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नमस्कार दोस्तो, मैं राज़ पांडेय गोरखपुर के पास के एक

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मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग (जेठ के लंड ने

पापा के दोस्त की बेटी की कामुकता

मेरा नाम जिग्नेश है और में गुजरात के एक शहर में अपने पापा के साथ रहता हूं. मेरी मम्मी नहीं है और में घर पे ही अकाउंटस लिखने का काम करता हूँ. मेरा शरीर ठीक है या शायद कुछ पतला सा है और लंड भी ठीक है.
यह कहानी मेरी और मेरे अंकल की लड़की की है. मेरी उम्र 24 साल है और इससे पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था. मन तो बहुत करता था पर कभी जुगाड़ नहीं हुआ. हाँ, कभी मैं ब्लू फिल्म देख लेता या मुठ मार लेता था, या कभी मौका मिले तो किसी औरत को छू लेता था. लेकिन सेक्स किया नहीं था, सेक्स का ज्ञान मुझे बहुत था.

तो हुआ यूं कि एक दिन में बाहर गया था और पापा को उस दिन काम से छुट्टी थी तो वो घर पर थे. शाम को जब मैं घर आया तब देखा कि पापा के एक दोस्त मेरे अंकल की बेटी जिसका वास्तविक नाम मैं नहीं बताना चाहता, वो आई हुई थी. उसका नाम मिष्टी रख लेते हैं. मैंने उन्हें दीदी कहता था.
मैंने सोचा कि मिष्टी अपने किसी काम के सिलसिले में आई होगी. मैंने उनके साथ थोड़ी बातें की. मिष्टी की उम्र 26 या 27 साल है और उनका फिगर भी अच्छा है जो सेक्स में पूरा मजा दे सके.उनके बूब्स का साइज 40 या 41 के पास होगा.

उनसे बात करते हुए मुझे पता चला कि वो यहाँ 10 दिन रहेगी क्योंकि उनके घर पे उनके रूम का रिनोवेशन हो रहा है.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने कभी उनके बारे में गलत नहीं सोचा था और न ही वो मेरे घर आई, तब मैंने सोचा.
खैर उस शाम हमने थोड़ी बातें की और खाना खाकर सो गए.

दूसरे दिन सुबह पापा तो चले गए उनके टाइम पर … मैं 10 बजे के आसपास उठा तब दीदी ने चाय बनाई और हमने साथ में चाय नाश्ता किया. उसके बाद मैं नहाने गया और नहाने के बाद मैं एक घंटे के लिए बाहर गया.

दोपहर को मैं जब घर आया तब मैंने देखा कि मिष्टी दी ने एक टीशर्ट और नीचे पजामा पहना हुआ है शायद उन्होंने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी.
मुझे देख कर उन्होंने कहा- तुम हाथ मुंह धो लो और खाने बैठ जाओ.
मैंने कहा- आप सारा खाना बना लो, हम साथ में खाएंगे.
तो उन्होंने कहा- नहीं, तुम बाहर से आये हो तो गरमागरम खा लो, मैं रोटी बनाकर तुम्हें परोसती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है!
और मैं बैठ गया.

वो जब भी रोटी देने के लिए झुकती तब दी के बूब्स दिखते थे. पर मैंने कुछ खास ध्यान नहीं दिया क्योंकि मुझे लगा कि टीशर्ट पहना है तो इतना तो दिखता है.
मैंने खाना खा लिया और बाद में उन्होंने भी खाना खा लिया.

दी घर पे नई थी और उनको मालूम नहीं था कि घर में कौन सी चीज कहाँ पड़ी है तो वो बार बार मुझे आवाज लगाकर बुलाती थी और मैं जब भी उनके पास जाता, मैंने देखा कि वो मेरे एकदम नजदीक खड़ी रहती थी ताकि मैं उनकी बॉडी पूरी देख अकूँ और उत्तेजित होऊँ. फिर मुझे लगा कि शायद ऐसा नहीं हो सकता, वो मेरा वहम है और मैंने कुछ ध्यान नहीं दिया.

लेकिन मिष्टी दी बार बार मुझे कोई ना कोई काम के बहाने अपने पास बुलाती और एकदम बाजू में खड़ी रहती. दो तीन बार तो उनका हाथ मेरे लंड को भी लगा पर मुझे लगा कि गलती से हुआ होगा.
फिर मैंने मार्क किया कि वो जब भी मुझे बुलाती, तब वो एकदम मेरे आगे खड़ी रहती थी ताकि उनकी गांड मेरे लंड को छू सके या उनका हाथ!
अब मुझे थोड़ा डाउट होने लगा पर मैंने कुछ नहीं कहा.

दो तीन दिन यों ही बीत गए लेकिन इन दो तीन दिन में उनकी गांड और हाथ कई बार मेरे लंड से टच हुए और उनके बार बार झुकने से उनके बूब्स भी दिखे पर मैंने कुछ किया नहीं! क्योंकि मुझे डर लग रहा था कि कहीं यह मेरा वहम निकका की वो मुझे उत्तेजित कर रही है.

लेकिन मुझे याद है पाँचवें दिन जब मैं सुबह उठा तब मैंने देखा कि दी आज कुछ अलग दिख रही हैं. शायद उनके दिमाग कुछ चल रहा था.
उसके बाद मैं नहाने चला गया. नहाने के बाद मैंने चाय नाश्ता किया उनके साथ और फिर मैं मोबाइल में गेम खेलने लगा और वो नहाने चली गई.

दी जब नहाकर बाहर आई तब मैंने देखा कि उन्होंने मेरा एक शर्ट और नीचे पजामा पहना है.
मैंने पूछा- मेरा शर्ट क्यों पहना है आपने?
तो उसने कहा- बस ऐसे ही आज मन हुआ तो मैंने पहन लिया!
मैंने कहा- ठीक है!

पर शर्ट में उनके बड़े से बूब्स एकदम मस्त दिख रहे थे और शायद इसीलिए उन्होंने जानबूझकर शर्ट पहना था. मैंने देखा कि उन्होंने शर्ट का एक बटन खुला रखा हुआ है ताकि वो जब भी झुकें तब मैं उनके बूब्स देख सकूँ. थोड़ी देर उन्होंने घर का काम किया और फिर थोड़ा टीवी देखने के बाद 12:30 बजे तो उन्होंने कहा- मैं खाना लगाती हूँ. तू बैठ जा, मैं गरमागरम रोटी तुझे खिलाती हूं.
मैंने कहा- ठीक है!
और मैं लंच करने बैठ गया.

लेकिन खाते समय मैंने नोटिस किया कि वो आज रोटी देने के लिए कुछ ज़्यादा ही झुक रही है. पर मैंने फिर एक बार ऐसा सोचा कि मेरा वहम होगा और खाना खा लिया. खाने के बाद मैं तो अपना मोबाइल लेकर बैठ गया और वो अकेले खाना खाने बैठ गई.

दी ने खाना खा लिया और जहाँ मैं बैठा था, वहाँ एकदम बाजू में आकर लेट गई, कहने लगी- मैं 5-10 मिनट आराम कर लेती हूं, उसके बाद झाड़ू और पौंछा लगाती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.
और मैंने नोटिस किया कि दी ने लेटते हुए भी शर्ट का बटन खुला रखा है और ऐसे लेटी हैं कि मैं उनके बूब्स देख सकूँ. मैंने देखा कि उनके बूब्स साफ दिखाई दे रहे थे लेकिन दी के निप्पल देखने में थोड़ी परेशानी हो रही थी.

दी के बूब्स देखने के कारण मेरा भी लंड खड़ा हो गया था और उन्होंने यह देखा कि मेरा लंड तना हुआ है तो अनजान बनते हुए एक हाथ मेरे लंड के ऊपर रखकर उठने लगी और कहा- चलो अब काम कर लेती हूं.
और वो झाड़ू लगाने लगी. मैंने देखा कि उनके शर्ट के ऊपर के दो या तीन बटन खुले हुए हैं और उनका एक बूब पूरा बाहर है और वो अनजान बनकर झाड़ू लगा रही थी. वो मेरे एकदम पास आकर झाड़ू लगा रही थी और स्तनों के दर्शन करवा रही थी. मेरी हालत एकदम खराब थी और लंड भी अकड़ रहा था पर वो अनजान बनकर सबकुछ तमाशा देख रही थी.

थोड़ी देर बाद वो एक बाल्टी और पौंछा लेकर आई और पौंछा लगाने लगी लेकिन तब मैंने देखा कि अब उनके एक नहीं, दोनों बूब्स बाहर हैं और एकदम पूरी तरह से. अब मैं भी देखने लगा था क्योंकि मैं पहली बार इतनी नजदीक से और इतने मस्त बूब्स देख रहा था. मां कसम … क्या निप्पल थे एकदम भूरे भूरे और छोटे छोटे.

दीदी के बूब्स देखने की वजह से मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था और पैंट में बम्बू बन गया था. वो जानबूझकर अब मेरे आसपास ही पौंछा लगाने लगी और बूब्स एकदम नजदीक से दिखाने लगी. करीब तीन चार मिनट तक वो मेरे आसपास ही पौंछा लगाती रही पर मैं उतने टाइम में झड़ गया सिर्फ उरोज देख कर.

अब उसने पौंछा खत्म कर दिया और पानी बाहर डालकर, पौंछा सुखाकर मेरे एकदम बाजू में बैठ गई. तब भी दी के शर्ट के बटन खुले थे और मैं बार बार उन्हें देख रहा था और वो भी इस बात को नोटिस कर रही थी. वो मुझसे बहुत चिपक के बैठी थी. अब दी ने अपना मोबाइल उठाया और मुझसे कहा- मोबाइल में काम कैसे करते हैं, मुझे सिखाओ.
वो सिर्फ एक बहाना था पर मैंने कहा- ठीक है.

और वो एक के बाद एक ऐसे करते हुए मुझसे सब मोबाइल के बारे में जानने लगी पर मेरी नज़र उनके बूब्स पर ही थी और मेरा लंड वापिस तन गया था जो दी ने देखा. अब उसने अनजान बनते हुए एक हाथ मेरे लंड पे रख दिया और मेरे लंड के कड़क होने का महसूस किया. और एक हाथ से दी ने अपना एक बूब थोड़ा ऊपर किया ताकि मैं पूरा साफ देख सकूँ.
वो जानबूझकर अपने बूब्स एक के बाद एक ऊपर कर रही थी अब उसके दोनों बूब्स आधे बाहर थे और उसका एक हाथ पूरी तरह मेरे लंड पे था. पर वो अभी भी मोबाइल के बारे में बात करने का नाटक कर रही थी.

मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी पर मजा भी आ रहा था तो मैं चुपचाप बैठा रहा. दीदी ने धीरे धीरे मेरे लंड पे हाथ घुमाना शुरू किया, पहली बार कोई लेडी मेरे लंड को छू रही थी तो मुझे तो एकदम स्वर्ग सा लग रहा था. दी ने महसूस किया कि मेरा लंड एकदम सख्त हो गया है तो उसने मेरी पैंट की जीप खोलकर लौड़ा बाहर निकलने की कोशिश की पर वो कामयाब ना हो पाई क्योंकि मैंने अंडरवीयर पहना हुआ था.

पर मैंने समय और मौके की नजाकत देखते हुए खुद ही अपना पैंट और अंडरवियर निकाल दिया अब मैं सिर्फ एक टीशर्ट में था. जैसे ही दीदी ने मेरा लंड देखा, उनकी आँखों में एक चमक आ गई और उसने फटाक से मेरा लंड मुख में ले लिया.
मुझे मजा आ रहा था क्योंकि पहली बार था. वो बार बार अपने मुंह को आगे पीछे करके मेरा लंड चूस रही थी पर मैं 3-4 मिनट में झड़ गया उनके मुंह में बिना उन्हें बताए.
पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और वो सारा माल पी गई.

अब मुझे शर्म आ रही थी पर मिष्टी दीदी पता चल गया कि मेरा पहली बार है तो दी ने कहा- होता है ऐसा तो!
थोड़ी देर बाद दी ने अपनी शर्ट उतार दी और मेरे हाथ में अपने बूब्स दे दिए. मैं पागलों की तरह दीदी की चूची दबाने लगा जिससे उन्हें बहुत मजा आ रहा था और मुझे भी.
फिर मैंने कहा- दीदी, क्या मैं इन्हें चूस सकता हूँ?
तो उन्होंने बड़े प्यार से अपना एक बूब मेरे मुंह के पास लाकर कहा- लो चूसो जितना चूसना है.

मैं दीदी के बूब्स के निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा और काटने लगा और एक हाथ से दूसरे बूब्स को दबाने लगा. उन्होंने भी देर ना करते हुए वापिस मेरे लंड को सहलाना शुरू किया और कुछ ही देर में मेरा लंड वापिस तन गया.

जैसे ही लंड एकदम कड़क हो गया, दीदी एकदम से खड़ी हो गई और अपना पजामा निकाल दिया. तब मैंने पहली बार कोई चूत देखी और वो भी एकदम नजदीक से. मैं दीदी की चूत को एकदम ध्यान से देखने लगा था, मस्त चूत थी और उस पर बाल भी ज्यादा थे.
उन्होंने देर ना करते हुए मुझे धक्का मारकर लेटा दिया और वो अपने पैर चौड़े करके मेरे ऊपर बैठने लगी.

उन्होंने अपनी दो उंगलियों से अपनी चुत को थोड़ा खोला और धीरे धीरे करके मेरे लंड पर अपनी चुत सटा दी और खुद ही अपने आप जोर देकर लंड चुत के अंदर लेने लगी और मुझसे कहा- थोड़ा धक्का तुम भी लगाओ.
तो मैं भी धीरे धीरे धक्का देने लगा और लंड अंदर डालने लगा. थोड़े धक्के देने के बाद लंड अंदर चला गया और मैं धक्के देने लगा. अब मैं हवा में उड़ रहा था, वो भी मेरे ऊपर बैठकर ऊपर नीचे अपने शरीर को कर रही थी. मैं दोबारा दो तीन मिनट में दीदी की चुत के अंदर झड़ गया पर फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा. वो थोड़ी देर ऐसे ही मेरे ऊपर बैठी रही और मैं उनके बॉबे दबाता रहा.
दीदी को लगा कि मैं थक गया हूं और सच में मैं थक गया था तो वो मेरे ऊपर से नीचे उतरी और बाथरूम में चली गई. थोड़ी देर बाद दीदी बाथरूम से बाहर पूरी नंगी निकली. शायद वो नहाकर निकली थी पर उसके चेहरे पर एक सुकून था.

मैं तो अभी भी नीचे से नंगा ऐसे ही लेटा था. उन्होंने कहा- थोड़ी देर सो जाओ!
तो मैं ऐसे ही नंगा लेट गया और वो कपड़े पहनने लगी. मुझे भी एक अजीब सी फीलिंग हो रही थी और मैं उसी का विचार करते हुए सो गया.

करीब चार बजे मैं उठा और सोचा कि एक बार और दीदी की चूत का चोदन कर दूँ तो मैं उन्हें ढूँढने लगा. मैंने देखा कि दी किचन में चाय बना रही हैं तो मैं झट से उनके पीछे जाकर उनके बूब्स दबाने लगा और अपना लंड उनकी गांड पे रगड़ने लगा. मिष्टी दीदी भी तैयार थी तो उन्होंने कोई विरोध नहीं किया.

मैंने फटाक से उनका पजामा नीचे सरका दिया और उन्हें मेरी तरफ मोड़ दिया और उनकी चूची चूसने लगा.
उन्होंने कहा- अब मेरी चुत चाटो!
तो मैं अपने घुटनों के बल बैठ गया, उन्होंने अपने पैर फैलाये और मैं उंगलियों से दीदी की चुत में अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा और एक हाथ ऊपर करके दीदी की चूची दबाने लगा. वो मेरा सर पकड़कर दबाव डाल रही थी, मैं भी जितना ज्यादा हो सके, उतनी जीभ चुत के अंदर डालकर चाटने लगा.

अब दीदी कामुकता की चरम सीमा पर पहुँच गई थी तो उन्होंने मुझे खड़ा किया और वो मुड़कर झुक गई और मैंने उनकी चुत पे लंड लगा कर एक जोरदार धक्का दिया. पर उन्होंने सहन कर लिया. अब उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी उंगलियाँ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं दूसरे हाथ से उनका बूब दबाने लगा.

थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरा लंड बाहर निकाला और मुड़ कर अपना एक पैर बाजू में पड़े एक टेबल पर रखा और एक पैर जमीन पर. उन्होंने अपने हाथ से लंड को पकड़कर चुत पर वापिस लगाया और मैं धक्के देने लगा.

उन्होंने मुझे गले से पकड़ते हुए उनके होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और हम किस करने लगे. कभी वो मेरे होंठ चूसती थी कभी मैं उनके होंठ. मुझे तो बहुत मजा आ रहा था और उन्हें भी आनन्द आ रहा था ऐसा मुझे लगा.
6-7 मिनट चोदने के बाद वापिस एक बार में उनकी चुत में झड़ गया.

तो यह थी मेरी दीदी की कामुकता और उनकी चुदाई कहानी. आशा करता हूँ कि आपको पसंद आयेगी. मुझे कमेंट करके बताना.

Related Tags : अंग प्रदर्शन, इंडियन सेक्स स्टोरीज, कामुकता, दीदी की चुदाई, बेस्ट लोकप्रिय कहानियाँ
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