पड़ोसन भाभी की चुत और गांड फाड़ी
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रॉकी है, मेरी उम्र 23 वर्ष
दो बच्चों का पिता होने के बावजूद मेरा अपने मुहल्ले
दोस्तो, यह मेरी कहानी है कि कैसे मैंने अपनी क्लासमेट को पटा कर उसकी सील तोड़ी।
बात उन दिनों की है जब मैं इंटर में पढ़ रहा था। मेरे साथ मेरे ही मोहल्ले की पूनम नाम की लड़की पढ़ा करती थी। उसके सेब जैसे गोरे गोरे गाल, मस्त चूचियां, उभरे हुए कूल्हे, बल खाती कमर, सवाली पर जवानी से लदी हुई थी।
उसको देखते ही जाने क्यों मुझे ऐसा लगता था कि उसे बस पटक कर चोद ही डालूं। मैंने हर हाल में उसे चोदने का मन बना लिया।
धीरे धीरे मैंने उससे बातचीत शुरू की, इधर उधर की बातें करता रहा. महीनों बीत गए.
एक बार मैंने उसे अचानक पूछ लिया- तुमने कोई अपना बॉयफ्रेंड बनाया या नहीं?
उसने धत कहा और शर्मा कर मेरे से दूर चली गई।
चार दिन यूं ही बीत गए. अचानक एक दिन लंच के समय क्लास में हम दोनों ही बैठे थे कि मैं उसे दोबारा पूछ लिया- तुमने बताया नहीं? तुमने कोई बॉयफ्रेंड बनाया है या नहीं?
उसने शर्म से अपनी आंखें नीची कर ली, धीरे से जवाब दिया- नहीं।
मैंने कहा- मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?
वो कुछ भी नहीं बोली.
मैंने दोबारा उससे पूछा- मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?
फिर भी उसने कुछ नहीं कहा.
मैंने उससे कहा- ठीक है, फिर मैं जाता हूं।
जैसे ही मैं जाने के लिए अपने कदम उठाए, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने कहा- क्या हुआ?
उसने कुछ नहीं बोला.
मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके गाल पर एक चुम्मा जड़ दिया। मौके का फायदा उठाते हुए मैं उसके होठों को चूसने लगा और उसके शरीर में झनझनाहट सी उत्पन्न हो गई। लेकिन मैं क्लास रूम में था यह मुझे याद था।
इस प्रकार मुझे जब भी मौका मिलता, मैं उसका चुम्बन ले लेता, उसके दूध को मसल देता है।
यह सिलसिला लगभग 1 महीने चला.
एक दिन मौका पाकर मैंने उससे कहा- क्या सेक्स करना चाहोगी मेरे साथ?
तो उसने जवाब दिया- कैसे और कहां?
मैंने कहा- अगर तुम तैयार हो तो स्कूल के बाथरूम में!
“लेकिन कैसे?”
मैंने उससे सारी बात बताई तो वो उसके लिए तैयार हो गई।
मैं उसे लड़कों के बाथरूम में ले गया, दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. हालांकि खेल का पीरियड होने के कारण एक घंटे तक इधर किसी को आने की संभावना नहीं थी। मैं उसे बांहों में भर कर चुम्बन करने लगा। वह सिसकारियां भरने लगी।
मेरा लंड खड़ा हो चुका था, मैंने झट से उसकी सलवार खिसका कर दीवाल के सहारे झुका दिया। उसकी बुर की फांक को अलग कर लंड को अपने थूक से चिकना कर हल्का झटका मारा.
मेरे लंड का सुपारा तो उसकी कुंवारी बुर में घुस गया लेकिन पूनम की चीख निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
“धीरे करो न!” उसने कहा।
तब तक मैंने एक झटका और मारा पूरा लंड बुर को चीरते हुए अंदर घुस गया। मैं उसका मुंह बंद कर चोदने लगा.
थोड़ी ही देर में वह भी पीछे की तरफ धक्का मार कर अपनी बुर चोदवाने लगी। उसके मुंह से ‘आह … उह … चोदो … जोर से चोदो!’ की मस्त आवाज़ निकल रही थी। मैंने उसे 20 मिनट तक चोदा और उसकी गर्म बुर में अपना गर्म पानी छोड़ दिया।
थोड़ी देर तक एक दूसरे को बांहों में चिपके रहने के बाद मैंने उससे पूछा- कैसा लगी पहली चुदाई?
उसने कहा- बहुत मज़ा आया। तुम पहले क्यों नहीं बताये?
“तुमने मौका ही कहाँ दिया? और मैं डर भी रहा था कि कहीं तुम बुरा ना मान जाओ।”
“तुम एक घंटा समय निकाल सकती हो?” मैंने पूछा.
“क्यों?” उसने सवाल पर सवाल दाग दिया।
“मैं चाहता हूँ कि हम दोनों प्यार का भरपूर मज़ा लें कहीं!”
“कैसे?” उसने पूछा.
“छुट्टी के बाद अगर एक घंटा मैंनेज करो तो चुदाई का भरपूर मज़ा ले सकते हैं हम दोनों!” मैंने कहा.
“पर चलेंगे कहाँ?” उसने पूछा.
“कहीं नहीं … स्कूल में ही!” मैंने कहा.
“किसी ने देख लिया तो?” उसने शंका जताई.
“वो मैं संभाल लूंगा. बस तुम हाँ तो कहो.” मैंने कहा.
“ठीक है … मैं कोई बहाना कर लूंगी.” उसने हामी भर ली।
मैंने चैकीदार को थोड़े पैसे देकर राजी कर लिया।
छुट्टी के बाद हम दोनों छत पर चले गए। अपना अपना बैग एक तरफ़ रख कर एक दूसरे से चिपक गए। वो पूरे जोश में मुझे चूम रही थी, कभी मेरे गालों को, कभी होठों को! मैंने भी उसकी मस्त चुचियों को मसलना शुरू कर दिया।
उसने अपने हाथ मेरी कमर पर रगड़ने शुरू कर दिए। मेरा लंड लोहे के रॉड जैसा कड़ा हो गया। मैंने उसके कमीज को पकड़ कर उसे उतारने का इशारा किया। झट से उसने दोनों हाथ ऊपर कर कमीज को निकालने में मेरी मदद की। उसकी दोनों मस्त चुचियाँ काले रंग की ब्रा में कैद कहर ढा रही थी।
झट से मैंने उसकी ब्रा भी खोल कर एक तरफ फेंक दी, उसकी दोनों चुचियाँ आजाद हो गई। मैंने एक को पकड़ कर चूसना शुरू किया और दूसरी को सहलाने लगा।
दो मिनट भी नहीं बीते होंगे, उसके होठों से सिसकारियां निकलने लगी।
मैंने उसकी शलवार के इजारबंद को ढीला किया तो सलवार उसके दोनों टांगों के बीच गिर गई. उसने दोनों पैर उससे बाहर किये और मुझसे लिपट गई।
उसके दूध को पीते हुए मसलते हुए मज़ा लेने लगा। अब उसका एक हाथ मेरे पैंट पर कुछ टटोल रहा था। मैंने झट पैंट खोल कर अपना लंड उसके हाथों में दे दिया। वो अपनी चुचियों को चुसवाते मलवाते मेरे लंड को मसल रही थी।
मैंने उसके सर को पकड़ कर अपने लंड की तरफ किया और उसे चूसने का इशारा किया। झट से उसने लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
मैं मज़े के सागर में डूबने उतरने लगा।
थोड़ी देर लंड चुसवाने के बाद मैंने उसकी एक टांग को कंधे पर रख कर पैंटी को एक तरफ कर उसकी गदराई बुर को चूसना शुरू कर दिया। वो मेरे सर को पकड़ कर बुर में दबाने लगी।
सिसकारी भरते हुए वो कह रही थी- अब करो न … चोदो मुझे … अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है! जानू जल्दी चोदो।
पर मैं उसकी परवाह नहीं करते हुए बुर को जीभ से चाट रहा था।
वह गिड़गिड़ाने लगी- जानू चोदो न मुझे, क्यों तरसा रहे हो, मैं मर जाऊँगी। जल्दी डालो न अपना लंड मेरी बुर में … फाड़ डालो साली को।
मैंने उसकी पैंटी को उतार कर नंगी कर दिया. फिर अपने कपड़े उतारे.
उसकी टांग को कंधे पर रख कर उसकी बुर पर लंड को लगाया और उसकी कमर को पकड़ कर झटका मारा तो पूरा लंड बुर में घुसता चला गया।
वह हल्की सी चीखी पर जोर से मुझसे चिपक गई। मैं कमर से पकड़ कर चोदने लगा, वह भी मस्त हो कर चुदवा रही थी। उसके मुंह से ‘आह … उफ …’ की आवाज निकल रही थी।
थोड़ी देर चोदने के बाद मैंने उसे घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया।
“और जोर से चोदो यार … मज़ा आ रहा है … कहीं मैं मज़े से ही न मर जाऊं जानू … चोदो और चोदो आह … आह … उफ … आ आ आ आ!
आधे घंटे तक चुदाई करने के बाद मैंने उसे जमीन पर लिटाया दोनों पैर कंधे पर रख कर बुर में लंड को जड़ तक पेल दिया। वह नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर चुदवाने लगी. उसके मुख से मादक सिसकारियां निकल रही थी.
थोड़ी ही देर में सिसकारियां बढ़ गई- चोदो और जोर से चोदो … मेरे अंदर से कुछ निकलने वाला है … जानू पेलो … राजा मज़ा आ रहा है … मैं तो गई ई ईई ईई.
वह ढीली पड़ गई, मैं चोदता रहा.
मैंने कहा- जानू मुझे छोड़ कर अकेली निकल गई।
“तुम चोदो जानू … मन भर चोदो … मेरी बुर तुम्हारी है, जब मन करे चोद लिया करना … पर किसी से कहना नहीं।”
मैं चोदता रहा. बीस मिनट तक चोदने के बाद मैं झरने वाला था तो पूछा- पिचकारी कहाँ मारूं जानू?
“बुर में ही डालो राजा … मेरी बुर भी तो मज़ा ले।”
“लो रानी!”
मैंने आखिरी धक्का मारा और झड़ने लगा. उसने जोर से बुर को लंड से चिपका लिया। थोड़ी देर हम वैसे ही पड़े रहे थे दोनों … तब तक अंधेरा होने को आ गया।
हम दोनों ने उठकर कपड़े पहने फिर एक दूसरे से चिपक गए।
उसने कहा- राजा, तुमसे दूर जाने का मन नहीं कर रहा है।
“चिंता क्यों करती हो रानी … फिर कल मिलेंगे।”
एक दूसरे को लंबा चुम्बन देते हुए अपने अपने घर चले गए।
तब से उसकी शादी तक मैंने उसे जम कर चोदा, उसने कभी मना नहीं किया। ना ही किसी दूसरे के पास चुदने गई।
उसकी शादी से पहले ही उसने मेरे लिए एक लड़की का व्यवस्था कर दी.
मेरी कहानी कैसी लगी? कमेंट कर अपनी राय जरूर भेजिएगा।
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