चूत का क्वॉरेंटाइन लण्ड से मिटाया- 5
जोरदार चुदाई की कहानी में पढ़ें कि कैसे मैं अपनी
देवर बाबी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कोरोना लॉकडाउन में
मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
पुलिस वाली की चूत का चक्कर-1
अब तक आपने पढ़ा..
मैं कंप्यूटर सुधारने गया था। वहाँ उन दो गर्म चुदासी औरतों ने मेरे लौड़े के साथ हरकत करना शुरू कर दी थी।
अब आगे..
मैं जो अब ये सब सहन कर रहा था.. अचानक मैंने उन दोनों के सर अपने हाथ डाल कर बाल पकड़ लिए और सर ऊँचा करके उसके होंठों पर किस करने लगा।
मैंने पहले अन्नू को किस किया और अपने दूसरे हाथ को डॉली की गर्दन में डाल कर ऊपर खींचने लगा।
वे दोनों अपने घुटनों पर बैठ गई थीं और मैं कुर्सी पर नीचे झुक कर उनके होंठों पर किस करने में लगा हुआ था।
तभी डॉली ने मेरा चेहरा पकड़ कर मेरे होंठ अपने होंठों से लगा लिए और मेरे मुँह में जुबान डाल कर मेरे होंठों का रस पान करने लगी।
इधर अन्नू ने मेरा बेल्ट खोल दिया और मेरी जींस की पैन्ट के बटन को खोलने लगी। इस काम में मैंने अन्नू की थोड़ी मदद की और बटन खुल गया।
उसने मेरी जींस की चैन को भी खोल कर एक ही झटके में मेरी पैन्ट को मेरे घुटनों तक सरका दिया।
अब डॉली भी मेरे मुँह में से अपना मुँह निकाल कर मेरे अंडरवियर के उभरे हुए हिस्से को हाथ से सहलाने में अन्नू की मदद करने लगी।
तभी मैंने दोनों को घुटनों से उठा कर खड़ा किया और फ़िर अपने सामने करके उन दोनों के बड़े-बड़े बोबों में अपना मुँह बारी-बारी से घुसाने लगा।
मैंने अपने दोनों हाथ उन दोनों की पीठ पर ले जाते हुए उनके बोबों पर बन्धी छोटी सी ब्रा की डोरियों को खोल दिया।
तभी दोनों ने भी बचा हुआ अपना काम करके अपनी चूचियों के ढक्कनों को अपने गले से निकालते हुए अलग कर दिया।
अब मेरे सामने दोनों के नंगे बोबे झूल रहे थे।
बस.. फ़िर मैं तो मानो उन पर टूट पड़ा.. जैसे मैं बहुत दिनों से प्यासा था।
मैंने दोनों की कमर से हाथ उनकी पीठ पर ले जाते हुए उन्हें अपनी पकड़ में ले लिया था और उन दोनों के हाथ मेरी बालों में.. गर्दन में.. और पीठ पर चलने लगे थे।
मैं भी उनके खरबूजों को अपने मुँह में लेकर उन्हें तृप्त कर देना चाहता था।
दोनों के निप्पलों को बारी-बारी से चूसते वक्त मैं अपना सर जोर से उनमें अन्दर तक गड़ा देता था।
अब वे दोनों अपने-अपने हाथों से अपने चूचे पकड़ कर मेरे मुँह में डालने लगीं।
मेरे दोनों हाथ उनके चूतड़ों का जायजा लेने में व्यस्त थे।
फ़िर अन्नू ने अपने हाथ से मेरी शर्ट के बटन खोलना चालू किए.. लेकिन डॉली ने तो बिना देर किए उसे फाड़ ही डाला और उतार कर फेंक दिया।
मैंने भी अपने पैरों की मदद से जींस भी निकाल दी और कुर्सी पर रख दी।
अब वो दोनों थोड़ा नीचे को हुईं.. और मेरी छाती की दोनों घुंडियों को अपने-अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मुझे तो स्वर्ग की सैर का मजा आ रहा था।
फ़िर मैंने डॉली के सर को ऊपर उठाया और उसके एक बोबे को चूसने लगा। एक हाथ से एक चूचे के निप्पल को दबाता तो दूसरे को मुँह में ले कर चूसता।
डॉली अब अपने सर को उठा कर मादक सिसकारियां लेने लग गई थी।
इधर अन्नू ने अब अपना एक हाथ मेरे अंडरवियर के ऊपर चलाना चालू कर दिया..
लेकिन मुझे पता था कि मुझे जल्दी नहीं करनी है। तो मैंने तुरन्त ही अन्नू के चेहरे को ऊपर उठा दिया।
अब मैं अन्नू के बोबे चूस रहा था।
फ़िर मैं अन्नू के मुँह में डॉली के बोबे को डालने लगा.. तो अन्नू समझ गई, वो डॉली के बोबों को अपने मुँह में लेने लगी।
अब हम तीनों को मजा आने लग गया था और उन दोनों की कामुक सिसकारियां भी निकलने लगी थीं।
कुछ मिनट तक यही अदला-बदली चलती रही।
दोनों अब पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं।
तभी मुझे याद आया कि सब हम घर के बाहर खुले में कर रहे है.. तो मैंने डॉली को बोला- ये सब यहाँ ठीक नहीं है यार..
तो बोली- हाँ.. चलो अन्दर चलते हैं।
फ़िर हम तीनों ने अपने-अपने कपड़े उठाए और घर के अन्दर चले गए।
मैं उन दोनों को अपने दोनों आजू-बाजू कमर में हाथ डाल कर अन्दर तक साथ गया।
मैंने पूछा- क्या घर में और कोई नहीं है?
डॉली ने कहा- नहीं.. आज सब नौकरों को छुट्टी दे रखी है.. बस एक वाचमैन है.. और एक बाई है.. लेकिन अभी इधर कोई नहीं है।
अन्दर हम सीधे बेडरूम में गए और डॉली ने अपनी अलमारी में से एक स्प्रे की बोतल निकाली। फिर उसने मेरे अंडरवियर को नीचे उतार दिया और मेरे लंड जो पहले ही बम्बू बना हुआ था.. उसे हाथ में लेकर उस पर सुपारे से लेकर जड़ तक स्प्रे कर दिया। मैंने पूछा- ये क्या है?
वो कुछ नहीं बोली.. बस इतना कहा- पता चल जाएगा।
फ़िर हम तीनों चालू हुए.. अब मैंने डॉली को बिस्तर पर पीठ के बल लेटा दिया और अन्नू ने अपनी पैन्टी उतार दी और वो अपनी टाँगें फ़ैला कर डॉली के मुँह पर घुटनों के बल बैठ गई।
मैंने भी डॉली की भरी-भरी जाँघों को हवा में ऊपर उठाया और उसकी पैन्टी निकाल दी।
उसकी एकदम गोरी और चिकनी चूत ने दर्शन दे दिए।
मैंने भी देर न करते हुए उसमें अपनी जुबान लगा दी और पूरी चूत पर जुबान को चलाना चालू कर दिया।
डॉली ने शायद हाल ही में चूत की सफ़ाई की थी.. इसलिए उसकी चूत एकदम चिकनी थी और थोड़ी गीली भी थी।
उसमें से पहले ही रिसाव हो रहा था.. जो थोड़ा नमकीन स्वाद भरा था।
मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं तो उसकी चूत की फांकों को खोल कर उसमें अन्दर तक अपनी जुबान की नोक बना कर घुसा रहा था।
बेडरूम में अब काम भरी सिसकारियां ही सिसकारियाँ गूँजने लगी थीं।
उधर डॉली भी अन्नू की चूत में अपना मुँह घुसाए हुए थी।
अन्नू दोनों हाथों से अपने बोबों के निप्पलों को मसल रही थी और बड़बड़ा रही थी- फ़क मी.. कम ऑन.. या बेबी फ़क मी हार्ड..
इधर डॉली भी अपने मुँह से वासना से लिप्त गुर्राहट निकाल रही थी।
उसके मुँह से ‘ह्म्म याह.. उह्ह.. आअह..’ की आवाज निकल रही थी।
मैं अब अपनी एक उंगली डॉली की चूत में अन्दर-बाहर करने लग गया था।
अब मैंने उस उंगली को थोड़ा चूत में ऊपर की और उठा कर उसके जी-स्पॉट को कुरेदना चालू किया।
जैसे ही मैंने ये करना चालू किया.. डॉली ने सिसकारियां तेज़ कर दीं और अपना मुँह भी अन्नू की चूत से हटा लिया।
वो जोर-जोर से गालियाँ देने लग गई- जोर से कर भड़वे.. भेनचोद.. मर्द है या नामर्द है मादरचोद.. याआहह.. उईईई आआहह..
इसी के साथ-साथ उसने अपनी कमर भी उचकाना चालू कर दिया।
अब अन्नू भी.. जो कि डॉली के ऊपर थी.. अब घोड़ी बन कर अपनी जुबान से डॉली की चूत के दाने को चाटने लगी थी।
मैं उसी चूत को निचोड़ने में लगा हुआ था।
आखिर कुछ मिनट की हम दोनों की मेहनत के बाद डॉली के मुँह से जोर की चीख निकली और उसका ज्वालामुखी फूट पड़ा और एक तेज़ धार के साथ उसमें से नमकीन पानी का झरना फूट पड़ा।
हम दोनों ने अपने-अपने मुँह खोल कर उस अमृत को अपने मुँह से और जुबान से चाट कर साफ़ कर दिया। उसी वक्त मैं और अन्नू होंठों को होंठों में फंसा कर किस करने लगे।
अब हम दोनों उठे और डॉली के साथ मिल कर तीनों किस करने लगे।
हम दोनों ने डॉली को उसका अमृत चखाया।
फ़िर वे दोनों मुझे उठा कर सोफ़े के पास ले गईं.. और मुझे उस पर बिठा दिया और फ़िर दोनों मेरी टांगों के आस-पास बैठ कर मेरे लम्बे और मोटे लंड को अपनी-अपनी जुबान निकाल कर चाटने लगीं।
मेरे दोनों हाथ उनके बालों में और पीठ पर रेंगने लगे थे।
डॉली ने पहल करके मेरे सुपारे को मुँह में लिया। उसने आधे से ज्यादा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और अन्दर-बाहर करने लगी। उसी वक्त अन्नू मेरी गोटियों पर जुबान फ़िराने लगी।
मेरे शरीर पर सांप से रेंगने लगे थे।
मैं डॉली के सर पर जोर लगा कर लंड ज्यादा से ज्यादा अन्दर डालने की कोशिश करने लगा, लेकिन डॉली ने लंड को मुँह में से निकाल कर अन्नू के मुँह में डाल दिया।
अब अन्नू लौड़ा चूसते हुए अपने मुँह से ‘गूं.. आआ.. गूऊऊ..’ की आवाज़ निकाल रही थी।
मैंने डॉली को ऊपर उठा कर उसके बोबे पर अपने मुँह से जुबान निकाल कर चाटना चालू कर दिया था।
मेरी.. अन्नू की.. और डॉली की, तीनों की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।
थोड़ी देर के बाद फ़िर दोनों ने पाली बदली और अब अन्नू को मैंने ऊपर कर लिया और उसके बोबे चूसने लगा।
कभी-कभी मैं बोबों के निप्पलों को अपने दांतों से हल्के से काट भी लेता।
दोनों को बहुत मजा आ रहा था।
फ़िर मैं अपने सोफ़े से उठ कर खड़ा हुआ और दोनों का मुँह लंड के सामने कर उसमें घुसाने लगा।
मैं भी दोनों के बाल पकड़ कर लंड को उनके मुँह में पेले जा रहा था।
दोनों के मुँह से ‘गूऊ.. गूउआहह..’ की आवाजें आ रही थीं।
उन दोनों के एक-एक हाथ अपने कूल्हों पर.. और दूसरा हाथ एक-दूसरे की चूत पर रखवा कर दानों को सहलवा रहा था।
उनके नाखून मेरे कूल्हे पर भी गड़ रहे थे, दोनों मेरे लंड पर थूक कर उस पर जोर-जोर से अपना मुँह घुसाने लगीं।
मुझे यह बहुत अच्छा लग रहा था।
थोड़ी देर बाद दोनों कुछ ज्यादा जोर से लंड पर मुँह मारने लगीं।
मैं तो अपनी आँखें बन्द करके मुँह ऊपर किए हुआ था।
दस मिनट के बाद एक ने मुझे पलटाया और अब एक मेरे आगे और एक मेरे पीछे घुटनों के बल बैठी हुई थी।
डॉली मेरे आगे और अन्नू पीछे थी।
डॉली ने लंड को जड़ से पकड़ा और अपने मुँह से थूक कर जोर-जोर से उसको आगे-पीछे करने लगी।
उधर अन्नू पीछे से मेरे कूल्हों को चौड़ा करके मेरी गांड पर थूक कर, उसमें अपनी जुबान घुसाने लगी थी।
मुझे तो एकदम नया अनुभव मिल रहा था.. तो मैंने भी थोड़ी टाँगें फैला लीं।
अब अन्नू को और आसानी हो गई थी।
मैं तो चक्की के दो पाटों के बीच में था।
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड अन्नू के सामने कर दिया और गांड डॉली के सामने कर दी। दोनों फ़िर से चालू हो गईं।
लेकिन इस बार गांड में ज्यादा अच्छा लग रहा था। क्योंकि डॉली ने पहले थूक कर मेरी गांड में ढेर सारा थूक लगा लिया था और अपनी एक उंगली से उसे कुरेद भी रही थी।
मैं भी अपने पंजों पर था, मैंने अपना एक पैर उठा कर सोफ़े के हत्थे पर रख दिया.. ऐसा करने से मेरे पैर फ़ैल गए.. जिससे डॉली को भी मेरी गांड का छेद साफ़ दिखने लगा।
मैं पीछे हाथ कर डॉली की गांड में घुसाने लगा। डॉली नीचे लटक रही मेरी गोटियों को भी पीछे से मुँह में ले रही थी।
मेरा तो कमर के नीचे का हर अंग मानो व्यस्त था। गांड में उंगली.. लंड और गोटियां मुँह में.. इतना मजा तो कभी मुझे मेरी गर्लफ्रेण्ड के साथ भी नहीं आया था।
हम तीनों की रासलीला चालू थी और बहुत मजा आ रहा था।
आगे आपको और भी मजा आने वाला है। प्लीज़ मेरे साथ कामुक्ताज डॉट कॉम से जुड़े रहिए।
आपके कमेंट का इन्तजार भी रहेगा।
कहानी जारी है।
कहानी का अगला भाग: पुलिस वाली की चूत का चक्कर-3
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हाय, मेरा नाम शाजिया शेख है. मेरी उम्र अभी 26