ममेरे भाई ने मेरी कुंवारी चूत की चुदाई की-2
मेरी चूत चुदाई की कहानी के पहले भाग ममेरे भाई
मेरी चूत चुदाई की कहानी के पहले भाग ममेरे भाई
पहली बार गांड चुदवाने के बाद ज़ारा की गांड में बहुत दर्द हो रहा था. फिर भी उसकी सेक्स की जरूरत कम नहीं हो रही थी. उसकी अन्तर्वासना हर वक्त चुदाई मांगती थी.
ज़ारा- नहीं उठ सकती!
मैं- क्यों नहीं उठ सकती?
ज़ारा- क्योंकि आप मेरे ऊपर हो!
मैं- ओह सॉरी!और मैं उसके ऊपर से उठकर साइड में हो गया अब ज़ारा उठी और उठते ही एक दर्दीली आह भरकर वापस बैठ गई!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- गांड में बहुत दर्द हो रहा है!
मैं- अच्छा तुम लेटो मैं तुम्हें पेन किलर देता हूं!
तब मैं उठा और उसे पेन किलर देकर चाय बनाने किचन में चला गया! कड़क चाय बनाई और अंदर लेकर आया!
मैं- ज़ारा ये लो! चाय पी लो!
ज़ारा- आप पहले उठाओ मुझे!
मैंने उसका एक हाथ पकड़ा और एक हाथ उसकी कमर के नीचे डालकर उसे उठाया तो उसने मेरे होंठों पर चूम लिया!
मैं- तुम तकलीफ में भी ऐसा कैसे कर लेती हो?
ज़ारा- क्योंकि मैं आपसे प्यार करती हूं!
मैं- इतना?
ज़ारा- पहले मेरी चाय दीजिये!
मैं- हां ये लो!
ज़ारा चाय पीने लगी लेकिन उसके दर्द को उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था!
मैं- तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया!
ज़ारा- एक बात बताइये?
मैं- पूछो!
ज़ारा- महीने के चार दिन मेरी देखभाल करना, मेरे नाज-नखरे उठाना, बिना किसी गलती के मुझसे सॉरी बोलना, मेरे लिए चॉकलेट्स लाना जो आपको कभी पसंद नहीं थी लेकिन अब मेरे साथ आप भी खाते हो, मेरा पसंदीदा खाना बनाना और उन चार दिनों में इस पगली को संभालना और हरदम साथ निभाना!
कौन करता है?
मैं- यहां पर तो ये बिल मेरे ही नाम का फटा है!
ज़ारा- आपसे प्यार क्यों हुआ वो आप भी जानते हैं! लेकिन प्यार गाढ़ा क्यों हुआ?
इसकी वजह केवल एक है और वो है आपसे मिला अपनापन!
मैं- ज़ारा …
ज़ारा- सुनो पहले! मर्द हो या औरत सबकी अपनी फिजिकल नीड्स होती हैं, कुछ आरजुएं होती हैं! दोनों इन जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करते हैं ये बात भी तो कोका पंडित ने अपने कोकशास्त्र में लिखी थी!
मैं- हां कहा है उन्होंने!
ज़ारा- अगर शौहर बीवी के अलावा या बीवी शौहर के अलावा ये सब करे तो?
मैं- ये विवाह संस्था का उल्लंघन होगा!
ज़ारा- जान! कोका पंडित ने एक और बात कही थी!
मैं- क्या?
ज़ारा- वक्त के साथ तौर-तरीकों का बदलना लाजमी है!
मैं- ज़ारा तुम कहना क्या चाहती हो?
ज़ारा- यही कि मासिक के चार दिनों में आप मेरी इतनी सेवा करते हैं कि कोई भी नहीं कर सकता!
मैं- तो इस बात का कोकशास्त्र से क्या कनेक्शन है?
ज़ारा- आपने मुझे बहुत से धर्मग्रंथ पढाये हैं!
मैं- हां तो?
ज़ारा- तो आप एक बहुत बड़ी बात भूल गये जिसे दुनिया का हर मजहब कहता है!
मैं- वो क्या?
ज़ारा- कर्म का सिद्धांत! मतलब जो आप करोगे आपको उसी का फल मिलेगा और जरूर मिलेगा!
मैं- ज़ारा, कर्म के सिद्धांत से हमारी इस जिंदगी का क्या लेना-देना है?
ज़ारा- जान, आपने जो मेरे लिये किया पहली बात तो वही बहुत ज्यादा है! किस्मत से मेरी पोस्टिंग दिल्ली हो गयी और घर भी मिला तो कुदरत की मेहर से आपके साथ और आप इतने अच्छे और सच्चे हैं कि मैं बयां नहीं कर सकती!
मैं- लेकिन …
ज़ारा- रात होने वाली है मुझे डिनर भी बनाना है!
वो बिस्तर से उठने लगी!
एक पैर नीचे रखा और दूसरा पैर नीचे रखकर जैसे ही खड़ी हुई चिल्ला कर वापस बैठ गयी!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- जान! गांड में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है!
मैं- मैं डॉक्टर को बुलाता हूं!
ज़ारा- पागल हो गये हो?
मैं- तो, तो मैं क्या करूं?
ज़ारा- आप मेरे लिए कोई दर्द की क्रीम ले आओ और गर्म पानी से सिकाई कर दो!
मैं बाजार गया और दर्द की क्रीम लेकर आया आते ही रुई गर्म की उसकी गांड पर क्रीम लगाई और सिकाई करने लगा!
मैं- सुनो, खाना खा लो!
ज़ारा- आपने बनाया है?
मैं- नहीं मंगवाया है!
ज़ारा- मुझे नींद आ रही है! मुझे सोना है!
दोस्तो, ये है ज़ारा!
मैं मेरे हाथ से चाहे कुछ भी कैसा भी बना दूं! चाहे नमक तेज हो या मिर्ची ज्यादा!
इसको सब मंजूर है लेकिन बाहर से चाहे कुछ भी मंगा दूं! नहीं खायेगी!
खैर, उसे सोना था और मुझे उसकी सिकाई करनी थी!
मुझे नहीं पता कब मेरी भी आंख लग गई!
सुबह मैं नींद में था और मुझे मेरे लंड पर सरसराहट महसूस हुयी तो मेरी नींद खुल गयी! सामने देखा तो ज़ारा लंड चूस रही थी! मैं थोड़ा उचका!
मैं- क्या कर रही हो?
ज़ारा- मुझे आप का जूस पीना है!
मैं- तुम्हारी तो गांड में दर्द था?
ज़ारा- अब नहीं है!
मैं- बिल्कुल नहीं?
ज़ारा- नहीं जान!
वो लंड चूसती रही तो कुछ देर बाद मैंने कहा- ज़ारा!
ज़ारा- ऊं …
मैं- ऊपर आ जाओ!
वो ऊपर आने के बजाय 69 की पोजीशन में आ गयी!
मैं- ज़ारा, चोदना है!
ज़ारा- पहले चूत तो चूस लो जान!
मैं चूत में जीभ डाल कर उसकी चूत को चूसने लगा तो ज़ारा ने भी लंड पर दोहरा अटैक कर दिया!
कुछ देर बाद …
मैं- मुझे अब चुदाई करनी है!
ज़ारा- लेकिन मैंने तो आपका जूस पीना है!
मैं- तो वो मैं पिला दूंगा तुम्हें!
ज़ारा- नहीं आप चूत में ही छोड़ दोगे!
मैं- नहीं छोडूंगा!
ज़ारा- वायदा?
मैं- पक्का!
अब वो उठी और अपने हाथ से लंड को चूत पर सेट कर उस पर बैठ गयी और एक लंबी सी सीत्कार भरी!
ज़ारा- आ … ह! जा … न!
और झुककर किस करने लगी!
कुछ देर चुम्मा-चाटी के बाद मैं उसके कान में फुसफुसाया- ज़ारा चुदायी!
ज़ारा- ओह हां!
अब वो उठी और लगी लंड पर उछलने तेज-तेज झटके देने लगी!
मैं- अरे! आराम से!
ज़ारा- जान … आह … जान … जान सब्र नहीं हो … रहा आह … जा … न …
ये कहते-कहते वो झड़ गयी और मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया मैंने भी उसे बाजुओं में कस लिया!
ज़ारा किस कर रही थी! काफी लंबा चला वो किस!
जब नॉर्मल हुई तो उसे अपनी चूत में खड़ा लंड महसूस हुआ!
हाथ पीछे कर लंड को टटोला तो देखा खड़ा भी है और चूत में भी!
ज़ारा- जान!
मैं- हां?
ज़ारा- आप झड़े नहीं?
मैं- तुम्हें ही जूस पीना था!
ज़ारा- चलो, आप मेरी गांड में डाल दो!
मैं- नहीं यार गांड से निकाल कर मुंह में डालना अच्छा सा नहीं लगता!
ज़ारा- हां ये भी है! चलो फिर मैं चूस लेती हूं!
मैं- हां ये सही है!
अब उसने अपनी चूत से लंड निकाला और चूसने लगी.
कभी चूसे, कभी मुठियाये, गले तक लेकर जाये!
उस वक्त वो किसी पोर्नस्टार जैसी लग रही थी.
मैं- आह … ज़ारा बड़ा मजा आ रहा है! तुम्हें मजा आ रहा है?
उसने मुंह से लंड निकाला और मेरी आंखों में देखकर मुस्कुरायी!
ज़ारा- आप से भी ज्यादा!
और फिर से गपागप लंड चूसने लगी!
काफी देर चूसने के बाद …
मैं- जान मैं आ रहा हूं!
इतना सुनते ही उसने अपने होंठों को लंड पर कस लिया और सुपारे पर अपनी जीभ फिराने लगी और मैं उसके मुंह में ही झड़ गया!
ज़ारा सारा माल गटक गयी! एक बूंद भी नहीं छोड़ा और अपनी जीभ से चाट-चाट कर सब साफ कर दिया!
मैंने उसे अपने ऊपर खींचा तो मेरे ऊपर आकर मेरी आंखों में देखने लगी!
मैं- पी लिया जूस?
उसने शरमाकर अपना चेहरा मेरे कंधे पर रख लिया!
मैं उसकी पीठ सहलाने लगा- ज़ारा!
ज़ारा- हां?
मैं- मुझसे कैसा शरमाना?
वो कुछ ना बोली! मैं उसकी पीठ सहलाता रहा!
अचानक मुझे मेरे कंधे पर कुछ गीलापन महसूस हुआ!
ये क्या?
वो तो रो रही थी!
ज़ारा- अरे तुम रो क्यों रही हो?
अब तो सिसकियां लेने लगी!
मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर बैठाकर उसके आंसू पौंछने लगा!
उसकी ठुड्डी के नीचे हाथ लगाकर उसका चेहरा उठाया और उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला- ज़ारा! तुम रो क्यों रही हो?
वो कुछ नहीं बोली और दो मोटे-मोटे आंसू उसकी आंखों से ढुलक गये!
मैंने उन्हें साफ किया!
मैं- ठीक है यार … आइंदा नहीं कहूंगा तुम्हें मुझे छोड़कर जाने को!
ज़ारा- बात वो नहीं है!
मैं- तो क्या बात है कुछ बताओ तो?
ज़ारा- ये कुदरत बहुत बेरहम है!
मैं- हुआ क्या है?
ज़ारा- क्या मैं बहुत बुरी हूं?
मैं- तुम्हें किसने कहा है ऐसा?
ज़ारा- क्या मैं बदसूरत हूं?
मैं- ऐसी बहकी-बहकी बातें क्यों कर रही हो?
ज़ारा- आप जवाब दो!
मैं- ज़ारा मैंने अपनी जिंदगी में तुम से खूबसूरत कोई नहीं देखा!
ज़ारा- आप मुझसे प्यार करते हो ना?
मैं- हां करता हूं!
ज़ारा- तो अपनी जिद छोड़ क्यों नहीं देते?
ये कहकर मुझसे लिपट गयी और तेज-तेज रोने लगी! मैं उसकी पीठ सहलाने लगा!
मैं- कौनसी जिद ज़ारा?
ज़ारा- जान!
मैं- हां बोलो?
ज़ारा- आप मुझसे शादी क्यों नहीं कर लेते?
इतना कहकर मुझे बांहों में और कस लिया! मैं उस से छूटने की कोशिश करूं! वो मुझे और कसे!
मैं- छोड़ो मुझे!
ज़ारा- नहीं जान!
ज़ारा- ज़ारा! पागल मत बनो! छोड़ो मुझे!
ज़ारा- नहीं जान! मैं हूं पागल! आपके लिये पागल!
मैं- मुझे छोड़ो!
ये कहकर एक झटका दिया और मैं उससे अलग होकर खड़ा हो गया!
मैं- ये नामुमकिन है!
ज़ारा- मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं जान! आपके पैर पड़ती हूं! प्लीज मुझसे शादी कर लो!
मैंने उसे कंधों से पकड़कर उठाया और बिस्तर पर बैठा दिया!
खुद जाकर सोफे पर बैठ गया! ज़ारा सिसकती रही.
मैं- पहले तो ये रोना-धोना बंद करो!
और क्या पागलपन है ये? हमारी शादी नामुमकिन है!
ज़ारा- जान ताउम्र आपकी कनीज बन कर रहूंगी! आपकी बांदी बन कर रहूंगी! प्लीज मुझसे शादी कर लो! प्लीज!
मैं- ज़ारा! मेरी जान! मैंने तुम्हें अपने दिल में जगह दी है! मैं तुम्हें कनीज बनाऊंगा? बांदी बनाऊंगा? क्या बेवकूफी भरी बातें कर रही हो? अरे तुम कहो तो मैं तुम्हारे कदमों में बिछ जाऊं! सारी उम्र तुम्हारी गुलामी करूं! लेकिन शादी नहीं कर सकता!
वो उठी और मेरे पास आकर बैठ गयी!
मेरा चेहरा हाथों में लेकर मेरी आंखों में देखते हुये बोली- जान! मुझमें ऐसी क्या कमी है?
मैं- कोई कमी नहीं!
ज़ारा- क्या मैं आपकी बीवी जितनी खूबसूरत नहीं?
मैं- उससे ज्यादा खूबसूरत हो तुम!
ज़ारा- फिर क्या दिक्कत है जान?
दोस्तो, आपको ये घटना कैसी लग रही है मुझे जरूर बतायें!
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!
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