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गांव के देसी लंड ने निकाली चूत की गर्मी

मेरा नाम रेखा है और मैं देखने में काफी सेक्सी लगती हूँ. मैं गांव में रहने वाली देसी लड़की हूँ इसलिए यहाँ पर जगह का नाम नहीं बता सकती. मेरे गांव में मुझे बहुत सारे लड़के पसंद करते हैं क्योंकि मेरा फीगर बहुत ही शेप में है. मेरी चूचियों का साइज भी अच्छा है. गांड के बारे में तो मुझे खुद पर ज्यादा ही भरोसा है. जब मैं चलती हूं तो लड़कों की नजर मेरी गांड पर जाये बिना रह ही नहीं पाती.
गांव की होने के कारण मुझे खेतों में घूमना-फिरना अच्छा लगता है. मेरी सहेली और मैं अक्सर गांव के खेतों में घूमने चली जाया करती हैं. मेरी सहेली को मर्दों के लंड देखने का बहुत शौक था. जब मैं उसके साथ जाती थी तो मैं देखती थी कि वह शौच कर रहे मर्दों के लंड को तिरछी नजर से घूर लिया करती थी.

उसके साथ घूमते-घूमते मुझे भी मर्दों के लंड देखने में मजा आने लगा. मगर मैंने किसी मर्द का लंड अभी तक खड़ा हुआ नहीं देखा था. गावं में मर्दों के लंड काले होते हैं. लेकिन मैंने एक बार एक देसी लड़के का लंड देखा था जो पेशाब कर रहा था. उसका लंड खड़ा हुआ था और वो मुझे देख कर अपना लंड हिलाने भी लगा था. मगर मैं उससे नजर बचाकर आगे निकल गई क्योंकि गांव में बदनामी बहुत जल्दी हो जाती है.

जो बात मैं आपको बताने जा रही हूँ वह भी मेरे गांव की ही कहानी है. अपने गांव में मैं एक लड़के से बात करती थी. उसका घर मेरे घर से थोड़ी ही दूरी पर था.

वैसे तो मुझे वही लड़का पसंद था लेकिन उसके दोस्त भी मुझ पर लाइन मारने की पूरी कोशिश करते थे और अभी भी करते रहते हैं. यहाँ तक कि मौका देख कर वो मुझ पर गंदे कमेंट्स भी करते हैं. लेकिन मैं बाकियों पर ध्यान नहीं देती. मगर जिस लड़के से मैं बात करती थी उसी के बारे में आपको बता रही हूँ. जब मैंने शुरू में उससे बात करना चालू किया तो हम दोनों में प्यार हो गया. वो मेरा ब्वॉयफ्रेंड बन गया.

उसका नाम सुनील था और उसके परिवार के साथ मेरे परिवार का रिश्ता भी अच्छा बन गया था. हम दोनों ही एक-दूसरे को बहुत पसंद करते थे. मौका मिलते ही हम दोनों एक-दूसरे से मिल लिया करते थे. सुनील खेतों में काम करता था. कभी-कभी मैं उससे खेत में भी मिलने चली जाया करती थी. मुझे उसके साथ बातें करना बहुत अच्छा लगता था.
वैसे हमारे खेत भी पास-पास में ही हैं क्योंकि गांव में आस-पड़ोस के लोगों के खेत पास-पास ही होते हैं इसलिए खेतों के बहाने मैं उसे देखने के लिए चली जाती थी.

गर्मी में उसके गठीले बदन को देखकर मेरी चूत में सुरसुरी सी उठने लगती थी. लेकिन खेत में और लोग भी काम कर रहे होते थे इसलिए मैं उससे ज्यादा बात नहीं कर पाती थी. लेकिन हमारा रिश्ता इतना गहरा था कि हम नजरों ही नजरों में एक दूसरे से बात कर लिया करते थे.

मेरी माँ और चाची सुबह का जरूरी काम करने के बाद खेत में काम करने के लिए चली जाती थी. मैं घर पर रह कर खाना बनाती थी. सुनील बहाने से कभी-कभी मेरे घर आ जाता था. लेकिन घर पर हम लोगों को ज्यादा समय नहीं मिल पाता था. बस कभी-कभी वो मुझे किस करके वापस चला जाता था. मैं खेत में भी उससे सीधे तौर पर नहीं मिल पाती थी क्योंकि खेत में माँ और चाची रहती थी.

वैसे उससे बात करते-करते मैं उससे काफी खुल गई थी. लेकिन हमारे बीच में अभी तक शारीरिक संबंध नहीं बन पाये थे क्योंकि इतना टाइम ही नहीं मिल पाता था. गांव में मोबाइल के लिए टावर भी नहीं है इसलिए फोन पर भी ज्यादा बात नहीं हो पाती थी. हमारे पास खेत का बहाना बनाकर मिलने के अलावा दूसरा कोई चारा ही नहीं बचता था. खेत में भी किसी के देखने का डर रहता था इसलिए ज्यादा कुछ कर नहीं पाते थे बस थोड़ी बहुत बात हो जाती थी.

गांव छोटा ही है इसलिए वहाँ पर ऐसी भी कोई जगह नहीं थी कि हम जहां पर चोरी छिपे मिल सकें. बस इसी तरह बहुत दिनों तक हमारा नैन-मटक्का चलता रहा. फिर बहुत दिनों तक हमारी बात भी नहीं हो पाई. फसल का सीजन आ गया था और सुनील खेतों में काम करता रहता था. मैं उसे सोनू बुलाती थी. जब फसल का काम खत्म हो गया तो फिर से हम दोनों में बहुत दिनों के बाद बात हुई.

एक दिन की बात है कि माँ और चाची के साथ ही घर के बाकी लोग भी खेत में गये हुए थे. सोनू मेरे घर पर आ गया. उस वक्त मैं घर पर बिल्कुल अकेली थी. आते ही सोनू ने मुझे पकड़ लिया और मेरे होंठों को चूम कर मेरी गर्दन पर किस करने लगा. आज वो काफी जोश में लग रहा था क्योंकि इतने दिनों से हम लोगों ने एक-दूसरे को देखा भी नहीं था. मुझे भी उसका किस करना बहुत अच्छा लग रहा था.

फिर हम दोनों घर में अंदर चले गये. वो मुझे चूसता हुआ बेड पर लेकर गिर गया. उस दिन मेरे अंदर की हवस भी भड़की हुई थी. मैं सोनू को पूरे जोश के साथ चूसने में लगी हुई थी. उसका गठीला बदन था और उसकी मजबूत बाजुओं में कस कर वो मुझे अपने अंदर ही समा लेना चाहता था. मुझे उसका स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था. उसमें मर्दों वाले सारे गुण थे. जब वो मुझे किस कर रहा था तो उसकी पैंट में से तना हुआ उसका लंड मेरे बदन पर घिस रहा था.

फिर उसने मेरे चूचों को दबाते हुए मेरी सलवार को खोलना शुरू कर दिया. चूंकि हमारे पास टाइम कम ही था इसलिए हम सब कुछ जल्दी-जल्दी में कर रहे थे. उसने मेरी सलवार को निकाल दिया और मेरी पैंटी के ऊपर से हाथ फिराते हुए मुझे गर्म करने लगा. उसका एक हाथ ऊपर मेरे चूचों पर था. वो बारी-बारी से मेरे चूचों को भींच रहा था. मैं मदहोश होकर सिसकारियां भरना चाहती थीं लेकिन आवाज बाहर न जाए इसलिए अपनी कामुकता को अंदर ही दबा कर रख रही थी.

सोनू मुझे ऊपर छाती पर से और नीचे जांघों पर चूत के ऊपर से मसल रहा था. उसके बाद उसने मेरे कमीज को निकलवा दिया और मेरी ब्रा को भी खींच कर अलग कर दिया. मेरे चूचे नंगे हो गये जिनको उसने अपने मुंह में भर लिया और फिर उसने उनको एक-एक करके अपने मुंह में लेते हुए चूसना शुरू कर दिया.

मैं पागल सी होने लगी. उसकी गर्म जीभ मेरे चूचों के निप्पल पर सांप की तरह लेट रही थी. मेरे चूचे तन कर पहाड़ी की तरह नुकीले कर दिये थे उसके होंठों के अहसास ने.

उसके बाद वह मेरी पानी छोड़ रही चूत को चूसने लगा. मैं मचल कर तड़प गई. स्स्स … आह्ह … मेरे मुंह से निकल गया तो सोनू ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और दोबारा से मेरी चूत को चूसने लगा. उसकी जीभ मेरी चूत में घुसने लगी. वो मेरी चूत में जीभ को घुसा-घुसा कर उसको मजा दे रहा था और मैं बदहवास सी होने लगी थी. इतना मजा मेरी चूत को कभी नहीं आया था.

सोनू ने फिर अपनी पैंट को निकाल दिया. उसके नीले रंग के कच्छा में उसका लंड तन कर बेहाल हो चुका था. उसने अपना कच्छा नीचे कर दिया और अपनी पैंट की जेब से कॉन्डम निकाल लिया. पहले से ही पूरी तैयारी करके आया था. चूंकि हम दोनों ही पढ़े-लिखे थे इसलिए जानते थे कि कॉन्डम के साथ सेक्स करने में कोई खतरा नहीं है.

मगर उस वक्त मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि सोनू अगर बिना कॉन्डम के भी मेरी चूत में लंड को डाल देता तो मैं उसके लंड से चुदने के लिए तैयार थी. मगर उसने समझदारी से काम लिया जिसकी मुझे खुशी हुई. वरना गांव में तो लोग बिना कॉन्डम के ही चुदाई कर लेते हैं.

अपने खड़े हुए लंड पर सोनू ने कॉन्डम चढ़ा दिया और उसको मेरी गीली और चिकनी हो चुकी चूत पर रख कर मेरे ऊपर लेटता चला गया. उसका लंड एक बार तो मेरी चूत पर से फिसल गया. फिर उसने दोबारा से नीचे हाथ ले जाकर मेरी चूत पर लंड को सेट कर दिया और एक धक्का मारा तो उसका लंड मेरी चूत में आधा घुस गया. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे तेज दर्द हुआ. पहली बार किसी ने मेरी चूत में लंड घुसाया था. सोनू का लंड मोटा भी बहुत था.

उसने दूसरा धक्का मारा तो मेरी जैसे जान ही निकलने को हो गई. मैं दर्द के मारे छटपटाने लगी लेकिन सोनू ने लंड को तीसरे धक्के में पूरा का पूरा मेरी चूत में घुसा दिया.

मेरी चूत में लंड को घुसाने के बाद उसने मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया. जल्दी ही उसका शरीर पसीना-पसीना हो गया क्योंकि घर में बिजली भी नहीं थी. उसके माथे से पसीने की बूंदें मेरे होंठों पर गिरने लगीं. मेरा भी पूरा बदन गर्म होकर पसीने में भीग चुका था और वो मेरी चूत को चोदने में लगा हुआ था.

दस-पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद मेरी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और सोनू का मोटा लंड पच-पच की आवाज करते हुए मेरी चूत को चोदने लगा. उसकी गति पहले से ज्यादा तेज हो गई थी और मेरे चूचे मेरी छाती पर झूलते हुए यहाँ-वहाँ डोलने लगे. वो पूरी ताकत के साथ मेरी चूत में अपने मोटे लंड के धक्के लगा रहा था. उसके पसीने से मेरा पूरा बदन भीग चुका था लेकिन उसके धक्के नहीं रुक रहे थे.

फिर उसने अचानक से अपना लंड मेरी चूत बाहर निकाल लिया और कॉन्डम को निकाल दिया. फिर मुझे उठाते हुए अपना लंड हाथ में लेकर हिलाते हुए अपना चिकना हो चुका लंड मेरे मुंह में दे दिया. उसका लंड वैसे तो काला सा था लेकिन उसका सुपारा बिल्कुल गुलाबी रंग का था. और उसके लंड से निकल रहे चिपचिपे चिकने पदार्थ का स्वाद मेरे मुंह में जाने लगा.

वो तेजी से अपने लंड को मेरे मुंह में पेलने लगा और दो मिनट बाद ही उसने मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड पर दबाते हुए पूरा लंड मेरे गले तक फंसा दिया. मुझे उल्टी सी होने लगी और खांसी आने लगी लेकिन इतने में ही उसके लंड से वीर्य की निकलती पिचकारियाँ मेरे गले में लगने लगीं. उसका वीर्य सीधा मेरे गले में अंदर बह कर नीचे जाने लगा.

पूरा वीर्य उसने मेरे गले में खाली कर दिया और वो शांत हो गया. फिर वो हांफता हुआ एक तरफ गिर गया. उसका लंड सिकुड़ कर छोटा होने लगा. मैंने पहली बार किसी लंड को इतने करीब से देखा था.

फिर घरवालों के आने का टाइम हो गया था तो हमने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए और सोनू झट से उठ कर मेरे होंठों पर किस करके बाहर चला गया. उस दिन मैं सोनू से पहली बार चुदी थी. मेरी चूत को सोनू के लंड से चुद कर बहुत मजा आया. उसके जाने के बाद मैंने बिस्तर पर बिछी चादर को बदल कर बाल्टी में भिगो दिया ताकि किसी को मेरी चुदाई के बारे में शक न हो. पूरा बिस्तर पसीने से भीग गया था इसलिए मैंने रोशनदान भी खोल दिये ताकि जल्दी से पसीने की गंध बाहर निकल जाये.

मैंने गुसलखाने में जाकर अपनी चूत को साफ किया. मैं बाहर आकर खाना बनाने ही लगी थी कि तब तक माँ और चाची घर में आ गई.
माँ बोली- अभी तक तूने खाना भी नहीं बनाया है?
मैंने कहा- मुझे गर्मी लग रही थी इसलिए मैं थोड़ी देर बैठ गई थी.
मैंने बहाना बना दिया.

मगर उनको क्या पता था कि मैंने अपनी चूत की गर्मी सोनू के लंड से शांत करवा ली थी.

उसके बाद सोनू और मैं मौका पाकर चुदाई करने लगे. उसने चोद-चोद कर मेरे चूचों का आकार बड़ा कर दिया. मेरी गांड भी मस्त हो गई. वह पहले से ज्यादा उभर गई थी. अब मुझे सोनू के लंड का चस्का लग गया था. उसके बाद मैं खुद ही सोनू के लंड से चुदने के लिए तड़प जाती थी.

एक दिन तो जब मुझसे रहा न गया तो मैंने खेत में जाकर सोनू से अपनी चूत चुदवा ली. वो कहानी मैं आपको फिर कभी बताऊंगी.

इस कहानी के बारे में आपको कुछ कहना है तो आप कमेंट कर सकते हैं. कहानी के बारे में अपनी राय जरूर दें. मैं जल्दी ही अपनी अगली कहानी आपके लिए लेकर आने की कोशिश करूंगी. धन्यवाद!

Related Tags : चुदास, चूत चाटना, देसी कहानी, देसी चुत, वीर्यपान
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