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बाँडेज सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मैंने चुदक्कड़ भाभी को होटल के कमरे में रस्सी से बाँध कर नंगी करके दर्द भरे सेक्स का मजा दिया. फिर मैंने उसे खोल कर चोदा.

दोस्तो … मैं अनिकेत अपनी चुदक्कड़ पूजा के साथ आपके सामने बाँडेज सेक्स करने को तैयार हूँ.

अब तक की बाँडेज सेक्स स्टोरी
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में आपने पढ़ा था कि मैं पूजा के साथ बी.डी.एस.एम सेक्स करने की तैयारी कर रहा था.

अब आगे की बाँडेज सेक्स स्टोरी:

फिर मैंने उसके हाथ बेड के पाये से उन रस्सियों से बांध दिए और पैरों को चौड़ा करके कस दिया. उसकी चुत पैंटी में बंद मुँह खोले मेरा स्वागत कर रही थी.

उसकी पैंटी से चुत का खुला मुँह देख कर मेरे लंड में और भी जोश भर रहा था. मैंने चॉकलेट का सिरप लिया और उसके तलवों में लगाने लगा. फिर धीरे धीरे करके मैंने उसकी जांघों पर लगाया. फिर पैंटी वाले हिस्से को छोड़ कर उसकी नाभि से लेकर चूचों तक भर दिया. वो हल्के ठंडे अहसास से कंपकंपाने लगी.

अब मैंने अपना कच्छा उतार दिया और उसके बंधे हुए पैरों से उसकी उंगलियों को चूसने लगा. मैं जितना उसके बदन का सिप लेता, तो वो गांड उठा कर उतनी मदहोश होके ‘म्ह्न्न न्न्न्न …’ की आवाज के साथ मेरा साथ देती.
मैं उसकी जांघों तक को जीभ फिरा फिरा कर चाटने लगा.

अब मैं धीरे धीरे चूसते हुए चुत तक पहुंच गया. मैंने सोचा कि पैर बंधे होने के कारण इसकी पैंटी तो अब उतार नहीं सकता. तो मैंने जांघों की तरफ से खींच कर फाड़ने की कोशिश की. पर पूजा को बहुत तेज दर्द हुआ और वो चीखने लगी.

मैंने होंठों से होंठों को दबा दिया और प्यार से उसे चूसते हुए अपनी जीभ का स्वाद उसे भी चखा दिया.

फिर मैंने दोनों हाथों से पैंटी को पकड़ा एक तरफ उसकी नाभि की तरफ से … और दूसरी तरफ उसकी जांघों की तरफ से. फिर अपने दोनों हाथों को तान कर खींच दिया. उसकी कपड़े वाली जगह चरररर्र की आवाज के साथ चिर गयी.
मेरे सामने पूजा की चुत के भीगे हुए होंठ दिखने लगे थे.

अब बारी दूसरी जांघ की थी. तो मैंने धीरे-धीरे से पैंटी के कपड़े को तान तान कर एक जोर के झटके के साथ उसे भी फाड़ दिया. उसकी चुत की पैंटी पर लगा हुआ चॉकलेट रस अपनी जीभ पर लिया और उसके पैरों से लेकर चुत तक लगा दिया.

इसके बाद अपनी जीभ मैंने पूजा के मुँह में दे दी. फिर मैंने फटी हुई पैंटी उसके मुँह में ठूंस दी. वो ‘घूम्म्ं घू..’ की आवाज से मना करती रही. पर मैंने जबरदस्ती ठूंस दिया.

वो हाथ पैर फटकारने लगी और इशारे से मुँह खोलने को कहने लगी थी. मगर मेरे लंड पर भी जुनून सवार था. तो मैंने अपनी दो उंगलियों से खेल शुरू किया. उसकी नाभि से लेकर चुत के मुँह तक उंगलियों को चलाने लगा, जिससे वो और तड़पने लगी और उसकी चुत से भट्टी की तरह आग बहने लगी.

फिर मैंने चुत के ऊपर वाले हिस्से को हथेली से थामा और जीभ की नोक बना के क्लिट पर लबलबाने लगा. वो जांघों में मेरी गर्दन भींच कर गांड उठा उठा कर मेरे मुँह पर हल्के हल्के झटके देने लगी.

मैंने एकदम से एक हाथ से उसकी गांड को थामा और एक हाथ से चुत के ऊपर नीचे की तरफ दबाव बना कर चुत के होंठों को जकड़ लिया. उसके पैर स्थिर हो गए और एक तेज धार मेरी आंख पर लगी. उसी के साथ उसकी चुत की क्लिट से थोड़ा मूत भी निकल गया.

मैंने उसे जोर से जकड़ा और उंगलियों में जगह बना कर चुत के होंठों को थपथपाते हुए जोर से फिराने लगा. जिससे वो नीचे से उचक उचक कर झड़ गयी और फिर बेजान सी होते हुए पस्त पड़ गयी.

मैं- क्या हुआ पूजा?
पूजा- अनिकेत अब सहन नहीं हो रहा. मुझे लंड की तड़प है … तुम जल्दी से डाल दो.
मैं- थोड़ा सा सब्र कर मेरी जान.
पूजा- अब मुझमें जान नहीं बची है.

मैं धीरे धीरे उसके चुचों को मसलते हुए उसके होंठों को चूसने लगा और अपना हाथ पूजा की ब्रा में फंसा दिया, जिससे उसके चुचे कस गए और ब्रा फटने को हो गई. जैसे ही मैंने मुट्ठी भींची, ब्रा का हुक टूट कर अलग हो गया और चुचे पके हुए आम जैसे आज़ाद हो गए.

मैं पूजा की चूचियों के दोनों निप्पलों को मींजते हुए दोनों को बारी बारी से मुँह में भरकर उन पर अपने दांतों के निशान बनाने लगा. फिर जैसे आम को दबा दबा कर चूसते हैं, वैसे ही मैं दोनों मम्मों को चूसने लगा.

उसके एक चुचे पर गहरा निशान बन गया और उसमें से खून की बूंद निकल आईं.

मैंने जीभ को उस मम्मे के ऊपर लपलपाना शुरू किया. फिर एक हाथ से चुचे को मसला और दूसरे हाथ से चुत के ऊपर के हिस्से को सहलाने लगा.

वो फिर से लम्बी लम्बी सांसों के साथ मेरे होंठों को अपने दांतों में भींच कर चूसने लगी.

तभी मैंने एक उंगली उसकी चुत में सरका दी, तो उसकी चीख निकल गयी. मैंने उसकी गर्दन को चूसते हुए बाइट के निशान दे दिए और लगातार पूरी गर्दन पर दांतों के निशान बना कर लाल कर दी.

पूजा ‘ऊम्ह्ह्ह्ह् … आहह..’ की आवाज से कमरे में मचलने लगी थी. मेरी छाती उससे चिपकने की वजह से चॉकलेट का सिरप मेरे सीने से चिपक गई थी. बाद में उसे पूजा ने मेरी छाती से चाट चाट कर साफ किया था. उस समय मैं उसकी चुत में दो उंगलियां डाल कर तेजी से चला रहा था और गांड के छेद पर अंगूठा टिका दिया था.

अब वो फिर से चुदने के लिए तैयार हो चुकी थी. वो रस्सी खोलने की ज़िद मचाने लगी थी और चुदाई के लिए लगभग रोने सी लगी कि उसे दर्द हो रहा है. तब मजबूरी में मुझे रस्सी खोलनी पड़ी.

जैसे ही रस्सी खुली, तो कमान उसने सम्भाल ली.

उसने जोर से धक्का मारा और मेरी टांगों को भींच कर लंड को ऊपर की तरफ कर दिया. फिर अपनी चुत को मेरे लंड के मुहाने पर सैट करके कमर चलाने लगी. उसके चूतड़ जब नीचे खुले से हुए तो मेरी जांघों से टकराने लगे. इससे ‘पट पट..’ की मधुर आवाज आने लगी. ये आवाज मेरे लंड को उसकी चुत की गहराई में उतरने के लिए जोश भर रही थी.

अब मैं भी जोश में आकर हल्की हल्की कमर चलाते हुए उसका साथ दे रहा था. जिससे वो थोड़ा कमर झुका कर थक सी गयी थी.

फिर मैंने उसकी कमर को अपनी बाजुओं में बांध कर जकड़ लिया और उसकी चुत की दीवार पर उसके मुँह से थूक निकलवा कर लगा दिया ताकि ग्रिप बन जाए. फिर मैंने अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दी. मेरी रफ्तार अब किसी बॉलर की गेंद फेंकने के बराबर थी. मेरे तेज झटकों से उससे सांस भी नहीं ली जा रही थी.

सारा कमरा ‘म्हणन्न्न्ं आआह्हहा च्त्त्त्त्त्त्त प्त्त्त्त्त्त्त..’ की आवाज से गूंज रहा था. उसके वजन से मेरी भी कमर जोर देने लगी थी. तो मैंने लंड अन्दर ही फंसाये हुए उसे घुमा कर पटक दिया और एक टांग हवा में उठा कर अपने कंधे पर रख ली. फिर उसकी एक टांग को बीच में रख कर मैं दोनों साइड घुटने करके बैठ गया.

पोजीशन सही बनी तो रफ्तार के साथ मैंने एक झटके में लंड चुत में घुसा दिया. उसकी चुत एकदम भट्टी की तरह ऐसे जल रही थी … मानो अभी फट कर लावा उगल देगी.

मैंने रफ्तार धीरे की और गर्दन को चूमते हुए उसके चूचों को चूसने लगा था.

उसकी सीत्कार निकलने लगी थी क्योंकि उसके चुचों पर जलन हो रही थी.

करीब बीस मिनट की कड़ी चुदाई के बाद मेरा लंड झड़ने को होने लगा, तो मैंने रफ्तार तेज कर दी और जोर जोर से उसके चुचे भींचते हुए और निप्पलों को मींजते हुए उसकी चुत में तेज धार के साथ झड़ने लगा. इस समय उसके मुलायम होंठों को चूसते हुए मुझे बेहद मजा आ रहा था.

जब उसकी चुत की दीवारों पर लंड का पानी पड़ा, तो वो भी कामुकता की चरम पर पहुंच गयी और साथ ही झड़ने लगी.
झड़ने के बाद उसके चेहरे पर हंसी अलग ही झलकने लगी थी.

अब करीब सुबह के 4 बजने को हो गए थे. हम दोनों ही काफी थक चुके थे. तो मैंने उसको लंड चटाया और उसकी चुत में उंगली करते हुए सोने लगा. वो भी निढाल होकर आंखें मूंदने लगी. हम दोनों आपस में चिपक कर सो गए.

सुबह करीब 11 बजे मैं जगा. तब तक पूजा नहा चुकी थी और वापिस क्लब में जाने की तैयारी कर रही थी. क्योंकि वहां से ही सब अपने घर जाने वाले थे.
उसने फिर से साड़ी पहन ली और तैयार हो गयी. ऐसी सती सावित्री नारी को देख कर मेरा मन फिर से डोल गया.

मैं फ्रेश होकर नहा धोकर टॉवल में बाहर आ गया. तब तक पूजा ने सब समेट दिया था और चादर को भी बाथरूम के बाहर टांग दी थी.

पूजा- जल्दी तैयार हो जाओ सब आ गए होंगे.
मैं- एक बार और करने का मन हैं.
पूजा- बाद में क्लब में चोद लेना.

मैं- मुझे तो तुम्हें अभी ही चोदने का दिल कर रहा है.
पूजा- नहीं, अभी तो बिल्कुल नहीं … मैं तैयार हो गयी हूँ … सब बिगड़ जाएगा.
मैं टॉवल खोलते हुए बोला- इसको बाय किस नहीं दोगी.
मैंने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा.

पूजा- बस एक बार दूंगी.
मैं- ओके.

उसने जैसे ही मुँह में लंड लेकर चूसना शुरू किया, मैंने उसके बाल पकड़ कर पूरा लंड उसके गले तक उतार दिया और उसकी नाक को बंद कर दिया.

वो ‘घ्घ्ह्घ्ह् … ग्ग्गग्घ्ह..’ करती हुई मेरे पैरों पर दोनों हाथ से सिर को पीछे खींचने लगी. पर मेरी पकड़ मजबूत थी.

उसने किसी तरह घुटी हुई आवाज में कहा- छोड़ दो यार!
मैं- चुदवाना पड़ेगा अभी.
पूजा गर्दन हिलाते हुए मना करने लगी.

मैंने जोर का झटका दिया और नाक को बंद किए हुए ही लंड घुसेड़ दिया, जिससे वो पस्त पड़ने लगी.
मैं- आखिरी बार पूछ रहा हूँ … चुदवाओगी या नहीं!

पूजा ने इशारे में गर्दन हिला के हां कह दिया.
मैंने हाथ हटा लिया और उसे उठाया.

पूजा गुस्से में- मैंने कहा था ना … बस लंड को केवल चूसूंगी.
मैं- अब एक बार चुदवा भी लो.
पूजा- अच्छा ठीक है पर कपड़े मत खोलना.

तो मैंने उसकी साड़ी ऊपर की और खड़े खड़े ही उसकी एक टांग बेड पर टिका कर चुत के मुँह में लंड ठूंस दिया. फिर उसके मुँह पर हाथ रख के बालों को पकड़ कर लंड के झटके लगाने लगा. वो भी गांड उछाल उछाल कर पूरा साथ दे रही थी.

करीब 20 मिनट की घनघोर चुदाई के बाद ‘म्हणन्ं आहह्ह्ह…’ की आवाज के साथ उसकी चुत बिखर गयी और उसके गरम लावा से मेरे लंड की नसें भी फटने को हो गईं.

हम एक साथ झड़ गए. लंड का पानी इस बार चुत के रस के साथ उसकी जांघों पर मोटी बूंदों का आकार लेकर बहने लगा. मैंने कपड़े पहने और उसने चेहरे को धोकर अपनी साड़ी सही कर ली.

अब हमने वापस जाने के लिए एक कैब बुक की थी और करीब 15 मिनट में हम क्लब में पहुंच गए.
वहां सब आ चुके थे, बस हमारा ही इन्तजार हो रहा था.

हम दोनों के जाते ही सबने आखिरी विदा लेने से पहले साथ में कुछ मस्ती करने की फरमाइश रखी.

मेरे को शाम को निकलना भी था.
तो मैंने गद्दों को जोड़ के उसके ऊपर प्लास्टिक का मेट बिछवा दिया और एक तेल की शीशी मंगा कर उस मेट पर फैला दी. बाकी का खेल हम सभी को समझ आ ही गया था, तो सबने वहीं अपने अपने कपड़े आराम से खोले और एक दूसरे को ऊपर तेल को मलने लगे. कोई किसी की टांग खींच कर चुत को नौंचता, तो कोई चुचों पर टूट जाता.

एक घंटे की मस्ती के बाद सबने नहा कर कपड़े पहन लिए.

वापस जाते वक़्त पूजा का पति समीर मेरे पास आकर बोला- क्या यार … तुमने तो पूजा की मां चोद दी. इसको मेरे लायक ही नहीं छोड़ा.
पूजा के सारे बदन में नील पड़ गए थे … इसलिए वो ऐसा कह रहा था.

मैंने कहा- ये सब तो एक हफ्ते में सही हो जाएंगे … तुम बताओ, तुम्हें मजा आया या नहीं?
वो खुश होकर हां बोलते हुए वहां से चला गया.

फिर धीरे धीरे सब अपनी अपनी पार्टनर्स के साथ चले गए.
आखिर में मैंने क्लब, जो किराए पर लिया था, उसकी पेमेंट किया और मैं भी निकल गया.

उसके बाद हम सभी कई बार मिले और हमारे इस सेक्स क्लब से कई और लोग भी जुड़े.

तो पाठकों कैसी लगी मेरी बाँडेज सेक्स स्टोरी … अगर कहानी पढ़ कर लौंडियों की चुत भीग गयी हो और जलन कर रही हो, तो बरफ लगा लें और जो लोग लंड को हिला कर उसकी गर्दन पर जुल्म उठा रहे हों, वो तेल लगा लें. सेक्स कहानी का सुख कैसा मिला, इस बारे में मुझे कमेंट करके सुझाव दें.

जाते जाते आप लोगों के लिए एक शायरी.

चुदाई का रस मीठा होता है
ये सबको पता है
पर चुत का रस क्या कर सकता है
ये किसी किसी को ही पता चल पाता है

कहानी पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद.

Related Tags : इंडियन सेक्स स्टोरीज, चोदन स्टोरीज, डर्टी सेक्स, दोस्त की बीवी, नंगा बदन, बेचारा पति, हिंदी एडल्ट स्टोरीज़
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