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दोस्तो, मेरा नाम अर्चित, मैं मेरठ में रहता हूँ। यह

साकार हुई कल्पना

अन्तर्वासना सेक्स कहानी के सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार!
आज मैं महीनों नहीं, सालों बाद अन्तर्वासना सेक्स कहानी पर कुछ लिख रहा हूँ.
आज तक मैंने जो भी लिखा वो लगभग मेरी कल्पना ही थी जिसे मैं अपने हिसाब से लिखता चला गया। लेकिन आज जिसके बारे में लिख रहा हूँ वो कल्पना होते हुए भी हकीकत है।

अन्तर्वासना सेक्स कहानी की वजह से मुझे मिला यह एक हसीं तोहफा! एक नायाब श्रेष्ठ हिंदी कथाकार से परिचय, मेल का आदान-प्रदान, फिर फोन पर बातें- सब कुछ होता चला गया।
श्याम एक अनुभवी और बहुत उच्च कोटि का उत्तेज़क साहित्य लिखने वाले हैं। वे लीलाधर के नाम से लिखते हैं और अंतर्वासना सेक्स कहानी पर उनकी कई विलक्षण कहानियाँ उपलब्ध हैं, जैसे-
स्वीटी या जूली
केले का भोज
शालू की गुदाई
लाजो का उद्धार
विदुषी की विनिमय लीला
जेम्स की कल्पना
वगैरह।
मैं ऐसे दुर्लभ व्यक्ति के उनके संपर्क में बना रहना चाहता था, और रहा भी।

एक बात हम दोनों में समान थी- और वो ये कि हमारी कहानियों की नायिका अक्सर हमारी पत्नी हुआ करती थी। उन्हें हम किसी गैर मर्द से संभोग करते देखने की चाहत रखते थे। इसलिए हम एक-दूसरे से अपनी अपनी पत्नियों का नग्न और कामुक वर्णन करने में संकोच नहीं करते थे।
मैंने इस थीम पर
मेरी बेबाक बीवी
और
मेरी बेकाबू बीवी
शीर्षक सीरीज की कहानियाँ भी लिखी जिसे अन्तर्वासना सेक्स कहानी के पाठकों ने पढ़ा होगा।

लेकिन हम दोनों में एक बड़ा अंतर भी था- श्याम की पत्नी उनकी बिल्कुल दोस्त जैसी थी, उनकी कहानियाँ पहले वही पढ़ती थी और पास करती थी, जबकि मेरी स्थिति इसके एकदम विपरीत थी। जैसा कि ज्यादातर लोगों के साथ होता है, मैं अकेले अकेले ही सारे यौन ख्वाब देखने को मजबूर था।
इसलिए मेरी लिखी बातें जहाँ कोरी कल्पना होती थीं, श्याम की कल्पना एकदम हकीकत। उन्होंने एक पर पुरुष ‘जेम्स’ के साथ कल्पना के सम्भोग के बारे में एक कहानी ही लिख डाली थी- जेम्स की कल्पना
वह कहानी उनकी सच्ची घटना थी जिसे पढ़ कर मैं महीनों उत्तेजित रहा, बड़ी तीव्रता से कल्पना के साथ सम्भोग के रंगीन ख्वाब देखने लगा था।

कल्पना का दीवाना तो मैं तभी से हो गया था जब मैंने लीलाधर की कहानी ‘शालू की गुदाई’ पढ़ी थी। उस कहानी में उन्होंने उसकी चूत में गुदना गुदवाने का और क्लिटोरिस में रिंग पहनाने का ऐसा समाँ बांधा था कि मैं उसके बारे में उत्सुकता से भर गया था और उसके साथ सबकुछ करने के सपने देखने लगा था। लेकिन वे सपने कभी हकीकत में बदल जाएंगे ऐसा तो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।

कल्पना से इतने जुड़ाव की वजह यह थी कि श्याम ने दोस्ती के क्रम में मेरा भी परिचय कल्पना से करा दिया था और कल्पना से मेरी चैट होने लगी थी। धीरे धीरे सेक्सी चैट भी होने लगी।

उधर श्याम और मैं एक-दूसरे को अपनी पत्नियों के अर्धनग्न और पूर्णतया नग्न फोटो भी शेयर करने लगे थे। इसमें भी श्याम ने ही बाज़ी मारी, क्योंकि कल्पना खुलकर उनका साथ देती थी। उन तस्वीरों में मैं कल्पना के सौंदर्य से अभिभूत था।

अब ऐसी सुंदरी की उत्तेजक नग्न तस्वीरें देखने के बाद उसके साथ सेक्सी चैट भी कर रहे हों तो आपकी क्या हालत होगी आप अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन मैं श्याम को खुलकर यह बात बताता नहीं था क्योंकि मेरे पास साथ देने के लिए पत्नी नहीं थी।
लेकिन ‘जेम्स की कल्पना’ पढ़ने के बाद मैं इतना मजबूर हो गया कि एक दिन श्याम के सामने मैंने अपने मन की बात खोल दी।

आश्चर्य…

श्याम ने स्वीकार कर लिया। बस यह कहा कि मुझे कल्पना के साथ मधुर और संतुलित व्यवहार करना पड़ेगा। मेरी तो खूबी ही है कि मैं लड़की या महिला की सबसे ज्यादा इज्ज़त करता हूँ उनके साथ सलीके से पेश आता हूँ।
सुनकर मेरे तो जैसे पाँव के नीचे से जमीन ही निकल गई।
इतना बड़ा, असंभव ख्वाब क्या सच हो सकता है!
क्या मैं कल्पना के साथ सचमुच…?

मैं उस दिन का इंतजार करने लगा। श्याम अपनी नौकरी में बहुत व्यस्त रहनेवाले जीव थे, मौका आते आते दो साल लग गए।
बहरहाल उस दिन के बाद हम अक्सर मिलने की प्लानिंग बनाने लगे। दिल्ली श्याम का भी आना जाना होता था और मेरा भी इसलिए वहीं मिलने की योजना बनाते थे। मैंने श्याम से बस एक प्रॉमिस ले लिया था कि मैं कल्पना के मादक सामीप्य में तुम्हारी मौजूदगी में ही जाऊँगा, अकेला नहीं। लोग अपनी शादीशुदा प्रेयसी के आगोश में उसके पति से छुपकर सुरक्षित महसूस करते हैं, लेकिन मुझे श्याम पर भरोसा था- हद से ज्यादा भरोसा। इसलिए मैं उनकी मौजूदगी में अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सकता था।

और फिर वो दिन आ ही गया- वे दोनों जयपुर घूमने के लिए आ रहे थे।
जयपुर- मेरा शहर।

एक आलीशान गेस्ट हाउस के बाहर जब पहली बार श्याम को देखा तो सच बताऊँ मैं उनका रौब-दाब वाला व्यक्तित्व देखकर घबरा गया। गज़ब की हाइट, गज़ब का आत्मविश्वास। इधर मैं एक औसत लम्बाई का सरल इंसान जो बोलने में भी थोड़ा-थोड़ा हकलाता है। मुझे देखने वाले ही समझ जाते हैं कि मैं कितना नर्वस हो जाता हूँ। उन्हें देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि ये मर्द कलात्मक यौन साहित्य लिखने वाला हो सकता है। एक तो सिचुएशन ही नर्वस करने वाली थी, श्याम की कड़क फौजी जैसी पर्सनैलिटी को देखकर मेरी मधुर मिलन की संभावनाएँ दम तोड़ने लगीं।

जो भी हो, हम ऊपर रूम में गए। साधारण सफ़र इत्यादि की बातें होती रही, लेकिन मेरा धड़कता हुआ दिल कल्पना के दीदार की प्रतीक्षा कर रहा था। मेरी स्थिति किशोर की सी हो रही थी जो कॉलेज के बाहर धड़कते हुए अपनी चहेती लड़की का इंतजार करता है।

और फिर कल्पना अवतरित हुई- शानदार महंगा गाउन पहने हुए जिसमें गहरे नीली पृष्ठभूमि पर पीले फूल बने हुए थे, हाथों में नई-नवेली दुल्हन की तरह मेहंदी लगाए हुए और चेहरे पर हमेशा की तरह बंद होंठों वाली मुस्कान लिए हुए। उन्होंने मेरा अभिवादन किया।

उनकी भव्यता, सौम्यता और गरिमामय व्यक्तित्व को देख कर मैं ख़ासा प्रभावित हुआ। लेकिन इस गरिमामय व्यक्तित्व के साथ वह सब कुछ हो पाएगा जैसा मैं और श्याम सोच रहे थे मुझे बिल्कुल भी न तो मुमकिन लग रहा था और ना ही मुनासिब। कोई महिला बहुत आकर्षक और सेक्सी लगने के साथ-साथ इतनी सम्भ्रांत और गरिमापूर्ण भी लगे यह आश्चर्यजनक था।
मैंने मन को समझाया कि ज़िन्दगी में सेक्स ही सब कुछ नहीं है। एक सभ्रांत खुले विचारों के जोड़े से दोस्ती भी अच्छी है।

उन्होंने ब्रेकफास्ट मंगवा रखा था। हमने साथ नाश्ता किया। एक छोटा सा परिचय बना और मेरी धड़कन संभली। कल्पना कपड़े बदलकर आईं। मैं पुनः उन नए कपड़ों में मन ही मन उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सका।

हम अपनी कार से जयपुर भ्रमण पर निकल पड़े। मैं सोचकर आया था कि जयपुर का अधिकतर हिस्सा मैं उन्हें आज ही घुमा दूंगा। आज मैं ऑफिस से छुट्टी लेकर आया था और कल मेरे पास उतना वक्त नहीं था। शाम को मैंने एक राजस्थान थीम के सुप्रसिद्ध और महंगे रिसोर्ट का सोच रखा था। रास्ते में नार्मल बातें ही होती रहीं। मैं सभ्यता से पेश आ रहा था, बिना वजह कल्पना को देखने या स्पर्श करने से बच रहा था। उनके कैमरे में तस्वीरें भी उन दोनों के ही ले रहा था।

और फिर हम एक एकांत वाले पार्क में पहुंचे। वहाँ मेरा संयम थोड़ा थोड़ा डिगने लगा। क्या हम सिर्फ नार्मल बातें ही करते रहेंगे? पहल तो करनी ही थी… तो मैंने जान बूझ कर श्याम की लिखी कहानियों का जिक्र किया, और वो भी केले का भोज का!
कल्पना शरमा भी दी और मुस्कुरा भी दी।
माहौल बदलने लगा।
मैंने शालू की गुदाई की चर्चा छेड़ी, क्योंकि यही वह कहानी थी जिसमें श्याम ने कल्पना के नग्न जिस्म, उसकी योनि, नितम्बों आदि का खुलकर बखान किया था। सुनकर वे और शर्मा गईं, लेकिन रुख सकारात्मक लगा। अब कल्पना अपने कैमरे और मोबाइल की तस्वीरों में मुझे भी शामिल कर रही थीं। उन्होंने कुछ सेल्फी ली हम तीनों की!

घूमने का एक फेज़ पूरा हो चुका था हम गेस्ट हाउस पहुँचे, साथ लंच किया। अब हम सब काफी कम्फ़र्टेबल हो गए थे।

शुरुआत फोटो से हुई। मैंने उन्हें मोबाइल से मेरी एक पाठिका, जो दिल्ली में रहती है और जिससे हाल ही में मेरा सेक्स सम्बन्ध बना था, उसकी कुछ तस्वीरें दिखाईं। उसकी कुछ सामान्य कपड़ों में और कुछ अर्द्धनग्न और पूरी नग्न तस्वीरें मैं श्याम से पहले ही शेयर कर चुका था। शायद वे तस्वीरें श्याम ने कल्पना को भी दिखा दी थीं।
दिल्ली वाली ने अपने चूत की बहुत ही उत्तेजक शेविंग मुझसे कराई थी। मैंने उसकी पिक्स दिखाई। चूत पर लगी साबुन की झाग और फिर शेविंग के बाद साफ चमकती चूत।

कल्पना ने उन तस्वीरों को बिना विचलित हुए सामान्य भाव से देखा, एक बार हल्के से बोली- अच्छी हैं।

श्याम ने कल्पना के अर्धनग्न फोटो दिखाए। इस दौरान कल्पना हमारे नज़दीक ही बैठी हुई थी, वह शरमा रही थी लेकिन श्याम को नहीं रोक रही थी खुद के ऐसे फोटोस दिखाने में।
सच में वाइफ हो तो ऐसी… एक दो फोटोज में वे बिल्कुल अनावृत योनि के साथ पैर फैलाकर लेटी हुई थी।
मैंने उस पिक को ज़ूम करके देखा तो कल्पना और लजा गई। मेरा दिल उस पर उमड़ने लगा।

अब माहौल में उत्तेजना और गर्मी आने लगी थी। मैंने सोचा, यही समय है कुछ पहल करनी चाहिए, मैंने कहा- चलिए, मैं आप लोगों के कुछ नजदीकियों वाले फोटो लेता हूँ।
लेकिन श्याम बोले- मैं लेता हूँ। तुम दोनों बहुत चैट करते हो, एक बार साथ बैठकर देखो, तुम दोनों कैसे लगते हो।
कहकर उन्होंने कल्पना का हाथ पकड़ा और उसे लाकर मेरे पास बिठा दिया।

कल्पना की संकोच भरी हँसी से ‘ये क्या कर रहे हैं?’ की आवाज मेरे कान में संगीत की तरह बज गई।
मैं एक बात यहाँ और जोड़ दूँ कि कल्पना की आवाज भी बहुत अच्छी है। फोन पर उनकी आवाज बहुत ही सुंदर लगती थी।
कल्पना शरमाई पर ज्यादा विरोध नहीं किया।

श्याम ने हम दोनों की कुछ नार्मल तस्वीरें लीं। इस दौरान ‘थोड़ा और पास हो जाओ, थोड़ा और पास…’ कहते हुए मुझे कल्पना से एकदम सटा दिया। ख्वाब में कितने दिन से देख रही सुंदरी को इतने पास देखकर मैं उत्तेजित के साथ नर्वस भी हो रहा था।
उन्होंने मुझे अपना हाथ कल्पना के कंधे पर रखने को कहा, मैंने कुछ हिचकते हुए कंधे पर हाथ रखा। श्याम ने कुछ तस्वीरें लीं, इस दौरान एक बार श्याम ने खुद ही मेरा हाथ पकड़कर कल्पना के कंधे पर अच्छे से रख दिया।
अब मुझे लग ही रहा था कि श्याम ने खुद ही कह दिया कि मैं आलिंगन करूँ।

मैं सन्न रह गया… सोचा, मना करूँ। लेकिन मेरे पैंट में हो रही हलचल ने मुझे चुप करा दिया। मैंने कल्पना को दोनों हाथों के घेरे में ले लिया।
श्याम इन नजदीकियों को कैमरे में क़ैद कर रहे थे। कल्पना के जिस्म की कोमलता और कसावट मुझे मजबूर कर रही थी। जब श्याम ने बोला चुम्बन के लिए… तो इस बार मैंने देर नहीं की। आलिंगन को कसते हुए मैंने उनके गाल पर एक चुम्बन ले लिया।
न जाने कल्पना ने क्या सोचा होगा मेरी इस हरकत पर। कभी पूछूंगा उनसे!

अब मैंने सुझाव दिया कि बेडरूम में चलना चाहिए। मैं कुछ फोटो लूँगा आप दोनों के!

हम सही दिशा में जा रहे थे। मैं कल्पना की तहे-दिल से तारीफ़ करना चाहूँगा। वे इन तमाम बातों के दौरान न तो कहीं चीप लगीं न ही कहीं अनिच्छुक। शर्म और मैच्योरिटी की एकदम सही मात्रा, जो औरत को बहुत ही आकर्षक बना देती है।

मुझसे मुक्ति मिलते ही वे तैयार हो गईं- ठीक है, मैं चेंज कर के आती हूँ।
हम सभी ड्राइंग हॉल से निकलकर बेडरूम में चले आए।

जब वे चेंज कर के आईं तो मैं देखता ही रह गया, ठगा सा रह गया। वो उसी नाइटी में थी जिसमें मैंने उनके कई उत्तेजक फोटो देख रखे थे। गहरे गुलाबी रंग का लिनन का टू पीस गाउन। बाहरी पीस के दो फीते छातियों को ढकते हुए गले से ऊपर जाकर गरदन पर बंधते थे। मेरी दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं और मेरा लंड बेकाबू होने लगा।
श्याम और कल्पना जी, मैं क्षमा चाहूँगा लंड और चूत जैसे शब्दों के प्रयोग के लिए, क्योंकि ये सब लिखते हुए मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही है। प्लीज़ माइंड मत करना!

कैमरा अब मेरे पास था, मैंने उस अप्सरा के फोटो खींचने शुरू किये। वो अपनी उसी मादक बंद होंठों वाली मुस्कान के साथ पोज़ दे रही थीं।
श्याम मुझे निर्देशित कर रहे थे। श्याम अच्छे फोटोग्राफर हैं। यह मुझे उनकी पहले भेजी गई तस्वीरों से पता था।

अब मैंने कैमरा रखा और नज़दीक जाकर सुंदरी की गरदन पर से वह गाँठ खोल दी जिसे खोलने की इच्छा मेरे मन में कब से गाँठ जमाए बैठी थी। वे तस्वीरें जिसमें कल्पना उस गाँठ को खुद से खोल रही थी और खुलने के बाद नंगी पीठ दिखा रही थी, श्याम ने पहले मुझसे शेयर की हुई थीं।
गाँठ खुली और मैं एक क्षण के लिए गरदन पर की उस जगह को और अपने हाथों में पकड़े फीतों को हसरत से देखता रहा। इच्छा थी कि खुद ही कल्पना के बदन से यह गाउन उतारूँ, मगर मैं फोटोग्राफर की भूमिका में था, मैंने फीते छोड़कर कैमरा संभाल लिया।

श्याम ने कल्पना के पीछे जाकर दोनों हाथों से उन फीतों को पकड़ा और कल्पना को मुझे सामने से दिखाते हुए अपने दोनों हाथ नीचे करने शुरू कर दिए। कल्पना के नंगे कंधों पर ब्रा-स्ट्रैप और इनर गाउन की पतली रेशमी डोरियाँ प्रकट हो गईं।

मैं जल्दी जल्दी फोटो ले रहा था। धीरे-धीरे उन्होंने दोनों फीतों को कल्पना के वक्षों से नीचे खींच दिया। कल्पना के सीने आधी दूर तक ब्रा में और आधे इनर गाउन में ढके थे, मैंने नजदीक जाकर उस दृश्य के कुछ क्लोज अप फोटो लिए। वो अंतर्वस्त्र में मेरे एकदम नज़दीक थीं, उनकी साँसें भी तेज़ थी और मैं आवेग में था।
श्याम ने मुझे उस ऊपरी आवरण को उतार देने के लिए कहा।
मैं तो कब से उसके वस्त्र-हरण की इच्छा दबाए था, मैंने कैमरा रखा और कल्पना के जिस्म को स्पर्श करते हुए उस बेहद चिकने कपड़े को पेट, कमर और कूल्हों के नीचे उतारा और फिर उसे सरक कर नीचे फर्श पर गिर जाने दिया।

अब वो कामुक हसीना एक झीनी-सी नाइटी में थी जिसमे कंधे पर सिर्फ डोरी थी और क्लीवेज बहुत गहरा। अब बहुत कुछ दिख रहा था।
मैंने फिर कुछ फोटो लिए। यह सब कुछ मेरे लिए जन्नत के सामान था।

मैंने श्याम को बिस्तर पर आने को कहा और कल्पना को भी! दोनों बिस्तर पर आकर चिपक गए। श्याम ने अपने होंठ कल्पना के होंठों पे रख दिए, एक चुम्बन, फिर दूसरा, और फिर तीसरा। मैं क्लिक किये जा रहा था।
और फिर…

श्याम ने कल्पना का एक उभार उजागर कर दिया। एकदम बाहर उन्नत वक्ष, दूध का गोला, उस पर एक साँवला बड़े घेरे वाला चूचुक…
मेरी आँखें खुली रह गईं।
श्याम के चुम्बन होंठों से हटकर उस दूधिया उभार पर पड़ने लगे। यह सब देखकर मेरी बैचैनी बढ़ती जा रही थी।

चूमते चूमते श्याम ने आहिस्ता से उस चूचुक को मुँह में खींच लिया। मैं नज़दीक से फोटो लेने के लिए बिस्तर पे चला आया। चूचुक पर कसे होंठों के कुछ क्लोजप लिए। चूचुक मुँह के अंदर होने से श्याम के होंठ वक्ष पर रखे हुए दिखाई देते थे। एक नायाब सेक्सी पेयर मेरे सामने कामुकता में लिप्त था।
कल्पना की अंदर वाली नाइटी छोटी थी, इसलिए उसके पैर भी उघड़ गए थे।

अब श्याम ने मुझसे कैमरा ले लिया और मुझे कल्पना को संभालने को कहा। मैं बयान नहीं कर सकता वह क्षण कितना अद्भुत था मेरे लिए…
कल्पना का एक अधखुला वक्ष उसकी ब्रा में फँसा हुआ था, इसलिए ब्रा को निकलना जरूरी था। मैंने बगल से हाथ डालते हुए उसे सीधा बैठाया फिर उसके घने बालों को आगे किया और उसकी अधनंगी पीठ पर हाथ फिराते हुए उसकी ब्रा का हुक खोला।
उस सुन्दरी की ब्रा का हुक खोलने का सौभाग्य बहुत बड़ा था। इसे खोलना उनकी गरदन पर फीते की गाँठ खोलने से कहीं ज्यादा उत्तेजक था।

ब्रा के कप उसके उभार में फँसे हुए थे जो खींचने से भी नहीं निकल रहे थे। मैंने साहस करते हुए अपने हाथ उनके क्लीवेज में घुसा दिए और निकालने का बहाना करते हुए उसके समूचे बूब सहला लिया।
धन्य हो गया मैं!
कल्पना का सहयोग मेरी वासना को हवा दे रहा था। मैंने उसके हाथों को पूरा ऊँचा कर उसके बूब्स पर से ब्रा को हटाया और उसे जानबूझ कर ऊपर से निकाला। इस बहाने मैंने कल्पना की दोनों बगलों को जो बाल रहित थी, उनको सहला लिया।

श्याम क्लिक क्लिक फोटो ले रहे थे और बीच-बीच में निर्देश भी दे रहे थे। उनके बताए अनुसार मैंने कल्पना को पीछे से बाहों में कसते हुए उसके गाल से अपने गाल सटाकर उसके बूब्स पे हाथ रखकर फोटो खिंचाया।
वह फोटो बड़ा नायाब बन पड़ा है। श्याम ने वह तस्वीर मुझे दिखाई है।

और फिर मुझे आदेश हुआ कि मैं नाइटी को कंधों पर से उतारकर वक्षों को पूरा आज़ाद कर दूँ। यह काम भी मैंने पूरी शिद्दत से किया। क्या कहूँ मुझे शब्द ही नहीं मिल रहे, मुझे कैसा महसूस हो रहा था।
(काश ये वाकया भी श्याम ही लिखते तो गज़ब लिखते।)

टॉपलेस कल्पना को पीठ पर तकिए का सहारा देकर श्याम ने पलंग के सिरहाने बैठा दिया। मैंने सामने से उनके बूब्स सम्हाल लिए। मेरे लिए ये दुनिया की सबसे बड़ी फेंटेसी थी। मैं उनकी सेक्सी वाइफ के बूब्स सहला रहा था, दबा रहा था, वो भी उसके ही सामने… वे तस्वीरें ले रहे थे।
सिंगल पीस नाइटी कोई बाधा नहीं थी।

मैंने कल्पना के हाथ अपनी गर्दन में माला की तरह से पहन लिए और उसके मुँह को चूमते हुए उनके हाथ, बगलें, बूब्स, पेट और नाइटी में बाहर निकाली, उनकी जाँघों तक को सहलाने लगा।
अब काबू करना मुश्किल होता जा रहा था, कल्पना भी रह-रहकर मुझे बाँहों में भींच लेती थी, उत्तेजना उस पर भी हावी होती जा रही थी।

अब श्याम कैमरा छोड़कर हमारे पास आ गए। कल्पना को आहिस्ता-आहिस्ता हमने अपने बीच में लिटा दिया, जैसे वह कोई कीमती तोहफा हो। मैंने उस कीमती तोहफे की कीमती कवर (अंदरूनी नाइटी) को उसके कूल्हों से पेट और नितम्बों के रास्ते उसके जिस्म से अलग कर दिया।
अब कल्पना मात्र पैंटी में हम दोनों के बीच में थी, मैंने उसके दोनों हाथ को पकड़कर उठाया और उसके सर के ऊपर रख दिए। वह खुले स्तनों की वजह से हाथ उठाने देने में संकोच करने लगी तो श्याम ने मेरा साथ किया। वह मान गई।

सिर के ऊपर दोनों हाथ, खुले स्तन, सुतवाँ पेट, फैलते कूल्हे और कामदेव स्थल को छिपाए छोटी सी पैंटी। अप्सरा अपने सबसे मादक, सबसे उत्तेजक रूप में लेटी थी। श्याम और मैं अपने अपने हिस्से के दूधिया उभार को मसलने-दबाने में व्यस्त थे। कल्पना की आहें तेजी से बढ़ रही थीं। उसका समूचा जिस्म कसावट लिए हुए था, चिकना था, मादक था।

थोड़ी देर में ही हमारा प्यार नाज़ुक दौर से आगे बढ़कर कठोर हो गया। कल्पना की आहें सीत्कार में बदल गईं। फिर भी, उसका सहयोग ज़ारी था। कमाल की लेडी है ये सच में।

मेरा मन उसकी चूचियों को चूसने का हो रहा था लेकिन श्याम क्या सोचेगा ये सोचकर खुद को कंट्रोल किया हुआ था। पाठक पढ़कर हँसेंगे कि कैसा आदमी हूँ, चूचियों को अच्छे से दबाने, मसलने के बाद उन्हें चूसने में संकोच? लेकिन इसे वही समझ सकता है जिसने थ्रीसम किया हो और ठीक से किया हो। दूसरी स्त्री को उसके पति के सामने करने के लिए सहमति का स्तर पता करते रहना जरूरी है।

खैर, मेरी मुश्किल खुद श्याम ने आसान कर दी, उन्होंने खुद ही शुरूआत कर दी। अब कल्पना का एक निप्पल श्याम के मुँह में और दूसरा मेरे मुँह में। और मैं तो पागल-सा दोनों हाथों से बूब्स को लगभग निचोड़ते हुए चूस रहा था।
दुनिया की बहुत कम खुशकिस्मत औरतें होती होंगी जिनके दोनों बूब्स एक साथ चूसे जाते हैं। कल्पना निश्चय ही इन सबको बहुत एन्जॉय कर रही होगी।
(कभी उससे बात होगी तो पूछूंगा कैसा लग रहा था।)

कुछ क्षण बाद श्याम ने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में घुसा दिया और उसकी चूत को सहलाने लगे। अब कल्पना के तीनों सेन्सिटिव प्वाइंट दोनों निपल्स और चूत एक साथ छेड़े जा रहे थे। धीरे धीरे उनके हाथों की हरकत तेज हो गई, कल्पना अपने पैरों को पटकने लगी। श्याम बहुत तेज़ी से उसकी चूत को मसल रहे थे। कल्पना अपने सिर को इधर-उधर करने लगी और अपने बूब्स को हमारे चंगुल से छुड़ाने की कोशिश करने लगी।

श्याम अनुभवी थे और कल्पना के पति भी, वो समझ गए कि कल्पना कामाग्नि में जल रही है, अब उस पर असल काम करने का वक्त आ गया है, उन्होंने मुझे इशारा किया।

मैंने कल्पना की पैंटी उतार दी।

कल्पना प्राकृतिक अवस्था में, पूर्णतया निर्वस्त्र, नंग-धड़ंग, मेरे सामने पसरी हुई थी। उस समय मेरी क्या हालत थी मैं बता नहीं सकता!
उसका पेट सपाट था, चूत उभरी हुई, शायद हफ्ता भर पहले शेव की होगी, हल्के हल्के बाल थे। मैंने उस प्यारी प्यारी नंगी चूत को सहलाया और फिर उस पर अपना मुँह रख दिया। एक साफ-सुथरी चूत, जिसमे मुँह घुसाकर ढूंढते हुए मैं बहुत गहराई तक चूस रहा था।
वो पैर पटक रही थी।

तभी कल्पना बोली कि अब हम भी नंगे हो जाएँ। हम दोनों ने तुरंत उसका आदेश माना और नंगे हो गए।

कमरे का माहौल बहुत उत्तेज़क हो चला था, तीन नंगे जिस्म एक साथ। लेकिन अब श्याम ने उसे मुझको सौंप दिया। कल्पना और मैं गुत्थम गुत्था हो गए।
वह बहुत जोर शोर से अपने नंगे जिस्म को मेरे जिस्म से भिड़ा रही थी. इस दौरान मैंने अपनी लाइफ का सबसे उत्तेज़क लिप-टु-लिप किस एन्जॉय किया कल्पना के साथ! मेरा पूरा मुँह उसकी लार से भर गया जिसे मैं पी गया।

मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ और नितम्बों को मसल रहा था। मैंने तस्वीरों में कल्पना के भारी नितम्ब देखे थे और मुझे उनसे खेलने का बड़ा अरमान था इसलिए मैंने उसे पलट दिया और उसके विशाल नितम्बों को थाम लिया। मैंने उसके पैरों को मोड़कर उसके बॉटम को और ज्यादा सेक्सी बना लिया और फिर सटाक सटाक दो तीन बार स्पैंक किया।
कहीं कोई विरोध नहीं… न तो कल्पना की तरफ से, न ही श्याम की तरफ से! मुझे पूरी आज़ादी मिली हुई थी। यहाँ तक कि मैंने कल्पना के दोनों हिप्स के गोलों को अलग खींचकर उसके एनस होल को भी अपनी उंगली से सहलाया।
मैंने वो सब किया जो मेरे मन में था।

अब बागडोर कल्पना ने अपने हाथ में ली, उसने मुझे नीचे लिटाया और मेरे लंड को थाम लिया और हाथ से मसलने लगी।
और फिर यह क्या? वह हुआ जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। मेरा लंड उसके मुह के अंदर था।
सच बताऊँ, मैं ज़न्नत में था… बहुत ही शानदार ब्लो जॉब कर रही थी वो! काफी अंदर तक मेरा लंड निगल रही थी और उसके दांत भी नहीं चुभ रहे थे। अनोखा एहसास, जो अब तक मुझे मेरी पत्नी या किसी अन्य लड़की ने नहीं दिया था, दिल्ली वाली ने भी नहीं।
मैं पागल हो रहा था, मेरी चीखें निकल रही थी।

कुछ ही मिनटों में मेरी सहन शक्ति जवाब देने लगी और मैंने उसके मुँह से लंड को निकाल लिया। उसे नीचे लिटाकर सम्भोग की अवस्था में ले आया। लगाने के लिए कंडोम निकाला तो उसने मना किया कि बिना कंडोम के ही करूँ, कंडोम से अंदर स्किन-टु-स्किन अहसास नहीं होता।
मैंने उसकी चूत को खोला और अपना लंड आहिस्ता आहिस्ता घुसाने लगा। लंड छेद से इधर उधर भटका तो कल्पना ने खुद अपने हाथ से पकड़कर लक्ष्य पर लगा दिया। वह बेकरार थी। लेकिन जब लंड अंदर जाने लगा तो चिल्लाने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ शायद उसे दर्द हुआ होगा (कभी बात होगी तो पूछूंगा)। उसकी चूत मस्त टाइट थी, मुझे बहुत मजा आया घुसेड़ने में। पूरा घुसा देने के बाद मैंने ज़बरदस्त चुदाई शुरू कर दी।

श्याम कल्पना के नज़दीक उसके चेहरे के पास बैठे थे और चीखती हुई कल्पना को हिम्मत बंधा रहे थे। वे उसे बड़े प्यार से पुचकार रहे थे, उसके माथे, उसके गालों, उसके कंधों को सहला रहे थे लेकिन साथ ही मुझे मेरे निर्दय सेक्स से भी नहीं रोक रहे थे।

मैं जितने जोश से अपने लंड को उसकी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था, कल्पना उससे दुगने जोश से गांड उछाल-उछालकर मेरा साथ दे रही थी। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि मेरा लंड बहुत ज्यादा गहराई तक जाकर प्रहार कर रहा था। धक्कों से कल्पना का समूचा जिस्म इस कदर आगे-पीछे हो रहा था कि उसके बूब्स भी छाती पर उछल रहे थे।
श्याम ने कल्पना को थामने कोशिश की, पर नाकाम रहे। इस समय कल्पना पूरी तरह से मेरी थी और भगवान् ने मेरी लाज रखी कि हमारा सम्भोग औसत से बहुत ज्यादा समय तक चला, नहीं तो उतनी गजब की उत्तेजना और ब्लोजॉब के बाद टिकना मुश्किल था।

चरमावस्था पर पहुँचकर कल्पना ने अपने दांतों से मेरे होंठ काट लिया और नाखूनों से मेरी पीठ को खरोंच दिया, जो मैं कभी भूल नहीं सकता।
उन निशानों को अपनी पत्नी से छिपाने की मुझे कैसी कोशिश करनी पड़ी, बता नहीं सकता!

मेरा ज्वालामुखी फटा और निकलते लावे से कल्पना की चूत भर गई। हम दोनों ही निढाल हो गए। मैं एक तरफ पड़ गया और कल्पना अपने श्याम के सुरक्षित आगोश में सिमट गई, श्याम ने थपकियाँ देकर भरपूर दिल से कल्पना को दुलार किया।
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एक घंटे के बाद हम बाथरूम जाकर फ्रेश होकर कपड़े पहनकर हम फिर निकलने के लिए तैयार हुए, तब श्याम ने फ्रिज खोला और ठंडा ठंडा जूस अपने हाथ से दो ग्लासों में डालकर स्ट्रा के साथ हम दोनों को सर्व किया, बोले- तुम दोनों के पहले मिलन की बधाई, सेलीब्रेट करो।
कल्पना ने कहा- आप भी लीजिए!
तो उन्होंने कहा- तुम दोनों का मिलन हुआ है इसलिए तुम दोनों सेलीब्रेट करो।
हँसते हुए मैंने और कल्पना ने एक-दूसरे के साथ ग्लास टकराए- चियर्स!

श्याम का ये व्यवहार मुझे बहुत अच्छा लगा। पति हो तो ऐसा।

अगले दिन हम फिर मिले। अगले दिन बहुत रोमानी, कुछ और एक्सपेरिमेंटल और सुंदर सेक्स हुआ। इस बार का अनुभव पहले दिन से काफी अलग था लेकिन मैं चाहूँगा कि वो वाकया श्याम खुद लिखें।

तो यू संपन्न हुआ मेरी ज़िन्दगी सबसे अनमोल दिन। बहुत बहुत अच्छे कपल हैं श्याम और कल्पना।

तो दोस्तो, मेरे इस रोमांचक अनुभव पर आप लोग अपनी राय मुझे कमेंट के माध्यम से जरूर से दें क्योंकि इस नायाब कपल से शायद मेरा आगे भी मिलना होगा.
आपके कमेंट का इंतज़ार रहेगा
आपका अरुण

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