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मस्त भाभी सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे पड़ोस की भाभी भरपूर जवान थी. एक दिन मैं उनके घर गया तो उनको नंगी देख लिया. उसके बाद क्या हुआ?

नमस्कार, मेरा नाम कामेंद्र है. मैं दिल्ली में रहता हूं … अभी मेरी उम्र 32 वर्ष की है.

ये Mast Bhabhi Sex Kahani तब की है जब मैं नया नया जवान हुआ था.
उस वक़्त मैं अपने संयुक्त परिवार के साथ रहता था. हमारे चाचा आदि सब साथ ही रहते थे. उस समय चाचा की शादी नहीं हुई थी.

शादी होने के बाद चाचा पड़ोस के मकान में ही अलग रहने लगे थे.
चाचा ने ये मकान किराए पर ले लिया था.

उस मकान के मालिक का नाम धीरेन्द्र जैन था. उनकी एक बहू थी, जिसका नाम पुष्पा था.
धीरेन्द्र जैन के बेटे का नाम पप्पू जैन था तथा एक साल की पोती थी, उसका नाम नेहा था.

पुष्पा भाभी की उम्र उस समय 28 वर्ष थी. उनका शरीर एकदम गोरा था.
भाभी पर भरपूर जवानी छाई हुई थी. मुझे उनकी तरफ देखना बहुत अच्छा लगता था.

एक दिन की बात है, घर में कोई नहीं था. मैंने चाचा को आवाज़ लगाई, पर वहां कोई नहीं था.

मैं जाने लगा, पर तभी स्नान घर में से कई तरह की आवाज़ आ रही थीं.
जैसे पानी गिरने की आवाज, चूड़ियों के खनकने की, पायल की छन छन की आवाज के साथ साथ गाना गुनगुनाने की आवाज भी आ रही थी.

इससे मुझे समझ आया कि कोई घर में है.
मैंने सोचा कि बाथरूम में चाची होंगी. तो मैंने आवाज़ दी.

तो चाची की जगह पुष्पा भाभी ने अन्दर से आवाज दी- तुम्हारी चाचा चाची कहीं गए हुए हैं.

यह सुनकर मैं वापस जाने लगा था पर मेरा दिल किया कि चलो देख लेते हैं, भाभी का कुछ दिख जाए.

मैंने अन्दर जाकर बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखा तो भाभी दरवाजा खोल कर नंगी नहा रही थीं.
उनके जिस्म पर एक भी वस्त्र नहीं था. भाभी किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं.

बदन से पानी का गिरना मेरे अन्दर आग लगा रहा था.

उनके भरे हुए मम्मों के चूचुक गुलाबी रंग के थे.
मेरा मन कर रहा था कि वहीं अन्दर घुस जाऊं और भाभी के मम्मे चूस लूं. पर गांड भी फट रही थी तो मैं थोड़ा अलग को हो गया. वो नहा चुकी थीं और बाहर निकल रही थीं.

फिर मैं न जाने क्या सोच कर उधर ही खड़ा रह गया.

भाभी ने बाहर निकल कर मुझे देखा और हैरान हो गईं. भाभी बोलने लगीं- तुम अभी गए नहीं?
मैंने वासना से उनकी तरफ देख कर कहा- नहीं भाभी, मैं आपके बाहर आने का इंतजार कर रहा था.

ये बात सुनकर उनके हाथ से उनका पेटीकोट छूट गया जिससे उनके दूध ढके थे.
अब वे पूरी निर्वस्त्र हो चुकी थीं … क्योंकि वह सिर्फ पेटीकोट लपेट कर बाहर आयी थीं. पेटीकोट से उन्होंने अपने उरोज ढक रखे थे और वो उनके घुटने तक का हिस्सा ढक रहा था. पर अब सब खुल गया था.

उनका भीगा बदन चमक रहा था.

वे अपने दोनों हाथों से अपने जिस्म को ढकने की कोशिश कर रही थीं जो नाकामयाब कोशिश थी.
उनके दूध इतने बड़े थे कि हाथ से छुपाए ही नहीं छुप रहे थे.

उनकी चूत सामने निर्वस्त्र दिख रही थी, उस पर झांटों का काला घना जंगल था.

अचानक से वह कमरे की ओर भागीं.
मैं भी भाभी के पीछे भागा.

उन्होंने दरवाज़ा बंद करने की कोशिश की पन्तु कामयाब ना हो पाईं.

मैं कमरे में घुस गया.
तब वे मुझे देख कर मुस्कुरा दी.
मैं भौचक्का रह गया कि भाभी तो मुस्कुरा रही हैं.

कुछ ही देर में सारी कहानी खुलने लगी; वो मुझसे खुद ही चुदना चाहती थीं.

अब भाभी ने मुझे चुदाई का खेल सिखाया. उन्होंने आगे बढ़ कर मुझे नंगा कर दिया और मेरा लंड मुँह में लेने लगीं.

मेरा लंड खड़ा हो गया था.
उन्होंने मुझे चूत चूसना भी सिखाई. अपनी चूत का मुँह खोला और मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर अन्दर बाहर करने लगीं.
मस्त सेक्स हॉट भाभी मेरी सेक्स गुरु बन गई थीं.

मैंने उनकी दूध की दोनों थैलियों को चूसने लगा.
कुछ देर के बाद उन्होंने मुझे खुद से दूर किया और कहा- पूरा दूध मत पियो, मेरी बेटी भूखी रह जाएगी. कुछ उसके लिए भी छोड़ दे.
मैंने उनकी बात मान ली और थोड़ा सा दूध छोड़ दिया.

मम्मे चूसने से भाभी के चूचुक कड़क हो गए थे. भाभी के चूचुक गुलाबी रंग के थे.

फिर उन्होंने मुझे एक कटोरी दी और उसमें सरसों का तेल दिया और कहा- आज तू मेरी मालिश करेगा. ये ले तेल और चालू हो जा.
यह कहकर उन्होंने मेरे सामने तेल से भरी कटोरी रख दी.

मैंने उनके पैरों से शुरूआत की. उनके पैर बहुत सुन्दर थे.
उसके बाद मेरे हाथ उनकी टांगों पर आ पहुंचे.

फिर मेरे हाथों ने उनकी संगमरमरी जांघों को छुआ.
आह … बहुत सुन्दर मांसल जांघें थीं.

उसके बाद मेरे हाथ भाभी की चूत पर आ गए जो कि झांटों के बियाबान से ढकी हुई थी.
मैंने उनकी चूत में तेल डालकर उंगली से मालिश की. भाभी से बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था.

फिर मैंने अपनी जीभ से चूत की मालिश की.

कुछ देर बाद उन्होंने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत में डाला और भाभी मेरे साथ सम्भोग करने लगीं.

ये मेरा पहला दिन था जब मेरे लंड की सील खुलने वाली थी.
भाभी की चुदाई के बाद मुझे लंड में बहुत दर्द हुआ क्योंकि उस दिन मेरे लंड कौमार्य भंग हुआ था.
मैं दर्द सहन करते हुए उनकी चुदाई करता रहा.

थोड़ी देर बाद उन्होंने पानी छोड़ दिया … जिससे मेरा लंड पूरी तरीके से उनकी चूत की बारिश में भीग गया.

उसके बाद मेरे हाथ उनकी नाभि पर पहुंचे. उनकी नाभि बहुत सुन्दर और गहरी थी. मैं उसे देखकर ललचा गया.

मैंने पहले अपनी उंगली से मालिश की फिर उसको अपने मुँह से चूसा.
अब मेरे हाथ भाभी के मम्मों पर आ गए और मैंने अपने हाथों से भाभी की अच्छी तरह मालिश की. उनके चूचुक मालिश से खड़े हो गए थे.

मैंने भाभी के निप्पल फिर से चूसे. भाभी के चूचुक गुलाबी रंग के एकदम खड़े हो गए थे. उनमें से दूध निकलने लगा, जो मैंने फिर से पी लिया.

भाभी अब फिर से बहुत गर्म हो चुकी थीं, उन्होंने मुझे अपने नीचे गिराया और उन्होंने मेरे लंड की तेल से मालिश की, मेरा सुपारा खोल दिया और उस पर तेल लगाकर ऊपर नीचे करने लगीं.
मुझे भी सहन नहीं हो पा रहा था.

उन्होंने मेरा सुपारा मुँह में लिया और जीभ से चाटने लगीं.

Video: आप का लंड मेरे पति से अच्छा हैं!

कुछ देर के बाद वो मेरे लंड की मुठ मारने लगीं और मेरा मन भर गया.

उसके बाद भाभी मुझे बाथरूम में ले गईं और शॉवर खोल कर मुझे नहलाने लगीं, लंड की सफाई करने लगीं और लंड मुँह में लेने लगीं.
उसी तरह मैंने भी उनकी चूत चुसाई और चटाई की.

फिर हम दोनों कमरे के अन्दर नंगे बदन आए और उसी अवस्था में सो गए.

हमें होश ही नहीं था, हम दोनों सेक्स के नशे में नंगे ही बिना दरवाजा की कुण्डी लगाए सो गए.

जब मैं उठा तो उन्होंने मुझे सिखाया- अगर कोई चूत चोदने न मिले, तो अपनी हवस को तुम हस्तमैथुन से शांत कर सकते हो. मगर ज्यादा मुठ मारने से लंड कमजोर हो जाता है, इसलिए कम से कम मुठ मारना. ये सब सीख बाद में तुम्हारे बहुत काम आएगी. नहीं तो कोई और ही मेरी तरह तुम्हारी बीवी को चोदेगा. जैसे तुम आज मुझे चोद रहे हो.

मैंने भाभी से पूछा- भाभी, आप ये क्या कह रही हो … क्या पप्पू भैया आपको चोद नहीं पाते हैं!
भाभी ने लम्बी सांस भरी और बताने लगीं- हां मेरे पति नपुंसक हैं. आज तुमसे चुदने के लिए ये सब मेरी चाल थी कि तुम यहां आओ और मैं नंगी नहाते हुए तुम्हें दिखूँ. इसलिए मैंने बाहर का और स्नान कक्ष का दरवाज़ा बंद नहीं किया था. क्योंकि मैंने तुम्हारी आंखों में अपने के लिए वासना पढ़ ली थी.

ये सब बाद में उन्होंने मुझे बताया कि मैंने कैसे भाभी को वासना से देखा था और उन्होंने मुझे ताड़ते हुए देख लिया था.

कुछ पल रुकने के बाद भाभी अपनी सेक्स कहानी बताने लगीं कि नेहा उनकी बेटी तो है, पर उसके पति की नहीं है.
मैंने कहा- भाभी आप पूरी बात बताओ कि ये सब कैसे हुआ?

भाभी- हुआ ऐसा कि मेरा परिवार गरीब था. वो लोग अच्छा सा लड़का ढूंढ रहे थे, जो कि पैसे वाला हो और सुन्दर हो. शादी की उम्र और अमीर परिवार हाथ से निकल ना जाए इसलिए उन्होंने मेरी शादी यहां कर दी. मेरी शादी 18 साल में हो गई थी. सुहागरात के पहले दिन ही मुझे शक हो गया था कि कुछ गड़बड़ है क्योंकि जब मेरे पति मेरे साथ सेक्स करने आये, तो इनका लंड खड़ा ही नहीं हुआ. ये सब इनकी बचपन की गलतियों का नतीजा था, जिसका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा.

मैं भाभी की बात को ध्यान से चुन रहा था.

भाभी- मेरे पति मुझसे 10 साल बड़े हैं. इनका लंड छोटा सा है, जिससे मेरी सेक्स की भूख कभी शांत नहीं हुई. मैं मन मारके रह गई. मैं कभी अपनी उंगली से, कभी लौकी बैंगन या तोरई से अपनी भूख शांत करती थी. बाथरूम तो शुरू से ही खुला हुआ था. इसका कारण मुझे बाद में पता चला.
मैंने रिएक्ट किया कि अरे तो दरवाजा क्या बाद में लगा!

भाभी- हां … हुआ ये कि एक दिन मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुसी, तो मैंने देखा कि इसमें तो दरवाजा ही नहीं है इसलिए मैं अगले दिन से सुबह अंधेरे में ही नहाने लगी.
मैं- क्यों?

भाभी- बता रही हूँ … सुनो न. उस दिन मैंने कपड़े उतारने चालू किए पहले साड़ी खोली, ब्लाउज उतारा फिर पैंटी और उसके बाद ब्रा पेटीकोट से अपने स्तन ढक लिए. जिससे मेरे नीचे का हिस्सा खुला रह गया. क्योंकि पेटीकोट घुटने से ऊपर तक का था. मैंने सिर से पानी डालकर नहाना चालू किया. फिर मुँह पर साबुन लगाया, अपने वक्ष खोलकर उनपर साबुन लगाया और पेटीकोट उतार कर पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर नहाने लगी.
मैं- फिर?

भाभी- उस समय मुझे नहीं पता था कि मुझे कोई नंगी नहाते हुए देख रहा है. मैं चूत में साबुन लगाने लगी. मैं नहाने के बाद अपने कमरे में नंगी चली गई. बाद में जब अपने कपड़े बाथरूम में धोने गई, तो देखा कि किसी ने अपना माल निकाल कर मेरी पैंटी और ब्रा में लगा दिया है. मैं उसे सूंघने लगी. उसकी बड़ी अच्छी महक लग रही थी. यह सब भी कोई देख रहा था.
मैं- फिर?

भाभी- दरअसल मेरे ससुर उसी समय मूतने आए. हमारा बाथरूम और टॉयलेट आमने सामने था. इसलिए जब वो मूत रहे थे, तब वह पूरे नंगे थे. उनका लंड काला 6 इंच का होगा. वह सुपारा निकाल कर मूत रहे थे. यह सब देख कर मेरा मन ससुर की काम वासना में खो गया. मेरे ही सामने वह मुठ मारने लगे. वो मेरा नाम लेकर मुठ मार रहे थे. इतने में उनका माल निकल गया, तब भी उनका लंड खड़ा हुआ था.

मैं ये देख कर अपने कमरे में चली गई और सो गई. मुझे पता ही नहीं चला कि अभी भी मुझे कोई देख रहा है.
मैं- फिर क्या हुआ भाभी?

भाभी- फिर मैं गर्मा गई और अपने ससुर से सेक्स की सोचने लगी. अगले दिन भी ऐसा हुआ. मैं नंगी ही अपने कमरे में आ गई और अपनी चूत में तेल लगाने लगी. यह सब मेरे ससुर देख रहे थे. मैंने कपड़े पहनने चालू किए. पहले पैंटी पहनी, पैंटी बिल्कुल झीनी और छोटी सी थी, जो कि मेरी चूत ढक पाने में भी असमर्थ थी. मैंने हर वस्त्र छोटे पहने, जो मेरे अंगों को ढक पाने में असमर्थ थे और पारदर्शी थे.
मैं- क्या उस दिन पप्पू भैया नहीं थे?

भाभी- नहीं, उस दिन मेरे पति तो शहर से बाहर गए हुए थे. उनका होना ना होना बराबर था क्योंकि उनसे मेरे शरीर की गर्मी शांत नहीं हो पाती थी. घर में मैं और मेरे ससुर के अलावा कोई नहीं था. तभी ससुर ने आवाज लगायी कि बहू चाय लाना. मैं उन्हीं पारदर्शी वस्त्रों में उनके सामने चाय लेकर गई. मैंने घूंघट कर रखा था. वह मेरे जिस्म को अपनी आंखों से टटोल रहे थे. उनका लंड खड़ा हुआ था और धोती से बाहर था. उसे देखकर मेरी आंखों में चमक आ गई. उन्होंने मेरे अंग देखकर बोला कि बहु आज दूध पिला ही दो.

मैं भाभी की ससुर से चुदाई की कहानी बड़ी तन्मयता से सुन रहा था.

भाभी ने आगे बताया कि ससुर ने दूध पिलाने की बात कहते ही मेरा हाथ पकड़ लिया. इससे उनकी धोती खुल गई और उनका लंड पूरे जोश में आ गया. मैं अपना हाथ छुड़ाकर भागी और अपने कमरे में घुस गई. मैंने दरवाजा बंद करना चाहा, पर उन्होंने धक्का देकर खोल दिया.

मेरे ससुर ने मेरा पल्लू हटाकर साड़ी खींचना शुरू कर दी और साड़ी शरीर से अलग कर दी. अब उन्होंने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, जिससे पेटीकोट नीचे खिसक गया और मैं सिर्फ पैंटी और ब्लाउज में रह गई. उसके बाद उन्होंने मेरा ब्लाउज खोल दिया. मैं सिर्फ ब्रा पैंटी में रह गई. उसके बाद उन्होंने मेरे दोनों कबूतर आज़ाद कर दिए जो कि ब्रा में कैद थे.

अगला कदम उन्होंने मेरी पैंटी उतार कर मुझे नंगी कर दिया. मैं अपने ससुर के सामने पूरी तरह निर्वस्त्र हो गई थी.

मैंने कहा- भाभी, आपके तो मन की हो रही थी तो आपने उन्हें क्यों रोका!
भाभी- मैंने उन्हें कहां रोका था. बस खुद से कुछ नहीं किया था. ताकि मैं उनके सामने शरीफ बहू दिखूं.

मैंने कहा- ओके … फिर?
भाभी- फिर मैंने अपने एक हाथ से अपने वक्ष और दूसरे से योनि ढकने की कोशिश की जो नाकामयाब कोशिश थी. मैंने उनसे कहा कि आपको शर्म नहीं आती. मैं आपकी लड़के की पत्नी हूँ, आपकी बेटी के समान हूँ और आपकी मुझ पर बुरी नजर है. तब उन्होंने बताया कि यह शादी मैंने अपने लिए की थी. मैं तुमको वहीं से पाना चाहता था. क्योंकि मुझे अपने लड़के की कमी मालूम थी. यह कहते हुए उन्होंने मुझे धक्का दिया … जिससे मैं बिस्तर पर गिर गई. अब वह भी पूरे नंगे हो गए. उन्होंने मेरे पैरों को चूसना चाटना शुरू कर दिया. उसके बाद वह मेरी नंगी जांघों पर आ गए. उसके बाद मेरे ससुर मेरी योनि में उंगली घुसाने लगे और अन्दर बाहर करने लगे. फिर मेरे ससुर अपनी जीभ से मेरी योनि चाटने लगे जिससे कुछ ही देर में मैं स्खलित हो गई और मेरी चूत का सारा रस मेरे ससुर पी गए.

भाभी बताती जा रही थी- अब उनके हाथ ऊपर मेरे स्तन पर पहुंच गए और वो मेरे स्तन चूसने चाटने लगे. कुछ ही देर में मुझे भी खुल कर चुदने का मूड बन गया और हम दोनों 69 अवस्था में आ गए. उनका लंड मेरे मुँह में और मेरी योनि पर उनकी जीभ थी. उनका लंड 6 इंच का काला और मोटा था, जो मेरे मुँह को चोद रहा था. मुँह चोदते हुए ही उनका रस मेरे मुँह में आ गया, जिसे मैं गटक गई. मुझे लंड रस पीना अच्छा लगा था. मगर अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. तब उन्होंने अपना काला 6 इंच का लम्बा और मोटा लंड मेरी चूत में घुसा दिया. मेरी योनि का मुँह छोटा था, इसलिए थोड़ा सा लंड घुसने में ही दर्द होने लगा. उसके बाद एक ही झटके में पूरी ताकत से चूत में घुसा दिया और मैं चिल्ला पड़ी. वो लंड अन्दर बाहर करने लगे. मुझे मज़ा आने लगा. करीब बीस मिनट के बाद मेरे ससुर मेरी चूत में ही स्खलित हो गए और सारा माल मेरी चूत में डाल दिया. वो मुझे चोदकर नंगी ही छोड़ कर चले गए और मैं नंगी ही सो गई.

इसके आगे भाभी ने बताया- जब उठी तो नंगी ही घर में घूम रही थी. अब मुझे कोई शर्म नहीं रह गई थी. मैंने उनको नंगी ही चाय पिलाई और नंगी ही रह कर खाना परोसा. अब उनके सामने मैं हमेशा नंगी नहाने लगी और उनके साथ पूरे दिन नंगी रहने लगी. ऐसा करते हुए मुझे 2-3 महीने हो गए और मैं गर्भवती हो गई. उसके 9 महीने बाद मैंने नेहा को जन्म दिया. ये बात सिर्फ मुझे और मेरे ससुर को मालूम थी कि नेहा मेरी और उनकी बेटी है

ये सब सुनकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

मैंने भाभी से पूछा- आपके पास आपके ससुर हैं तो आपने मुझसे क्यों सेक्स किया.
भाभी मुस्कुरा दीं और बोलीं- मुझे किसी जवान लड़के से अपनी चूत चुदवानी थी. फिर आजकल ससुर बाहर गए हैं. वो चार महीने के लिए अपने बड़े बेटे के पास गए हैं.

मैंने कहा- तो आपको मेरे लंड से चुदकर कैसा लगा?
भाभी- मजा आ गया.

मैं- तो चलो एक बार फिर से चुदाई करते हैं.
मस्त सेक्स हॉट भाभी ने अपनी चूत खोल दी और मुझे अपने ऊपर चढ़वा लिया.
मैंने धकापेल भाभी की चूत चोदी और उन्हीं की चूत में माल टपका दिया.

अब भाभी मेरी सैटिंग हो गई हैं, मैं जब चाहे, उन्हें चोद लेता हूँ. शायद हम दोनों की चुदाई के बारे में पप्पू भैया को भी मालूम हो गया है.

दोस्तो, आपको मस्त भाभी सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करें.
[email protected]

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