कमीने यार ने बना दिया रंडी-2
इस कहानी का पिछला भाग : कमीने यार ने बना
सब को मेरा नमस्कार!
सीपी मेरा दोस्त है उसका नाम चन्द्रप्रकाश है. वो औरतों के कपड़े बनाता है, उसका काम औरतों के कपडे सीने का काम है. सीपी एक अच्छा लड़का है. वो सिर्फ अपने काम से मतलब रखता है. उसने बहुत सारी औरतों और लड़कियों के कपडे बनाये. सीपी कभी गलत नहीं सोचता है. सीपी कभी किसी औरत या लड़की के घर कपड़ों का नाप लेने नहीं जाता है, सभी उसकी दुकान पर आती हैं.
मैं कभी कभी सीपी की दुकान में जाता और जब सीपी औरतों के नाप लेता तो मेरी नजर औरतों के वक्ष पर जाती है. सीपी फिर मुझे डाँटता है और बोलता है- आदमी को अपने काम में गलत विचार नहीं लाना चहिए, नहीं तो वो कभी भी काम नहीं कर सकता है.
कुछ दिन पहले की बात है, मैं और पवन और सीपी साथ में बैठ कर चाय पी रहे थे और सीपी कुछ भी नहीं बोल पा रहा था. हमने पूछा- सीपी, क्या हुआ? आजकल तुम परेशान दिख रहे हो और ज्यादा मन लगाकर काम भी नहीं कर रहो हो?
सीपी कुछ नहीं बोला और उसकी आँख से आँसू आने लगे.
फिर मैंने पूछा- सीपी, तुझे अपनी दोस्ती की कसम है, जल्दी बोल, क्या हुआ?
फिर सीपी खामोश रहा और फिर थोड़ी देर बाद बोला- यार! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है और अब मैं यह काम भी नहीं कर सकता हूँ.
मैंने बोला- मुझे साफ-साफ बता कि क्या हुआ!
सीपी ने सारी बात बताई.
कुछ 10-15 दिन पहले एक लड़की, उसका नाम सोनम है, आई और बोली- मुझे मेरे माप के कपड़े बना के दो!
वो लड़की इतनी सुन्दर थी कि पहले मैंने ऐसी लड़की पहले नहीं देखी थी क्योँकि मेरे यहाँ ज्यादातर औरतें आती हैं. वो अपने पापा के साथ आई थी. उसके पापा बैठ गये और फोन से बात करने लगे. मैं उसका माप ले रहा था, मैंने उसे छुआ तो वो लडकी मचल चुकी थी, वो बोली- पहली बार मुझे किसी लड़के ने छुआ है. पहले मेरे कपड़े औरतें ही बनाती थी.
और फिर और माप लिया और उसके स्तनों को छुआ तो वो लड़की कुछ अलग महसूस कर रही थी. फिर उसके नीचे का माप लिया तो वो लड़की कुछ अगल नजर से देख रही थी. फिर वो उसके पापा के साथ चली गई. मुझे वो लड़की अच्छी लगी थी पर मैं अपनी पत्नी से ही प्यार करता हूँ.
दो तीन दिन बाद सोनम का फोन आया- मुझे शादी में जाना है, कृपा करके आप मेरे घर पर आकर मेरा माप ले लें!
पता नहीं क्या हुआ, मैं कभी किसी के घर पर माप लेने नहीं जाता हूँ पर मैं उसके घर गया.
उसने मुझे ठंडा पिलाया और मेरा पूरा शरीर ठंडा हो गया. फिर उसके पापा किसी काम के सिलसिले में बाहर चले गये.
अब वो घर पर अकेली थी. मैं उसका माप ले रहा था. पहले उसकी ब्रा का माप लिया तो उसने मुझे पकड़ लिया.
मैं बोला- ये गलत है!
फिर मैंने उसके नीचे का माप लिया तो वो बोली- पहले का साइज ठीक नहीं था, अच्छे से लो!
फिर उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिये. उसका शरीर गोरा था, मैं उसके स्तनों को दबाने लगा.
वो बोली- क्या कर रहो हो? माप लो!
मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैं उसकी चूचियाँ मुँह से खा रहा था.
वो बोली- मत करो, छोड़ दो मुझे!
अब नहीं छोड़ सकता हूँ!
मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रखा और चाटने लगा.
फिर उसने अपना हाथ मेरी पैन्ट के अन्दर डाल दिया और बोली- क्या मैं आपका लण्ड मुँह में ले लूँ?
मैंने लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और वो चूसने लगी. अब हम दोनों पागल हो चुके थे.
फिर उसने बोला- लण्ड को मेरी चूत में डालो ना!
मेरे लण्ड की प्यास बढ़ गई और मैंने उसकी चूत में लण्ड डाला.
उसके मुँह से आऽऽआ आ की आवाजें आने लगी और बोली- हाय! डालो! और जोर जोर से डालो राजा!
फिर मैंने अपना पानी उसके बूब्स पर गिरा दिया. फिर मैंने अपना मुँह धोया और अपनी दुकान पर चला गया.
अब मुझे बस यही लगता है कि मैंने ऐसी गलती क्यों की और अब मैं यह काम नहीं कर सकता!
तो दोस्तो, यह सीपी (चन्द्रप्रकाश) की देसी कहानी थी.
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