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बारिश की बूँदें और वो

मेरे प्यारे दोस्तो, मैं रॉकी एक बार फिर हाज़िर हूँ आपकी सेवा में, सभी को मेरा नमस्कार!

इस स्टोरी में सारे नाम काल्पनिक हैं। बात उस समय की है जब मैं जॉब के सिलसिले में दिल्ली आया था. मैं जॉब की तलाश कर रहा था तो मैं अपने एक संबंधी के यहां रह रहा था. कुछ दिन यूँ ही बीत गये, कोई जॉब नहीं मिला. मैं बहुत परेशान था.

फिर एक दिन मुझे एक कंपनी से कॉल आया और मुझे जॉब के लिए बुलाया गया. अगले दिन मैं वहां पहुँच गया. मुझे जॉब मिल चुकी थी. मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना था कि मुझे जब जॉब मिल गयी.

तो बात अब रूम जो कि रहने के लिए चाहिए होता है, उसकी तलाश की तो कंपनी से कुछ दूर एक घर में एक कमरा मिल गया. कमरा छत पर था कोई और किरायेदार भी नहीं रहता था.
उस घर में तीन लोग रहते थे, एक आंटी और उनकी दो लड़कियां थी.

आंटी गजब की खूबसूरत थी. उनकी उम्र करीब 38-40 के बीच होगी, उनको देख कर ऐसा लगता था जैसे ऊपर वाले ने उनको सोकर उठकर बनाया होगा, बड़ी ही इत्मिनान से उनके शरीर के हर एक हिस्से पर बड़ी मेहनत और लगन से काम किया गया था. उनका हर एक अंग किसी को भी आमन्त्रित करने के लिए काफी था. मैं तो उनको देख कर नहीं खो सा जाता था, उनके पास से निकलता था तो खुद को भूल सा जाता था।

और हाँ … मैंने बताया कि उनकी दो लड़कियां थी, बड़ी लड़की का नाम देविका था जो 24 साल की रही होगी और दूसरी का नाम नेहा था 21 साल की होगी. दोनों के शरीर की बनावट उनकी माँ पर गयी थी. बड़ी लड़की कॉल सेंटर में जॉब करती थी और छोटी घर पर ही रह कर पढ़ती थी.

मैं ज्यादा हैंडसम तो नहीं हूँ पर लोगों को शायद मेरी बातें पसंद आती हैं. आंटी ज्यादा भाव नहीं देती थी पर उनकी लड़कियों से बात हो जाती थी जब वो अपने कपड़े ऊपर सुखाने आती थी. अक्सर छोटी वाली।

एक दिन मैं ऊपर कमरे से बाहर निकल कर सो रहा था क्योंकि गर्मी कुछ ज्यादा हो गयी थी. अगले दिन छुट्टी थी.
सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैंने अपनी चारपाई के पास नेहा को पाया. वो कुछ कपड़े तार पर डाल रही थी, शायद वो नहा कर आयी थी. तो मैंने अपनी चारपाई एक तरफ खिसकाई.

जब वो अपने हाथ कपड़े डालने के लिए ऊपर करती तो उसके बूब्स तन के ऊपर खिंच जाते जो और भी आकर्षक लग रहे थे. उसके बूब्स का आकार 34″ होगा और कमर 28-30″ होगी. उसका पूरा शरीर पानी से हल्का हल्का भीगा सा था जिससे उसके शरीर की बनाबट अच्छे से देखी जा सकती थी.

वैसे तो सुबह उठने पर लौड़ा अपने तनाव के चरम बिंदु पर होता है पर कुछ समय बाद सब ठीक हो जाता है. परन्तु उस दिन वो अपनी पूर्वावास्था में आने को तैयार ही नहीं था. और ऊपर से नेहा का वो आकर्षक बदन देख मुझे कुछ अलग सा ही लग रहा था.

मुझे रहा नहीं गया तो मैंने उसकी थोड़ी तारीफ करनी चाही पर वो बोली- लाइन किसी और पर मारना।
मैं चुप हो गया.

मैं समझ गया था कि ये ऐसे ना मानेगी. मेरे मन में उसकी चुत को लेकर लाखों ख्याल अपनी जगह बना चुके थे जिन्हें निकालना मुश्किल था. अब मुझे वो चाहिए थी चाहे कैसे भी!
फिर मैंने उससे फोर्मली बात करनी शुरू की.

धीरे धीरे बात होने भी लगी और शायद आंटी को हमारी बातें ठीक नहीं लग रही थी. एक दिन मैं उस रोज़ की तरह सो रहा था तो वो कपड़े सुखाने आयी. मैं आंखें खोले लेटा था. मुझे उसके आने की आहट हुई तो मैंने आंखें बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगा.

जब वो कपड़े डाल रही थी मैं हल्की खुली आंखों से उसे देखे जा रहा था. जब वह अपनी पैंटी निचोड़ कर तार पर डालने लगी तो मैंने झट से आंखें खोल दी. उसने हाथ पीछे छुपा लिए और हल्के से मुस्कुरा दी. जिस लड़की को आप पेलना चाहते हो, वो आप को देख कर मुस्कुरा दे तो आप समझ ही सकते हो मन में क्या क्या ख्याल आने लगते हैं.
उसकी तेज़ आवाज़ के साथ मेरे ख्यालों का सिलसिला टूटा- उठते क्यों नहीं? 9 बज चुके हैं. हर वक़्त सोते रहते हो, हटो यहां से!

मैं हट गया, जाकर कमरे में चला गया, तब उसने अपनी पैंटी डाली और उसको अपनी स्कर्ट से ढक दिया.

जब वो चली गयी तो मैंने उसकी पैंटी जा कर देखी तो वही मार्केट में बिकने बाली कोई बेकार सी पैंटी थी पर उसमें से एक गजब की सुगंध आ रही थी. मैं ख्यालों में खो गया और बाथरूम में जा कर दो मार मुठ मारी. फिर मैं ऑफिस चला गया.
जाते समय वो मुझे नीचे मिली और मुस्कुरा कर चली गयी।

वो शाम को मेरे पास आयी और बोली- मेरे लैपटॉप में कुछ हो गया है, देख लो क्या हुआ है.
मैं लैपटॉप देखने लगा. वो मेरे बहुत करीब बैठी थी, उसके शरीर की खुशबू मेरे तन बदन में आग सी लगा रही थी.

मैंने उससे कहा- दूर बैठो, नहीं तो कुछ हो जायेगा!
वो बोली- क्या हो जायेगा?
मैं- आज तुम बहुत सुन्दर लग रही हो। तुम्हारा कोई लवर है?
नेहा- नहीं, क्यों पूछ रहे हो?
मैं- नहीं कुछ नहीं, बस जनरल नॉलेज के लिए!
सुन कर वो हंस दी.

नेहा- तुम्हारी है?
मैं- अभी तक तो नहीं!

धीरे धीरे हमारी बात बढ़ती गयी. जब भी छत पर मौका मिलता, हम बात करते. धीरे धीरे बातें सेक्स तक पहुँच गयी.
एक दिन उसने मुझसे पूछा- सुना है फर्स्ट टाइम बहुत दर्द होता है?
मैं- पता नहीं, मैंने कभी महसूस नहीं किया!
सुन कर तेज़ी से हंस पड़ी.

वो मेरी ओर देखे जा रही थी, हमारी आँखें आपस में बातें कर रही थी. मैं समझ गया कि क्या करना है.
उसने जीन्स और एक सफेद कलर का टॉप पहना हुआ था जो कमर से थोड़ा ऊपर था तो कमर साफ से देख सकता था. मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी कमर में धीरे धीरे पहुंच दिया. वो कुछ नहीं बोली.
और मैंने एक तेज़ झटके के साथ उसको अपने करीब खींच लिया … इतना करीब कि उसके और मेरे होंठों के बीच 1 सेंटीमीटर का स्थान रहा होगा. और हम किस करने लगे, उसके होंठ फिल्म की हीरोइन नेहा शर्मा जैसे थे. मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं उसे किस कर रहा हूँ. किस करते करते मैंने हाथ उसके टॉप में डाल दिया और उसके 34 के बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा.

वो कोई भी विरोध नहीं कर रही थी. किस करते करते मेरे कानों में उसकी माँ की आवाज़ सुनाई दी. हम ऐसे अलग हो गये जैसे बिजली का कोई झटका सा लगा हो. वो अपना लैपटॉप छोड़ कर नीचे चली गयी.
दो तीन दिन तक वो मुझसे नज़रे नहीं मिला पा रही थी.

फिर मैंने एक दिन उससे बात की और मैंने उसको समझाया कि कुछ नहीं हुआ, इस उम्र में ये सब होता है. मैं तुमको भरोसा दिलाता हूँ मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा।
फिर वो नॉर्मल हो गयी.
उसके बाद मैं यही सोचता रहता था कि कैसे इसे चोदूँ.

एक दिन ऊपर उसकी माँ मेरे कमरे में आयी और बोली- बेटा सफाई कर लिया करो, कमरे की बहुत गंदा कर रखा है.
मैंने कहा- ठीक है आंटी जी, मैं कल कर दूंगा.
और वो चली गयी.

अगले दिन मैंने कमरे में सफाई की और कमरे को चमका दिया.
दोपहर को वो आयी और बोली- अरे वाह! तुमने तो कमरा चमका दिया. ऐसे ही रहा करो, अच्छा लगता है।
और बोली- बेटा, मैं दो दिन के लिए कानपुर जा रही हूँ, घर का ध्यान रखना.
मैं- अरे आंटी … कैसी बात कर दी, यह भी कोई कहने की बात है? आप बेफिक्र होकर जाओ. कब तक आ जाओगी?
आंटी- 2 दिन मैं आ जाऊँगी.
मैं- कोई ना आंटी, आप आराम से जाओ, मैं ध्यान रखूंगा.

आंटी उस दिन 3 बजे निकल गयी. घर पर और कोई नहीं, मैं और नेहा बचे थे. उसकी बड़ी दीदी उनको छोड़ने गयी थी.
मैंने सोचा कि मौका अच्छा है, मैं एक शॉप पर गया एक ब्रांडेड पैंटी और ब्रा खरीद लाया और अपने पास रख ली.

थोड़ी देर में बारिश शुरू हो गयी. मैं नीचे गया तो नेहा ने बोला- कहां जा रहे हो?
मैंने उसे बताया- सब्जी लेने जा रहा हूँ.
बारिश तेज़ हो रही थी तो उसने मुझे एक छाता दिया और मैं चला गया.

कुछ देर में मैं वापस आ गया.
नेहा- क्या हुआ, तुम तो सब्जी लेने गये थे?
मैं- आज किसी ने बारिश की वजह से दुकान नहीं लगाई.
नेहा- कोई नहीं, मैं तुम्हारे लिए भी बना दूंगी, आ जाना खाने के लिए … मैं बुला लूंगी.

मुझे लगा शायद आज कुछ बन जाये! लड़कों का दिमाग हमेशा वहीं लगा रहता है. कुछ भी कहो समझते वही हैं. हालांकि खाने वाली बात में ऐसा कुछ था नहीं मगर चूत उसमें भी घुसेड़ दी! लड़कों का दिमाग टंकन मशीन की तरह होता है मारो कहीं लगे वहीं!
बकचोदी बहुत हो गयी, अब स्टोरी पर आते हैं.

बारिश बहुत तेज़ हो गयी थी. तब तक उसकी बड़ी बहन भी आ गयी थी. खाना बन गया था, नेहा ने मुझे आवाज़ लगायी लेकिन मैं हैडफोन लगा कर फिल्म देख रहा था तो सुनाई नहीं दिया. मौसम बहुत अच्छा हो गया था तो नेहा खाना लेकर ऊपर ही चली आयी.
मैंने उसे देखा तो मन खुश हो गया- अरे तुम क्यों ले आयी? मैं नीचे आ जाता!
नेहा- पागल … ज्यादा हीरो मत बन! कब से चिल्ला रही हूँ, सुनता ही नहीं है.

मैं- सॉरी … मैंने सुना नहीं। और तुम खाना ले कर आयी, यह तो मेरी किस्मत है. कौन खिलाता है खाना किसी को!

बारिश तेज़ होती जा रही थी तो वो मेरे पास ही बैठ गयी और मैं भी उसके पास ही बैठ गया और हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे. बातें करते करते पता नहीं चला कब मेरा हाथ उसको मेरे करीब ले आया, हमने किस किया, एक दूसरे को गर्म किया.
मेरे मन में चल रहा था कि आज तो चोद दूंगा.

मैंने उसके कपड़े निकालने शुरू किये तो उसने मना कर दिया, कहा- दीदी यहीं है, अभी नहीं, मैं रात को आऊँगी. फिर आराम से, जो करना है, कर लेना।
कह कर जाने लगी.
तब मैंने उसको रोका और उसको वो ब्रा और पेंटी गिफ्ट की. वो देख कर खुश हो गयी।

मैंने कहा- मुझे पहन कर दिखाओ.
वो बोली- रात को आऊँगी.

मैं उस रात उसका 11 बजे तक इंतज़ार करता रहा. उस रात का इंतज़ार मैं जानता हूँ या मेरा लंड! दो बार मैंने मुठ मारी पर लंड शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरे लंड की सारी नसें दर्द करने लगी.
अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं उसको नीचे देखने गया तो दोनों बहनें आपस में बात कर रही थी. मैं वापस आ गया और लेट गया. कुछ देर में मेरी आंख लग गयी.

पता नहीं कब मुझे लगा कि कोई दरवाजा खटखटा रहा था. मैंने उठ कर देखा तो वो नेहा थी. मुझे गुस्सा तो बहुत था पर उसको देख कर सब समाप्त हो गया.
मैंने दरवाजा खोला और वो मुझसे लिपट गयी. मैंने उसे देखा तो मैं देखता ही रह गया. उसने सफेद रंग की लंबी से ढीली से शर्ट, जो ट्रांसपरेंट थी, पहन रखी थी और मेरी दी हुई काली ब्रा और पैंटी जो पानी की बूंदों के पड़ने से रोशनी में साफ दिख रही थी.

उसको देखते ही एक सेकण्ड नहीं लगा और मेरा लंड खड़ा हो गया. मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ. जैसे किसी प्यासे को ढेर सारा पानी मिल जाये तो उसे समझ नहीं आता कि पिये या नहाये!
बस यही हाल मेरा था. उसका फिगर देख कर मुझे अपने आप पर शर्म आ रही थी कि मैं कैसा और वो कैसी।

मेरे सोचते सोचते ही वो मुझसे लिपट गयी और मुझे किस करने लगी. मैं भी उसका भरपूर साथ दे रहा था. किस करते करते मैं उसकी उस लोंग शर्ट के बटन खोलने लगा. जैसे जैसे बटन खुल रहे थे, वैसे वैसे मेरी किस्मत के ताले खुल रहे थे. मैं आपको बता नहीं सकता मेरा क्या हाल था.

मैंने शर्ट को निकाल दिया था, अब वो ब्रा और पैंटी में हुस्न की मल्लिका लग रही थी. आज मेरे सामने फिल्म की सारी हिरोइन फेल थी. आज मैं अपने आप को सबसे ज्यादा किस्मत वाला समझ रहा था.

मैं सिर्फ टीशर्ट और अंडरवीयर में था. उसने मेरी टीशर्ट निकाल दी. अब मैं उसके भीगे बदन से खेल रहा था, कभी उसके बूब्स दबाता कभी उन्हें काट देता और वो खड़े खड़े अपनी गर्दन को पीठ की तरफ झुका कर सिसकारी लेती ‘सीईई ईए ईईई ईईईई आहह!
फिर मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया जिससे मेरी उंगली गीली हो गयी और मैं उसकी चुत में उंगली करने लगा. जब जब उंगली चुत में जाती, वो ऊपर की ओर उचक जाती और एक लम्बी सी सिसकारी लेती जो मेरे जोश में आग में घी का काम कर रही थी.

मेरे दरवाजे के पास एक खिड़की है जो बाहर की तरफ खुलती है. बाहर बारिश हो रही थी और हम खिड़की के पास खड़े थे तो एक दो बूंदें नेहा के शरीर पर भी पड़ रही थी जिससे नेहा की उत्तेजना और बढ़ जाती थी. लड़की गर्म और बारिश की ठंडी बूंदें उसके बदन पर … आहह हहहह आप समझ ही सकते हो कि कैसा लगता होगा.
अगर अपने किया है तो ही आप समझ सकते हो और नहीं भी किया है तो करो … पक्का मज़ा आयेगा.

नेहा के साथ चूमाचाटी से अब आगे बढ़ने की बारी आ गयी थी. उसने मेरी टीशर्ट पहले ही निकाल दी थी, अब मेरा अंडरवेयर भी नीचे कर दिया. मेरा लंड जो 6 इंच का है, अब उसके हाथ में था. लंड को हाथ में पकड़े उसके चहरे से सारी खुमारी उतर चुकी थी. शायद वो समझ चुकी थी कि इसे अंदर लेना है.

मैंने उसे कहा- डरो नहीं, मैं ऐसे करूँगा कि पता भी नहीं चलेगा.
वो मजाक में बोली- तो फिर ऐसी चुदाई का फायदा ही क्या? जब पता नहीं चलेगा!
मुझे लगा ‘साली बड़ी हवसी है!”

फिर हम दोनों हँसने लगे और वो मेरे लंड को सहलाने लगी. धीरे धीरे वो फिर से गर्म होने लगी थी.
अब मैंने उसे टाँगें खोलने को कहा और उसने खड़े खड़े टांगों के बीच जगह बना दी और मैंने बैठकर उसकी चुत पर से उसकी पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी और अपना मुँह लगा दिया. मैं उसकी चुत को जांघों से लेकर उसके पेड़ू तक किस करता रहा और वो टेढ़ी होती बार बार!
अब वो चुत के अंदर जीभ के जाते ही तेज़ सिसकारी लेती- ससीईई ईईईई अहह हहाह हहह!

काफी समय हो गया था ये सब करते करते … तो मैं उठा और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, उसके बूब्स उछल कर ऊपर आ गये. मैं उनको दबाता और चूसता रहा. लड़कियों के बूब्स मेरा पसन्दीदा अंग है. मैं पागल सा होता जा रहा था.

अचानक से एक पानी की बड़ी बूंद उसके सीने पर आ गिरी जो उसके उरोजों की घाटी से उतरते हुए नीचे तक चुत में समा गयी. और मैंने धीरे से उसकी पूरी पैंटी निकाल दी.
अपनी चारपाई को खींच कर मैं खिड़की के पास ले आया और नेहा को मैंने उस पर गिरा दिया. मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा. फिर कभी उसकी चुत चाटता, कभी उसके बूब्स!
तब तक वो एक बार स्खलित हो चुकी थी और अब उस पर फिर से हवस सवार थी. पूरे कमरे में उसकी सिसकारी गूंज रही थी.

मैं अपने लंड से उसकी चुत को रगड़ रहा था और जब वो अपने आप को बिस्तर से कमर वाले हिस्से को ऊपर उठा कर नीचे गिरती तो चारपाई की एक टाँग नीचे फर्श पर लगती तो आवाज़ आती।
अब नेहा के बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, वो कह रही थी- अब और नहीं रहा जाता, अब पेल दो!
और अब मुझे भी समझ आ गया था कि समय आ गया है. मैंने उसकी एक टाँग उठा कर अपने कंधे पर रखी और एक नीचे … और लंड को उसकी चूत के छेद पर टिकाया. मेरे लंड को घुसने से पहले ही उसने अपनी आँखें बंद कर ली और बिस्तर की चादर को अपने हाथ से भींच लिया.

मैंने लंड को सेट करके धक्का लगाया पर लंड अंदर जाने की बजाये फिसल गया. उसकी चुत से योनिरस निकल रहा था जिसके कारण लंड फिसल रहा था. मैंने तौलिये से बाहर का हिस्सा साफ किया और एक बार फिर लंड को सेट करके धक्का लगाया तो लंड आधा अंदर गया.

नेहा के मुँह से एक पतली सी चीख निकली उम्म्ह… अहह… हय… याह… जो बारिश की तेज़ आवाज़ के बीच दब कर दम तोड़ती हुई शांत हो गयी. नेहा के माथे पर इतने ठंडे मौसम में पसीने की बूंदें दिखाई दे रही थी. वो मेरा विरोध कर मुझे पीछे की तरफ धक्का दे रही थी.

मैं हटा तो नहीं … पर कुछ देर रुक जरूर गया. जब वो शांत हुई तो मैंने उसे समझाया- पहली बार में दर्द होता ही है, अब मज़ा आयेगा.
मैंने उसको किस किया और उसके माथे पर हाथ फेरा.
जब उसका दर्द शांत हो गया तो उसने आँखों से मुझे अनुमति दे दी और मैंने अपना बेस्ट दिया. एक ही झटके में पूरा लंड अंदर घुस गया.

वो चिल्लाई पर उसकी आवाज़ कमरे में ही गूंज कर रह गयी. फिर शांत होने पर मैंने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया. कुछ देर बाद नेहा को भी मज़ा आने लगा था. तभी तो वो मेरा साथ देने लगी थी और बोलती जा रही थी- और तेज़ करो … हय … आआह … हह … हहह … मज़ा आ रहा है! डोंट स्टॉप … हार्डर हार्डर!

मैं धक्के पे धक्का देता जा रहा था. कमरे में गूंजती उसकी चीखें मेरी मर्दानगी को बयान कर रही थी. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मुझे ऊंचे पहाड़ से फेंक दिया हो और मैं हवा में हूँ.

फिर मैंने उसको बिस्तर पर दोनों टांगों को ऊपर करके चोदना शुरू किया. अब मेरी जांघों और उसके हिप्स के टकराने से जो आवाज़ आती है, वो पूरे कमरे में गूंज रही थी. चुदाई करते समय बारिश की ठंडी फुहार और कुछ बूंदें हमारी चुदाई को और भी हसीं बना रही थी.

तभी मुझे खिड़की के पास किसी के खड़े होने का अहसास सा हुआ. मुझे समझते देर ना लगी कि वो देविका थी. मैं समझ चुका था कि वो चारपाई की खट खट की आवाज़ सुन कर ऊपर आयी है. पर मैं रुका नहीं, अपने शॉट्स लगाता रहा और नेहा ने चिल्लाते और अकड़ते हुए अपने चरमसुख को प्राप्त किया और 5-6 धक्कों के बाद मैं भी बेजान सा उसके ऊपर गिर गया.

मैंने उसे कस कर अपनी बांहों में समेट लिया. नेहा का पूरा चेहरा पसीने से भीग चुका था.
नेहा ने कहा- यह मेरी ज़िन्दगी की सबसे हसींन रातों में से एक है.
उसकी संतुष्टि उसके चेहरे पर झलक रही थी.

4 बज चुके थे, मैंने नेहा को बताया- तुम्हारी बड़ी बहन खिड़की से हमारी चुदाई देख रही है, उधर मत देखना, नहीं तो वो समझ जायेगी.
तब नेहा ने बताया- दीदी तुम्हारी बहुत बातें करती है. तुम बहुत अच्छे हो … कोई मतलब नहीं किसी से … अपने काम से काम रखते हो!

इतनी बात में मैं समझ चुका था कि अब आगे क्या करना है. मैंने और नेहा ने एक दूसरे के अंगों को साफ किया और उसको कपड़े पहनाये. वो उन कपड़ों में बहुत हॉट लग रही थी. मन कर रहा था कि एक बार फिर चोद दूँ. लेकिन मैंने बहुत थक चुका था और अब दम नहीं बचा था।

मैंने नेहा को एक लंबा किस किया और वो चली गयी.
तब तक उसकी बहन देविका भी जा चुकी थी.

तो दोस्तो, मुझे बताना कि कैसी लगी मेरी सेक्सी स्टोरी.  कमेंट करना ना भूलें.

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