एक दिन की ड्राईवर बनी और सवारी से चुदी-1
सुबह दस बजे का वक्त था, सड़क पर बहुत ट्रैफिक
मेरा नाम जॉर्डन चौधरी है उम्र 28 साल है एक केमिकल कंपनी में जॉब करता हूं। अन्तर्वासना सेक्स कहानी का नियमित पाठक और लेखक रहा हूँ। मेरी देसी बॉडी है और लण्ड का साइज 7 इंच है।
बहुत सी कहानियां जो मेरे जीवन में घटी; उनको आप के साथ साँझा दिया और आपने बहुत प्यार दिया।
अब यह नयी कहानी मेरी और मेरे पड़ोस में रहने वाली लड़की चंचल की है। मैं यहाँ किराये पर रहता हूं, अभी नया घर बदला है। नए घर में आने के बाद कुछ दिन तो लोग जानकार नहीं थे तो किसी से बात नहीं होती थी।
कुछ दिन बाद मेरे पड़ोस में रहने वाली महिला से बात हुईं। उसने बातों बातों में बताया कि वो झुंझुनू से है और बच्चों की स्टडी के लिए वो इस शहर में है। उसका एक लड़का था जो 8वीं में पढ़ता था और 19 साल की लड़की थी जो 12वीं में हुई थी।
उस दिन तो बात हुई और वो चली गई. मैं अपने जॉब पर चला गया।
4-5 दिन के बाद एक दिन वो महिला शाम को एक लड़की के साथ मेरे घर पर आयी और बोली- ये मेरी बेटी है. इसने साइंस ली हुई है पर इसको केमिस्ट्री में बहुत प्रॉब्लम है। आप कुछ बेसिक सीखा दो।
मैं शाम को फ्री होता हूं तो मैंने कहा- बता दूंगा कल से!
उसने धन्यवाद कहा और चली गई।
अब बताता हूं मैंने हां क्यों किया.
दोस्तो, उसकी बेटी जो आयी थी, उसको देख कर मेरा मुँह खुला का खुला ही रह गया था; उस लड़की के बूब्स लगभग 32 बी के आराम से थे और ऊपर से उसने टाइट टीशर्ट पहन रखी थी। देखते ही मेरा मन डोल गया, मैं उसे चोदने का विचार करने लगा और मैंने हां कर दिया।
तो अगले दिन पहुँच गया मैं उन के घर!
सामान्य बातचीत के बाद लड़की की मम्मी ने चाय पिलाई और मेरे को हॉल में बने डाइनिंग टेबल पर पढ़ने के लिए बोल दिया।
मैं उसको पढ़ाने लग गया, उसकी माँ रसोई में खाना बनाने लग गई।
जब मैं उसको पढ़ा रहा था तो मुझे पता चला कि यह तो बिल्कुल ही दिमाग नहीं लगाती है। जब समझाओ तो हाँ हाँ करके समझती रहती है. कुछ पूछो तो रिप्लाई नहीं करती।
उस दिन वापिस आते टाइम मैंने उसकी मम्मी को बोला- बहुत कमजोर है ये तो!
उसकी मम्मी ने बोला- कैसी भी करो, आपको ही करवाना है।
पहले तो मैंने सोचा कि अच्छी आफत आई है मेरे पल्ले! पर दूसरे टाइम सोचा क्या पता चूत का जुगाड़ हो जाये।
मैं उसको रोज पढ़ाने लग गया।
पर मैंने पढ़ते टाइम नोट किया वो कई बार मेरे पैर पर पैर लगा देती कभी बूब्स दिखा देती। धीरे धीरे मेरे को भी लगने लग गया काम बन सकता है तो मैं भी ट्राय मारने लग गया।
एक दिन मैंने हिम्मत कर के उसको पढ़ते टाइम उसकी जांघ पर हाथ रख दिया। उसने मेरी तरफ देखा और स्माइल की। मुझे लगा कि मैं ऐसे ही डर रहा था ‘बहनचोद ये तो तैयार है।’
मैंने उस दिन उसकी जांघ को रगड़ा मुझे महसूस हुआ वो मज़ा ले रही है। उस दिन मैं ज्यादा आगे तो नहीं बढ़ा पर मुझे विश्वास हो गया था माल तैयार है।
अब हमारा पढ़ाई के साथ थोड़ा थोड़ा काम शुरु हो गया था, मैं कई बार उस को चूत रगड़ देता, कई बार उसके बूब्स रगड़ देता। वो भी मेरे लण्ड को ऊपर से हाथ मार देती थी। पर कोई बड़ा काम नहीं हो पा रहा था क्योंकि उस की मम्मी घर पर ही होती थी।
धीरे धीरे दिन निकलते गए और हम दोनों की आग बढ़ती जा रही थी।
इसी बीच एक दिन उसके घर अतिथि आ गए, वो हॉल में बैठे थे तो उसकी मम्मी ने बोला- आप इसे रूम में पढ़ा दो।
शायद भगवान ने सुन ली थी हमारी!
हम कमरे में गए और जाकर के पढ़ाई की तरह सेटअप किया ताकि कोई आये तो लगे पढ़ रहे हैं। अंदर आने के थोड़ी देर बाद मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसको अपने पास करके उसके बूब्स दबाये।
वो बहनचोद मेरे से भी ज्यादा आग में थी, वो मेरे पास मुँह लेकर के आई और किस करने लग गई। उसके किस करने के तरीके से मैं समझ गया था कि ये लड़की तो पूरी चालू है बहनचोद!
थोड़ी देर किस हुआ, मैंने उसके बूब्स रगड़े और उसने मेरा लण्ड।
फिर हम बैठ के बातें करने लग गए।
मैंने कहा- बहुत एक्सपीरियंस वाली लग रही हो छोटी से उम्र में ही।
उसने बताया- हाँ बहुत!
फिर उसने बताया- मेरा हर टाइम मूड बना ही रहता है। मन करता है बड़े बड़े लण्ड लेती रहूं।
उसके मुँह से ऐसे बेबाक शब्द सुन के मैंने ऑफर दे डाला- दो कभी मौका, सारी इच्छा पूरी कर देंगे।
उसने कहा- मैं पहले से ही तुम से चुदना चाहती हूँ जब से तुम से मिली हूँ। कई बार तुम्हारे नाम से उंगली ली है।
दिन निकल रहे थे पर कोई काम नहीं बन रहा था. इसी बीच मैंने उस लड़की की माँ पर भी साथ साथ डोरे डालने शुरू कर दिए थे।
पर आखिर एक दिन भगवान ने मेरी सुन ली, उसकी माँ मार्केट गई थी सब्जी और घर का राशन लाने और वहां बहुत तेज बारिश हो गई. इस वजह लगभग 1-2 घंटे के लिए सड़क बंद हो गई पानी भरने के कारण। इस शहर की एक कनेक्टिंग रोड है जहाँ पानी भर जाता है फिर पंप से उस को खाली करते हैं.
उसकी मम्मी का मेरे पास कॉल आया- मेरे को 1-2 घंटे लग जायेंगे, आप टाइम पर जाकर के चंचल को पढ़ा देना।
मैंने फ़ोन काटा और टाइम होने का इंतज़ार कौन करता, मेरे को पता था कि वो अकेली है.
मैं पहुँच गया उसके घर और उस को सब बता दिया।
उसने कहा- मज़ा आ गया! क्या खबर लाये हो।
मैंने कहा- हो जाये फिर?
उसने कहा- मोस्ट वेलकम!
मैंने गेट बंद किया और वहीं उसको पकड़ के उसके होंठ चूसने लग गया. वो भी गजब साथ दे रही थी।
होंठ चूसने के साथ साथ उसकी चूत भी रगड़ रहा था।
वो गर्म हो गई थी और मैं भी! वो घुटनों के बल मेरे सामने बैठी और मेरा लौड़ा निकाल के चूसने लग गई। वो बहुत ही मज़े लेकर के चूस रही थी। मेरा लण्ड उस टाइम लोहे की रॉड बना हुआ था।
उसके होथों और जीभ के स्पर्श से मैं जन्नत की सैरर कर रहा था। छोटी सी उम्र में क्या कला थी यारो उसके पास … गज़ब की डिक सकर थी वो।
थोड़ी देर लण्ड चुसवाने के बाद मेरा भी मन हुआ कि इसकी चूत को चाटा जाये। मैंने उसको मेरी बांहों में उठाया और सोफे पर ले जा पटका. उसकी हाफ पैंट को उतारा मैंने और फिर उसकी पेंटी को उतारा तो उसकी सॉफ्ट चूत के दर्शन हुए। गज़ब की मुलायम और हल्की भूरे रंग की चूत थी।
मैं उसी समय टूट पड़ा और उसकी टांगों को चौड़ा करके उसकी चूत को चाटने लग गया। मैं उसकी चूत को चाट रहा था तो कभी उसकी चूत में जीभ डाल रहा था। वो भी पूरा मज़ा ले रही थी।
पूरे कमरे में उस की मादक आवाजे आने लग गई थी- आ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आ
मैं कभी कभी साथ साथ उसके निप्पल भी रगड़ रहा था।
लगभग 10 मिनट चूत चुसाई के बाद वो बोलने लग गई थी- फ़क मी फ़क मी … चोद दो मुझे … बड़ा लण्ड डाल दो तुम्हारा … मर रही हूँ मैं!
हम दोनों ही गर्म हो गए थे उस टाइम तक! मैंने सोचा अब लोहा गर्म है तो हथौड़ा मार दिया जाये.
मैं उठा, उसको लेटी रहने दिया, सोफे पर आकर के लण्ड सेट कर के पहले झटका मारा. उसके मुंह से आवाज आई- आ आ मार दिया मम्मी!
पूरे जोश में था मैं, मेरे मुँह से गाली निकली. मैंने कहा- मादरचोद रंडी, बोल रही थी ना कि बड़े बड़े लण्ड चाहियें … अब ले इस तेरे यार के लण्ड को!
मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और दूसरा झटका मारा. इस बार साली चीखी पर मेरा हाथ उसके मुँह पर था।
एक बार तो दर्द हुआ उसको … पर कुछ झटकों के बाद ही वो मज़े लेने लग गई। वो आ आ आ आ की आवाजें निकाल रही थी, मैं उसको चोद रहा था।
लगभग 5-7 मिनट चुदाई के बाद उसका पानी निकल गया था। तेज आ आ आ के साथ वो ढीली हो गई. पर मैं पूरे जोश में था, मेरा मूड अभी उसको छोड़ने का नहीं था। मैंने उसको थोड़ा किस किया और बूब्स दबा के गर्म किया और सोफे के पास घोड़ी बना लिया।
ये तो यारो … मेरी सबसे पसंद की पोजीशन है. घोड़ी बना के झटके मारा तो लण्ड पूरा अंदर जा चुका था।
पहले तो मैंने धीरे धीरे शुरु किया पर थोड़ी देर में ही मेरी तो स्पीड बढ़ गई थी।
पूरा कमरा उसकी मादक आवाजों और मेरी गालियों से गूंज रहा था। बीच में चूत और लण्ड के भिड़ने की पट पट की आवाज भी आ रही थी। उसको मैं रंडी को तरह चोद रहा था, वो मज़े लेकर के चुद रही थी।
लगभग 20 मिनट की चुदायी के बाद वो दूसरी बार चरम सीमा पर थी और मैं पहले बार झरने वाला था। जैसे ही उसका पानी निकला, वो सिसकारियाँ भरती हुई निढाल सी हो गई थी. उसके बाद बाद मैंने तेज तेज झटके मारे क्योंकि मेरा भी निकलने वाला था।
उस टाइम मैंने लण्ड को उस की चूत से निकाला और उसके मुँह में दे दिया। थोड़ी देर उस के चूसते ही पानी सारा उस के मुँह में भर दिया। वो सारी पानी पी गई।
हम ने एक दूसरे की ओर देखा, दोनों एकदम तृप्त थे।
हमने कपड़े पहने और दोनों बैठ के पढ़ने का नाटक करने लग गए क्योंकि पढ़ाई तो क्या होनी थी।
बस हम दोनों बात कर रहे थे.
उसने बताया- मज़ा आ गया … अच्छा लण्ड और अच्छी चुदायी थी।
उसके चहरे से खुशी साफ़ दिख रही थी।
उसके बाद ये हमारा खेल चलता रहा काफी टाइम तक! उसके बाद उसने अपनी एक सहेली को भी मेरे से चुदाया. जो मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा।
आपको ये चालू लड़की की मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी? अपने विचार जरूर दें. आपके सुझाव से ही कहानी लिखने में सुधार आता है और प्रेरणा मिलती है।
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