Search

You may also like

angel
3962 Views
पड़ोसन के पति को फंसाकर चूत और गांड मरवायी
हिंदी सेक्स स्टोरीज

पड़ोसन के पति को फंसाकर चूत और गांड मरवायी

नमस्कार मित्रो … मैं बिंदू देवी आज फिर से अपनी

wink
1277 Views
चुदाई को बेताब कुंवारी लड़कियाँ
हिंदी सेक्स स्टोरीज

चुदाई को बेताब कुंवारी लड़कियाँ

गर्ल्स Sexxx स्टोरी में देखें कि कैसे तीन सील बंद

winkwink
4117 Views
एक ही परिवार ने बनाया साँड- 4
हिंदी सेक्स स्टोरीज

एक ही परिवार ने बनाया साँड- 4

नंगी आंटी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे भाभी की

पड़ोस के जवान लड़के से चुद गई मैं- 3

पब्लिक सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मेरे चोदू यार ने भीड़भाड़ वाले इलाके में छेड़छाड़ का मजा लेना चाहा. मैं भी तैयार थी पर थोड़ा डर रही थी. तो हमने क्या किया?

दोस्तो, मेरी कहानी के पिछले भाग
चूत चुदाई के लिए लंड की तलाश पूरी हुई
में मैंने आपको बताया था कि कैसे मेरे पड़ोसी रोहित के साथ मेरी सेटिंग हो गई और हम लोग लंड चूत का खेल खेलने लगे।

अब आगे की पब्लिक सेक्स स्टोरी:

चुदाई के अगले दिन रोहित ने मुझे आई पिल ला कर दी.

उसके बाद मैंने गर्भनिरोधक गोलियों का नियमित सेवन शुरू कर दिया ताकि मैं बिना किसी तनाव के चुदाई का भरपूर आनंद ले सकूं।

अब तो लगभग रोज ही या तो रोहित मेरे बिस्तर में होता था या मैं रोहित के बिस्तर में चली जाती थी और लगभग रोज मेरी चुदाई होती थी।

कभी कभार जब मैं घर का कुछ काम काज कर रही होती थी, तब भी जब रोहित मेरे घर पर आता था तो मेरे साथ छेड़छाड़ जरूर करता था।

मैं जब भी घर पर अकेली रहती थी तो स्कर्ट के नीचे अक्सर पैंटी नहीं पहनती थी। जब भी मैं किचन में काम किया करती थी तो अक्सर रोहित आकर मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर चूत में उंगली घुसा दिया करता था।
उसकी यह छेड़छाड़ मुझे तुरंत गर्म कर देती थी।

एक बार संडे को जब हम दोनों साथ साथ थे.
तब रोहित ने प्रस्ताव किया कि क्यों ना हम लोग किसी भी भीड़भाड़ वाले इलाके में थोड़ा छेड़छाड़ का मजा लें?

इस पब्लिक सेक्स के विचार पर मेरे उत्सुकता जाहिर करने पर रोहित ने मुझे विस्तार से बताया कि उसका इरादा किसी मूवी में मेरे साथ कुछ छेड़छाड़ करने का है।

मैंने रोहित को मना करते हुए कहा- यहां कोई भी परिचित हमको देख सकता है, इसलिए पकड़े जाने का खतरा है।

रोहित बोला- पास के सिटी में अलग-अलग चलते हैं और साथ-साथ पिक्चर देखेंगे। इसमें किसी को ना शक होगा और ना हम लोग पकड़े जाएंगे।

कुछ सोचकर मैंने रोहित के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया।

हम दोनों ने गुरुवार का दिन निश्चित किया और अलग-अलग अपने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली।

सामान्यत: गुरुवार के दिन पिक्चर में कम भीड़ रहती थी और वह भी सवेरे अथवा दोपहर के शो में तो ना के बराबर।

खैर गुरुवार के दिन सवेरे ही नाश्ता करके हम दोनों अलग-अलग पास के शहर के लिए रवाना हुए।

रोहित के अनुरोध पर मैंने आज एक टॉप और स्कर्ट पहनी थी। स्कर्ट मेरे घुटनों तक आ रही थी और पहनने पर डिसेंट लग रही थी।
अंदर मैंने जाली वाली काली ब्रा और पेंटी का सेट पहन लिया।

रोहित ने पहले ही टिकट बुक कर रखे थे।

शहर पहुंचकर हम दोनों बेफिक्री से साथ साथ मूवी देखने के लिए पहुंच गए।

घूमते वक्त रोहित ने चलते वक्त सरेआम एक दो बार मेरी कमर में हाथ डाला जो कि मुझे बहुत अच्छा लगा।

निश्चित समय से पहले ही हम लोग सिनेमा हॉल पहुंच गए और अंदर घुसकर अपनी सीट पर बैठ गए।
रोहित ने ऊंचे दर वाली पीछे की सीट बुक की थी और हाल में भी बहुत कम लोग दिखाई दे रहे थे।

उसने मेरे कान में फुसफुसाहट के साथ कहा- आज तो मूवी में बहुत कम लोग हैं। तुम्हें यहाँ चोदने में तो मजा आ जाएगा।
मैंने आश्चर्य भरी निगाहों से रोहित को देख कर दबी हुई आवाज में कहा- सिनेमा हॉल में चोदने का सोच रहे हो मुझे? नहीं नहीं यार … बहुत रिस्की होगा।

इस पर रोहित हंसकर बोला- चिंता मत कर यार! किसी को कुछ भी मालूम नहीं पड़ेगा। नए किस्म का मजा मिलेगा।

इतना कहकर रोहित ने धीरे से मेरी स्कर्ट को ऊपर किया।
मेरी गुलाबी चूत को काली जाली वाली पैंटी से ढका हुआ देखकर उसने खुशी से पूछा- नयी खरीदी है?
मैंने अपनी स्कर्ट को नीचे करते हुए मुस्कुरा कर अपनी गर्दन को हां में हिलाया।

रोहित आंख मार कर मुझे धीरे से बोला- बहुत सुंदर है।
मैंने भी दबी जुबान में पूछा- क्या सुंदर है?
रोहित- तुम्हारी नयी पैंटी और चूत दोनों!

अचानक रोहित ने मेरी पैंटी के अंदर अपना हाथ डाल कर मेरी चूत पर रख दिया।
मैं तो चिहुंक पड़ी और बोली- क्या कर रहे हो यार?
रोहित धीरे से बोला- अपनी पैंटी तो उतारने दे यार!

मैंने उसे धीरे से मना किया और कहा- कोई देख लेगा यार … समझो ना!
रोहित ने कहा- किसी को कुछ नजर नहीं आएगा। हम लोग वैसे भी सबसे पीछे बैठे हैं।

मैंने रोहित से कोई बहस नहीं की और धीरे से अपने नितंबों को ऊपर किया।

रोहित ने तुरंत मेरी पैंटी को नीचे खिसका कर मेरे दोनों टांगों के बीच से निकाल कर अपनी जेब में रख लिया।
अब स्कर्ट के भीतर मेरी चूत नंगी थी। रोहित ने खुश होकर मेरे अधरों को चूम लिया।

मैंने दूसरे लोगों द्वारा देखे जाने का हवाला देते हुए रोहित को सब्र करने को कहा।

शीघ्र ही फिल्म शुरू होने का टाइम आ गया लेकिन मैंने देखा कि हमारी लाइन में कोई भी दर्शक नहीं थे. दूर एक कोने पर एक लड़की और लड़का भी बैठे हुए थे।

उन्हें देखकर रोहित मेरे कान में धीरे से बोला- लगता है यह लड़की भी आज चुदाई करवाएगी यहां पर!
रोहित की बात सुनकर मैं सिर्फ मुस्कुरा दी।

मूवी शुरू होते ही लाइट्स बंद हो गई और जैसे ही लाइट बंद हुई, रोहित ने मेरी टॉप में हाथ डालकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मम्मे को दबाने लगा।

सिनेमा हॉल के माहौल में उसका यह कृत्य मुझे बहुत उत्तेजक लगा।
मैंने रोहित की तरफ अपना मुंह किया और उसने मेरे अधरों पर अपने होंठ रख दिए और मेरे होंठों को चूसने लगा।

मैं तो उत्तेजना से गर्म होने लगी और मैंने हाथ रोहित के लंड पर ट्राउजर के ऊपर रख दिया और सहलाने लगी।

रोहित ने अपनी ज़िप खोलकर लंड बाहर निकाल लिया। अब मैं उसके लंड को, जो कि सख्त हो रहा था, धीरे-धीरे सहलाने लगी।

रोहित के हाथ मेरी जांघों के आसपास घूम रहे थे और वह मेरे निचले अधर को लगातार चूसे जा रहा था।
अचानक रोहित सीट से उतरकर घुटनों के बल बैठ गया और उसने मुझे सीट पर आगे की तरफ खींच कर खिसका लिया।

अब रोहित ने मेरी टांगें चौड़ी करके मेरी चूत पर अपने होंठ लगा दिए और जुबान को मेरी चूत में डाल दिया।
अचानक हुए इस वार के लिए मैं तैयार नहीं थी और मेरे मुंह से एक हल्की सी चीख सी निकल गई।

चीख निकलने के बाद मैंने डर कर इधर-उधर देखा कि किसी को मेरी चीख सुनाई तो नहीं दी। हम पब्लिक सेक्स जो कर रहे थे.

मैंने देखा किसी का ध्यान हमारी सीट की तरफ नहीं था तो मैंने ईश्वर को मन ही मन धन्यवाद दिया।

रोहित ने पूरे जतन से अपनी पूरी जुबान मेरी चूत के अंदर घुसा दी।
बहुत मुश्किल से मैं अपने सीत्कार को काबू रख रही थी।

रोहित ने अब मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और चूत के अंदर जुबान डालकर घुमाने लगा।

अब तो मुझे अपने पर काबू रखना बहुत मुश्किल पड़ रहा था।
मेरे मुंह से कोई चीख ना निकल सके, इसलिए मैंने अपने एक अंगूठे को मुंह में रखा और उसे लंड की तरह चूसना शुरू कर दिया।

अंधेरे में मैंने दूर तक देखने की कोशिश की तो मुझे ऐसा आभास हुआ कि दूर बैठे लड़का लड़की के बीच भी यही सब कुछ चल रहा है।

अब तो मेरा आत्मविश्वास और बढ़ गया और मैं रोहित के सिर को अपनी चूत पर दबाकर चूत को मस्ती के साथ चटवाने लगी।

रोहित ने बहुत जल्दी ही मेरी चूत को पूरी तरह अपनी जुबान से चाट चाट कर काम रस से गीली कर दिया।

अब रोहित पुन: सीट पर वापस बैठ गया और हांफते हुए मेरे सर को अपने लंड की तरफ दबाने लगा।

रोहित का आशय समझ कर अब मैं कुर्सी से नीचे उतर आई और घुटनों के बल बैठकर मैंने उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया।

अब मैं अच्छे से पूरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।
मेरा मन कर रहा था कि जो आनंद रोहित ने मुझे दिया है वही आनंद मैं भी उसे अपने मुंह से दूं।

मेरे मुंह की कामुक चुसाई से रोहित का लंड और भी ज्यादा सख्त होने लगा।

हम दोनों ही अब यह भूल गए थे कि हम लोग कहां बैठे हैं। हमारे दिमाग में बस एक ही चीज थी और वह थी एक दूसरे को भरपूर आनंद देना।

लगभग पांच सात मिनट की चुसाई के बाद रोहित मेरे मुंह में पूरी तरह सख्त हो गया और उसने मेरे मुंह को पीछे धकेल कर धीरे से मेरे कान में बोला- रानी अब मेरी गोद में बैठ जाओ।

मैं तो मानो सम्मोहित हो गई थी।
रोहित की आवाज सुनते ही मैं उठ खड़ी हुई और अपना मुंह स्क्रीन की तरह करते हुए मैं उसकी गोदी में बैठने लगी।

मैंने उसका लंड अपनी चूत के छेद पर रखा और नीचे की तरफ दबाव डालते हुए बैठ गयी।

चूत और लंड दोनों इतने गर्म हो चुके थे कि उसका लंड मेरी चूत में बहुत आसानी से पूरा घुस गया।

रोहित में मेरी कमर के पास से मेरे टॉप में अपने हाथ घुसा दिए और मेरे दोनों स्तनों को पकड़ कर मसलने लगा।
उसके लंड की गर्मी से मुझे मानो स्वर्ग का का आनंद मिल रहा था।

अपनी सीत्कारों को काबू में करने के लिए मैंने फिर से अपने बाएं हाथ का अंगूठा अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

रोहित ने मुझे नीचे से और मैंने ऊपर से धक्के मारना शुरू किये।

हम लोगों के धक्कों की वजह से सिनेमा हॉल की कुर्सी चरमराने लगी. लेकिन रोहित और मुझे इतनी मस्ती चढ़ गई थी कि चरमराहट की परवाह किए बगैर हम लोग पब्लिक सेक्स जारी रखे हुए थे।
आज रोहित के धक्कों में मुझे बहुत आनंद आ रहा था और उसका हर धक्का मुझे अपने बच्चेदानी पर महसूस हो रहा था।

लगभग 15 मिनट तक रोहित का लंड मेरी चूत के अंदर सैर करता रहा।
अंत में रोहित ने अपने धक्कों की स्पीड बहुत बढ़ा दी और वह मेरे अंदर ही स्खलित हो गया।
उसके गर्म गर्म वीर्य की फुहार मुझे अपने बच्चेदानी पर गिरते हुए महसूस हो रही थी और उससे मेरी चूत को बहुत ठंडक मिली और संतुष्टि भी।

मेरी पब्लिक सेक्स स्टोरी में आपको मजा आया ना?

पब्लिक सेक्स स्टोरी का अगला भाग: पड़ोस के जवान लड़के से चुद गई मैं- 4

Related Tags : Audio Sex Stories, कामुकता, खुले में चुदाई, चूत चाटना, चूत में उंगली, नोन वेज स्टोरी, हिंदी सेक्सी स्टोरी
Next post Previous post

Your Reaction to this Story?

  • LOL

    0

  • Money

    0

  • Cool

    0

  • Fail

    0

  • Cry

    0

  • HORNY

    0

  • BORED

    0

  • HOT

    0

  • Crazy

    0

  • SEXY

    0

You may also Like These Hot Stories

1086 Views
नर्स से रोमांस और सेक्स की कहानी-2
हिंदी सेक्स स्टोरीज

नर्स से रोमांस और सेक्स की कहानी-2

अब तक की मेरी इस सेक्स कहानी के पिछले भाग

2012 Views
दोस्त की बीवी को सुहागरात में चोदा
हिंदी सेक्स स्टोरीज

दोस्त की बीवी को सुहागरात में चोदा

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम विक्की है, मैं एक जिगोलो हूँ.

secrethappy
1988 Views
छोटी चाची बड़ी चाची की एक साथ चुदाई- 1
Aunty Sex Story

छोटी चाची बड़ी चाची की एक साथ चुदाई- 1

देसी सेक्स आंटी स्टोरी में पढ़ें कि मैंने अपनी बड़ी