मेरी सगी मॉम के साथ सेक्स
दोस्तो, मेरा नाम रोशन है, मैं 21 साल का हो
दोस्तो नमस्कार, मेरा नाम विकास है और मैं मुंबई में रहता हूँ. मेरी उमर 23 साल की है और मेरे लंड का साइज़ भी मेरी उमर के हिसाब से ज़्यादा है. ये काफी मजबूत किस्म का लंड भी है और इसकी ख़ास बात ये है कि ये दिखने में भी गोरा है.
बात उस टाइम की है, जब मैं जॉब के लिए पहली बार किसी बड़ी सिटी में आया था. तब मुझे इस सिटी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. मैंने और मेरे दोस्त ने एक रूम लिया और अपने अपने जॉब पर सैट हो गए.
हमारे रूम के ठीक राईट साइड में एक घर था, जिसमें अंकल, आंटी और उनके 2 बच्चे रहते थे. एक लड़का और एक वो लड़की. मुझे याद है आज भी जब मैंने उसे पहली बार देखा था. मैंने छत पर गाने लगा रखे थे और संडे एंजाय कर रहा था. तभी बगल की छत पे सुनहरे गीले बाल फैलाए हुए एक लड़की आ रही थी.
ये कोई मामूली लड़की नहीं थी.. कयामत थी, पूरी की पूरी कयामत थी. उसका 36-28-36 का फिगर एकदम फाड़ू था. क्या मस्त लचकती कमर थी, नशीली आंखें, रसीले होंठ और दो सुडौल आम.. मेरा मतलब उसके तने हुए बूब्स किसी का भी लंड खड़ा कर दें. उसके मम्मे वाकयी इतने हाहाकारी थे कि पहली ही नजर में किसी को भी पागल कर दें. उसी तरह का उसका पिछवाड़ा था.
आय हाय मेरा तो जी कर रहा था कि साली को कस के पकड़ लूँ और चुची मुँह में लेकर तब तक चूसता और दबाता रहूँ, जब तक कि वो अपने मुँह से ‘आहह अब बस करो..’ ना बोल दे.
पर क्या करता.. मजबूर था.
मैं उसी के सोच में डूबा था कि अचानक उसने मेरी तरफ देख लिया. मैंने भी नज़र नहीं हटाई और उसने भी कोशिश नहीं की.
तभी उसकी मम्मी उसको पुकारने लगी दिव्या.. तब मुझे नाम पता चला कि ये दिव्या है. वो हिरनी सी कुलांचें भरती हुई ‘आई मम्मी..’ कहती हुई नीचे चली गई. पर वो मेरा नींद, चैन सब उड़ा ले गई.
जब नीचे जाते हुए उसके कूल्हे (पिछवाड़ा) मटक रहे थे, तो मेरा लंड एकदम कड़क हो गया था. अब मेरे पास कोई विकल्प नहीं था. मैं भी एकदम से बाथरूम में जा घुसा और काम पे चालू हो गया. कुछ पल हाथ की कारगुजारी से थोड़ा सुकून मिला. पर अब भी वो दिमाग़ में घूम रही थी.
कुछ ही समय बाद बरसात का टाइम आ गया. सब जगह हरियाली और थोड़ी-थोड़ी ठंडक सी हो गई.
उस दिन शनिवार था. मेरा रूम मेट भी ड्यूटी पर गया हुआ था. मैं घर में अकेला था. अचानक जोर से गड़गड़ाहट हुई और जोर की बारिश होने लगी. साथ ही लाइट भी चली गयी.
मैं थोड़ी देर बाद घूमने बाहर आ गया कि तभी सामने दिव्या दिखी, जो कुछ परेशान सी लग रही थी. उसने मुझे इशारा करके अपने पास बुलाया और मैं चला गया.
मैंने पूछा कि क्या बात है?
तो उसने कहा कि मेरे घर की इमरजेंसी लाइट नहीं मिल रही है.
वो मुझसे हेल्प मांगने लगी.
मुझे जब उसके घर में कोई नहीं दिखा, तो उसने बताया कि सभी घरवाले शादी में गए है, जो सुबह तक लौटेंगे.
मैंने अपने फोन से लाइट खोली, जिसकी बैटरी सिर्फ़ 3% बची हुई थी. वो आगे चलने लगी और मैं उसके पीछे.
उसके बेडरूम से होते हुए, वो मुझे किचन तक ले गयी और इधर-उधर देखने लगी. वो शायद लाइट ढूँढ रही थी. मैंने भी पीछे से फोन की लाइट ऑन रखी थी कि तभी मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया. पूरे कमरे में एकदम सन्नाटा छा गया. उसने पूछा तो मैंने बताया कि मोबाइल कम बैटरी की वजह से स्विच ऑफ़ हो गया है.
अब हम दोनों कुछ देर यूं ही खड़े ही रहे. तभी अचानक फिर से बादल गरजने की ज़ोर से आवाज़ आई.. साथ ही बिजली भी कड़की. वो घबरा कर थोड़ा पीछे को सरक गयी. जिससे वो थोड़ा सा मेरे लंड पर और थोड़ा सा मेरी छाती पर टच हो रही थी. मेरी सांसें तेज चलने लगीं और उसके बदन की खुशबू मेरी सांसों की गर्मी को और भी बढ़ा रही थी. उसे भी मेरी गरम सांसें अपने कान पर महसूस होने लगीं और वो भी कुछ अजीब सा बिहेव करने लगी. उसकी सख़्त चूचियां भी तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगीं.
मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया, जो उसके कूल्हों से टकरा रहा था. उसके सॉफ्ट कूल्हे मुझे अपने लंड पे महसूस हो रहे थे. उसकी सांसें भी बहुत तेज गति में चलने लगीं.
फिर मैंने धीरे से हाथ उसकी कमर में डाला और कस के दबा दिया. मेरे इस हमले से वो एकदम गरम हो गयी. उसकी कोई आपत्ति न पाकर मुझे हिम्मत आ गई और मैंने उसे अपनी तरफ घुमा लिया.
अब मैं उसकी धड़कनों को सुन सकता था, जो बहुत तेज आवाज़ कर रही थीं. उसके नाज़ुक होंठ काँपने लगे. पहले शुरूआत उसने की और मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए. उसका तपता बदन और मुलायम होंठ मुझे पागल बना रहे थे.
उसने दोनों हाथों से मुझे अपने क़ब्ज़े में ले लिया और मेरी कमर अपनी तरफ खींचने लगी.
हम दोनों एक दूसरे को पीने में मस्त थे. मेरा एक हाथ उसकी कमर को सहला रहा था और दूसरा हाथ उसके चेहरे पर था. आसमान ने शोर करना बंद कर दिया और बारिश की तेज़ मधुर आवाज़ आने लगी थी. हम दोनों एक दूसरे में डूबे थे कि तभी लाइट आ गयी और उसने मुझे एकदम से छोड़ दिया.
मैंने जैसे ही उसे देखा और भी पागल हो गया. उसने मेरी पसंद के ब्लू कलर की कुरती और वाइट कलर की सलवार पहन रखी थी. उसका गोरा रंग, गुलाबी होंठ सुनहरी आंखें … मुझे बेकाबू कर रही थी.
इस बार मैंने अपना प्यार दिखाया और उसके दोनों मम्मों को पकड़कर धीरे धीरे मसलने लगा. उसने भी मेरा साथ दिया और वो अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रखके जोर जोर से अपने दूध दबवाने लगी.
उसके गुलाबी कंठ से ‘सीईई आआहह..’ की आवाज़ निकल पड़ी. मैं और भी उत्तेजित हो गया और ज़ोर ज़ोर से मम्मे मसलने लगा. इस बार उसने बहुत ही मादक आवाज़ निकाली- आआववववह सीईई अहह.
मैंने एक हाथ उसकी चुत पर रखा, तो पता चला कि उसकी चुत पूरी भट्टी की तरह जल रही थी … जो ज्वालामुखी की तरह गर्म थी.
उसने अपने हाथ से अपनी सलवार थोड़ी ढीली कर दी, जिससे मेरा हाथ आसानी से अन्दर आ जा सके. मेरे हाथ में जैसे ही उसकी चुत का दाना लगा, वो एकदम से ज़ोर से ‘सीईई आआहह..’ करने लगी और मेरा दूसरा हाथ अपने बूब्स पर ऊपर से दबवाने लगी.
उसकी चुत बुरी तरह से रो रही थी. जैसे ही मैंने एक उंगली थोड़ी सी घुसाई, वो एकदम से उछल कर मुझसे लिपट गई.
मैंने उसे गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया, उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया. मैं उसे दबाने लगा, चूसने लगा. वो पूरी तरह से मस्त थी. अब मैं उसके पेट के तरफ बढ़ा और किस करने लगा. धीरे धीरे उसकी चुत के आस पास जीभ फेरने लगा. फिर वापस जाकर उसके गले पे किस करने लगा, जिससे वो मस्त हो रही थी.
तभी मैंने उसकी सलवार खींच कर पूरी बाहर निकाल दी और कुरती भी हटा दी. अब वो सिर्फ़ काले रंग की ब्रा और पेंटी में रह गई थी.. जिसमें उसका गोरा बदन और भी अच्छा लग रहा था.
मैंने फिर से उसे गर्माना चालू किया. अब मैंने एकदम से अपनी जीभ को उसकी चुत पर लगा दिया, तो वो एकदम से कमर ऊपर करने लगी. जैसे चाहती हो कि मैं उसकी पूरी चुत खा जाऊं.
उसकी चुत की मादक खूशबू आय.. हाय.. और नमकीन पानी मेरा और जोश बढ़ा रहा था. उसका भी बुरा हाल था. वो मेरे सिर पकड़ के अपनी चुत में अन्दर दबा रही थी. उसके मुँह से ‘आआहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… सीईएह..’ की आवाजें निकल रही थीं.
तभी एकदम से वो अकड़ गयी और मैंने उसे छोड़ दिया. अचानक से उसका पानी पूरा बेडशीट पर फैल गया. वो झड़ चुकी थी.
अब उसकी बारी थी. वो भी मेरा लंड अपने हाथों में लेकर मसलने लगी और मेरी गोटियों को सहलाने लगी. क्या बताऊं दोस्तो … कितना अच्छा लग रहा था.
अब तक हम पूरे नंगे हो चुके थे. फिर धीरे से उसने अपनी जीभ की नोक मेरे लंड के सुपारे पर घुमाई, मेरा तो बुरा हाल हो गया. जैसे ही उसने होंठों में लंड लिया, मेरा और भी बुरा हाल हो गया. फिर वो बड़े ही प्यार से लंड चूसने लगी. मेरे मुँह से ‘आआहह..’ की आवाज़ बिना मेरे चाहे निकल पड़ी.
कुछ ही देर बाद मेरा रस निकलने वाला था, तो मैंने उसके मुँह से लंड निकाल कर उसके मम्मों पर पूरा माल निकाल दिया. मैंने उसे साफ़ किया और फिर से मसलने लगा. उसकी नेक पे, कमर पे हर जगह किस करने लगा.
पहली बार वो उस प्यास में बोली- बस… अब और मत तड़पाओ.. जल्दी से डाल दो अन्दर.
मैंने भी अपना सुपारा उसकी चुत पर सैट किया और हल्का धक्का मारा, तो उसकी हल्की चीख निकली ‘आह..’
थोड़ा और ज़ोर लगाया मैंने तो सुपारा अन्दर घुस गया. वो थोड़ा ज़ोर से ‘आआईयइ..’ करने लगी.
मैंने उसके होंठों पे होंठ रख दिए. ये तरीका मैंने अन्तर्वासना सेक्स कहानी की एक कहानी को पढ़ कर सीखा था. बस एक तगड़े धक्के में मैंने पूरा लंड अन्दर पेल दिया. क्या गरम चुत थी उसकी, जो मेरे लंड को और भी फुला रही थी.
उसकी आंखों में आंसू निकलने लगे. मुझे थोड़ा बुरा फील हुआ. मैंने रुक कर उसके आंसू साफ़ किए और उसके गाल पे और आंखों पे किस करने लगा.
तभी उसने नीचे से कमर उचकाई.. मैं इशारा समझ गया. बस मैं चुदाई के मैदान में दम से उतर गया.
जब लंड को चुत की रगड़ मिल रही थी तो बहुत मज़ा आ रहा था. वो एकदम मस्त होकर ‘उऊहह आअहह आअहह ऊहह इससस्स..’ करने में लगी थी और गांड उठा उठा के चुदवा रही थी.
साथ ही मैं उसके चुचे भी दबाने लगा और दबा दबा के पीने लगा.
फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और खुद घोड़ा बनकर पीछे से उसकी चुत में लंड घुसा दिया और जमकर चोदने लगा.
उसके बाद मैंने उसे गोद में उठा लिया. उसने मेरा लंड अपनी चुत में सैट किया और खुद ऊपर नीचे होने लगी. बड़ा ही मज़ा आ रहा था. उस रात मैंने उसे हर टाइप की पोजीशन में चोदा और सुबह के 5 बजे तक हमारा खेल चालू रहा.
सुबह दोनों की हालत खराब हो गयी थी. उसने कहा कि वो ऐसी हालत में अपने घरवालों से नहीं मिल पाएगी.
तो मैं उसे चुपके से अपने वाले रूम में लेकर आया और उसके घर पे लॉक लगाकर चाभी वहीं रख कर आ गया. उसने अपनी मॉम को कॉल करके फ्रेंड्स के घर पे जाने की बात कह दी. वो मेरे रूम में आकर सो गयी.
उसके साथ बहुत कुछ हुआ. आगे की कहानी फिर कभी लिखूंगा.
तो दोस्तो, कैसी लगी, मेरी सेक्स स्टोरी. मुझे कमेंट में ज़रूर लिखना.
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