब भाईसाहब अपने स्टाफ के यहां एक शादी में गये तो उस दिन भाभी ने अपनी ननद सोनिया को चुदवाने का प्लान कर लिया.

प्लान के मुताबिक मैं शाम को गिफ्ट लेकर भाभी के रूम में गया. भाभी ने मुझे आधे घंटे के बाद आने के लिए कह दिया.

अब आगे की देसी चूत की इंडियन चुदाई कहानी:

फिर मैं अपने रूम में गया और आधे घंटे के बाद कॉन्डम लेकर आ गया. भाभी अंदर वाले रूम में सोनिया को तैयार कर रही थी. मैं उनके बाहर निकलने का इंतज़ार कर रहा था.

10 मिनट के बाद भाभी बाहर आ गयी और मुझसे बोली- अंदर तुम्हारी दुल्हन तुम्हारा इंतजार कर रही है. जाओ और अपनी सुहागरात मना लो. मगर दरवाज़े को खुला ही रखना.

मैं अंदर गया तो भाभी ने सोनिया को दुल्हन की तरह सजा रखा था. वो गुलाबी साड़ी पहने हुए थी. उसकी तैयारी देख कर मुझे तो सच में ही दूल्हे वाली फीलिंग आने लगी. मैं उसके पास बैठा और धीरे से उसका घूंघट उठाया.

सोनिया के रूप को मैं देखता ही रह गया. वो पूरी कयामत लग रही थी. पहली बार उसको मेक-अप में देख रहा था. वो आज बहुत ज्यादा सुंदर लग रही थी. मैंने उसको अपनी ओर खींचा और उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके होंठों से होंठों को मिला दिया.

उसने रेड लिपस्टिक लगा रखी थी. शुरू में तो उसने अपने मुंह को बंद ही रखा लेकिन 2-3 मिनट के अंदर ही मेरी जीभ उसके मुंह में घुसने लगी थी और उसके मुंह के अंदर घूम रही थी. वो भी मेरे होंठों को चूसने लगी थी.

फिर मेरे हाथ उसके छोटे छोटे अमरूद जैसे स्तनों पर पहुंच गये. मैंने ब्लाउज के ऊपर से उनको दबाना शुरू कर दिया. वो अब मुझे जोर जोर से किस करने लगी. अब मैंने उसके ब्लाउज को खोल दिया और उसकी साड़ी को भी उतार दिया.

नीचे से उसने ब्रा-पैंटी या पेटीकोट कुछ नहीं पहना था इसलिए साड़ी उतारते ही वो पूरी की पूरी नंगी हो गयी. मैंने भी अपने कपड़े उतार दिये. सोनिया मेरे लिंग की ओर देख रही थी.
वो बोली- तुम्हारा तो बहुत बड़ा है!
मैंने कहा- अच्छा, तुमने किसका देख लिया?

फिर वो बताते हुए बोली:

मेरी सब सहेलियां पहले बहुत पतली थीं. मगर बॉयफ्रेंड बनने के बाद सारी ही निखरती चली गयीं. उनका बदन भरने लगा. उनकी फिगर भी बहुत अच्छी हो गयी.

इस तरह वो बाद में फिर मुझे चिढ़ाने लगीं कि मैं कितनी पतली हूं जबकि मैं चेहरे से काफी सुंदर थी. सुंदर होने के बावजूद भी लड़के मेरी ओर नहीं देखते थे.

फिर मैंने एक लड़के को देखना शुरू किया. वो भी मेरी तरफ ध्यान देने लगा. उसको लगा कि मैं उससे प्यार करती हूं. मगर मैं अपनी सहेलियों को दिखाने के लिए उसे अपना बॉयफ्रेंड बनाना चाह रही थी. हम दोनों में बातें होने लगीं और हम चोरी छुपे मिलने भी लगे.

ऐसे ही एक दिन हम दोनों पार्क में बैठे हुए थे. उसने मुझे गोद में बिठा रखा था. मुझे नीचे से अपने चूतड़ों पर उसका लिंग चुभ रहा था. फिर उसने अपनी चेन को खोलकर उसे बाहर निकाल लिया. तब मैंने पहली बार किसी लड़के का लिंग देखा था.
आज मैंने जब तुम्हारा देखा तो पता लगा कि लिंग छोटे बड़े भी होते हैं. उसका इतना लम्बा और मोटा नहीं था. तुम्हारा तो बहुत बड़ा है.

मैं बोला- कोई बात नहीं, ये तुम्हें इतना मज़ा देगा कि तुम सब कुछ भूल जाओगी.

फिर मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया. वो मचल उठी. एक एक करके मैंने उसके दोनों बूब्स को चूसा और उसकी सिसकारी निकलने लगी- आह … ऊह्ह … अम्म … ओह्ह जीत … बहुत अच्छा लग रहा है।

मैं भी सिसकारते हुए बोला- हां मेरी जान … अपनी इन प्यारी प्यारी चूचियों को मुझे पिला दो. इनका दूध मैं आज निकाल ही दूंगा … आह्ह … इनको चूस चूस कर मोटी कर दूंगा … आह्ह … सेक्सी।

फिर मैं नीचे की ओर चला. जैसे ही मैंने उसके पेट को चूमा वो सिहर उठी. मैं उसकी देसी चुतके ऊपर उसकी झांटों वाली जगह पर चूमने लगा जहां पर छोटे छोटे रोएंदार भूरे भूरे बाल थे.

उसकी देसी चुत रिसने लगी थी. मैं उसकी चूत के अगल बगल उसकी जांघों को चूमने लगा और हर चुम्बन के साथ उसके बदन में करंट जैसे झटके लगने लगे.

मैंने उसकी देसी चुत पर होंठों को रख दिया और चूम लिया. वो सिहर उठी और उसने बेड की चादर को दोनों हाथों की मुट्ठी में भींच लिया. मैं उसकी चूत पर जीभ से चाटने लगा और वो मछली की तरह तड़पने लगी.

थोड़ी ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और उसका बदन जैसे टूट सा गया. मैं उसकी जांघों पर उंगलियां घुमाता रहा और बीच बीच में उसकी चूचियों को छेड़ता रहा. वो धीरे धीरे फिर से गर्म होने लगी.

जब वो फिर से तैयार हो गयी तो उसने अपने नीचे एक पीले रंग का तौलिया बिछा लिया.
मैं बोला- ये किसलिये?
सोनिया बोली- ये हमारे पहले मिलन की निशानी के लिए.

फिर वो उस पर लेट गयी और अपनी टांगों को फैला लिया. मैंने अपनी जीभ से उसकी देसी चुत के दाने पर गोल गोल घुमाना शुरू किया. मेरे हाथ उसके बूब्स को दबा रहे थे. उसके मुंह से सी … सी … आह्ह … ओह्ह … करके कामुक सिसकारियां निकल रही थीं.

अब मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर तक जा रही थी. वो अपने हाथों से मेरे सिर को नीचे दबाने लगी थी. कुछ ही पल में उसका शरीर अकड़ने लगा और उसका पानी निकल गया. वो फिर से निढाल हो गयी.

मैं उसकी चूत में चाटता ही रहा और वो बोली- बस करो … अब डाल भी दो. मैं अपनी पहली ठुकाई के लिए और इंतजार नहीं कर सकती हूं. चुदवाने के लिए घर वालों की नजरों में भी गिर चुकी हूं. अब मेरी चूत को लंड का अहसास चाहिए.

उसका उतावलापन देख कर मैंने कॉन्डम के पैकेट में एक कॉन्डम निकाला और फाड़ने लगा.
उसने मेरा हाथ रोकते हुए कहा- नहीं, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है. मुझे लंड का माल अपनी चूत में निकलवाकर देखना है.

मैं भी खुश हो गया क्योंकि बिना कॉन्डम के चूत में डाल कर चोदने और वीर्य छोड़ने का मजा ही कुछ और है. फिर मैंने उसकी टांगें खोल दीं और अपना लिंग उसकी चिकनी चूत पर रख दिया और रगड़ने लगा. वो चूत को उठा उठाकर लंड को उसमें अंदर लेने की कोशिश करने लगी.

उसकी टांगें मैंने अपने कंधों पर ले लीं ताकि वो इधर उधर ना हो और फिर से छेद पर लिंग रखकर हल्का धक्का मारा. करीब 2 इंच ही अंदर गया होगा और वो चिल्ला उठी- उफ्फ … मर गयी, निकालो इसको … जल्दी।

फिर मैंने उसका ध्यान हटाने के लिए उसके होंठों को अपने होंठों में लॉक कर लिया और जब उसका ध्यान लिप किस में चला गया तो मैंने एक जोर का झटका मारा और लिंग उसकी सील को तोड़ते हुए अंदर घुस गया.

इस झटके से उसने मेरे होंठों को काट दिया और होंठों को छोड़ दिया. उसकी आंखों में आँसू आ गए. मैं वहीं रुक गया और मुझे लिंग पर गर्म धार महसूस हुई. शायद उसकी चूत का खून पर मेरे लंड पर लग रहा था.

उसको चूत फटने की खबर न लगे इसलिए मैं उसके होंठों को फिर से चूसने लगा और उसके बदन को सहलाने लगा. वो भी मुझे किस करने लगी और धीरे धीरे फिर उसको मजा आने लगा. मैंने अब लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर सरकाना चालू कर दिया.

कुछ देर बाद वो मेरा साथ देने लगी. तब मैं धीरे-धीरे लिंग को आगे पीछे करने लगा. कुछ मिनटों में ही उसने होंठों को चूसना बंद कर दिया और अब उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … जीत … ओह्ह … जीत … मजा आ रहा है … चुदने में … आह्ह … और चोदो मुझे यार … मुझे चूत में लंड लेना बहुत अच्छा लग रहा है … आह्ह जीत .. आई लव यू।

उसकी मादक आवाजें मेरा जोश बढ़ा रही थीं और मैं अब तक आराम से ही कर रहा था. मैंने पूरा लिंग भी नहीं डाला था. अब एक जोर के झटके के साथ मैंने पूरा लिंग अंदर तक डाल दिया और उसके मुंह से जोर से चीख निकली- उफ्फ्फ … मर गयी भाभी … आआह … फट गयी मेरी चूत।

इतने में ही मैंने स्पीड तेज कर दी. वो तेजी से चुदने लगी और बेडशीट को खींचने लगी. उसकी टाइट कुंवारी चूत को चोदने में मुझे भी जन्नत का मज़ा मिल रहा था. मन ही मन मैं बंगाली भाभी को दुआयें दे रहा था.

मुझे सोनिया जैसी जवान लड़की की चुदाई करने का मौका उन्हीं की वजह से मिला था. अब मेरे मूसल लंड के धक्के सोनिया की बर्दाश्त के बाहर हो रहे थे. रूम में फच-फच की आवाज़ हो रही थी.

मैं उसे और जोर से चोदने लगा.
वो बोली- मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकती, निकालो अब.
मैं सिसकारते हुए, उसकी देसी चुत में धक्के लगाते हुए बोला- आह्ह … बस … हो गया मेरी जान … आह्ह … बस दो मिनट और मेरी जान … हाय … तेरी देसी चुत … आह्ह … सोनिया डार्लिंग … चोद दूंगा तुझे।

इस तरह से करीब 15-20 झटकों के बाद मेरा भी हो गया. मैंने अपना सारा माल उसकी योनि में ही डाल दिया. उसके होंठ मेरे होंठों से फिर मिल गये और मैं उसके ऊपर ही लेट गया.

उसकी टांगें मेरी कमर पर थीं और वो भी मस्ती के साथ किस कर रही थी. 3-4 मिनट के बाद मेरा लिंग खुद बाहर निकल आया और मैं उसकी साइड में लेट गया और उसको बांहों में ले लिया.

आधे घण्टे तक हम एक दूसरे के साथ ऐसे ही लिपटे रहे. फिर मैंने बाथरूम में जाकर लिंग को साफ़ किया और सोनिया को भी योनि साफ़ करने को कहा. वो उठी तो तौलिये पर ब्लड देखकर थोड़ी घबरा गयी और चौंक कर बोली- इतना ब्लड निकल गया!

फिर वो चलने लगी तो दर्द से ठीक से चल नहीं पायी तो मैंने उसको गोद में उठाया और बाथरूम में लेकर गया. वहाँ उसने अपनी चूत को साफ किया जो अब फूल सी गयी थी. मैंने उसको वहीं पर बांहों में भर लिया और दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.

किस करते हुए मैंने उसको गोद में उठाया और बाहर लेकर आने लगा. मेरा तनाव में आ रहा लंड फिर से मेरी जांघों के बीच में झूलता हुआ इधर उधर डोल रहा था. मैंने उसको बेड पर ला पटका और 69 में कर लिया.

अब मेरा लिंग उसके मुंह में था और उसकी चूत मेरे मुंह के ऊपर थी। दोनों एक दूसरे को जोर जोर से चूसने लगे. वो बड़ी मस्ती के साथ लिंग को चूस रही थी. जैसे ही मेरी जीभ उसकी योनि के अंदर तक जाती वो और जोर से चूसने लगती.

फिर मैंने उसको कहा- तुम ऊपर आओ, मैं नीचे लेटता हूं.
मैं नीचे लेट गया और उसने मेरे लिंग पर अपनी योनि को रखा और मेरा लिंग आधा अंदर चला गया. फिर वो थोड़ी सी रुकी. मैंने उसको कूदने का इशारा किया तो वो ऊपर नीचे होने लगी लेकिन वो पूरा अंदर नहीं ले रही थी.

थोड़ी देर में जब वो आह … आह … करने लगी तो मैंने नीचे से झटके मारना शुरू कर दिया और पूरा लिंग अंदर चला गया. वो कराहने लगी और बोली कि बहुत दर्द हो रहा है, मुझसे नहीं हो पायेगा.

फिर मैं उठा और उसकी टांगें अपनी कमर पर ले लीं. उसको नीचे लेटाकर लिंग एक बार में ही पूरा अंदर उसकी देसी चुत में पेल दिया.
उसकी जोर से चीख निकली और वो जोश में बोली- हांह्ह … आह्ह … फाड़ दे … फाड़ दे मेरी चूत। मुझे आज जी भरकर चुदना है. कल भैया आ जायेंगे, आज ही सारी कसर निकाल दे जीत … आह्ह … चोद दे मुझे।

मैं उसको फिर से तेजी से चोदने लगा. थोड़ी ही देर में वो खल्लास हो गयी और मैं भी खाली हो गया. ऐसे ही मैंने उसको 4 बार अलग-अलग पोजीशन में सेक्स का मज़ा दिया. उसकी चूत अब सूज चुकी थी. वो चल नहीं पा रही थी.

चोदने के बाद मैंने उसको पेन किलर दी. फिर मैं अपने कपड़े पहन कर उन दोनों को बाय बोलकर अपने रूम में आ गया और सो गया. अगले दिन जब भाईसाहब आये तो बंगाली भाभी ने उनको कह दिया कि सोनिया का पैर सीढ़ियों पर से फिसल गया था इसलिए वो चल नहीं पा रही है.

ऐसे ही अब तो मौका पाकर मैं सोनिया को चोदने लगा. भाभी का पेट बाहर ज्यादा निकल आया था इसलिए उनके साथ में अब कुछ नहीं हो पाता था. उसके बाद भाभी ने सोनिया की गांड चुदवाने में भी मेरी हेल्प की क्योंकि भाभी की गांड चुदाई तो अब हो ही नहीं पाती थी.

धीरे धीरे उसको चोदते हुए अब सोनिया का जिस्म भरने लगा था. वो निखरने लगी थी. पहले से ज्यादा मादक लगने लगी थी. अब उसकी चाल में एक मस्ती सी आ गयी थी. उसके बूब्स 32 के और कमर 28 व गांड 32 की हो गयी थी.

इतना सब होने के बाद मैं बंगाली भाभी के परिवार को अब करीब से जानने लगा था. बाद में पता चला कि सोनिया बंगाली भाभी की सगी ननद नहीं है बल्कि भाईसाहब के ताऊजी की बेटी है.

सोनिया के पिताजी का सोनिया के बचपन में ही देहांत हो गया था. फिर उसकी मां ने उसको पाला और बड़ा किया लेकिन 4 साल पहले उसकी मां भी चल बसी.

चूंकि मैं अब सोनिया के साथ लम्बे समय से सेक्स कर रहा था तो धीरे धीरे मुझे उससे प्यार होने लगा था. वो घर के सारे काम कर लेती थी. भाभी और भाईसाहब की पूरी सेवा करती थी. शायद मैं उसमें अपनी पत्नी देखने लगा था.

एक दिन मैंने उससे कह भी दिया कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं. उसके साथ एक बड़ी दिक्कत ये थी कि वो लोग मांसाहार भी करते थे जबकि मेरा परिवार पूरा का पूरा शाकाहारी था.

मेरे प्रपोज़ करने पर उसने कह भी दिया कि वो मांसाहार बंद कर देगी. दिल्ली आने के बाद से वैसे भी वो कम ही खाने लगी थी. मैंने घरवालों को सोनिया की फोटो भेज दी. उनको वो पसंद भी आ गयी. मैंने भाभी को भी ये बात बता दी.

इस तरह से सोनिया के साथ मेरा रिश्ता फिक्स हो गया. फरवरी में हम दोनों की शादी होनी तय हो गयी. इस बीच हम दोनों चुदाई का मज़ा भी लेते रहे. दिसम्बर में बंगाली भाभी ने एक बच्ची को जन्म दिया. सब लोग बहुत खुश हो गये. मैं भी मन ही मन बहुत खुश था अपना बच्चा देखकर.

उसके बाद मैंने 15 लाख का एक फ्लैट खरीदा. उसमें 2 अटैच रूम, हॉल, रसोई और बाथरूम था. इसके अलावा बाहर एक रूम और बाथरूम भी था. फरवरी में हमारी शादी हो गयी. कुछ दिन हम लोग गाँव में रहे और उसके बाद दिल्ली आ गए और अपना जीवन खुशी से जीने लगे.

हमने कामसूत्र में दी गयी सभी पोजीशन में सेक्स किया और सोनिया के बूब्स 34D, कमर 28 और चूतड़ 34 के हो गये. इस दौरान बंगाली भाभी की चूत में भी खुजली उठी और वो मुझे बुलाने लगी. मगर मैं नहीं गया.

कुछ दिन बाद सोनिया घर जाने को कहने लगी. मैंने उसको मना नहीं किया. वो 15 दिन के लिए चली गयी. फिर इसी बीच उसकी सहेली की शादी आ गयी और वो बोली कि मैं 1 महीने के बाद ही आऊंगी अब।

उसके जाने के बाद अब मेरे पास चूत का अकाल पड़ गया. लंड परेशान करने लगा. मैंने बंगाली भाभी को फोन किया और अपनी परेशानी बताई. वो कहने लगी कि मैं भी तो तरस रही हूं. जल्दी आ जाओ.

मैं अगले दिन ही भाभी के पास जा पहुंचा. वो अपनी गुड़िया के साथ खेल रही थी और मेरे इंतज़ार में तैयार होकर बैठी थी. मैं जाते ही भाभी पर टूट पड़ा. हम दोनों ने एक दूसरे को चूसा और जोश जोश में जल्दी ही एक दूसरे को नंगा कर लिया.

भाभी को मैंने बेड पर लिटा दिया और टांगें भाभी ने खुद फैला लीं. भाभी की योनि अब खुल चुकी थी. मैंने एक बार में लंड को सीधा अंदर डाल दिया और भाभी की आह … निकल गयी. मैं जोर जोर से भाभी की चूत चुदाई करने लगा.

वो अपनी चूचियों को मसल मसल कर चुदवाने लगी. बीच बीच में मेरे होंठों को भी चूस रही थी. मैं भी अपनी हवस की पूरी भड़ास उसकी चूत में निकाल रहा था और उसको जोश में ठोक रहा था. फिर कुछ ही देर में भाभी का पानी निकल गया और रूम में फच-फच … फच-फच की आवाज गूंजने लगी.

मैंने उनको अपने ऊपर आने को कहा. वो खुद ऊपर बैठ गयी और उछलने लगी. 10 मिनट में ही वो ढीली पड़ गयी. फिर मैंने लेटाकर उनकी टांगें अपने कँधों पर ले लीं और चोदने लगा.

5 मिनट तक जोर से पेलते हुए मैं उनकी योनि में झड़ गया और मैंने अपना मुंह उनके बूब्स पर टिका दिया. भाभी के दूध बहुत बड़े हो गये थे और उनमें बच्चे के लिए दूध भी था. उस वक्त मैं ही बच्चा बन गया और भाभी का दूध पीने लगा.

वो बोली- सारा तुम ही पी जाओगे तो मैं अपनी बच्ची को क्या पिलाऊंगी?
फिर मैंने दोबारा से उनके होंठों को चूमना शुरू किया और चूसता रहा. फिर हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ किया.

उसके बाद हम वापस आये और मैं भाभी के सीने पर सिर रख कर लेट गया.
वो बताने लगी- मैंने अपना ऑपरेशन करवा लिया है. अब और बच्चा नहीं करूंगी. तुम्हारे भाईसाहब का तो अब खड़ा होना ही बंद हो गया है. अगर गलती से हो भी जाता है तो 1 मिनट से ज्यादा टिक नहीं पाते हैं.

ये बताते हुए भाभी मेरे लिंग को सहलाने लगी.
मैं बोला- जानेमन … मुंह में लेकर चूस लो. ऐसे काम नहीं चलेगा.
भाभी ने उठकर मेरे लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी. लंड तैयार हो गया और मैंने भाभी की गांड में पेल दिया. मैंने भाभी की गांड चुदाई की और मज़ा आ गया.

उसके बाद बच्ची उठ गयी और भाभी उसको दूध पिलाने लगी. उसके बाद मैं भी उठ गया और अपने कपड़े पहनने लगा. मैंने भाभी से कह दिया कि इस बारे में सोनिया से जिक्र न करे.

वो बोली- उसको सब पता है. उसी ने मुझे तुमसे चुदने के लिए कहा था. उसको तुम्हारे भाईसाहब के बारे में भी पता है कि उनका खड़ा नहीं होता है. मैंने उसको ये भी बता दिया कि उसके आने से पहले तुमने ही मुझे मां बनाया था.

अब मैं समझ गया था कि सोनिया क्यों 15 दिन की जगह 1 महीने बाद आने के लिए कह रही थी. अब मैं हर तीन-चार दिन में भाभी की चूत चुदाई करने चला जाता था.

उसके बाद फिर सोनिया वापस आ गयी. उसके आने के बाद मैंने भाभी और बीवी दोनों को ही नंगी करके एक साथ पेला. सोनिया उसके बाद गर्भवती हो गयी.

डॉक्टर ने बताया कि उसकी बच्चेदानी कमज़ोर है. उसको ज्यादा बोझ और वज़न उठाने का परहेज़ बता दिया. उसके बाद से सोनिया के साथ मेरा सेक्स भी बंद हो गया. अब भाभी की चूत ही मेरे लंड का सहारा थी.

फिर मार्च में भाईसाहब का ट्रांसफर हो गया और कुछ ही दिनों में वो वापस बंगाल चले गए. 3 मई को हमारे घर में बेटे ने जन्म लिया और हमारा घर खुशियों से भर गया.

बच्चा होने के बाद कुछ दिनों तक सोनिया ने चुदाई में खूब मजे लिये और मैंने भी. मगर अब वो केवल एक बार ही करने देती है.

अब मेरा जब ज्यादा चोदने का मन करता है तो मैं बाहर भी चूत मारकर आ जाता हूं. कुल मिलाकर मैं अपनी लाइफ में खुश हूं और चूत के लिए हमेशा प्यासा रहता हूं.
तो मेरे प्यारे दोस्तो, आपको मेरी यह देसी चूत की इंडियन चुदाई कहानी कैसी लगी मुझे इसके बारे में अपने सुझाव जरूर भेजें.

Related Tags : Bur Ki Chudai, College Girl, Desi Ladki, Hot girl, Suhagrat Ki Kahani
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