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नमस्कार दोस्तो, अन्तर्वासना सेक्स कहानी पर ये मेरी पहली लिखी हुई कहानी है. मेरा नाम मुदित है और ये मेरी और मेरी मकान मालकिन के साथ चूत चुदाई की कहानी है. चूंकि इस मंच पर ये मेरी पहली कहानी है, तो यदि किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि हो जाए, तो आप सभी मुझे माफ़ कर दीजियेगा.

मैं दिखने में ठीक ठाक हूँ, मेरी उम्र 28 साल है और मैं अच्छी सेहत का मालिक हूँ. मेरे लंड की लंबाई 7 इंच की है और मोटाई ढाई इंच के करीब है. मैं कह सकता हूँ कि मेरा लंड किसी को भी संतुष्ट करने के लिए एकदम परफेक्ट है.

बात लगभग 4 साल पहले की है जब मैं लखनऊ में पढ़ाई कर रहा था. मैंने अपना रूम शिफ्ट किया, तो एक बंगाली परिवार, जिसमें एक लड़का और पति पत्नी रहते थे.

ये बंगाली बाबू, जिन्हें मैं भैया कहता था, कोई लगभग 48 साल के थे और उनकी पत्नी, जो बला की खूबसूरत थी, उनसे उम्र में बहुत ही छोटी थी. मैं उन्हें भाबी जी कहता था. मैं मन ही मन सोचता था कि अगर ऐसा सुंदर माल चोदने को मिल जाए तो मैं जन्नत की सैर कर लूं.

भाबी जॉब करती थी और रोज सुबह मैं उसे तैयार हो के जाते हुए देखता, तो बस अपना लंड मसल के रह जाता.

यार भाबी जी का क्या मस्त फिगर था … आह बड़ी सी गांड, बड़े उठे हुए बूब्स … सच में मैं तो बस उनका दीवाना ही हो गया था. मैं भाबी जी को अक्सर छुप छुप के देखा करता था. कई बार उसने मेरी चोरी पकड़ी भी, लेकिन नजर अंदाज कर दिया.

भाबी फर्स्ट फ्लोर पे रहती थी, मैं ग्राउंड फ्लोर पे रहता था. उसके कपड़े कभी कभार नीचे गिर जाया करते थे, तो मैं उन्हें उठा के ऊपर दे जाया करता था.

एक दिन उसकी ब्लैक कलर की ब्रा नीचे पड़ी हुई थी, मैं अपनी कोचिंग क्लास से वापस आया, तो मेरी नजर उसपे पड़ी. मैंने देखा कि वो एक कप ब्रा थी, उस टाइम पे घर में कोई नहीं था. मैंने चुपचाप ब्रा को उठाया और अपने रूम में ले आया.

मैंने अपने रूम का गेट बंद करके उस ब्रा को देखने लगा और उसके थनों को इमेजिन करने लगा. कब मेरा हाथ मेरी अंडरवियर में चला गया, मुझे पता ही नहीं चला. मैंने उसको सोच के लंड सहलाया, मुठ मारी और और सारा माल मैंने उस ब्रा पे निकाल दिया.

फिर चुपचाप मैं उसको वहीं रख के चला आया, जहां से मैंने उसे उठाया था. मैंने रूम में आके सो गया. जब मैं शाम को सो कर उठा, तब मैंने देखा ब्रा वहां पे नहीं थी. मैंने यही सोचा कि वो अपने कपड़े उठा के ले गयी होगी.

अगले दिन जब मेरा उसका सामना हुआ, तो वो मुझे बहुत ही अजीब नज़रों से देख रही थी. मैं समझ गया कि उसको मेरी उस हरकत के बारे में पता चल गया. मैं मन ही मन बहुत डर गया, मुझे लगा, अब वो मेरी शिकायत भैया से न कर दे और वो मुझे रूम से न निकाल दे. क्योंकि बड़ी मुश्किल से मैंने रूम शिफ्ट कर पाया था. यह सोचते हुए कॉलेज और कोचिंग से आते हुए मुझे शाम हो गई, लेकिन मेरा मन डरा हुआ था. जब घर आया तो यही सोचने लगा कि भैया कब न आ जाएं और मुझे घर से निकाल दें.

थोड़ी देर बाद स्कूटी की आवाज़ सुनाई दी, मैं समझ गया कि भाबी आ गयी है. अपने आफिस से, मैं बाहर निकला देखा तो भैया और भाबी दोनों साथ में खड़े थे. मेरी गांड फट गई, मैं अन्दर जाने लगा तो भैया ने आवाज़ दी.

मैं समझ गया कि बेटा मुदित तेरा काम तो हो गया, तू अपना बोरिया बिस्तर समेट ले और यहां से निकल ले. मैं उन दोनों के पास गया तो उन्होंने मुझे बस इतना पूछा कि सिलिंडर वाला तो नहीं आया था?
जब मैंने उनके मुँह से ये बात सुनी, तो तब कहीं जा के जान में जान आयी.

भाबी अभी भी मुझे देख रही थी, लेकिन उसके चेहरे के भावों को मैं पढ़ नहीं पा रहा था. वो दोनों ऊपर चले गए. मैं आने रूम में आ गया, लेकिन बड़ी देर तक सोचता रहा कि भाबी मुझे सिग्नल दे रही है या गुस्सा है. पर मैं किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहा था.

खैर मैंने अपना खाना बनाया खाया अगले दिन संडे था, खाना खा के सो गया.

मैंने बहुत बार कोशिश की कि मैं उससे अपने दिल की बात कह दूँ, लेकिन मैं डरता था कि कहीं भैया ने जान लिया या भाबी ने ही बात को दिया, तो मेरी तो लंका लगना तय था.

तब भी मैं उससे बात करने के नए नए बहाने ढूंढने लगा था और किसी न किसी काम के बहाने ऊपर जा के उनसे मिलने भी लगा था. लेकिन फिर भी मैं उससे बात न कह पाया, न ही उसने मुझसे कोई ऐसे बात कही, जिससे मुझे लगता कि वो मुझमें रुचि ले रही है.

इसी कड़ी में मैंने उसको उसके नाम से फेसबुक पर सर्च किया, तो बड़ी मेहनत के बाद वो मिल गई. मैंने उसे रिक्वेस्ट सेंड की तो 2 दिन बाद उसने उसे एक्सेप्ट कर लिया.

शुरुआत में तो नार्मल चैट होने के बाद मैंने उसकी तारीफ करना शुरू किया, तो वो पहले तो थोड़ा झेंपती रही. लेकिन बाद में मुझसे पूछने लगी- तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड है?
तो मैंने बताया कि ब्रेकअप हो गया है.
उसने कहा- उसके बाद कोई मिली नहीं?
तो मैंने बोल दिया कि अब तो सोच लिया है कि आपके जैसी ही कोई मिलेगी, तो ही प्यार करूँगा.

इस तरह की बातों में जब हम लोग आपस में खुल गए, तो धीरे धीरे हम लोग सेक्स चैट करने लगे. उसने बताया कि भैया उसे संतुष्ट नहीं कर पाते हैं. चूंकि वो उम्र में उनसे 10 साल छोटी थी, इसलिए उनमें अभी बहुत सेक्स का खुमार बाकी था.
मैंने उससे मिलने की बात की, तो वो कहने लगी कि जब कभी भैया घर पर नहीं होंगे, तो देखते हैं.

एक दिन उसका फ़ोन आया और उसने तुरंत मिलने को कहा. मैं अपने फ्रेंड के रूम पर था. मैंने एक घंटे में आने को कहा, तो वो कहने लगी कि भैया किसी काम से कानपुर गए हैं और उसका बेटा अपनी नानी के यहां है. वो घर पे अकेली है.
मैं समझ गया कि आज मुझे चूत मिलने वाली है.

जब मैं घर पहुंचा तो मैंने उसको कॉल किया. उसने तुरंत ऊपर आने को बोल दिया. मैंने हाथ मुँह धोया और थोड़ा परफ्यूम डाल कर ऊपर पहुंच गया.

उसने गेट खोला और सीधे बेडरूम में ले गयी. उस वक़्त भाबी ने ब्लैक कलर की कुर्ती और रेड लैंगिग्स पहन रखी थी. सच में कयामत माल लग रही थी. मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया.
तो वो हंस कर कहने लगी- इतनी भी क्या बेसब्री है, जरा रुक जाओ, थोड़ा सबर करो, सब मिलेगा.

वो मुड़ी और मेरे होंठ से अपने होंठों को सटा दिया. एक लंबा किस करने के बाद मैंने उसकी कुर्ती निकाल दी. मेरी आंखों के सामने उसके बड़े बड़े 38 साइज के बूब्स ब्लैक ब्रा में कैद थे. मैंने बेदर्दी से उसकी चुचियों को दबाना शुरू कर दिया. उसके मुँह से आह निकल गयी. उसने मेरी जीन्स और टी-शर्ट को निकाल के फेंक दिया और मेरी फ्रेंची में हाथ डाल के लंड सहलाने लगी.

मैंने भी भाबी की ब्रा को निकाल के फेंक दिया और खूब जोर से चुचियों को दबाने, चुसने लगा. भाबी की मादक सिसकारी मुझे और उत्तेजित कर रही थी. मेरा लंड एकदम टाइट होकर भाबी की चूत चोदने को तैयार था.

मुझे नंगा करने के बाद भाबी ने मेरा लंड मुँह में भर लिया.
आह क्या फीलिंग थी दोस्तो … आपको बता नहीं सकता, उनकी गर्म जीभ लंड पे फिसल रही थी और मुझे पागल कर रही थी.

इसके बाद हम लोग 69 की पोजीशन में आ गए. करीब 15 मिनट तक हम लोगों ने 69 में सकिंग ओरल सेक्स किया. इस दरमियान भाबी की चूत बराबर पानी छोड़ रही थी. भाबी जी के नमकीन पानी से मेरा सारा चेहरा भीग गया था.

अब उसने कहा- मुदित बस चोद डाल मुझे … सालों से मेरी ये चूत भूखी है. इसे एक ऐसे असली लंड की जरूरत है, जो इसकी भूख मिटा सके.

मैंने भाबीजी को बेड पर पटक दिया. अपने लंड को उनकी चिकनी चूत पर रख के एक बार में ही पूरा पेल दिया. उसकी गर्दन पीछे की तरफ अकड़ गयी और भाबी जोर जोर से चिल्लाते हुए मुझे चोदने को बोले जा रही थी.

मैंने जोर जोर झटके देना शुरू किया और चुचियों को दबाते हुए उनके चूतड़ों पर थप्पड़ मारने लगा. इससे भाबी और ज्यादा उत्तेजित हो कर मुझे गालियां देने लगी- मुदित भोसड़ी के … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मादरचोद चोद डाल मुझे … बुझा इस कुतिया की प्यास आह कुत्ते बहनचोद … आ न आह!

उसकी गालियों ने मुझे और उत्तेजित कर दिया. मेरे झटकों की स्पीड और बढ़ गयी. करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद भाबी जी का और मेरा पानी साथ में ही निकल गया. पानी निकलते ही उसके चहेरे पे संतुष्टि के भाव थे.

हम दोनों लोग बहुत देर तक वैसे ही लेटे रहे. फिर जब नार्मल हुए, तो भाबी एक बार फिर से मेरे लंड को पकड़ के सहलाने लगी. मेरा लंड जो सुस्त पड़ा था, एकदम से उसमें आग सी लग गयी और धीरे धीरे वो अपनी औकात दिखाने लगा. पूरे सात इंच का लौड़ा फिर से भाबी की चूत चुदाई के लिए खड़ा हो गया. भाबीजी एक बार फिर से उसको अपने मुँह में लेकर उसको चूसने लगी.

मैं उसके बड़े बड़े मोटे चूचों को बेरहमी से दबाने लगा. भाबी अपने मम्मों को दबवाते हुए पागल हो रही थी और मेरे लंड को और जोर से चूस रही थी. लंड चूसते समय वो बीच बीच में मेरे लंड पे थूक रही थी और उसे चाट भी रही थी.

मैं अब खड़ा हो गया था और झटके से एक बार में ही उसे गोद में उठा लिया. पता नहीं उस समय मेरे अन्दर इतनी ताकत कहां से आ गई थी, शायद ये भाबीजी को चोदने का जुनून था.

गोद में लिए हुए मैं उसके होंठों को चूस रहा था. वो मेरे लंड को चूत पे सैट करने लगी. लंड को सैट करने के बाद वो धच्च से लंड पे बैठ गयी. भाबी ने एक ही बार में पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया और उसपे उछलने लगी.
आह वो मंजर कितना दिलकश था, मैं आपको बता नहीं सकता.

लगभग 5 मिनट की खड़े खड़े चुदाई करने के बाद मैंने उसे लिटा दिया और उसके ऊपर आ के अपने लंड की स्पीड को बढ़ाते हुए चोदने लगा.
वो आंखें बंद करके बस गालियां बकने लगी- आह मुदित चोद न कुत्ते.. और जोर से मादरचोद.. मेरे यार आह ओह्ह आज मुझे बना डाल अपनी कुतिया रण्डी.. फाड़ दे मेरी चूत को बना दे इसका भोसड़ा.. फाड़ दे.

उसकी ऐसे गंदी गालियां सुन के मेरा जोश और बढ़ गया. मेरी स्पीड चार गुनी हो गई. मैंने बेड पूरा हिला दिया, मेरी स्पीड से उसके दूध जोर से हिल रहे थे. मैं उसके मम्मों पर थप्पड़ मारे जा रहा था. निप्पल को चूसते हुए दांत से भी काट रहा था.

लगभग पच्चीस मिनट की जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों साथ में झड़ गए और बहुत देर तक एक दूसरे से लिपटे हुए लेटे रहे.

चुदाई के बाद जो सुकून और संतुष्टि उसके चेहरे पर थी, वो मैंने इससे पहली कभी नहीं देखी थी. वो भावुक होकर एक बार फिर से मुझसे लिपट गयी और उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े. भाबी मुझे ‘आई लव यू’ बोलने लगी.

मैं भी उसके इस प्यार में बह के उसे चूमने लगा और एक बार फिर से तीसरी बार हम दोनों जोरदार सेक्स किया. मैंने भाबी को चोद कर तीनों बार अच्छे ढंग से संतुष्ट किया. उसने भी इस बात को माना कि उनके पति से कहीं ज्यादा अच्छे से मैंने उसको चोदा.

वो मुझसे चाय पी कर जाने के लिए जिद करने लगी. मैंने मना किया तो कहने लगी- अभी भैया को आने में बहुत समय है और तुम थक भी गए होगे. अभी यहां आराम से बैठो, मैं चाय बना के ले के आती हूँ.

उसने कपड़े पहने और चाय बनाने के लिए किचन की ओर बढ़ गयी. कोई 5 मिनट बाद वो चाय बना के ले आयी. हम दोनों ने साथ में बैठ के चाय पी. इस दरम्यान वो मेरी लव स्टोरी और ब्रेकअप के बारे में पूछती रही. मैंने उसे सारी कहानी बताई कि कैसे मेरी लव स्टोरी शुरू हुई.. और फिर खत्म कैसे हुई.

चाय पीने के बाद मैं अपने रूम में वापस आ गया.

उसके बाद अक्सर जब भी भैया बाहर होते और उसका बेटा नानी के यहां होता या स्कूल में होता, तो मैं उसकी चुदाई करता और उसे संतुष्ट कर देता.

तो यह थी मेरी पहली सेक्स कहानी, जो कि शत प्रतिशत सत्य है. कोई त्रुटि हो तो माफ करिएगा. इसके बाद कैसे उसने अपनी एक फ्रेंड से मिलवाया और उसके साथ सेक्स की दास्तान को, फिर कभी आप सभी के सामने रखूंगा. दोस्तों आपको कहानी कैसी लगी, नीचे कमेंट करके बताना मत भूलियेगा.

आगे की कहानी: प्यासी बंगालन की सहेली की हवस पूर्ति

Related Tags : कामवासना, गैर मर्द, देसी भाभी, रियल सेक्स स्टोरी
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