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श्रीनगर की लड़की की कुंवारी चुत

 

बात उस समय की है, जब मैं बीटेक सेकंड ईयर का छात्र था. कहानी को आगे लिखूँ, इससे पहले मैं खुद के बारे में बता दूं, मेरा नाम शरद (बदला हुआ नाम) है. मेरी उम्र 23 साल है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूं और मेरा लंड छोटा मतलब साढ़े चार इंच का है.

मैं इस सेक्स कहानी से पहले अपने लंड के छोटे होने की बात से काफी परेशान भी था.

हालांकि मुझे इस दुविधा को अपने मन से निकालने में ज्यादा समय नहीं लगा. क्योंकि इससे लड़कियों को कुछ फर्क नहीं पड़ता कि लंड का साइज क्या है.

अब मैं उस घटना के बारे में बताता हूं कि मेरी एक लड़की से चुदाई कैसे हुई. मैंने एक वेबसाइट से उस लड़की से बात की शुरुआत की थी और उसको पटा कर अपने छोटे लंड की प्यास बुझाई थी. ये बात तीन साल पुरानी है.

मैं हर रोज उस साईट पर ऑनलाइन आता था. उधर चैट करने के दौरान जब मैं अपने लंड को खोल कर दिखाता था, तो हर लड़की मेरे छोटे लंड को देख कर मेरा मजाक भी उड़ाती थी. मुझे भी अब आदत हो गई थी.

पर एक दिन एक लड़की ज़ायरा ने मेरे छोटे लंड का नहीं उड़ाया. मुझे उस दिन अन्दर से बड़ी ख़ुशी हुई. मैंने उससे बात की, तो मालूम हुआ कि वो श्रीनगर की रहने वाली थी, पर दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी.
ज़ायरा ने बेवकैम पर अपना चेहरा नहीं दिखाया था, पर बात करते हुए उसने मुझे अपना फ़ोन नंबर दे दिया. ऐसे ही हम दोनों ने व्हाट्सएप्प पर बातें करना शुरू कर दीं.

एक दिन ऐसे ही उससे बातें करते करते उसने मुझसे पूछा- आपका वो छोटा सा है, तो आपको बुरा नहीं लगता?
मैं इस बात पर उसको कुछ बोल नहीं पाया और बस ऐसे ही जवाब दे दिया कि इसमें बुरा लगना जैसा क्या है. अब छोटा है तो है.

इस बात के बाद हमारी कुछ दिन बात नहीं हुई और मुझे लगा कि एक ही लड़की मिली थी, वो भी गयी. फिर एक दिन मैं और मेरा दोस्त पैसिफ़िक मॉल, दिल्ली में थे.

अचानक से ज़ायरा की कॉल आयी कि मैंने तुमको देख लिया है, तुम ऊपर फ़ूड कोर्ट पर आ जाओ.

उसने मेरी फोटो मेरे व्हाट्सैप की डीपी में देखी थी. मैं उसका अचानक से फोन आया देख कर पहले तो थोड़ा चौंका, मुझे थोड़ा डर भी लगा कि कहीं सबके सामने वो मेरे छोटे लंड का मजाक न उड़ाने लगे.

मैं तब भी ऊपर गया. वहां पर ज़ायरा अपने कुछ फ्रेंड्स के साथ बैठी थी. उसने सबसे मेरा परिचय कराया. उसके साथ थोड़ी देर बातें करके मैं वहां से आ गया. ये मेरी उससे पहली रूबरू वाली मुलाक़ात थी. उसने पता नहीं मुझमें क्या देखा कि अब हमारी फिर से हर रोज बात होने लगी.

एक बार की मुलाक़ात के बाद वो मुझसे कुछ ज्यादा ही पट गई थी. धीरे धीरे हम दोनों मिलने लगे और मूवी के लिए जाने लगे. तब भी अब तक उसके साथ मेरा ऐसा कुछ हुआ नहीं था, जिसे मैं सेक्स से सम्बन्धित कह सकूँ.

फिर एक दिन ज़ायरा ने कहा- हम सब दोस्त मिल कर जयपुर घूमने जा रहे हैं, तुम भी हमारे साथ चलो.
मैं बोला- ओके … मैं कल तक बताता हूं क्योंकि मुझे देखना पड़ेगा कि कॉलेज का कोई काम ना हो.
उसने भी ओके कह दिया.

मुझे उसके साथ जाने में कुछ मतलब हल होता दिखाई दे रहा था. मैंने सब काम खत्म करके उसे कॉल की और बोला- ओके, मैं चल सकता हूं.
पर ज़ायरा बोली- यार प्लान कैंसिल हो गया है … अब हम लोग नहीं जा रहे हैं.
मेरी मोमबत्ती बुझ गई, मुझे काफी दुःख हुआ. तब भी मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया और उससे गुडनाईट बोल कर सो गया.

अगले दिन मेरे दिमाग में पता नहीं क्या आया कि मैंने उसको बोला- यदि तुम्हारा सबके साथ जाने टूर कैंसिल हो गया है, तो कोई बात नहीं है. हम दोनों चलते हैं.
उसने उस समय मेरी बात नहीं मानी. लेकिन एक घंटे बाद ज़ायरा का फ़ोन आया और बोली- क्या सच में हम दोनों चल सकते हैं?

अब मैं थोड़े मजे लेने के मूड में था, तो बोला- तुम्हारी मर्जी हैं.
वो बोली- ठीक है … शुक्रवार की शाम को चलेंगे.
मैंने सारी व्यवस्थाएं जमाईं और जाने के लिए तैयार हो गया.

हम ट्रेन से जयपुर पहुंचे, वहां एक रूम बुक किया. फ्रेश होकर हम घूमने चले गए. रात को आए तो काफी थक गए थे. हम दोनों जल्दी ही सो गए.

अगले दिन ज़ायरा बोली- यार आज मुझे बियर पीनी है.
मैंने बियर कभी नहीं पी थी. लेकिन मैंने हामी भर दी.
हम दोनों ने 4 बोतल बियर खरीद लीं और डिनर के बाद साथ में बैठ कर बियर पी.

बियर काफी तेज नशे वाली थी. हम दोनों जो करना चाहते थे, अब वो बिना किसी शर्म के कर सकते थे. पर अभी तक मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था.

बियर पीने के बाद उसको भी चढ़ गयी थी और वो अपने पुराने बॉयफ्रेंड को गालियां देने लगी.
जैसे तैसे मैंने उसको चुप कराया. फिर उसने मेरी बोतल से भी पी और टांगें पसार कर सो गई.
अब तक सब सही चल रहा था. उस रात भी कुछ नहीं हुआ.

अगली सुबह हम दोनों के टूर की आखिरी सुबह थी. उस दिन रविवार था और आज रात को हमें वापिस जाना था.

अभी तक हम दोनों में बहुत दूरियां थीं और हमारे बीच गले मिलने से ज्यादा कुछ हुआ भी नहीं था.

दिन में मैंने हिम्मत करके ज़ायरा को अपने दिल की बात बताई, पर उसने कुछ नहीं बोला.
लंच के बाद हम दोनों साथ बैठे थे.
वो बोली- हमारी बातें कहां से शुरू हुई थीं … और आज हम कहां बैठे हैं.
मैं कुछ नहीं बोला, बस उसे देखने लगा.

ज़ायरा बोली- मैं तुम जैसे दोस्त के साथ खुश हूं … प्लीज यार ये दोस्ती खराब मत करो.
मैंने बोला- ओके … अब से मैं ऐसा कुछ नहीं बोलूंगा.

मैंने ट्रेन का स्टेटस देखा था, तो उस दिन न जाने किस कारण से ट्रेन 12 घंटे लेट थी. मतलब हम रविवार की रात भी साथ रुकने वाले थे. यही वो रात थी, जब मेरे लंड को सुकून मिलने वाला था.

डिनर के बाद हम दोनों सो गए. हम दोनों सिंगल थे तो दोनों ने लाइट जला कर सोना ही सही समझा.

रात को सोते वक्त उसके टॉप से ज़ायरा के मम्मे साफ़ तने हुए दिख रहे थे, जो मुझे उत्तेजित कर रहे थे. मैंने खुद को संभाला और कोई गलत काम नहीं करने का तय किया. हालांकि मेरी नींद गायब थी और मन विचलित था. मैंने सोचा ये तो चुत देगी नहीं, मैं मुठ ही मार लेता हूं.

बस ये सोचते ही मैंने अपने फोन में पोर्न वीडियो चलाई और बाथरूम में चला गया. वहां मैंने ब्लूफिल्म देखते हुए मुठ मारी और वापस कमरे में आ कर सो गया. पर जल्दी जल्दी में मैं फ्लश करना भूल गया था और मेरा वीर्य टॉयलेट में तैर रहा था.

सुबह वो मुझसे पहले उठी और बाथरूम गई. उधर मेरे माल की स्थिति कमोड में उसे तैरते हुए दिखी, तो वो समझ गयी.
ज़ायरा ने पूछा- ये क्या है?
मैंने सच बोल दिया- मैंने मुठ मारी है.
वो बोली- पर क्यों?
मैं बोला- यार, मुझे तुम्हारे मम्मे दिख रहे थे और मेरा दबाने का मन कर रहा था, पर दबा नहीं सकता था.

मेरी इस बात से उसको थोड़ा शॉक लगा और घूम गयी. फिर पांच मिनट बाद वापिस आयी और बोली- लो अब दबा लो.

अब मैं खुश था और जोर जोर से उसके मम्मों को दबाने लगा. वो भी आह आह कर रही थी.

मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया. अब तक हम दोनों ने इस बारे में सोचा भी नहीं था, लेकिन ये सब करते ही हम दोनों को मजा आने लगा और वो भी मेरा साथ देते हुए मजा लेने लगी.

हम दोनों लगातार आधे घंटे तक एक दूसरे को किस करते रहे. फिर ज़ायरा थक गई और मुझसे अलग हो गई. वो पानी पी कर बेड पर बैठ गयी और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी.

मैंने इशारे से पूछा- क्या हुआ?
उसने समझा कि मैं आगे कुछ करने के लिए पूछ रहा हूँ. उसने हां में सर हिला दिया.

मैंने घड़ी की तरफ देखा. एक घंटे बाद हमारी ट्रेन थी.
तभी ज़ायरा कहने लगी कि ट्रेन का टिकट कैंसिल कर दो यार आज और रुकने का मन है.
ये सही था कि जाने का मन हम दोनों का नहीं था … इसलिए हम दोनों आज और रुक गए.

अब तक हम दोनों की शर्म भी खत्म हो चुकी थी. मैं बाथरूम जाने लगा, तो उसने आवाज दी कि अब वो सब नहीं करना.
मैंने भी हंस का हां कह दिया. मैंने अन्दर देखा कि बाथरूम में बाथटब था, मैंने सोचा उसी में इसके साथ कुछ किया जाए. मैंने बाथटब में गर्म पानी भरने के लिए नल चला दिया … और सुसु करके कमरे में वापस आ गया.

ज़ायरा मुझे प्यार से देख रही थी. मैं आगे बढ़ा और उसको चूमने लगा. वो भी मेरे साथ लग गई. मैं उसको किस करते करते बाथरूम में ले आया, जहां पर मैंने पहले ही बाथटब भरने के लिए हल्के गर्म पानी का नल खोल दिया था.

अब बारी कपड़े उतारने की थी. मैंने उसको कुछ मिनट तक किस किया. इस बार वो साथ भी अच्छे से दे रही थी. मैंने उसका टॉप उतारा और नीचे शॉर्ट्स ही थे. मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. मैंने बस बटन खोला और थोड़ा सा नीचे किया तो उसके जिस्म से उसके शॉर्ट्स अलग हो गए थे.

उसके होंठ कांपने लगे थे. मैंने धीरे से उसको हर जगह छूना शुरू किया. अब बारी मेरी जीभ की थी. मैंने धीरे से उसके कानों को अपनी जीभ से उत्तेजित किया. उस समय उसका मुँह देखने लायक था क्योंकि वो बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रही थी. गाल एकदम गुलाबी हो गए थे. इस बात का फायदा उठाते हुए मैंने ज़ायरा की ब्रा खोल दी. मेरे सामने श्रीनगर की गोरी नंगी खड़ी थी. उसके मम्मे एकदम केसर मिले दूध जैसे रंगत लिए हुए थे, पर उसके निप्पल लाइट गुलाबी रंग के होंगे, ये मुझे आईडिया भी नहीं था.

मैं ज़ायरा के मस्त चूचे देख कर एकदम से पागल हो गया था. मैं उसके दूध के चूचुकों को बारी बारी से चूस रहा था और वो भी मस्ती में आँखें बंद करके मुझसे अपने दूध चुसवा रही थी. अगले दस मिनट तक मैंने उसके चूचुकों को चूस चूस कर लाल कर दिया था. उसके मम्मों पर भी बहुत सारे लव बाईट बना दिए थे.

इतने में वो बहुत उत्तेजित हो गयी थी और मेरा लंड पकड़ने लगी थी. ये देख कर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी. अब मेरा एक हाथ उसके एक दूध पर था दूसरा हाथ उसकी साफ चूत को सहला रहा था. मैं उसकी चूत में एक उंगली डाल कर आगे पीछे करने लगा था. उससे भी चुदास सहन नहीं हो पा रही थी.

ज़ायरा ने मेरी शर्ट उतारी और अपने मम्मों को मेरी छाती पर रगड़ने का मजा करवा रही थी. मैंने उसको बाथरूम के फर्श पर लिटाया और उसके मम्मों के गुलाबी चूचुकों को चूसते हुए उसकी नाभि को भी बहुत चूसा.

मैं उसे चूसते हुए धीरे धीरे नीचे आ रहा था. ऐसे में उसकी हालत खराब होती जा रही थी. मैंने उसकी जांघों को अच्छे से जीभ से फील किया. अब तक वो एक बार झड़ चुकी थी.

मैंने अपनी जीन्स उतारी और अंडरवियर में आ गया. मेरा लंड खड़ा था और ज़ायरा उसे छूने लगी.

हम दोनों पागल हो चुके थे. अब मैंने ज़ायरा की चूत को जीभ से चाटना शुरू किया. इससे वो पूरी तरह से मदमस्त हो चुकी थी और गांड उठा उठा कर साथ दे रही थी. अब मुझसे खुद भी सहन नहीं हो रहा था, तो मैंने उसे उठाया और बाथटब में ले गया. मुझे नहीं मालूम था कि ये उसका पहली बार था. बाथटब के गर्म पानी में जाने से हम दोनों को थोड़ा और ज्यादा मजा आने लगा था.

मैंने उसके मुँह के आगे अपना छोटा सा लंड कर दिया. ज़ायरा ने लंड पकड़ा और आधा लंड मुँह में ले लिया और आगे पीछे करने लगी. उसको छोटे से लंड से खेलने में बड़ा मजा आ रहा था. पर वो झड़ जाने के कारण ठंडी हो चुकी थी.

मैंने उसको डॉगी स्टाइल में किया, जिससे उसकी चूत थोड़ा पानी में थी थोड़ी बाहर थी.

मैंने ज़ायरा की चूत को फिर से चूसना शुरू किया. इस बार पानी का लगने के साथ मेरी जीभ का स्पर्श उसको पागल कर रहा था. दो मिनट में ही वो गर्म हो चुकी थी. मैंने अपने लंड को थोड़ा सहलाया और उसकी चूत के दरवाजे पर रख दिया.

उसी समय ज़ायरा ने मुझे बताया- मेरा पहली बार है, जरा ध्यान से करना.
यह सुन कर मैं अपनी किस्मत पर रश्क करने लगा.

पहले मैंने उसकी चुत को दो उंगलियों से खोला और लंड का सुपारा अन्दर फंसाने लगा. लंड के फंसते ही मैंने पहले धक्के में उसकी चूत में आधा लंड अन्दर कर दिया था. उसको दर्द हुआ, उसके मख से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो मुझसे अलग होना चाहती थी.

पर दोस्तो, सबको पता है ना कि डॉगी स्टाइल में लड़के की पकड़ अच्छी होती है. मैंने बिना सोचे समझे पूरा लंड उसके अन्दर कर दिया.
अब ज़ायरा रोने लगी थी. मर्द का लंड चाहे छोटा हो या बड़ा … पहली बार में दर्द करता ही है.

मैंने देखा पानी में खून आ गया था. वो खून नॉर्मल से कुछ ज्यादा था. ये देख कर मैं थोड़ा सा डर भी गया था. पर तभी वो आगे पीछे होने लगी. वो दर्द भूल कर लंड के मजे लेने लगी थी. हम दोनों को चुदाई का मजा मिलने लगा था.

आठ से दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया और ज़ायरा भी शांत हो गई थी. हम बाथटब में ही बैठ गए और किस करने लगे.

दस पंद्रह मिनट में फिर से गर्म हो गए. उस दिन हमने 4 बार सेक्स किया और जाने से पहले मैंने ज़ायरा की गांड भी मारी, जिसमें उसको चक्कर भी आ गया था.

मंगलवार को हम वापिस दिल्ली आ गए. उसके बाद से आज तक हम मिलते है और लंड चुत के मजे करते हैं.

दोस्तो और बाकी छोटे लंड वालो, आपको कैसी लगी मेरे छोटे लंड की प्यास बुझाने की दास्तान …

ये कहानी आपको कैसी लगी, नीचे कमेंट करके जरूर बताये।

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