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कॉलेज में एक जूनियर मेरी टीम में था. एक बार

जीजा का ढीला लंड साली की गर्म चूत

 

नमस्कार मेरे प्यारे दोस्तो, मैं सपना राठौर आपके साथ फिर से अपनी नई कहानी शेयर करने के लिए वापस आई हूं.

अब मैं अपनी जिन्दगी की घटनाओं को आगे बताते हुए कहानी के रूप में आपके सामने पेश कर रही हूँ. आशा करती हूँ कि आपको मेरी यह नई कहानी भी उतनी ही पसंद आयेगी और आप इसका पूरा मजा लेंगे.
इससे पहले कि मैं अपनी नई कहानी शुरू करूँ मैं आप सबसे कहना चाहती हूं कि जो भी मैं यहाँ पर कहानियों के माध्यम से बताती हूँ वह सब मेरे साथ असल जिन्दगी में ही घटित हो चुका होता है. अन्तर्वासना सेक्स कहानी पर मन की बात शेयर करने से मन का बोझ हल्का हो जाता है इसलिए मैं कहानियाँ लिखती रहती हूँ.

आपको तो पता ही है कि जब मैं 19 साल की थी तो मैंने अपने जीजा के साथ पहली बार सेक्स किया था. मैंने अपने मोटे लंड वाले जीजा के साथ कुल मिलाकर 4 बार सेक्स किया था. जिसमें से दो बार उन्होंने मेरी जबरदस्त चूत चुदाई की थी जिसमें मैं और जीजा ही थे जबकि उसके बाद फिर दीदी भी साथ में आ गयी थी.

चढ़ती जवानी में जीजा का लंड भोगने के बाद 20 साल की उम्र में मेरी शादी हो गई थी. उसके बाद तो मैंने अपने पति के अलावा किसी मर्द की तरफ आंख उठा कर भी नहीं देखा. शादी के बाद मेरी दो बेटियों ने जन्म लिया जिनकी डिलीवरी ऑपरेशन से हुई. इसके कारण मेरी चूत वैसी की वैसी कसी हुई बची रही. अगर चूत से बच्चियां निकालतीं तो शायद चूत का चौबारा हो जाता लेकिन ऑपरेशन के कारण चूत की कसावट ज्यों की त्यों सलामत रही.

मेरे पति फौजी हैं और वो मेरी चूत के जम कर मजे लेते हैं. शादी के दिन से ही उनके मोटे लंड की जोरदार चुदाई से मैं संतुष्ट होती आ रही हूँ. मेरी टाइट चूत को चोद कर उनका लंड भी शांत रहता था और उनका महान लंड मेरी चूत को भी अच्छी तरह खुश रखता था. मैं जीवन में हर तरीके से आनंद में थी.

मगर जिन्दगी में फिर से घुमावदार मोड़ मेरा इंतजार कर रहा था जो मुझे मेरे अतीत की तरफ वापस मोड़ ले गया. हुआ यूं कि एक बार मेरी दीदी बहुत ज्यादा बीमार पड़ गईं. बिमारी की गंभीरता को देखते हुए उनको हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा. जब बहन इतनी बीमार हो तो फिर मैं भला घर पर चैन से कैसे बैठ सकती थी. मुझे जयपुर हर हाल में जाना था. इसलिए मैं दीदी के पास जयपुर चली गई.

मेरी दीदी हॉस्पिटल में भर्ती थी और रात में कभी उनकी सास दीदी के पास रहती थी तो कभी जीजा जी वहाँ पर रुक जाते थे. जब मैं दीदी से मिलने पहुंची तो उनकी सास भी वहीं पर थी और उन्होंने मुझे वहीं पर रुकने के लिए कह दिया. दीदी की सास की बात मैं टाल नहीं सकती थी और दीदी के पास भी रुकने का मन था इसलिए मैंने रुकने के लिए हां कर दी.

शाम को जीजा जी खाना लेकर आ गये. मैं दीदी से मिल चुकी थी और उनकी सास से दीदी के घर रुकने की बात भी हो चुकी थी.
जीजा जी ने कहा- अगर तुम रुकने के लिए तैयार हो तो मेरे साथ ही चल पड़ो बाइक पर? मैं जाते हुए तुम्हें घर छोड़ दूंगा क्योंकि मुझे ड्यूटी के लिए भी निकलना है.

अगर आपको याद हो तो मेरी पिछली कहानी में मैंने बताया था कि मेरे जीजा जी नाइट ड्यूटी करते हैं और कैसे मैंने दिन में उनके अंडरवियर में लंड को देख कर पहली बार किसी मर्द के लिंग को छुआ था और उसके बाद जीजा जी ने कैसे मेरी चुदाई की थी.

उन बातों को बीते हुए आठ साल हो गये थे मगर आज जब जीजा जी फिर से मुझे बाइक पर बिठाकर ले जाने की बात कर रहे थे तो वही पुरानी यादें फिर से ताजा हो गईं. जीजा-साली की चुदाई का वो दृश्य फिर से जीवंत हो उठा था. मगर बात काफी पुरानी हो गई थी इसलिए मैंने उन बीती बातों के बारे में ज्यादा सोचना ठीक नहीं समझा. वैसे भी मैं अपने फौजी पति के लंड से काफी खुश रहती थी.

मगर इतने सालों में काफी कुछ बदल गया था. जीजा जी की उम्र ढलने लगी थी. जब हम मोटर साइकिल लेकर निकले तो रास्ते में जीजा ने मुझसे कहा- साली जी अगर आप कहो तो पुरानी यादों को फिर से ताजा कर लिया जाये?
मैंने कहा- आप बुढ़ापे में भी बाज़ नहीं आ रहे!
वो बोले- एक बार आजमा कर तो देखो, आपको जवानी वाला जोश याद दिला देंगे.

उनकी बात सुनने के बाद मैं चुपचाप बैठी रही. मैंने उसके बाद उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया.
घर आने के बाद हमने खाना खाया और जीजा जी ने हॉस्पिटल में फोन करके बता दिया कि वो ड्यूटी जा रहे हैं. मगर वो सिर्फ फोन पर ही ड्यूटी निभा रहे थे. असल में आज उनको कुछ और ही ड्यूटी करनी थी जिसके लिये उन्होंने पहले से मन बना लिया था.

फोन करने के बाद मैंने सोचा कि जीजा जी जायेंगे लेकिन वो दरवाजे को अंदर से लॉक करके आ गये.
मैंने कहा- आप ड्यूटी पर नहीं जा रहे हो क्या?
वो बोले- नहीं, आज तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही.

इतनी बात होने के बाद हम सोने की तैयारी करने लगे. रात के 10-11 बजे के करीब मुझे नींद आने ही लगी थी कि जीजा जी मेरे बिस्तर आकर मेरे ऊपर लेटते हुए मुझे अपनी बांहों में भरने लगे.
उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों से लगा दिया और मेरे लबों को चूसना चालू किया तो मैंने एक बार उनको हटाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं हटे.

फिर मुझे भी मजा सा आने लगा. मैंने उनका साथ देना शुरू कर दिया क्योंकि मेरे पति असम में तैनात थे और दस दिन के बाद आने वाले थे. मेरा मन भी कर गया कि आज जीजा जी के साथ ही आनंद ले लिया जाये.
उन्होंने मेरे सारे कपड़े निकाल दिये और मेरे पूरे बदन को निहारने लगे. मेरे नंगे बदन को देख कर बोले- तुम तो पहले से भी ज्यादा सेक्सी हो गई हो!

उन्होंने मेरी चूत पर अपने होंठ रख कर उसको चाटना शुरू कर दिया. मैंने महसूस किया कि जीजा जी चूत चाटने में पहले के मुकाबले ज्यादा माहिर हो गये थे और उन्होंने दो मिनट के अंदर ही ऐसी तरह से मेरी चूत चाटी कि मेरे मुंह से सीत्कार निकलने लगे. स्स्स … श्श्श… आह्ह … कर रही थी मैं उनकी जीभ की छुअन के साथ.

उनकी जीभ मेरी चूत के पूरी अंदर तक घुसी हुई थी. मेरी चूत में खलबली मच गई उनकी जीभ की गर्माहट से. जीजा की गर्म जीभ मेरी चूत को अंदर तक उत्तेजित कर रही थी. वो किसी नागिन की तरह बार-बार मेरी चूत के बिल में घुस कर अंदर जाती और सेक्स की चिंगारी जलाकर फिर लौट आती. फिर से जाती और फिर से बाहर आ जाती. मुझे बहुत दिनों बाद चूत चटवाने का ऐसा मजा मिल रहा था.

वैसे भी बहुत सालों से मैं अपने पति के अलावा किसी और से नहीं चुदी. आज जब फिर से जीजा के साथ कुछ करने का मौका मिला तो मैंने महसूस किया कि एक ही आदमी से एक ही तरह से चुदते-चुदते जब बहुत दिन हो जाते हैं और फिर किसी पराये मर्द के साथ कुछ करने का मौका मिलता है तो काफी कुछ नया-नया सा लगने लगता है. जीजा जी के साथ भी मुझे कुछ ऐसा ही लग रहा था.

फोरप्ले में उनके साथ मुझे अपने पति से ज्यादा मजा आ रहा था आज. फिर जीजा जी ने अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया. मैं उसको हाथ में लेकर सहलाते हुए उसको हिलाने लगी. रोमांच बढ़ता जा रहा था. जीजा जी की जीभ मेरी चूत की खुदाई करने में लगी हुई थी और कुछ ही देर के बाद मेरी चूत से कामरस का फव्वारा फूट पड़ा. मैं जीजा के मुंह में ही झड़ गई. मैंने निर्जीव प्राणी की तरह अपने शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दिया. मैं इन आनंद के पलों में जैसे आसमान में उड़ सी रही थी.

अब जीजा जी ने मेरे स्तनों पर धावा बोल दिया और अपना लंड मेरे हाथ में ही दिये रखा. मैं उनका लंड हिला रही थी और वो मेरे चूचों को चूसने लगे. थोड़ी सी देर में मैं दोबारा से उत्तेजित होने लगी. फिर मैंने पूरे मन के साथ उनके लंड को सहलाना और हिलाना शुरू किया. मगर आज उनका पेनिस कुछ ढीलेपन में लग रहा था. इतनी देर से मैं उसको हिला रही थी मगर उसमें वो पहले जैसा कड़कपन और सख्ती महसूस नहीं हो रही थी.

मगर मैं फिर भी उनके लंड को आगे-पीछे करती रही यही सोच कर कि जीजा जी अभी शायद स्तनपान में व्यस्त हैं. फिर उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह के पास किया और उसे चूसने के लिए कहा. मैंने उनके लंड को मुंह में भर लिया. मैं जोर-जोर से उनके लंड पर अपने होंठ चलाने लगी. मैं उसको पहले की तरह सख्त और मूसल जैसे आकार में लेकर आना चाहती थी.

मगर तीन-चार मिनट में ही जीजा जी के लंड ने वीर्य मेरे मुंह में छोड़ दिया. मैंने उनके वीर्य को मुंह के अंदर ही रोक लिया और उठ कर बाथरूम में चली गई. मैंने मुंह को साफ किया और फिर खुद को भी साफ करके वापस आ गई.

आने के बाद जीजा जी ने फिर से मुझे अपनी गोद में बैठा लिया और मैं नंगी ही उनकी गोद में जाकर बैठ गई.
वो मेरे बदन को चूसने लगे. कभी गर्दन पर तो कभी मेरे गालों पर मुझे चूमने लगे. थोड़ी देर के बाद उनके लंड में फिर से तनाव आना शुरू हो गया.

जैसे ही लंड में तनाव आया उन्होंने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरी दोनों टांगों को उठाकर ऊपर कर दिया जिससे मेरी चूत पूरी तरह से खुल गई. जीजा जी ने अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और धक्के देने लगे. मगर उनका लंड अंदर नहीं जा पा रहा था. जाने से पहले ही मुड़ कर रह जाता था.

मेरी चूत में आग लगी हुई थी उनके लंड के छूने से. मैं चाहती थी कि वो मेरी चूत को चोद दें. बहुत दिनों बाद जीजा जी से पलंग तोड़ चुदाई करवाने के मूड में थी मैं. जब लंड अंदर नहीं गया तो मैंने गर्दन ऊपर उठाई.
जीजा की तरफ देख कर पूछा- क्या हुआ? शुरू करो न जीजा जी?

मैंने जीजा के चेहरे पर कुछ परेशानी सी के भाव देखे और फिर अपनी चूत की फांकों को खुद ही अलग करके उनको लंड डालने के लिए कहा. मैं उनके लंड के घुसने का फिर से इंतजार करने लगी.
सोच रही थी कि लंड बस अब घुसने ही वाला है मगर वो बार-बार इधर-उधर फिसल जा रहा था. फिर मैंने अपने हाथ से उनका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर लगाया और उसको अंदर लेने की कोशिश करने लगी. मगर लंड फिर भी नहीं घुस पाया.

परेशान होकर मैंने जीजा जी को अपने ऊपर से उतार दिया. मैंने उनको नीचे लेटने के लिए कहा. अब मैं खुद उनके ऊपर चढ़ कर बैठ गई. मैं एक हाथ से चूत को फैला कर दूसरे हाथ से लंड को चूत में लेने की कोशिश करते हुए बैठने लगी. मगर फिर भी लंड मुड़ कर बाहर ही रह जाता था. मेरी चूत टाइट थी मगर जीजा का लंड बासी ककड़ी की तरह यहां वहां चला जाता था.

अंत में मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने जीजा से कह दिया- क्या बात हो गई? जवानी खत्म हो गई क्या?
जीजा मेरी बात सुन कर शर्मिंदा हो गये और चुपचाप एक तरफ जाकर लेट गये.

मगर मैं अभी भी सेक्स की आग में जल रही थी. जल बिन मछली की तरह मैं अंदर ही अंदर तड़प रही थी. स्त्री की वासना एक बार यदि जाग जाये तो फिर कुछ किये बिना वो शांत नहीं होती है. मैंने मन ही मन जीजा जी को हजार गालियां दे डालीं.

समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ? जीजा ने मुझे गर्म तो कर दिया लेकिन अब शांत करने के लायक वो रह नहीं गये थे. मैंने अपने एक हाथ से खुद ही चूत को मसलना शुरू किया और जीजा की तरफ गुस्से से देखते हुए चूत को सहलाने लगी. दूसरे हाथ से मैं अपने चूचों को दबा रही थी ताकि मेरी वासना शांत हो सके.

जीजा जी मेरे साथ ही लेटे हुए थे और देखते ही देखते उनके लंड में जो थोड़ी बहुत कसावट थी वो भी चली गई. उनका लंड बिल्कुल सिकुड़ गया. अब मैंने सारी उम्मीद छोड़ दी और बिल्कुल निराश हो गई.
मैंने जीजा से कहा- आप अपना इलाज करवाओ. वरना आप दीदी के सेक्स के अरमानों का भी गला घोंट देंगे.

जीजा बोले- तुम्हारी दीदी की चूत अब बिल्कुल ढीली हो चुकी है. उसकी चूत के साथ मेरा काम चल जाता है. हम दोनों की स्थिति एक जैसी ही है लगभग लेकिन तुम्हारी चूत ऐसी है कि अभी ज्यादा चुदी न हो. इतना कहकर वो चुप हो गये.

मैंने कहा- मेरे पति तो जब भी आते हैं मेरी अच्छे से चुदाई करते हैं. मगर आपका लंड है कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा है. आप तो मुझे बीच में छोड़ कर चल दिये. लेकिन अब मैं क्या करूँ? कैसे शांत करूं इसको?

जीजा ने मेरी बात का कोई जवाब न दिया. वो चुप ही रहे. जब मुझे कुछ भी उपाय न सूझा तो मैं उठ कर जीजा की छाती पर जाकर बैठ गई और अपनी चूत को उनके मुंह पर लगा दिया.
मैंने कहा- चाटो अब इसको.
जीजा जी मेरी चूत को चूसने-चाटने लगे. वो भी अच्छी तरह से चाट रहे थे क्योंकि उसके अलावा उनसे अब कुछ और नहीं होने वाला था.

काफी देर के बाद मेरा पानी निकला. जीभ से चाट कर जीजा ने मेरा पानी तो निकाल दिया लेकिन लंड की चुदाई की प्यास तो लंड ही बुझा सकता है. चूत को चाट कर शांत करवाना तो दूसरा विकल्प है.

मेरे प्यारे दोस्तो, उस दिन मुझे पता चला कि जब मर्द और औरत में से कोई एक भी प्यासा रह जाये तो उसके मन पर क्या गुजरती है. मेरे साथ हुई ये घटना सत्य है इसलिए मैंने ऐसे शब्दों का प्रयोग किया. उस दिन मुझे चुदाई वाली संतुष्टि नहीं मिल पाई. आप लोगों के साथ ये बात शेयर करके मैंने अपने मन को हल्का करने की कोशिश की है. उम्मीद है कि आप मेरी बात को समझ पायेंगे.

इस कहानी को पढ़ कर आपको कैसा लगा मुझे मेल करके बतायें. मैं आपके विचारों का स्वागत करती हूँ. इसके अतिरिक्त आप कहानी पर कमेंट्स भी कर सकते हैं. जल्दी ही मैं अपनी अगली किसी कहानी के साथ फिर वापस आऊंगी. सभी को नमस्ते!

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