कच्ची कली की कुंवारी बुर का चोदन
दोस्तो, आपने मेरी पिछली सेक्सी कहानी पड़ोस की देसी सेक्सी
देसी वर्जिन सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि भाभी ने मेरी कुंवारी बुर की गरमी को पहचान कर मुझे सेक्स का मजा देने के लिए नंगी कर लिया. वे रसोई में से एक खीरा ले आई और …
मैंने भाभी से पूछा- भाभी आप हर रोज चुदाती हो क्या?
भाभी- शादी के शुरू शुरू में तो हर रात दो बार और दिन में एक बार मेरी चुदाई होती थी लेकिन फिर धीरे धीरे कम हो गया और बच्चा होने के बाद तो लगभग महीने दो महीने में और अब तो छः छः महीने हो जाते हैं, जबकि मेरा तो अभी भी हर रोज दिल करता है.मैं और भाभी फिर आपस में लिपट गयी और एक दूसरी के अंगों को छेड़ने लगी और न जाने हमें कब नींद आ गई.
अब आगे की देसी वर्जिन सेक्स स्टोरी:
अगले रोज शाम को हम तीनों फिर से मेरे कमरे के बेड पर बैठी थी कि तभी नौकर बाहर बाड़े में एक बिल्कुल ही छोटी कटरी सी भैंस को भैंसा के पास छोड़ गया.
वह बिल्कुल नई थी, अर्थात बिना ब्याई, उसकी पहली बार चुदाई होनी थी.
मैंने देखा वैसे तो कटरी स्वस्थ थी, परंतु उसके थन बहुत ही छोटे थे और उस कटरी की चूत भी बहुत बड़ी नहीं थी, बस छोटी सी चूत थी, जो चिपकी हुई थी. लेकिन वह गर्मी अर्थात हीट में आ चुकी थी.
तो मैंने कहा- दादी यह तो बहुत छोटी है?
दादी- नहीं, छोटी नहीं है, यही उम्र होती है ब्याने और दूध देने की!
और दादी यह कहकर उठकर चली गई.
मैंने देखा तभी भैंसा भैंस के पीछे आया, भैंस की चूत को सूंघा, भैंस ने थोड़ा पिशाब बाहर मारा और उसी वक्त भैंसा ने अपने लण्ड को दो तीन फटाफट झटके दिए और कूद कर भैंस के पीछे से चढ़ गया.
चढ़ते ही भैंसा ने अपना लण्ड एक दो बार आगे पीछे करके कटरी की चूत में घुसा दिया. कटरी एकदम से इकट्ठी हो गई. परंतु भैंसा ने कोई दया नहीं दिखाई और अपने चूतड़ों को जल्दी जल्दी आगे पीछे करके चोदने लगा.
एक बार तो भैंसा के चढ़ते ही कटरी के पांव डगमगाने लगे परंतु भैंसा ने उसे अपने अगले पांव से जकड़े रखा और पीछे से ठोकता रहा.
10-15 झटकों के बाद भैंसा की हरकत बन्द हुई और उसने भैंस की चूत में अच्छी तरह से चिपक कर चूत को अपने वीर्य से भर दिया.
और जब लण्ड बाहर निकाला तो पूरा एक फुट लंबा लण्ड सपल सपल करके बाहर निकला और उसके साथ ही निकला ढेर सारा वीर्य और चूत का पानी.
पहली चुदाई से कटरी भैंस बन चुकी थी. कुछ देर पहले जो चूत छोटी सी लग रही थी उसमें अब उभार आ गया था और वह अपने आप खुल बन्द हो रही थी. भैंस की पूँछ भी थोड़ी तन कर खड़ी हो गई थी.
उसी वक्त भैंस ने अपने टांगें चौड़ी करके पिशाब किया जिसे भैंसा पीने और सूंघने लगा था. मेरे लिए कटरी की पहली चुदाई का दृश्य अत्यंत कामुक था क्योंकि मैंने अपने आपको उस भैंस की जगह समझ लिया था.
दादी जा चुकी थी, मेरा हाथ फिर मेरी चूत पर था.
भाभी बोली- एक दिन तुम्हारी कुंवारी चूत का उद्घाटन भी इसी तरह होगा.
तभी भैंसा फिर भैंस पर चढ़ गया और जोर शोर से चुदाई करने लगा.
उधर यह चुदाई देखकर भाभी भी गर्म होने लगी थी. भाभी ने मेरी स्कर्ट के नीचे हाथ डालकर मेरे पटों को सहलाया और फिर मेरी कच्छी हटाकर अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और बोली- रानी तुम्हारी चूत तो बहुत ही जल्दी पानी छोड़ जाती है, आज शाम को इसका मैं इंतजाम करती हूँ.
भैंसा उस नई भैंस को चोदता रहा. हर 5-7 मिनट बाद जम्प करके चढ़ जाता था और झटके मार मार कर भैंस की बस कर देता था. रात होने को आई थी परंतु भैंसा रुक ही नहीं रहा था.
भाभी भी उठकर रसोई में चली गई थी परंतु मैं वैसे ही जमी बैठी थी. भाभी कमरे में आई और बोली- चल खाना खा ले, फिर देख लेना.
मैं बेमन से उठी, जल्दी जल्दी खाना खाया और फिर बैठ गई.
बाहर बाड़े में और सड़क पर लाइट जल गई थी जिससे सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था. मैंने अपनी चूत को मुठी में बंद कर रखा था.
तभी भाभी कमरे में आई और हम बातें करने लगी.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, मेरा तो बहुत दिल कर रहा है.
भाभी कहने लगी- चल मैं तेरी आग बुझाती हूँ.
हम बेड पर लेट गयी. मैंने भाभी से पूछा- भाभी भैंसा और आदमी के लण्ड में क्या अंतर होता है?
भाभी- एक तो भैंसा का लण्ड आगे से बहुत पतला और बिल्कुल किसी सूखी लकड़ी जैसा होता है जो भैंस के लिए ही बना होता है.
मैंने पूछा- आदमी का कैसा होता है?
भाभी- आदमी का लण्ड भैंसा के लण्ड से मोटा और आगे से फूला हुआ होता है और उसके सुपारे में स्पंज होता है जो चूत को नुकसान नहीं पहुँचाता और उससे बहुत ही अच्छा लगता है, उसका मज़ा ही अलग है, और आदमी औरत को नीचे लिटा कर जब उसके ऊपर लेटता है और उसकी चूचियों को पीता है, दबाता है तो उस चुदाई का मज़ा ही कुछ और है. यदि लण्ड न मिले तो खीरे से काम चलाया जा सकता है. खीरे की शेप लन्ड जैसी होती है.
मैंने पूछा- वह कैसे??
भाभी- कल रात को खीरे से करेंगे, तुम्हें मज़ा आएगा.
मैं भाभी की बात ध्यान से सुनती रही और अगली रात के मजे का इंतजार करती रही.
दो दिन बाद भाभी फिर मेरे कमरे में सोने आ गई. भाभी अपने कपड़े निकाल कर नंगी होकर बेड पर लेट गई और उन्होंने मुझे भी नँगा कर लिया. वे मेरे मम्मों को सहलाने लगी. मैं तो उत्तेजना से मरी जा रही थी.
भाभी ने मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया. मैं चुदाई की पोजीशन में आ गई.
जब मैं भाभी की चूत पर अपनी चूत रगड़ने लगी तो भाभी बोली- रानी, आज तो बिना कुछ अंदर जाए पूरा मज़ा नहीं आएगा, रुको, मैं अभी आती हूँ. भाभी ने अपना गाउन पहना और पहले वे रसोई में गई और फिर अपने रूम में गई.
भाभी जब वापिस आई तो उनके हाथ में लगभग 5 इंच लम्बा, हाइब्रिड पतला, लगभग 100 ग्राम का खीरा था.
मैंने पूछा- इसका क्या करेंगी?
भाभी बोली- देखती रहो, यह लण्ड का काम करेगा.
देखते ही देखते भाभी ने अपने हाथ में लिया एक छोटा सा पैकेट फाड़ा और उसमें से निरोध निकाल कर उस खीरे पर चढ़ा कर उसके ऊपर रब्बर की ही गांठ मार दी और उसे हाथ से मसलते हुए बोली- देख रानी, ऐसा ही होता है लण्ड.
आँटी अपनी बात बीच में काटकर मुझसे बोली- राज! उस वक्त और बाकी उम्र मुझे लगाता रहा था कि लण्ड का साइज इतना ही होता होगा, परंतु पैंट में उभरा तुम्हारा लण्ड देखकर तो लगता है यह तो आधा किलो वजनी खीरे के करीब है।
खैर, भाभी ने वह खीरा मुझे दिया और कहा- रानी, इसे पहले तुम मेरी चूत में डालो, फिर ऊपर चढ़ो.
मैंने भाभी की और संदेह भरी नजरों से देखा.
भाभी बोली- मैं ठीक कह रही हूँ, यह लण्ड जैसा ही है.
बेड पर लेटकर भाभी ने अपनी टांगें चौड़ी कर ली.
भाभी की गुलाबी चूत के छेद को मैंने खोलकर देखा. चूत पूरी तरह से पनियाई हुई थी, बाहर भैंसा की चुदाई की खच … खच … आवाजों ने माहौल को और सेक्सी बना रखा था.
मैंने भाभी की चूत के छेद पर कंडोम चढ़े खीरे को रख कर दबाया तो खीरा अंदर जाने लगा.
भाभी ने आंखें बंद कर ली.
मैंने भाभी से पूछा- ठीक लग रहा है?
भाभी सिसकियाँ लेते हुए बोली- हाँ, बहुत मजा आ रहा है, थोड़ा थोड़ा अंदर बाहर करते हुए डालो, और ऐसे करते करते पूरा डाल दो.
मैं भाभी के बताए अनुसार करने लगी, खीरे को आगे पीछे करते हुए चूत में घुसेड़ने लगी. एक बार तो पूरा खीरा अंदर चला गया और मेरे हाथ में केवल कंडोम का रबर ही रह गया जिसे पकड़ कर मैंने बाहर खीँच लिया.
भाभी ने खीरा अपने हाथ में लिया और तेजी से 10-12 बार आगे पीछे करते हुए और जोर जोर से आहें भरती रही.
मेरी चूत भी भाभी के मजे को देखकर कुलबुलाने लगी थी. मैं सोच ही रही थी कि भाभी कब अपना काम पूरा करे और मेरा नंबर आये.
तभी भाभी बोली- चल तू अब मेरे ऊपर आ जा और अपनी चूत को मेरी चूत से रगड़.
मैं भाभी के ऊपर चढ़ गई.
थोड़ा खीरा भाभी की चूत के बाहर दिखाई दे रहा था. मैंने उस खीरे के थोड़े से हिस्से पर अपनी चूत टिकाई और दबाव दिया. गप्प से सारा खीरा भाभी की चूत में बैठ गया और उसका एक सिरा मेरी चूत में अड़ गया.
जैसे ही इस पोजीशन में मेरी चूत भाभी की चूत से टकराई तो भाभी की मजे से चीख निकल गई आई … .आई … बहुत मजा आया, करो, ऐसे ही दबा दबा कर रगड़ती रहो.
मैंने दुबारा से खीरे को थोड़ा बाहर निकाला और उसे अपने छेद पर फिर फिट करके नीचे दबाया तो भाभी ने अबकी बार अपनी चूत को थोड़ा टाइट कर लिया था जिससे खीरे का दूसरा सिरा मेरी चूत में थोड़ा घुस गया और मेरी भी मजे से चीख निकल गई … आह … भाभी … मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है.
मैं बार बार इस क्रिया को दोहराती रही और मजा लेती रही. थोड़ी देर में भाभी की सिसकारियां और आवाजें बेतहाशा बढ़ गई- आई … आई … आ … आ … ईई … ओ … ईई..ओ ईईई करते हुए भाभी ने मुझे अपनी छाती से भींच लिया और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
कुछ देर मुझे भींचे रहने के बाद भाभी ने मुझे ढीला छोड़ दिया और फिर हाथ से हल्के से धक्का देकर अपने ऊपर से उतरने का इशारा किया.
मैं उतर गई.
भाभी का सारा शरीर पसीने से भीग गया था. उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे.
वे बोली- आह, अब कुछ शांति मिली है.
और उन्होंने अपना हाथ नीचे ले जा कर खीरे को अपनी चूत से निकाल लिया.
खीरा भाभी की चूत के रस से भीगा हुआ था.
भाभी ने मुझे अपने साथ लिटा लिया और मेरी चूचियों पर प्यार से हाथ फिराने लगी.
मैं तो जब से भैंसा और भैंस की चुदाई देखने लगी थी तभी से हरदम गर्म रहने लगी थी.
मैंने भाभी की कमर में हाथ डाला और उन्हें अपने ऊपर खींचने लगी.
भाभी समझ गई कि मैं उनको अपने ऊपर चढ़ाना चाहती हूँ. वे मेरे ऊपर आ गई.
मुझे उस वक्त तक ज्यादा नहीं पता था की सेक्स में मजा किन किन चीजों से आता है लेकिन जब भाभी मेरे ऊपर चढ़ती थी और उनका नंगा बदन मेरे बदन से मिलता था. उनकी मोटी जांघें, मेरी जाँघों और उनकी जांघों के बीच का हिस्सा, जब मेरी जांघों के बीच के हिस्से में टकराता था तो मुझे बहुत मजा आता था.
भाभी यह सब जानती थी कि क्या क्या होता है इसलिए उन्होंने ऊपर आते ही मेरी एक चूची को अपने मुंह में ले लिया और दूसरी को हाथ से मसलने लगी. साथ ही साथ भाभी अपनी चूत को मेरी चूत पर जबरदस्त तरीके से रगड़ रही थी और बीच- बीच में अपने चूतड़ों को उठाकर उसके ऊपर थाप मार देती थी.
जब जब भी भाभी अपने चूतड़ों को ऊपर उठाकर मेरी चूत के ऊपर थाप मारती थी तो आनंद से मेरे सारे शरीर में सिरहन दौड़ जाती थी और मैं भाभी को पकड़ कर जोर से भींच लेती थी.
भाभी ने अपने पेटीकोट का नाला निकाला और उसके बीच में खीरे के ऊपर चढ़े निरोध के रब्बर की गांठ को बांध कर उस नाले को अपनी कमर पर बांध लिया. अब खीरा भाभी की जाँघों में आदमी के लण्ड की तरह लटक रहा था.
भाभी ने कुछ देर मुझे जगह जगह से रगड़ने के बाद कंडोम चढ़े हुए खीरे को पकड़ कर सीधा किया और मेरी चूत की तरफ बैठ गई.
वे कहने लगी- ले लाडो अब तैयार हो जा.
मैंने भाभी से पूछा- भाभी, दर्द तो नहीं होगा?
भाभी कहने लगी- शुरु शुरु में थोड़ा बहुत हो तो सह लेना, लेकिन उसके बाद आनंद ही आनंद होगा.
उन्होंने मेरी टांगें चौड़ी की और उन्होंने अलमारी से थोड़ी वैसलीन उठाकर मेरी चूत पर और खीरे के ऊपर लगा दी.
भाभी ने पहले मेरी चूत में उंगली चलाना शुरु किया और काफी सारी वेसलीन अपनी उंगली से मेरी चूत के अंदर तक लगा दी. भाभी ने धीरे धीरे खीरे को पहले मेरी चूत के छेद और क्लिटोरियस पर चलाया.
जैसे ही खीरा क्लिटोरियस पर लगता मैं मज़े से चूत ऊपर की ओर कर लेती थी. भाभी साथ साथ मेरे पटों और जांघों पर हाथ फिरा फिरा कर मुझे उत्तेजित करने लगी.
तभी भाभी ने खीरा मेरी चूत के अंदर डालना शुरू किया तो मैंने मजे में आंखें बंद कर ली.
जैसे ही भाभी ने खीरा अंदर डाला खीरे ने मेरी झिल्ली को फाड़ दिया और मैं दर्द से चीख उठी. मैंने नीचे हाथ लभैंसा तो मेरे हाथ में खून लगा था परंतु भाभी ने उसे उसी वक्त कपड़े से दबा दिया और कुछ देर बाद वहां दर्द की बजाए आनंद की गंगा बहने लगी.
जब आधे से ज्यादा खीरा मेरी चूत में चला गया तो भाभी मेरे ऊपर चढ़ गई और उन्होंने खीरे को अपनी चूत के ऊपरी भाग पर लगा कर मेरे ऊपर जोर डाला तो खीरा मेरी चूत की गर्म दीवारों को फैलाता हुआ पूरा अंदर जा घुसा और भाभी की जांघें मेरी जांघों पर पूरी बैठ गई जिससे हम दोनों की चूतें आपस में चिपक गई और मेरी आनंद से सीत्कार निकल गई.
भाभी जब ऊपर होती तो खीरा बाहर आता और नीचे होती तो अपनी जाँघों के बीच लगा कर उसे मेरी चूत में घुसा देती.
वे ऐसा बहुत देर तक करती रही.
मुझे इतना मज़ा आया कि मैंने भाभी के चूतड़ों को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया.
भाभी कुछ देर यूंही मेरे ऊपर चिपकी रही और मेरी चूचियों को अपनी छाती के नीचे मसलती रही.
मज़ा इतना आनन्दमयी था कि मेरी चूत से रस फ़ूट पड़ा.
मैंने भाभी को कहा- भाभी मेरा पानी निकल गया है.
भाभी ने मुझे गाल पर किस किया और नीचे उतर गई और बोली- कितना मज़ा आया?
मैंने कहा- स्वर्ग दिखाई दिया भाभी.
तो दोस्तो और सहेलियो, देसी वर्जिन सेक्स स्टोरी में मजा आया ना?
देसी वर्जिन सेक्स स्टोरी जारी रहेगी.
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