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पहली बार की चूत चुदाई स्कूल में

हाय दोस्तो, मेरा नाम हिमानी शर्मा है.. मैं 26 साल की हूँ और मैं बहुत दिनों से कामुक्ताज डॉट कॉम पर व्यस्क कहानियाँ पढ़ रही हूँ.. तो मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी सेक्स स्टोरी आप लोगों के साथ शेयर करूँ।
यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है और ये सब कामुक्ताज डॉट कॉम पर बताने के लिए मेरे फ्रेण्ड स. कुमार ने मुझको बताया है।

वैसे मैं कोई अश्लील शब्द का प्रयोग नहीं करती हूँ पर यहाँ की कहानियों में मैंने लण्ड.. चूत.. और चुदाई जैसे शब्दों का प्रयोग होते देखा है जिससे वास्तव में कामुक्ताज डॉट कॉम अपने नाम को सिद्ध करती है और इसी को देखते हुए मैंने भी ऐसे शब्दों को इस्तेमाल किया किया है.. उसके लिए सॉरी..
अब कहानी पर आती हूँ।

आज मेरा फिगर 32-30-34 का है.. बहुत से लड़के मुझ पर आज भी मरते हैं..
उस वक्त मेरा गोरा बदन.. 28-24-28 का मोहक फिगर.. उम्र 20 की थी, मेरा पूरा बदन भरा-पूरा था, मेरे काले घने बाल लेकिन छोटे थे।
उसी कालखण्ड में कहानी लिख रही हूँ।
बहुत से लड़के मुझ पर मरते हैं.. बाकी लड़कों के साथ मेरे पड़ोस में ब्यूटी पार्लर वाली आंटी का लड़का भी था।
मैं 12वीं क्लास में पढ़ती हूँ और मेरी आंटी का लड़का अनुराग भी मेरे साथ मेरे स्कूल में ही 12वीं क्लास में पढ़ता है, स्कूल की बहुत सी लड़कियाँ उस पर मरती हैं।

मैं उसे अनु कह कर बुलाती हूँ और हम दोनों साथ ही स्कूल जाते हैं, इस तरह लगभग सारा समय इकट्ठे ही बिताते है। हम दोनों अच्छे दोस्त थे.. इस वजह से अनु अक्सर हमारे घर आता-जाता था।

एक दिन मेरे-स्कूल में बायो का प्रैक्टिकल चल रहा था। मैं और मेरी फ्रेण्ड दिव्या साथ में ही थे। यह मेरे इम्तिहानों का फाइनल वाला प्रैक्टिकल था।
मैं और दिव्या अपनी ही मस्ती में थे, हम दोनों मेंढक के नीचे वाले अंग देख रहे थे। ओहह.. अब आप से क्या छुपाना.. मैं और दिव्या मेंढक के पप्पू महाराज के दीदार कर रहे थे।
तभी दिव्या ने कहा- इतने से लण्ड से क्या करता होगा मेंढक?

मेरे मुँह से निकल पड़ा- उसकी मेंढकी से जा कर पूछ.. जिसकी चूत में ये जाता है.. वो ही बताएगी।
इस बात को उसके ब्वॉय-फ्रेण्ड ने सुन ली और वो हमारे पास आकर बोला- हिमानी तुम्हारा तो पता नहीं पर.. दिव्या को सब पता है कि कैसा मज़ा आता है।

मैं यह सुन कर थोड़ी सी भौंचक्की रह गई।
बाद में दिव्या ने मुझे बताया कि वो उसके साथ चुदाई का मज़ा ले चुकी है और वो भी स्कूल में ही चुदी थी।

मैं उसकी बात सुन कर गर्म हो चुकी थी और मेरा मन कर रहा था कि कोई आकर मेरी भी चूत में अपना लण्ड डाल दे..
पता नहीं इस ख़याल में मेरा हाथ पता नहीं कब चूत पर चला गया.. और मैं उसको सहलाने लगी।
उस वक्त मेरी मुन्नी पर बाल थे..

तभी दिव्या ने मुझको बोला- चल तुझको ठंडी कर देती हूँ।
मैं मना किया.. लेकिन वो मानी नहीं और मुझे टॉयलेट में ले गई।
उस वक्त वहाँ कोई नहीं था.. क्योंकि स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी।

मैं वहाँ गई.. तो उसने जाते ही मेरी पैन्टी और सलवार एक झटके में उतार दिया। मैं हैरान थी कि वो करना क्या वाली है। उसके बाद वो मेरी मुन्नी को सहलाने लगी.. कभी वो अपनी उंगली मेरी चूत में अन्दर कर दी.. कभी बाहर..
यह कहानी आप कामुक्ताज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं अपने होश में नहीं थी.. पर मुझे मज़ा आ रहा था।
बस 5 मिनट में ही मेरी मुन्नी ने पानी छोड़ दिया और दिव्या ने अपने रूमाल से मेरी मुन्नी को साफ़ किया।
उसके बाद बोली- चूत की सफाई नहीं करती है क्या?

मैंने कहा- रोज़ तो नहाती हूँ.. और साबुन से रोज चूत साफ़ करती हूँ।
वो बोली- पागल बचपन वाली सफाई नहीं.. बड़ी वाली।

मैं समझी नहीं कि वो कहना क्या चाहती है।

उसने बोला- तू ऐसे ही खड़ी रह और अपनी आँखें बंद कर ले।

जैसा वो बोली.. मैंने किया.. तभी मुझे लगा कि मेरी चूत पर कुछ चल रहा है.. लेकिन मैं देख नहीं पाई.. क्योंकि उसने मेरी आँखों पर रूमाल बाँध दिया था।

मैंने रूमाल हटाया तो देखा.. मेरी मुन्नी का वो आधा मुंडन कर चुकी है।

मैंने उससे बोला- क्या कर रही है..?

बोली- तेरी मुन्नी को बड़ा बना रही हूँ।

कुछ ही देर में उसने मेरी मुन्नी को पूरी तरह से गंजा कर दिया। पहली बार मैंने अपनी चूत को बिना बालों के देखा था। बहुत प्यारी लग रही थी। उसके बाद वो और मैं क्लास में वापस आ गए।

प्रैक्टिकल हुआ और सब घर जाने को रेडी हो गए.. मैं.. अनु.. दिव्या और उस का ब्वॉय-फ्रेण्ड ही रह गए थे।
दिव्या बोली- हिमानी तुम जाओ.. मैं थोड़ा सा लेट आऊँगी।
मैं समझ गई.. और बोला- ठीक है..

उसके बाद मैं ओर अनु जाने लगे कि तभी अनु को कुछ काम याद आ गया, वो बोला- हिमानी तुम चलो.. मैं अभी आता हूँ… मुझे कुछ काम है।
मैंने बोला- ठीक है।

मैं चलने लगी.. तभी मुझे दिव्या की याद आई कि देखना चाहिए कि वो वहाँ कर क्या रही है?
मैंने सोचा वापस जा कर देखती हूँ कि माज़रा क्या है।
मैं वापस स्कूल में गई.. सब जगह देखा.. पर मुझे वो दोनों नहीं दिखे।

मैं वापस आने लगी.. तभी कुछ ‘खुस्स फुस्स’ की आवाजें आ रही थी- आराम से डालो.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी.. आह्ह..
मैंने वापस जाकर देखा कि दिव्या पूरी नंगी थी और अंकित दिव्या का ब्वॉय-फ्रेण्ड भी नंगा था। दिव्या उसकी गोद में बैठी थी.. और पागलों की तरह उछल रही थी।
उन दोनों को कुछ भी होश नहीं था कि मैं भी यहाँ हूँ।

दस मिनट तक वो उसकी गोद में मज़े ले रही थी। उसके बाद दिव्या उसके कान में कुछ बोली तो अंकित ने उसको गोद से उतार कर बड़े वाले डेस्क पर ले गया और वहाँ लिटा दिया। उसके बाद अंकित अपना लौड़ा उसकी चूत में डालने लगा।

इस चुदाई को देख कर मैं भी पागल हो गई थी.. ये क्योंकि पहली बार था जब मैंने किसी लड़के का लौड़ा रियल में देखा था… वो भी अपनी बेस्ट फ्रेण्ड की चुदाई करते हुए।
उसके बाद अंकित दिव्या के ऊपर चढ़ गया और तेज-तेज झटके देने लगा। दिव्या पागलों की तरह.. कभी किस करती.. कभी अपने मम्मों को दबाती.. कभी कुछ करती..

अंकित ने अपना लण्ड आराम से निकाला और एकदम से उसकी गाण्ड में डाल दिया।
दिव्या उसके लिए रेडी नहीं थी.. वो चिल्लाई.. लेकिन अंकित ने उसका मुँह बंद कर दिया और पूरा लौड़ा उसकी गाण्ड में डाल दिया।

दिव्या अब भी मज़े ले रही थी.. थोड़ी देर बाद वो दोनों झड़ गए और कपड़े पहनने लगे।
मैं भी वापस जाने के लिए जैसे ही मुड़ी.. तो मैंने देखा कि मेरे पीछे अनु खड़ा था और उसकी पैन्ट आगे से गीली और ऊपर को उठी हुई थी।
मैंने उसको हटाना चाहा.. तो बोला- हिमानी.. तुम ऐसी होगी.. मैं सोच नहीं सकता था।

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसी कमरे में अन्दर ले गया.. जहाँ दिव्या की चुदाई चल रही थी।
थोड़ी देर हमारी बहस हुई तो पता चला कि यह इन तीनों का प्लान था कि मेरी और अनु की भी चुदाई करवा ही दी जाए।
मैं ये सुन कर हैरान थी कि मेरी बेस्ट फ्रेण्ड ही मेरी ठुकाई की तैयारी करवा रही थी।

मैंने मना कर दिया- मुझको ऐसा कुछ नहीं करना है..
लेकिन अनु ने मेरा हाथ पकड़ लिया- आई लव यू.. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।
मेरे होंठों को चूसने लगा..
तो मैंने कहा- नहीं अनु.. ये सब ग़लत है.. तुम मेरे फ्रेंड हो..

अनु ने मेरे कंधे हाथ रख दिया और कहने लगा- देखो हिमानी मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ.. और जैसे-जैसे तुम जवान हो रही हो.. मैं तुम्हें और भी प्यार करना चाहता हूँ।
उसने मेरे गाल पर एक चुम्बन कर दिया.. मैं शर्मा गई और मैंने कहा- अनु प्यार तो मैं भी तुमसे करती हूँ.. पर अगर किसी को पता चल गया.. तो बहुत बुरा होगा।
अनु बोला- अरे किसी को कुछ पता नहीं चलेगा..

मैं तो वैसे ही दिव्या की चुदाई देख कर गर्म हो चुकी थी… मैंने ज्यादा नाटक नहीं किया।
फिर उसने धीरे से अपने हाथ मेरे मम्मों पर रख दिया और कहा- हिमानी मैं इनका रस पीना चाहता हूँ।

उसने मेरे शर्ट को ऊपर कर दिया। आगे कुछ और होता.. इससे पहले वहाँ से दिव्या और अंकित चले गए थे।
दिव्या मेरे हाथ में जाने से पहले कन्डोम का पैकेट दे कर हँसते हुई बोली- हैपी फकिंग डे..

मैं भी हँस पड़ी थी।
उसके बाद अनु ने मेरी कमर में अपना हाथ डाल दिया, अब मैं भी गर्म हो गई थी, अनु मेरे मम्मों को ब्रा के ऊपर दबाने लगा.. वो बेरहमी से मम्मों को मसल रहा था।

एक साथ दोनों मम्मों को बुरी तरह मसलने से मैं एकदम से चुदासी हो उठी। अनु ने मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठों को रख दिए और उन्हें बुरी तरह चूसने लगे।
वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगा था। अब उसने मेरे कपड़े उतारना शुरू किए.. पहले मेरी कमीज़ निकाली.. फिर मेरी सलवार खींच दी।
अब मैं सिर्फ पैन्टी और ब्रा में थी। फिर अनु ने मेरी ब्रा भी निकाल दी और वो मेरे तने हुए मम्मों को चूमने-चाटने लगा।
अनु के साथ ये करते हुए बहुत सेक्सी लग रहा था..

मैं अपने दोस्त के साथ नंगी थी, अनु मेरे मम्मों को मुँह में पूरा भर के चूस रहा था और अपने एक हाथ से मेरी चूत को भी सहला रहा था।
फिर थोड़ी देर बाद अनु ने मेरी अनछुई चिकनी-चिकनी जाँघें चूम लीं.. मैं सिहर उठी।
अनु पागलों की तरह मेरी जाँघों को अपने मुँह से सहला रहा था और चूम रहा था। फिर हौले से अनु ने मेरी पैन्टी भी निकाल दी।

मेरी बिना बालों वाली अधखिली गोरी गुलाबी चूत को देखते ही वो एकदम से चकित रह गया और बोला- दिव्या शेव अच्छी करती है।
मैं हँस दी..
उसने मुझको बोला- दिव्या को मैंने ही बोला था कि तेरी मुन्नी का मुंडन कर दे।
अनु ने मेरे पूरी चूत हाथ में थाम ली और मेरी पूरी चूत को दबा दिया।

चूत को सहलाता हुआ अनु बोला- हाय हिमानी.. मेरी जान.. क्या चीज़ है तू.. क्या मस्त माल है.. हहमम्म ससस्स हहा..
अनु ने अन्दर तक मुँह डाल कर मेरी जाँघें बड़े प्यार से चूमी और सहलाते हुए मेरी जाँघों को फैला दिया..
अब वो मेरी चूत को बुरी तरह मसलने लगा, मुझे बहुत मज़ा आने लगा.. मैं सिसकारी भरने लगी..

अनु और जोश में चूत को मसलने लगा.. उसने मसल-मसल कर मेरी चूत लाल कर दी थी।
उसके इस तरह से रगड़ने से मेरी मुन्नी 2-3 बार झड़ चुकी थी, बहुत गीला हो गया था, अनु के हाथ भी गीले हो गए थे.. सारा पानी निकल बाहर रहा था, मैं निढाल हो रही थी।

फिर अनु ने मेरी चूत की दोनों फांकों पर होंठ रख दिए और मेरी कसी हुई चूत के होंठों को अपने होंठों से दबा कर बुरी तरह चूसने लगा।
मैं तो बस कसमसाती रह गई.. मैं तड़पती मचलती हुई ‘आआहह.. आअहह.. अनु.. अनु.. हाय.. उईईइ.. आहह..’ कहती रही और अनु चूस-चूस कर मेरी अधपकी जवानी का रस पीता गया।
बड़ी देर तक मेरी चूत की चुसाई की, मैं पागल हो गई थी।

तभी अनु ने अपने कपड़े उतारे और खुद नंगे हो गया और उसका लंड फड़फड़ा उठा.. करीब 7 या 8 इंच का लोहे जैसा सरिया था। मैंने कहा- अनु.. यह तो बहुत बड़ा और मोटा है.. ये मेरी चूत में नहीं जा पाएगा।
तो अनु ने कहा- हिमानी तू फिकर मत कर.. फिर मैं तेरे से प्यार करता हूँ.. तुझे कुछ नहीं होने दूँगा।

उसने अपना लंड मेरी फुद्दी की तरफ बढ़ाया… तभी अनु बोला- हिमानी.. कन्डोम तो दे.. जो दिव्या ने जाते समय तुमको दिया था।
मुझ याद ही नहीं था कि इसकी भी जरूरत पड़ेगी। मैंने अपने हाथों से कन्डोम अनु के लण्ड पर लगाया और सहलाने लगी।

उसके बाद अनु ने मुझको डेस्क पर आराम से लिटा दिया। मैं सोच रही थी जो हालत अभी दिव्या की थी.. अब मेरी होने वाली है।
अनु के लंड के टच करते ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं बुरी तरह तड़प रही थी।

अनु 5 मिनट तक मेरी चूत को अपने लंड से सहलाता रहा.. फिर उसने मेरी फुद्दी पर हल्का सा ज़ोर लगाया.. तो मेरी चीख निकल गई। उसका लंड अन्दर नहीं जा रहा था।
अनु ने कहा- थोड़ा दर्द होगा.. लेकिन फिर ठीक हो जाएगा।
मैंने मंत्रमुग्ध कहा- ओके.. लेकिन अनु प्लीज़ आराम से करना।

अनु ने ज़ोर से अन्दर डाला.. तो उसका आधा लंड मेरे अन्दर कोई चीज़ तोड़ते हुए अन्दर घुसता चला गया।
मेरी आँखों में आँसू आ गए- आह.. मैं मर जाऊँगी अनु.. प्लीज़ निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह ओफ… ममाआ..
यह कहते हुए मैं उससे गिड़गिड़ाने लगी.. पर वो नहीं माना और उसने मेरे होंठों पर अपने होंठों लगा दिए।

वो मेरे होंठों को चूसने लगा और अपने लौड़े को मेरी चूत में ऐसे ही डाले रखा।
मेरी चूत से खून निकल रहा था और मैं बुरी तरह तड़प रही थी।
वो कहने लगा- तू मेरे लिए थोड़ा सहन कर ले प्लीज़।
मैंने हल्के स्वर में कहा- अनु आपके लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ।

फिर अनु ने एक जोरदार झटका मारा और उसका पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक घुस गया।
मैं सिहर उठी और ‘आह.. ओह्ह.. अनु मैं मर गई..’ कहने लगी।

अनु मुझे तसल्ली देता रहा और 5 मिनट तक मेरे ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा, वो मेरे दूध चूसता रहा।
लगभग 5 मिनट बाद उसने धीरे-धीरे झटके मारना शुरू किए।
मैं- आह्ह.. अनु.. मज़ा आ रहा है…

इस बीच मैं 2 बार झड़ चुकी थी और वो यूँ ही मेरे होंठों को चूसता हुआ मुझे चोदता रहा।
लगभग 10 मिनट बाद अनु ने अपना सारा माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया।
हम लेट गए.. मेरी चूत पानी और खून छोड़ती हुई बुरी तरह फड़फड़ा रही थी, मेरी चूत का हाल-बेहाल हो चुका था।

कुछ देर बाद अनु ने मेरी चूत को साफ़ किया और फिर से चूसने लगा।
थोड़ी देर में अनु का लंड फिर से खड़ा हो गया।

अनु ने मुझको लण्ड मुँह में लेने के लिए कहा पर मैंने मुँह में नहीं डाला और उसे किस करने लगी। पर अनु के बहुत बार कहने पर मैंने उसको मुँह में ले लिया। मुझे लण्ड का स्वाद कुछ अजीब सा लगा।
अनु मुझसे कहने लगा- हिमानी मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरी फ्रेण्ड मुझसे इतना प्यार करती है।

उसके बाद हम ऐसे ही लेटे रहे। इतनी अधिक थकान थी कि मेरी तो उठने की भी हिम्मत नहीं थी। अनु ने मेरी टाँगों की मालिश की और मुझको कपड़े पहनाए.. उसके बाद जब मैं पैदल नहीं चल पा रही थी तो उसने मुझको रिक्शे से मेरे घर पर छोड़ा।

उस के 1-2 हफ्ते तक मैंने उससे बात नहीं की.. मुझे लाज आ रही थी।
उसके बाद सब नॉर्मल हो गया।

दोस्तो, इसके आगे की कहानी मैं बाद में बताऊँगी.. आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. जरूर बताना.. प्लीज़!!

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