मालदीव में दो सहेलियों का डबल हनीमून-2
मालदीव में दो सहेलियों का डबल हनीमून-1 चारों साराह की
कोरोना संक्रमण के कारण मैं अस्पताल गया. मैं बेड पर
मेरा नाम विकी है.. मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ. मैंने अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी की बहुत सी रियल कहानी पढ़ी हैं मुझे इधर की चुदाई की कहानी पढ़ कर बहुत मजा भी आया.
यह मेरी पहली रियल कहानी है जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ.
दरअसल बात कुछ दिनों पहले की है. यह बात मेरी और मेरे पड़ोस वाली भाभी की है. मैंने जबसे सेक्स के बारे में जाना है, तब से मुझे इन भाभी को चोदने की इच्छा थी, पर सैटिंग ही नहीं बन पा रही थी. मैंने उनके नाम से बहुत बार मुठ मारी है.
एक दिन सैटिंग बन गई, जब उनके घर का रिनोवेशन हो रहा था, उनके घर का सामान सैट होना था, मतलब कुछ सामान ऐसा भी था जो काफी भारी था, तो उनको सैट करने के लिए उन्होंने मुझे बुलाया.
मैं उनके घर गया और पूछा- क्या हुआ भाभी.. आपने मुझे बुलाया?
तो भाभी ने कहा- हां मैंने ही बुलवाया है. दरअसल मुझे ये सोफासैट उसकी जगह पर लगवाना है, जिसके लिए तुम्हारी मदद चाहिए.
मैंने तुरंत ‘हां’ कह दिया. भाभी खुश हो गईं और उन्होंने एक स्माइल दे दी. मैंने भी स्माइल दी.. मैं मन ही मन खुश भी ही गया था.
फिर भाभी ने सोफा की ओर इशारा करते हुए कहा- इसे यहां और उसे इस तरह लगाना है.
ये कहते हुए भाभी सौफा सैट उठाने के लिए झुकीं.
जैसे ही भाभी झुकीं, मेरी नजर उनके मदमस्त कर देने वाले चूचों पर टिक गई. भाभी ने झट से पल्लू से अपने मम्मों को ढक लिया. ऐसा करने की वजह से अब दिखाई देना बंद हो गए. पर जैसे ही दूसरा सोफा उठाने के लिए झुकीं तब उन्होंने पल्लू कमर पर बाँध लिया था, वह खुल गया.. और जैसे ही सोफा एक जगह से दूसरी जगह तक रखा, भाभी का पल्लू पूरा नीचे गिर गया था. मेरा ध्यान तो वहीं था. जैसे ही भाभी की नजर मुझ पर गई, उन्होंने सोफा छोड़ दिया, जिसकी वजह से मेरा संतुलन बिगड़ गया और सोफा मेरे पैरों पर गिर गया, जिसकी वजह से मुझे चोट लग गई. मेरे पैर के अंगूठे के नाखून से खून निकलना चालू हो गया.
मैं वहीं पैर पकड़ कर नीचे बैठ गया. मैं खून को बहने से रोकने लगा.
तब भाभी ने तुरंत डेटोल और रुई ला कर जहां से खून निकल रहा था, वहां लगाया.
जब कुछ देर बाद खून बहना बंद हो गया, तब जा कर उन्होंने मुझे एक क्रीम ला कर लगाने को दी.. पर मुझे दर्द इतना अधिक हो रहा था कि मैंने क्रीम लगाने से ना कह दिया.
तब भाभी ने मुझसे पूछा- क्यों?
मैंने कहा- मुझे दर्द बहुत हो रहा है.. मैं खुद अपने हाथ से ये क्रीम नहीं लगा पाऊंगा.
फिर भाभी खुद ही मेरे पास बैठ कर मेरे पैर पे दवाई लगाने लगीं, उन्होंने जैसे ही पैर को छुआ, मैंने पैर पीछे खींच लिया.
भाभी हंसने लगीं.
तब मैं थोड़ा गुस्से से बोला- मुझे लग गई है और आपको हंसी आ रही है.
भाभी ने कहा- तुम तो बच्चों जैसा कर रहे हो.
मैं बोला- यह आपकी वजह से मुझे लगी है, अगर आपने सोफा न छोड़ा होता तो मुझे यह चोट न लगती.
भाभी ने सॉरी बोल कर मेरा पैर खींचा और अपनी गोद में रख कर दवाई लगाने लगीं.
फिर से मैंने पैर खींचा, तो भाभी बोलीं कि दवाई लगवा लो, जल्दी अच्छा हो जाएगा.
मैंने कहा- मुझे दर्द हो रहा है.
भाभी ने कहा- दवाई लगवा ले तुझे तेरी गर्लफ्रेंड की कसम.
मैंने कहा- वो तो है ही नहीं तो कसम कैसी.. मुझे नहीं लगवानी दवा.
भाभी बोलीं- ये तो हो ही नहीं सकता, तू रोज फोन पे बातें और चैटिंग करता है, वो कौन है?
मैं बोला- वो तो मेरे फ्रेंड्स हैं. मेरे फ्रेंड्स इतने ज्यादा हैं कि कोई ना कोई फोन या मैसेज करता ही रहता है.
भाभी बोलीं- अगर ऐसा है तो तुझे मेरी कसम.. अब तो तुझे लगवाना ही पड़ेगी.
मैं फिर भी नहीं माना और पैर पीछे खींच लिया, जिसकी वजह से खून निकलना फिर से चालू हो गया.
तब भाभी ने पैर गोद में ही लिए हुए पहले डेटोल से साफ किया और जैसे ही दवाई लगाने झुकीं, मेरा पैर उनके चुचे से छूने लगा.. लेकिन भाभी को इसके बारे में पता नहीं था. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पैर से ही चुचे दबा दिए.
एकदम से नर्म चुचे पर मेरे सख्त पैर का दबाव महसूस करते भाभी ऊपर को हो गईं और मेरी तरफ देखने लगीं. मैं अभी देख ही रहा था कि भाभी ने एक शरारती स्माइल दी और दवाई लगाते हुए बोलने लगीं- यह चोट मेरी वजह से नहीं, तुम्हारी वजह से लगी है.
मैंने तुरंत ही बोला- मेरी वजह से कैसे?
भाभी बोलीं- तुम मुझे कैसे देख रहे थे जब मेरा पल्लू नीचे गिरा था? इसी बात पर तो मुझे शरम आ गई थी. उस वक्त जल्दीबाजी में मुझसे सोफा छूट गया था और यह हादसा हो गया.
मैंने कहा- जो देखने के लिए होता है, मैं वही देख रहा था, उसमें बुरा क्या था?
तब भाभी बोलीं- अच्छा तो तुम्हारी मम्मी को बोलना पड़ेगा.
मैं बोला- हां बोल दो ना.. मैं..
भाभी मेरी बात को काटते हुए बोलीं- मैं चाय बना कर लाती हूँ.
वो वहां से अपनी गांड मटकाते हुए रसोई में चली गईं.
कुछ समय बाद मैं भी लंगडाते हुए रसोई में आ गया. भाभी मेरी आहट सुन कर मुझसे बोलने लगीं- क्यों इधर आ रहे हो. दर्द नहीं हो रहा?
मेरे दिमाग में शरारत सूझी और मैं भाभी के पास जाते ही गिरने की एक्टिंग करने लगा. मैं भाभी पर गिरा और अपने हाथ भाभी के चुचों पर ही रख दिए.
क्या बताऊं यार.. बहुत मजा आया था. उस वक्त मैंने भाभी के मम्मों को दबा भी दिया था.
मेरे वजन से भाभी भी अपना संतुलन खो बैठीं और हम दोनों नीचे बैठ गए.
भाभी गुस्से से बोलीं- क्या जरूरत भी यहां आने की..
भाभी जल्दी से खड़ी हो कर फिर से चाय बनाने लगीं.
भाभी के मम्मों के स्पर्श से मेरा तो लंड पूरा टाईट हो गया था. मैं भाभी को पीछे से देख कर यही सोच रहा था कि भाभी को ऐसे ही गोद में बिठा कर चोद डालूँ.. पर खुद पर संयम किया.
इधर भाभी ने चाय बना ली. फिर भाभी मुझे सहारा देकर रूम में ले गई और बिठा दिया.
उसी बीच भाभी का हाथ मेरे लंड से टकराया तो लंड ने एक तुनकी सी मार दी, जिससे भाभी हंसने लगीं.
मैं पानी पानी हो गया.
फिर भाभी चाय लेकर आईं और मेरे बगल में बैठ कर बातें करने लगीं. मैंने देखा कि अब उनकी नजर बार बार मेरे पेंट के उभार की तरफ ही जा रही थी. मैं भी उनको देख ही रहा था और मन ही मन उनके साथ सेक्स के ख्यालों में डूबा हुआ था.
फिर अचानक ही उन्होंने मुझसे सवाल किया- तुम्हें कैसी लड़की पसंद है?
मैं भाभी की बात को सुन कर चौंक गया. मैंने थोड़ा सोचा कि चांस अच्छा है तो मैंने कहा- आप जैसी.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- मेरी जैसी क्यों?
मैंने कहा- आप बेहद खूबसूरत हो और आप मुझे अच्छी भी लगती हो.
भाभी बोलीं- अच्छा तो बताओ क्या अच्छा है मुझमें?
मैंने कहा- आप में बहुत कुछ है.. मैं अब कैसे बताऊं?
तब वो मेरे से चिपक गईं और कहने लगीं- बताओ वरना तुम्हारी मम्मी को बता दूँगी.
मैंने कहा कि मुझे आपका पूरा बदन ही अच्छा लगता है.
भाभी मेरी जांघ पर हाथ फेरते हुए कहने लगीं- पूरे बदन में सबसे अच्छा क्या लगता है?
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने एक हाथ उनकी गर्दन पर रख के उन्हें अपनी तरफ करके होंठ पर होंठ रख दिए. साथ दूसरे हाथ से भाभी के चुचे दबाने लगा.
कुछ देर तक भाभी ने मेरा साथ दिया और फिर मुझे अलग करके बोलने लगीं- यह क्या कर रहे हो.. यह सब ठीक नहीं.
मैंने कहा- क्या ठीक नहीं? मैं आपको पसंद करता हूँ और शायद आप भी?
उन्होंने कहा- मेरी शादी हो गई है.. मैं ये सब नहीं कर सकती.
फिर घड़ी की तरफ देख कर कहने लगीं- अभी तुम जाओ.. छोटू के आने का समय हो गया है.
पर मैं नहीं माना, मैंने फिर से भाभी को अपनी तरफ खींच कर गले लगाया और कहा- भाभी आई लव यू और ये बात तुम्हारे और मेरे बीच में ही रहेगी प्लीज़ भाभी.
अब भाभी थोड़ा गुस्से में होकर बोलीं- एक बार कहा.. तुम्हें समझ नहीं आता.. चलो अब जाओ यहाँ से.
मैं भी गुस्से से उठ कर वहां से चल दिया. जैसे ही मैं खड़ा हुआ, पैर में दर्द हुआ.. पर मैं लंगड़ाते हुऐ आगे बढ़ गया. भाभी मेरे पास आईं और मुझे सहारा देने लगीं.
मैंने उनकी तरफ गुस्से से देखा तो वो मुझसे दूर हो गईं.
मैं अपने घर आ गया.
दो दिन बाद वह सुबह कपड़े धो रही थीं, तभी मेरा अपने घर के पीछे कुछ काम से जाना हुआ, तब मेरी नजर भाभी पे गई. मेरी आवाज सुनते ही उन्होंने मेरी तरफ देखा और हंस दीं, पर मेरा गुस्सा अभी वैसा ही था. मैं वहां से चला आया.
फिर कुछ दिन बाद घर के सभी लोग शादी के लिए बाहर गए, मैं इसलिए नहीं गया क्योंकि मेरे पैर में अभी भी थोड़ा सा घाव बाकी था और ज्यादा देर तक खड़ा नहीं रह सकता था. मम्मी ने भाभी को बोल दिया था कि मैं घर पर अकेला हूँ तो मेरा ध्यान रखें.
घर वालों के जाने के कुछ देर बाद ही भाभी घर पे आईं और मुझसे हाल चाल पूछने लगीं, पर मैंने कुछ नहीं बोला.
भाभी मेरे पास आकर कहने लगीं- सॉरी मुझे उस दिन तुम पर गुस्सा नहीं करना था.
मैं फिर भी कुछ नहीं बोला और चुपचाप टीवी ही देखता रहा.
अचानक भाभी ने मेरा चेहरा अपनी तरफ करके होंठ से होंठ लगा दिए. मैं भी भाभी के साथ लिपकिस का मजा लेने लगा.
पांच मिनट बाद भाभी अलग होकर बोलीं- आई लव यू.. उस दिन से तुम मेरी अन्दर की आग को अधूरा छोड़ कर चले आये थे.. आज उसे पूरी शांत कर दो.
भाभी ने फिर से मेरे होंठों पर होंठ रख दिए और इस बार किस लंबी चली.
मैंने भाभी को अपनी तरफ खींच कर बिस्तर पर लिटा दिया और मजे लेने लगा. पहले तो उनके बदन से साड़ी अलग की और भाभी को थोड़ा पीछे करके उनके चुचों पर टूट पड़ा.
एक चुचे को मुँह से और एक को हाथ से दबा रहा था. भाभी की तो सिसकारियां चालू हो गई़़ थीं- आह.. आह.. थोड़ा धीरे.. मैं अब से तुम्हारी ही हूँ.
मैंने धीरे धीरे करके भाभी का ब्लाउज और ब्रा अलग कर दी. क्या चुचे थे.. एकदम टाईट!
मैं भाभी के चुचे की नोक पकड़ कर उससे कुछ देर खेला.
भीभी चुदास भरे स्वर में बोलीं- मुझे तो आधे से ज्यादा नंगी कर दिया और खुद कपड़ों में हो?
यह कह कर भाभी मेरी शर्ट के बटन खोलने लगीं. मैंने भी साथ देते हुए पहले अपनी शर्ट और फिर बनियान निकाल दी.
अब भाभी ने सीधा हमला मेरे लंड पर ही किया. मेरा लंड तो आधे से ज्यादा टाईट हो ही गया था. भाभी ने मेरी पैन्ट का बटन खोला और लंड को हाथ में लेकर उससे खेलने लगीं.
मैंने कहा- मुँह में तो लो.
तब वह ना बोलने लगीं.
मैं भी कम नहीं था, मैंने कहा- अच्छा मुँह में नहीं.. पर एक किस तो करो.
भाभी ने मेरे लंड के सुपारे पर मस्त किस किया.
फिर भाभी ने मेरी तरफ देखा तो मैंने इशारे में एक बार और करने को कहा. जैसे ही भाभी ने मुँह लंड के पास किया कि मैंने उनके बाल पकड़ कर लंड उनके मुँह में डाल दिया.
भाभी ‘ना..ना..’ कर रही थीं, पर एक बार लंड मुँह में लेने के बाद वह लंड को मुँह में अन्दर बाहर करने लगीं.
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं जन्नत में होऊं. कुछ देर बाद भाभी मेरे ऊपर से उतर कर बगल में पैर फैला कर लेट गईं. अब बारी मेरी थी, मैंने भाभी के और मेरे बाकी के कपड़े निकाल दिए और दोनों नंगे हो गए.
फिर भाभी की चुत पर उंगली रख कर चूत सहलाई, भाभी को जैसे झटका लगा हो वैसे ही एकदम से उनकी सीत्कार निकल गई- उह्ह.. शश…
मैंने दो उंगली अन्दर डाल दीं और आगे पीछे करने लगा. भाभी मचलती जा रही थीं और ‘आह..’ की गरम आवाजें निकालने लगीं. उनकी मादक आवाजें सुन कर मुझे भी मजा आ रहा था.
कुछ देर उंगली करने के बाद चुत पे किस किया और इस बार भाभी ने मेरा सर पकड़ कर चुत पर दबा दिया. मैंने भी जीभ चुत में डाल दी और चुत का रस लेने लगा. कुछ ही देर में भाभी ने पानी छोड़ दिया.
इसके बाद मैं उठा और लंड को भाभी की चुत पे रख कर लंड को ऊपर नीचे करने लगा. जैसे ही लंड पे चुत का पानी लग गया, मैंने लंड भाभी के चुत में डाल दिया. मेरा आधा लंड अन्दर चला गया. भाभी अपनी आवाज को दबाते हुए ‘उम्म..’ किया.. मैं थोड़ा रुक गया. फिर मौका देख कर दूसरा धक्का दे मारा. इस बार मेरा पूरा लंड भाभी की चूत के अन्दर घुस गया था.
भाभी ने दर्द से आँखें भी बंद कर लीं. मैं भी भाभी को किस करने लगा, जिससे आवाज ना हो. मैंने फिर लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर करना चालू किया. भाभी ने मुझे कसके पकड़ लिया और नाखून भी गाड़ा दिए.
मैंने लंड की गति बढ़ाई.. भाभी की साँसें तेज होने लगीं.. और आवाज भी निकलने लगी- आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह…
कुछ ही देर में भाभी ने फिर से पानी छोड़ दिया और अपने शरीर एकदम ढीला कर दिया.
मैं थोड़ा ऊपर को उठा, लंड को चुत में ही रहने दिया. फिर मैंने भाभी की चूत को लंड चोदना जारी रखा. भाभी कुछ देर में फिर से रंग में आ गईं.
मैंने अपनी गति बढ़ा दी.. करीबन पन्द्रह मिनट तक भाभी को हचक कर चोदने के बाद मैंने कहा- भाभी मेरा होने वाला है.
भाभी ने कहा- चालू रखो, मेरा भी होने ही वाला है.
मेरा चोदना चालू ही था कि भाभी ने पानी छोड़ दिया और उसी वक्त मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया. पर जैसे ही लंड ने पानी छोड़ा मैंने लंड बाहर निकाल लिया था. आधा वीर्य उनकी चुत में और आधा उनके पेट पर निकाल कर मैं उनके बाजू में लेट गया.
भाभी ने मेरी तरफ देखा. भाभी और मैं दोनों हाँफ रहे थे. मैंने उठ के भाभी को किस किया, भाभी ने किस में मेरा साथ दिया.
मैंने घड़ी की तरफ देखा और हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहन लिए.. क्योंकि मेरे घर वालों के आने का टाईम हो गया था. भाभी ने मुझे सेक्सी बाय और विश किया और चली गईं.
आज भी जब भी मौका मिलता है.. हम दोनों सेक्स कर लेते हैं.
तो फ्रेंड्स कैसी लगी मेरी प्यासी भाभी की चूत चुदाई की रियल कहानी… कुछ गलती लगी हो तो माफ करना और मुझे मेल जरूर करना. आपके मेल की मुझे प्रतीक्षा रहेगी.
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