गाँव वाली भाभी ने दिया मजा सेक्स का
देसी भाभी देवर चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि गाँव की
चुदासी पड़ोसन भाभी चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मैं भाभी
दोस्तो, मेरा नाम रजत है, मैं इंदौर (म.प्र.) का रहने वाला हूँ और मैं पोर्नविदएक्स डॉट कॉम के अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. सभी पाठकों को मेरा कामवासना भरा नमस्कार.
इस रसीली सेक्स कहानी सुनाने से पहले मैं आप लोगों को अपने बारे में बता दूँ. मेरी लम्बाई 6 फुट है और मैं कसरती शरीर का मालिक हूँ. मेरी उम्र 21 साल है. मेरे लंड की लम्बाई 7 इन्च और मोटाई 2 इन्च है.
मेरा मुख्य कार्य मसाज करना है. जिन महिलाओं को शरीर में दर्द होता है और जिनकी जिन्दगी में बच्चों की ख़ुशी नहीं है, उन महिलाओं की ऐसी कमी की वजह से मैं उनको आयुर्वेदिक मसाज देता हूँ. इस मसाज की वजह से मैं कामुक से कामुक परिस्थितियों में भी खुद को सम्भाल लेता हूँ. साथ ही ऐसी कामुक परिस्थितियों में जब महिला गर्म हो जाती है, तो मैं उसके मन की भी नहीं होने देता हूँ. मेरा सोच है कि चुदाई के मूड को मालिश के साथ न मिलाऊं.
वैसे मैं बहुत चोदू किस्म का लौंडा हूँ, अब तक जिनको भी मैंने चोदा है, वे सब मेरे लंड से दोबारा चुदाई के लिए लालायित रहती हैं.
यह बात तकरीबन 3 महीने पहले की है. मैं फेसबुक पर कामक्रिया करता था. जिस वजह से एक औरत मुझसे प्रतिदिन सेक्स चैट करती थी. उसने मेरी आयुर्वेदिक मसाज के बारे में जाना, तो वह मुझसे बहुत प्रभावित हुई और उसने मुझसे मिलने की इच्छा जताई.
भला मैं कब पीछे रहने वाला था, मैं तो खुद कब से इस ताक में था कि ये भाभी कब मेरे हाथों का निचोड़ पाएं.
जब एक दिन उन्होंने मुझसे मिलने का कहा तो मैंने 3 दिन बाद उनसे मिलने का कह दिया. साथ ही अपनी सुरक्षा के लिए उनसे कह दिया कि ये बात सिर्फ हमारे बीच में रहे.
उनके ‘क्यों?’ के सवाल पर, मैंने उनसे निवेदन किया कि मेरी यही इच्छा है. जिसको उन्होंने तुरन्त अपनी स्वीकृति दे दी. उनकी प्रसन्नता से ये लगा, जैसे वो भी मुझसे यही कहना चाह रही थीं.
भाभी की उम्र तकरीबन 33 साल की होगी. उनके कामुक अंग उनके शरीर में बड़ी खूबसूरती से पल्लवित थे, भाभी के ये कामुक जैसे उनकी खूबसूरत देह में चार चाँद लगा रहे थे. भाभी भारी भरे हुए शरीर की मालकिन थीं. उनके मम्मे 36 सी साईज के थे और चूतड़ों का तो पूछो ही मत … कमाल के गोलाकार और भरे हुए थे. उन्हें देख कर जी करता था कि इनको अपने हाथों से ऐसे मसलूँ, जैसे महिलाएं आटा गूंथती हैं.
मैं उनसे तय समय पर मिलने गया, तो भाभी एक काले रंग की पजेरो में खुद मुझे लेने आयी थीं. उनको देख कर तो मैं उन्हें चोदने की इच्छा से मचल उठा. मैं उनके साथ कार में बैठ कर उनके घर पहुंच गया.
उनका घर किसी हवेली की तरह था. उनके पति सरकारी नौकरी में किसी ऊंचे पद पर थे, तो वो अक्सर बाहर रहा करते थे.
उनके पति के इस बाहर रहने के कारण मुझे पूरा फायदा मिला. मैंने अन्दर घुसते ही उन्हें कमर के बल से खींच लिया और अपनी गोद में उठा कर उनके होंठों पर अपने होंठों से मधुर प्रहार करना शुरू कर दिया.
वो खिलखिलाते हुए उचक कर नीचे खड़ी हो गयीं.
उन्होंने मुझे अपने बदन से सटाते हुए बड़ी संजीदगी से कहा- मुझे बच्चा चाहिये, पर मेरी योनि की नस चिपक गयी है. जिसकी वजह से मैं गर्भ धारण नहीं कर पा रही हूँ. क्या तुम मालिश से इसका इलाज कर सकते हो?
पहले मुझे बहुत गुस्सा आया कि मैं यहां जिस हसीना को चोदने की हसरत से आया था. असल में उसे भी मुझे एक मशीन की तरह काम लेना था.
फिर काम में क्या हसरत, मैंने दबे मन से हां कह दी और उन्हें मसाज के लिए एक दरी और लहसुन की पोथी डाल कर गर्म तेल मंगवा लिया. फिर शुरू हुआ मेरा मालिश का खेल.
पहले उनको उल्टा लिटा कर सीधे पैर से गर्म तेल लगाना शुरू किया और अपने हाथों से उनकी कमर तक तेल मल दिया. फिर हल्के हल्के हाथों से ऊपर नीचे करके उनको हर अंग को दबा दबा के रगड़ता रहा. मालिश की गर्मी से उन्हें पसीना आने लगा.
मैंने भाभी के तलवों से लेकर कमर तक करीब आधे घन्टे दोनों पैरों पर मालिश की. इससे उन्हें नींद आने लगी थी.
ऐसे ही मैंने कमर से लेकर गर्दन को भी खूब अच्छे से रगड़ा.
मालिश के दौरान ही बातें चलती रहीं. मैंने उनका नाम पूछा. तो उन्होंने अपना नाम अनिता रानी (बदला हुआ) बताया.
अब मैं उन्हें भाभी से अनिता जानू कह कर बात कर रहा था. बात करते-करते वह कसमसाने लगीं. तब मैंने भी चिकनाहट की वजह से अपने कपड़े खोल दिए. अब तक मेरा लंड अपना पूरा आकार लेकर अनिता की मखमली गांड को सलामी दे रहा था.
सूखी गांड की वजह से मैंने बहुत सारा तेल लेकर अपनी अनिता जानू की गांड की दरार में डाल दिया. मैंने जैसे ही भाभी की गांड में तेल डाला, उनके मुँह से ‘उफ्फ्फ …’ की आवाज निकल आई. इसके साथ ही वो पीछे की ओर ऊपर गांड करके लेट गईं. मतलब भाभी ने अपनी गांड उठा दी थी. मैं भी जोश में आ गया था, तो मैंने उनके ऊपर आकर अपना लंड उनकी गांड के करीब टिका दिया. मैं अपना फनफनाता हुआ लंड भाभी की जांघों पर घिसने लगा था. साथ ही मैं अपने हाथ की कलाई को उनकी गांड के छेद के ऊपर मल रहा था, जिससे वो तड़प उठीं.
अगले ही पल भाभी के कंठ से जोर जोर से ‘उम्ह्ह आह्हहा …’ की चीखें गूँज उठीं.
काफी देर उनकी गांड को ऊपर ऊपर से मथने के बाद मैंने असली ट्रीटमेन्ट की शुरुआत की.
मैं अपने लंड को हरकत में लाता, इससे पहले मैंने भाभी के आगे भी जांघों को अच्छे-खासे तरीके से मसल मसल कर खूब रगड़ा. इतना ज्यादा रगड़ा कि जब तक भाभी की चमड़ी लाल नहीं हो गयी, मैं मसलता रहा. इससे उनकी चुत कुलबुला उठी और गीली होने लगी.
उनकी लाल गुलाबी हुई पड़ी चूत देख कर मुझे भाभी की चूत चूसने का दिल कर रहा था. पर काम के वक़्त सेक्स, ये मेरा उसूल नहीं है. मैंने चुत को ऐसे ही तपने दिया.
मैंने उनके मखमली चूचे को एक बार मुँह में लेकर चूस लिया. भाभी के इस शानदार चूचे का दूध पीकर मुर्दे का भी लंड आग उगलने लगे.
यह देख कर भाभी के मुँह से जोर से चीख निकली- उईईईई माँ … मर गयी …
मैंने धीरे से उनके मुँह पर हाथ रख दिया, जिससे भाभी की चीख वहीं दब गयी.
फिर मैंने अपनी तेल मालिश शुरू कर दी. मैंने उनके मम्मों से लेकर उनकी कमर तक अच्छे से मसल मसल के की, जिससे उनकी चुत में चींटियां सी रेंगने लगीं और वो तड़प की वजह से अपनी चुत में अपनी बीच की उंगली देकर अपनी चुदास जाहिर करने लगीं. भाभी मुझे चोदने के लिए मिन्नत करने लगीं, जिसको मैंने अनसुना कर दिया और अपनी मालिश जारी रखी.
फिर उनकी आग शांत करने के लिए मैंने भाभी के सर की मालिश करना चालू कर दी, जिससे उनकी आग शांत हो गयी. इससे उनका सर भी हल्का हो गया.
अब मालिश की बारी थी उस हसीन सी फांक की, जो हल्के से मुँह खोले हुए गुलाबी रंग के होंठों को लिए हुए फड़क रही थी. हां आप ठीक समझे … भाभी की प्यारी सी चुत की मालिश करने बारी आ गई थी.
दोस्तो, यहां मैं आप लोगों को बताना चाहूँगा, जिन महिलाएं की चूत के मुँह के ऊपर दाने से जो बंधी हुई नसें होती हैं और किन्हीं कारणों से किसी महिला की बच्चेदानी की नस चिपक जाती है, तो उसका गर्भ धारण नहीं हो पाता है. ये मुझे मालूम है, सो मैंने आपको बताया है.
इसके लिए मैंने एक लीटर पानी गर्म करके उसमें 250 ग्राम नमक और एक देसी दवा को मिला कर 15 मिनट तक गर्म किया. मैं इधर दवा का नाम नहीं लिख रहा हूँ. उस दवा को पानी में मिला कर तैयार कर लिया. उसके बाद एक साफ रूमाल लेकर उसकी गर्माहट चुत से लेकर नाभि तक की सिकाई की, जिससे भाभी के शरीर की सारी नसों में खून तेजी से दौड़ने लगा. क्योंकि शरीर का केंद्र बिन्दु नाभि होती है.
उसके बाद भाभी बहुत खुश हुईं. एक घन्टा लगातार चुत की सिकायी हुई, फिर तेल की मालिश करके मैं भी थक गया था. भाभी भी सोने की इच्छा जाहिर करने लगी थीं. वे मुझे बेड पर ले जाकर लेट गईं और मेरे लंड को मसलते हुए मेरे ऊपर ही सो गईं.
जब आधा घंटे सोने के बाद मैं उठा, तो वो बेड पर नहीं थीं. मैंने आवाज दी, पर कोई उत्तर नहीं मिला. मैंने ऊपर वाले कमरे में जाकर देखा, तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गयीं. वो काली साड़ी में मेकअप करके बिलकुल अप्सरा जैसी दिख रही थीं. मानो कोई अप्सरा तुम्हारे लंड को प्रसन्न करने आयी हो.
भाभी ने मुझे देखा, तो वे मुस्कुरा कर मेरे करीब आईं. भाभी ने पूछा- क्या तुम मुझे माँ बनाने का सुख दे सकते हो?
अब मामला चुदाई का था … न कि मालिश का था. मैं एकदम नंगा खड़ा था, जिससे मेरा खड़ा लंड उनकी तरफ मुँह करके खड़ा होके ऊपर नीचे सर हिलाने लगा.
मैंने उनका हाथ अपने लंड पर रख कर कहा- आप खुद अपनी चुत के राजा से क्यों नहीं पूछ लेतीं.
मेरे खड़े लंड को हाथ में लेकर भाभी बहुत खुश हुईं और उन्होंने घुटने के बल बैठ कर जोरदार चुम्मों की झड़ी मेरे लंड के गुलाबी टोपे पर लगा दी.
लंड पर भाभी के नरम होंठों का अहसास हुआ, तो लंड हिनहिनाने लगा. इन चुम्बनों से मैं भी खुश हो गया और मैं जिस मनोकामना से यहां आया था. वो पूरी होने के करीब थी.
मैंने झट से उन्हें अपनी गोद में उठा लिया और उनकी साड़ी खड़े खड़े ही ऊपर कर दी.
मैंने अपने होंठों को भाभी के होंठों पर रख कर चूमना शुरू कर दिया. हम दोनों ऐसे चूम रहे थे, जैसे वर्षों के दो प्रेमी एक दूसरे के होंठों को चूस रहे हों. उधर नीचे मेरा लंड उनकी लाल रंग की पेंटी में छेद करके अन्दर घुसने की नाकामयाब कोशिश कर रहा था. इस क्रिया से भाभी की तड़प और बढ़ गई और वो मुझे अपनी अधूरी चुदायी के लिए जोर जोर से कसमसाने लगीं. जो मालिश के समय पूरी नहीं हो पाई थी भाभी लंड अन्दर डलवाने के लिए मचलने लगीं.
मैंने देर न करते हुए भाभी की साड़ी पकड़ कर खींच दी और पेटीकोट नाड़े की गाँठ खोल कर नीचे गिरा दिया.
अब भाभी नीचे सिर्फ लाल कलर की जालीदार पेंटी में थीं. ऊपर भाभी ने ब्लाउज़ पहना ही नहीं था, वे ऊपर सिर्फ ब्रा पहने थीं.
कमरे के माहौल में मदहोशी छा गयी थी. मैंने अपना लंड उनके मुँह की तरफ बढ़ाया, तो जैसे कोई छोटा बच्चा लॉलीपॉप चूसने के लिए मचलता है, वैसे ही भाभी मेरे लंड को अपने मुँह में रख कर चूसने लगीं.
लंड चुसाई से मेरे लंड का आकार विशाल हो गया और लोहे की रॉड जैसा हो गया.
मैंने उनको बिस्तर पर सीधे लिटा दिया और उनके मम्मों के बीच में अपना लोहे जैसा लंड ब्रा के बीच में फंसा कर ऊपर की ओर कर दिया. इससे भाभी की ब्रा का आगे का हुक टूट गया. उनकी ब्रा के दोनों पल्ले खुल गए. भाभी की ब्रा उनके हाफुस आम जैसे चुचों को कैद करने में अक्षम हो गयी. भाभी के चुचे खुले पंछी की तरह उछल कर बाहर फुदकने लगे.
मैंने भाभी के दूधिया मम्मों को अपने हाथों में जकड़ लिया और उनके दोनों चुचों को भींच कर उनके बीच में अपना लंड फंसा दिया. मेरा लंड उनकी ठोड़ी तक अपना सुपारा छुलने लगा. मैं दोनों मम्मों के बीच में लंड को घिसने लगा. मैं अपने लंड के सुपारे को उनके होंठों तक ले जाता और जैसे ही भाभी सुपारे को चूसने के लिए होतीं, मैं झट से लंड वापिस पीछे की ओर खींच लेता.
इससे उनकी चुदास तड़प उठी और वह बार बार ऐसी कोशिश करने लगीं. नीचे भाभी की चूत बहने लगी थी. चूत से हल्की हल्की बूँदों की मादक महक सारे कमरे में जोश जगा रही थी.
मैंने भाभी के मम्मों में लंड के जोर जोर से झटके देना शुरू किए, तो उनके होंठों तक लंड का तना रगड़ने लगा. अब भाभी की जीभ मेरे लंड को चूमने लगी. भाभी मुझे चोदने के लिए जिद करने लगीं.
लेकिन मुझे पहले अपना लंड एक बार खाली करना था … ताकि चुदाई का मस्त मजा आए. कुछ ही देर में मम्मों की चुदाई के बाद मैंने अपना सारा रस अनिता भाभी के मुँह में गिरा दिया.
जिस समय मेरा वीर्य निकला उस समय मेरे मुँह से आह निकल गई- आअह्ह्ह … अनिता मेरी जान … तेरे चूचे कितने रसीले हैं.
ये कहते हुए मैंने लंड उनके मुँह में भर दिया. जिससे भाभी मेरे लंड रस को चटखारा ले कर खाने लगीं. भाभी ने मेरा सारा रस खा लिया और इसके बाद भी वो रुकी नहीं. भाभी मेरे टट्टों को भी चूसने लगीं. जिससे मेरा लंड 5 मिनट में ही फिर से पूरे आकार में आ गया.
अब लंड महाशय अनिता भाभी की चुत की खिड़की खोलने के लिए उतावले होने लगे. मैंने भी देर न करते हुए अनिता भाभी की लाल पेंटी को जाली वाली जगह से पूरा फाड़ कर अलग कर दिया. उसमें से भाभी की चुत, कामरस से भीगी हुई पिंक होंठ चिपकाए हुए बाहर निकल आयी.
मैंने समय की नजाकत को समझते हुए भाभी की पिंकी को अपने मुँह में भर लिया. मैं उनकी क्लिट को अपनी जीभ की नोक से चाटने लगा. जिससे चूत का खारा पानी का सा टेस्ट आ रहा था. ये खारा स्वाद मेरे लंड में और तनाव पैदा कर रहा था.
अब अनिता भाभी ‘उम्ह्ह्ह अह्ह्ह …’ की आवाज निकालते हुए तड़पने लगीं और जल्दी से चोद देने की मिन्नत करने लगीं. पर मैं अभी जीभ को चुत के मुँह के अन्दर डाल कर भाभी को और गर्म करना चाहता था. मैंने अपनी जीभ की नोक बना कर चुत के होंठों को चूम के अन्दर की ओर डाल दी, जिससे अनिता रानी का जिस्म अब फड़कने लगा. उनकी चुत के होंठ साँस लेने के साथ साथ अन्दर बाहर होने लगे. यही कोई 5 मिनट की चूत चुसाई से भाभी झड़ने को होने लगीं.
मैंने अपना मुँह चुत से हटा लिया और उनके होंठों को होंठों में दबा कर चुचों को दबाने लगा. इससे भाभी पूरी तरह से झड़ी नहीं और बस उनकी 4-5 बूँदें निकल कर बंद हो गईं.
मैंने अब भाभी की गांड को ऊपर उठा के उसके नीचे तकिया लगा दिया … जिससे लंड आराम से अन्दर घुस जाए और चुत लंड का खुल कर स्वागत करे. मैंने चुत को चोदने से पहले तेल से पूरा नाभि तक भिगो दिया. फिर लंड का सुपारा चुत के होंठों पर घिसने लगा. साथ ही उनकी क्लिट को एक उंगली से मसलने लगा. दूसरे हाथ से मैं भाभी के चुचों को संतरों की तरह निचोड़ने लगा.
जब अनिता भाभी की आँख बंद करके इस एहसास का आनन्द ले रही थीं, तभी मैंने अपने लंड के 3 इन्च हिस्से को एक झटके में चूत के अन्दर उतार दिया.
इस अचानक हुए हमले से भाभी की आँखों की पुतलियां फ़ैल गईं और आँख से आँसू आने लगे.
अनिता भाभी के मुँह से बस यही निकला- आह मार दिया … रुकना मत … आह डाल दो पूरा अन्दर … उई माँ … चोद दो मुझे अपनी रंडी बना कर!
अब ये बात सुनी तो भला मैं क्यों पीछे रहता. मैंने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और पूरी जान से अन्दर की ओर धक्का दे मारा. जिससे अनिता रानी की तेज चीख निकल गयी. वे अपने हाथों को मेरे पेट से लगा कर मुझे पीछे की और धकेलने लगीं, पर मैं कहां मानने वाला था.
मैंने अपने होंठों का ढक्कन उनके होंठों में लगा दिया और धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करता रहा.
कोई दो मिनट के दर्द के बाद मेरी हसीन भाभी को भी मजा आने लगा था. वो अब एकदम नयी 18 साल की अनचुदी लौंडिया की तरह मेरा साथ देने लगी थीं.
भाभी को चोदते चोदते कब मैं उनके नीचे आ गया और वो कब शेरनी की तरह मेरे लंड पर अपनी चुत में उछल उछल कर अन्दर लेने लगीं, मुझे होश ही नहीं रहा. मैं बस भाभी की चूचियों को मसल मसल कर मजा लेता रहा. कभी दाएं से चूची को मसलता, तो कभी बांए मम्मे को निचोड़ कर चूसने लगता.
कोई दस मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद भाभी थक गयी थीं … तो अब कमान मैंने संभाली और चुत में लंड फंसाए हुए ही मैंने भाभी को अपने नीचे ले लिया. मैं थोड़ा थूक लेकर भाभी की नाभि पर रगड़ने लगा और जोर जोर से धक्के लगाने लगा. इससे उनका शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गईं. उनकी चुत का फव्वारा इतनी जोर से फटा कि मेरा लंड एक मिनट में ही आग छोड़ने को होने लगा.
मैंने झट अपना लंड बाहर निकाल लिया, जिससे मैं चूत के रस की गर्मी से झड़ न सकूँ. भाभी का सारा माल चुत के बाहर बह गया.
एक मिनट बाद ही मैंने अपना लंड फिर से अन्दर डाल दिया. चूत के पानी की वजह से लंड सटाक की आवाज से अन्दर घुस गया.
मेरे इस प्रहार के लिए अनीता रानी अभी तैयार नहीं थीं, तो उनकी चीख निकली- अभी नहीं …
पर मैंने भाभी की एक न सुनी और धक्के जारी रखे. दो मिनट में ही मैं चुत की गर्माहट से चुत के अन्दर ही अपना रस भरने लगा. जिससे वो उचक उचक के अन्दर लेने लगीं.
भाभी बहुत खुश थीं, उन्होंने मुझे अपने आगोश में भर लिया.
उस रात ऐसे ही हमने चार बार चुदायी की. मैं वहां 15 दिन के लिए गया था, तो मैंने होटल बुक कर लिया था. ये कमरा अनिता भाभी ने बुक करवा दिया था. अब वो रोज मुझसे मसाज करवाती थीं और खुल कर चुदती थीं.
भाभी की मसाज गर्म पानी और आयुर्वेदिक दवा की वजह से वो अब पेट से हो गई हैं. जो कि मेरी मेहनत का फल है.
इससे भाभी बहुत खुश हो गई थीं … और इसका इनाम भी भाभी ने मुझे दिया.
इनाम में उन्होंने अपनी बहन की बेटी की सील भी मुझसे तुड़वायी, जिसको मैं अगली कहानी में लिखूंगा.
दोस्तों मेरी सेक्स स्टोरी आपको कैसी लगी … मुझे जरूर मेल करके बताएं. अगर लिखने में मुझसे कोई त्रुटि हुई हो, तो माफ करें. ये मेरी पहली सेक्स स्टोरी है … जो मैंने आप लोगों के साथ साझा की है.
मेरी चुदाई की कहानी पर मुझे कमेंट करके जरूर बताना, जिससे मैं आप लोगों के लिए आगे भी लिख सकूँ.
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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राज है. मैं रोहतक, हरियाणा से
मेरी तरफ से सब भाभियों आंटियों और सभी प्यारे दोस्तों