चाह थी ननद की, भाभी चुद गयी
दोस्तो, मेरा नाम अवि राज है, मैं पुणे से हूँ.
दोस्तो, मेरा नाम अवि राज है, मैं पुणे से हूँ.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राज है. मैं रोहतक, हरियाणा से
हिंदी सेक्सी चुदाई कहानी मेरे नयी नवेली भाभी के साथ चूत चुदाई की है. भाई दूसरे शहर में नौकरी करते थे तो भाभी और मैं आपस में खुल गए.
यह उस समय की हिंदी सेक्सी चुदाई कहानी है, जब मेरे भाई की नई नई शादी हुई थी.
भाई शहर से बाहर नौकरी करता था और एक महीने में एक बार ही आ पाते थे.
मेरी शुरू से ही भाभी पर नजर थी. मेरी भाभी एकदम सुडौल माल थी, गदराया बदन, मस्त चूतड़ और रसीले होंठ थे.
क्योंकि भाई बाहर रहता था इसलिए मैं दिन में ज्यादातर समय भाभी के ही साथ बिताता था.
भाभी भी मुझसे खूब बातें किया करती थी.
हम लोग बातें तो खूब करते ही थे पर एक दूसरे से अधिक खुल जाने के कारण अपनी प्राइवेट लाइफ के बारे में भी बताने लगे थे.
मुझे भाभी से इस तरह से खुली हुई बातें करने में बड़ा मजा आता था.
एक बार भाभी ने मुझे अपने पुराने प्यार के बारे में बताया.
मैंने खूब चस्का लेकर उसकी बातों को सुना.
अचानक बात करते करते भाभी रो पड़ी थी.
मैंने उसे खूब ढांढस बंधाया, उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसे चुप कराने लगा.
अपनी भाभी का बदन टच करते ही मुझे सनसनी होने लगी.
मैंने इस मौके का कुछ ज्यादा ही फायदा उठाते हुए भाभी के बदन को खूब सहलाया.
मैं इस बात को परख रहा था कि मेरे हाथ फेरने से भाभी का क्या रिएक्शन होता है.
मगर मैंने महसूस किया कि भाभी मेरे हाथ फेरने का कोई भी प्रतिरोध नहीं कर रही थी बल्कि वो मेरे चुप कराने से मेरे कंधे से लग गई थीं और मैं उनकी गर्म साँसों को महसूस करने लगा था.
भाभी के गुलाबी गालों से होकर नीचे को आते आंसुओं को पौंछने के बहाने से मैंने अपनी भाभी के गालों पर भी हाथ फेरना शुरू कर दिया था.
चूंकि इस समय घर पर कोई नहीं था, इसलिए मुझे किसी का डर नहीं था.
मैं अपने मन में सोच रहा था कि आज यदि भाभी को चोदने का अवसर मिल जाए तो मजा ही आ जाए. इसी सोच के चलते मैं भाभी की खूबसूरत जवानी को महसूस करने लगा.
आज भाभी ने एक गोल्डन कलर की शिफोन की साड़ी पहने थी.
साड़ी के ऊपर भाभी ने एक गोल्डन कलर का हाफ स्वेटर पहना हुआ था.
उनकी पीठ पर हाथ फेरने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
मैं भाभी के गर्म शरीर का मजा लेते हुए उसको चुप कराने का प्रयास कर रहा था.
वो जब चुप नहीं हुई, तो मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और मैं भी उसी के साथ बाजू में लेट गया.
हम दोनों एक दूसरे के ऊपर हाथ रख कर लेटे हुए थे.
अभी दिन का समय था. मेरा अभी चुदाई करने का मूड तो था लेकिन मैं अभी कोई बात तय नहीं कर पा रहा था क्योंकि भाभी का मूड मुझे नहीं मालूम था कि वो क्या चाहती है.
फिर दिन के समय में कोई भी घर वापस आ सकता था.
लेकिन सांत्वना देते देते न जाने मुझे क्या हुआ. मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
शायद मेरी भाभी भी मेरी तरफ से शुरूआत करने का इंतजार कर रही थी. उसकी चूत भी मुझे देखकर फड़कने लगी होगी.
मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों से चूमा, तो वो भी मेरा साथ देने लगी.
मैं समझ गया कि भाभी की चुत में आग लगी हुई है और उसको मेरा लंड चाहिए है.
ये सोच कर मैंने भाभी को अपनी तरफ खींच लिया और हम दोनों आपस में चिपक कर चूसा चूसी करने लगे.
अब भाभी की मस्ती सामने आने लगी थी.
मैंने जल्दी से उसका स्वेटर उतार दिया. स्वेटर उतारते समय भाभी मुझे मना करने लगी.
मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने हल्के से कहा- अभी नहीं.
मैंने कहा- चिंता ना करो, अभी कोई नहीं आएगा.
वो कुछ नहीं बोली.
मैंने स्वेटर अलग कर दिया और जल्दी से उसका ब्लाउज के बटनों को भी खोल दिया.
सच बताऊं यह जिंदगी में पहली बार था, जब मैं किसी औरत के स्तनों को सामने से देख रहा था.
इससे पहले तो बस मम्मों को ब्लू फिल्मों में ही देखा था.
मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि भाभी का इतना मस्त माल मेरे सामने खुला पड़ा होगा.
मैं समझ गया था कि मेरी भाभी भी मुझ पर फ़िदा थी, अगर फिदा ना होती, तो एक बार हाथ रखने पर इतनी जल्दी मान ना जाती.
मैंने भाभी की ब्रा उसके मम्मों से ऊपर करके कुछ देर उसके स्तनों को चूसा. मुझे उसके मस्त मम्मों को चूसने में बड़ा मजा आ रहा था.
भाभी मुझे मना कर रही थी कि मत कर कोई आ जाएगा.
मुझे भी आज से पहले चुदाई का कोई अनुभव नहीं था.
इसलिए मैंने चुदाई करने के प्लान को दिन में स्थगित करने का तय कर लिया क्योंकि दिन के समय कोई अपरिचित भी आ सकता था.
इसलिए मैंने भाभी के साथ सेक्स गेम को आगे नहीं बढ़ाया. बस खूब अच्छे से स्तनों की चुसाई करके हम लोगों ने यह कार्यक्रम उस समय बंद कर दिया.
मगर इतना कर लेने से हम दोनों ही काफी खुश हो गए थे.
मेरी भाभी की लंड की तलाश पूरी हो गई थी और मुझे मेरी मादक भाभी की चुत चुदाई का सपना पूरा होना दिखने लगा था.
हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए और फिर से उठकर आपस में बात करने लगे.
मैंने भाभी से रात को चुदाई करने के लिए कहा.
पर भाभी ने कहा- घर में रात को सब होते हैं. इस सबमें जल्दबाजी ठीक नहीं है.
मुझे भी ख्याल आया कि भाभी ठीक कह रही है.
चुदाई के लिए हम दोनों को घर में अकेला होना जरूरी है.
मेरे घर में कई लोग हैं इसलिए मौका मिलना काफी मुश्किल रहता है.
मेरी भाभी मुझसे चुदने के लिए एकदम तैयार थी तो मैं बस उस समय का इंतजार कर रहा था जब मेरे और मेरी भाभी के बीच में अवैध संबंध बनकर रंग लेंगे.
भाभी की तरफ से भी कोई रोक-टोक नहीं रह गई थी.
एक दिन रात में मुझे नींद नहीं आ रही थी और मेरे बेड पर ही मेरे साथ और भाई लोग भी लेटे थे.
मां बाहर सोई हुई थीं और दूसरे कमरे में भाभी अपने बेड पर अकेली सो रही थी.
मेरा मन हुआ कि इस समय भाभी के कमरे में चला जाऊं और उसे चोद दूँ.
लेकिन रात में भाभी के कमरे में जाना खतरे से खाली नहीं था क्योंकि मेरे पापा बहुत गुस्सैल किस्म के थे, उनसे मेरी बहुत फटती थी.
पर मेरा मन नहीं मान रहा था … लंड इतनी जोर से खड़ा था कि अब उसका बिना पानी निकाले बैठना मुश्किल था.
अब तो हाथ से लंड हिलाना भी अच्छा नहीं लगता था. जब भी लंड हिलाता, तो भाभी के साथ उस दिन का कार्यक्रम याद आ जाता.
मगर भाभी की चुत इतनी जल्दी मिलना सम्भव नहीं दिख रही थी.
उस रात मैंने मन पक्का किया और अपने बेड से उठ कर सभी को देखने लगा.
सभी लोग गहरी नींद में सोये हुए थे.
मैं खुद से संतुष्ट हुआ कि सब लोग सो रहे हैं. उस वक्त रात के लगभग 12:00 बज रहे होंगे.
मैं दबे पांव हल्के हल्के यह पक्का करता हुआ कि मां भी सो रही हैं, भाभी के कमरे में घुस गया.
यह बात सही है कि इस अवैध संबंध को बनाने में मेरा योगदान ज्यादा है … भाभी की तो बस मौन सहमति थी. उसने कभी आगे बढ़कर मेरा साथ नहीं दिया था और न ही मुझे मना किया था. हालांकि यह बात भी सच थी भाई से ज्यादा भाभी मुझे प्यार करती थी.
मैं भाभी के कमरे में घुस गया और बिना आवाज किए, भाभी के बेड पर चढ़ गया.
भैया भाभी की शादी में नया बेड और गद्दे आए थे. मेरे चढ़ने से गद्दे पर पर चढ़ी पन्नी आवाज करने लगी.
चोर को तो सही बात पर भी डर लगता है.
यह सर्दियों का समय था, भाभी मेरी तरह जाग नहीं रही थी … वह रजाई में आराम से सो रही थी.
फिर मैंने हल्के से रजाई उठाई और उसमें घुस गया.
किसी के आने की आहट से भाभी हल्के से जग गई क्योंकि रात में जाना पहले से पक्का नहीं किया गया था, इसलिए मुझे डर था कहीं भाभी रात में मेरे जाने से डर ना जाए और चीख न पड़े.
इसलिए मैंने उसके होंठों पर हाथ रखकर हल्के से बोला- मैं हूँ.
वह समझ गई कि मैं हूं.
अब उसका कोई विरोध नहीं था. मेरा तो एकमात्र मकसद भाभी को चोदना था.
मैं एकदम से उसके ऊपर चढ़ गया. भाभी तो कपड़े पहने हुए थी और उसको लगभग एक महीने से लंड मिला भी नहीं था.
चूंकि यह मेरी पहली चुदाई होने वाली थी … इसलिए मैं बहुत जल्दबाजी में था.
मैंने भाभी को बिस्तर से नीचे लेटने का इशारा किया.
पन्नी की चरमराहट के कारण भाभी भी जल्दी से नीचे आ गई. नीचे एक दरी बिछी थी.
मैंने भाभी के ब्लाउज को जल्दी से उतारा और उसके गोरे और मांसल स्तनों को तेज तेज दबाने लगा.
मुझसे ज्यादा भाभी चुदने को मचल रही थी. मगर भाभी बहुत ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहती थी क्योंकि मम्मी बाहर ही सो रही थी.
मैं भाभी की चूत को ऊपर की तरफ करने लगा. मेरा साढ़े 6 इंच का लौड़ा भाभी की चूत चखने को तैयार था. मैं बहुत तेजी से ऊपर हुआ, भाभी ने टांग एकदम मेरी पीठ के ऊपर डाली और मैंने एक ही बार में आधा लंड भाभी की चूत में घुसा दिया.
भाभी को अंदाजा नहीं था कि मेरा लौड़ा कितना मोटा है, वो एकदम से कसमसा गई और अपनी टांगें सिकोड़ने लगी.
भाभी मुझे ऊपर हटाने का इशारा करने लगी … लेकिन मैंने भाभी को कस कर जकड़ लिया था.
मेरा लौड़ा भाभी की चुत में बहुत टाइट जा रहा था, ऐसा लग रहा था कि भाभी अभी तक सही से चुदी नहीं थी.
कुछ देर बाद मैंने भाभी की टांगों को जबरदस्ती अपने कंधों पर ले लिया और एक जोरदार प्रहार की चूत की जड़ तक कर दिया.
फचाक की आवाज के साथ मेरा लौड़ा भाभी की चूत में जा घुसा.
भाभी इस हमले को सह नहीं पाई और वो एकदम से चीखने ही वाली थी कि मैंने अपने होंठों से उसकी आवाज को एकदम दबा दिया.
फिर मैंने बेरहमी से भाभी की चूत का मर्दन किया और पांच मिनट तक भाभी को रपट कर चोदा.
अब भाभी को मजा आने लगा था. मैंने बहुत तेजी से लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
कोई बीस मिनट तक चुत का मजा लेने के बाद भाभी झड़ गई.
उसके झड़ते ही मुझे भी बहुत ज्यादा देर नहीं लगी और मैं भी उसकी चुत में ही झड़ गया. भाभी पूरी तरह से संतुष्ट हो गई थी.
एक बार मस्त चुदाई के बाद मैं ज्यादा देर तक वहां नहीं रुका. अपने कपड़े सही करने के बाद मैं सीधा अपने कमरे में आ गया.
सुबह भाभी के चेहरे की लालिमा देखते ही बनती थी.
चुदाई की इस बात को आज दो साल से ज्यादा बीत गए हैं. मगर मुझे आज भी याद है, जब मैंने भाभी की चड्डी उतारी थी, तो चड्ढी जांघों से सरकने की आवाज हो रही थी. भाभी की चूत एकदम साफ थी और मांसल थी.
दोस्तो, यह मेरी जिंदगी की पहली चुदाई थी. उसके बाद मैंने कई बार मौक़ा पाते ही अपनी भाभी को दिन में और रात में चोदा. लेकिन जो पहला सेक्स का अनुभव था, वह सबसे अलग था.
आशा है आप लोगों को मेरी सच्ची और पहली हिंदी सेक्सी चुदाई कहानी पसंद आई होगी. नीचे कमेंट जरूर करें.
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नमस्कार दोस्तो, आप सभी ने अन्तर्वासना सेक्स कहानी पर
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