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हैलो फ्रैंड्स, मेरा नाम राज (बदला हुआ नाम) है, मैं इलाहाबाद से हूँ, लेकिन मैं नोयडा में रहता हूं. चूंकि मैंने बी-टेक यहीं से किया है, मेरा इसी साल इंजीनियरिंग फाइनल हुआ है. मैं एक 23 साल का जवान लड़का हूँ. मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच है. मेरे लंड का साइज 8 इंच है, जो किसी भी लड़की को खुश कर सकता है. ये मेरी पहली कहानी है, इसलिए जो भी गलतियां दिखें, प्लीज़ उन्हें नजरअंदाज करते हुए माफ कर देना.

यह कहानी आज से 7 महीने पहले की है. मैं बी-टेक के फाइनल ईयर में था, तो मैंने सोचा क्यों ना पार्ट टाइम में कोई जॉब कर लिया जाए. ये सोच कर मैंने एक कॉल सेंटर में आईटी के पद के लिए आवेदन किया और मेरा चयन हो गया.

मुझे रात की शिफ्ट मिली थी, जो मैं चाहता भी था. मैं शाम को 4 बजे ऑफिस आता था और 9 बजे फिर हॉस्टल चला जाता था. लगभग ऐसे ही 2 महीने निकल गए. मैं तो पहले अपने काम पर ध्यान देता था, उसके बाद जैसे जैसे मैं पुराना होता गया, तो मुझ पर काम का बोझ भी कम हो गया.

उधर बहुत सी लौडियां भी आती थीं तो मैंने सोचा क्यों ना कोई लड़की पटाई जाए. मुझे चुदाई का बहुत शौक है और जवानी भी मुझे इस बात के लिए मजबूर कर रही थी कि कोई चूत मिल जाए तो बस चोद दूँ.

फिर मेरी नजर पड़ी एक मेरे ही ऑफिस की लड़की पर, जो वहां पर काम करती थी. उसके ऑफिस का समय सुबह 9 बजे से शाम को 6 बजे तक था. उसका नाम रेशमा खान था (बदला हुआ नाम), रेशमा देखने में बहुत सुंदर थी. उसे देखकर हर कोई उसे चोदना चाहता था. उसकी उम्र 21 साल थी और फिगर 34-28-34 का था. वो बला की खूबसूरत थी. उसके होंठ गुलाब के फूलों की तरह ग़ुलाबी थे.

मेरी नजर जब पहली बार उस पे पड़ी, तो मेरा मन तो उसी वक्त ये किया कि इसे यहीं पटक कर चोद दूँ.
मैंने उसको लाईन मारना शुरू किया, वैसे तो उसको सभी लोग लाइन मारते थे लेकिन मैं बहुत ही स्मार्ट हूँ, बहुत ज्यादा आकर्षक हूँ. चूंकि मेरे अन्दर एक कमी कहिये या अच्छाई कहिये, वो ये कि मैं स्लिम फिट हूँ, ज्यादा मोटा नहीं हूँ. मेरी लम्बाई के चलते मुझ पर लड़कियों की एक नजर तो पक्का ठहरती थी.

मैंने अभी अभी नई बाइक ली थी, वो भी 1.5 लाख की, तो मैं उसी से ही ऑफिस जाता था. इस सब से मेरी एक अलग पहचान बन गई थी. ऑफिस की ज्यादा से ज्यादा लड़कियां मुझसे दोस्ती करना चाहती थीं, लेकिन मैं किसी को भाव ही नहीं देता था. यूँ समझ लो कि मैं किसी की तरफ देखता ही नहीं था. हालांकि मेरी चर्चा लड़कियों के बीच में होती रहती थी, तो इससे मुझे बहुत फायदा हुआ. इससे रेशमा मेरी तरफ आकर्षित होने लगी.

ऐसे ही 15 दिन निकल गए. फिर मैंने उससे बोलना ठीक समझा और एक दिन मैं उससे बात करने के लिए ऑफिस जल्दी आ गया. वो खाना खाने जा रही थी.

मैंने उसको आवाज देकर बुलाया, तो उसने पलट कर देखा. मैं हंसने लगा तो मुझे हंसते हुए देखकर वो भी हंस दी. इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी.
मैंने सीधे उससे बोल दिया- मैं तुम्हें लाइक करता हूँ.
उसने मुझे बीच में ही रोकते हुये बताया- मेरा पहले से ही ब्वॉयफ्रेंड है.

उसकी बात से मुझे थोड़ा सा झटका सा लगा. फिर मैंने अपने आपको संभाला और बोला- ठीक है तो फ्रेंडशिप तो कर सकती हो न?
इस पर उसने हां बोल दिया.

मैंने आकर अपने दोस्तों को बताया, तो उन्होंने बोला कि चल बातें तो शुरू कर, फिर कोई अच्छा समय देख कर अपने दिल की बात बोल देना.

उससे मेरी बातचीत होने लगी. वो मुझसे बड़े हंस कर बातें करती थी. उसकी अदाओं से मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैं उसे जल्दी से जल्दी चोदना चाहता था. कई बार तो ऐसा हुआ कि उससे बात करने के बाद मैं बाथरूम में जाकर उसके नाम की मुट्ठी मार लेता था.

फिर एक दिन ऊपर वाले ने मेरी सुन ली. एक मौका ऐसा आया कि मेरे दोस्त का बर्थडे था. उसने पार्टी दी, खासकर मेरे कहने पर कि इसी बहाने रेशमा भी आ जाएगी, जिससे कि कुछ बात आगे बढ़ सके.

मैं और मेरे कुछ खास दोस्तों ने मिलकर प्लान बनाया की डोमिनोज चला जाए और उधर ही सही समय देखकर उससे अपने दिल की बात बोल दूंगा.

फिर हम सब लोग शाम को 6 बजे डोमिनोज गए, ऑर्डर हुआ. सब लोग बैठे थे, रेशमा मेरे ही बगल वाली कुर्सी पर बैठी थी. वो थोड़ा सा नर्वस सी थी, तो मैंने कुर्सी के नीचे से ही उसका हाथ पकड़ लिया.

उसने तुरंत मेरी तरफ देखा, मैंने आंखों से इशारा किया- मैं हूँ डरो मत.
उसमें तो जैसे जान आ गयी, वो खिल उठी. मेरे सब दोस्त समझ गए कि बात बन जाएगी.
मेरे एक दोस्त ने मुझे इशारा किया कि बोल दे.

मैंने भी समय खराब न करते हुए उससे बोला- रेशमा सुनो.
उसने मेरी तरफ देखा तो मैं बोला- बाबू आई लव यू!
उसने तुरंत अपना सर झुका लिया.
तो मैं फिर बोला- बाबू, मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ, मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?
उसने अपना सर उठाया और बोली- मुझे घर जाना है.

मेरे सब दोस्त मुझे देखने लगे, मैं चुप था.
फिर एक ने बोला- सब लोग चुप क्यों हो. पिज्जा तो खत्म करो.. जल्दी करो नहीं तो ठंडा हो जाएगा.
बस मुझे और उसे छोड़कर सब लोग हंसने लगे. फिर जैसे-तैसे सब लोग पार्टी खत्म करके अपने अपने घर चले गए.

मैं तो बस यही सोच रहा था कि वो बुरा ना मान गई हो.
फिर रात को 11 बजे उसका मैसेज आया ‘लव यू टू..’
मैं उसका मैसेज देखकर खुश हो गया. मैंने उसको उसी समय फ़ोन किया, तो उसने फ़ोन उठाया और हम लोग बातें करना शुरू कर दी.

उस दिन हम दोनों ने रात को 3 बजे तक बात की. उसके बाद फिर सो गए क्योंकि मुझे सुबह कॉलेज जाना था और उसे ऑफिस.

हम लोग रोज बातें करने लगे. ऐसे एक महीना निकल गया. वो मुझसे खुलने लगी. हम लोग अब रोज आफिस के बाद मिलने लगे और हमारे बीच किसिंग होने लगी. हम लोग रोज ऑफिस के बाद मिलते और किस तो करते, लेकिन इससे आगे और कुछ करने का मौका नहीं मिल रहा था. मेरा मन कर रहा था कि कब इसको चोद दूँ, इसकी चूत फाड़ दूँ.

फिर मैंने रेशमा को जैसे-तैसे कर के चुदाई के लिए मना लिया. मैंने अपने दोस्त को बताया कि रेशमा चुदाई के लिए मान गयी है, तो उसने अपने रूम की चाबी दी. वो बोला कि भाई ये ले मेरे रूम की चाभी, जा मजे कर.

मैंने उसी वक्त रेशमा को फ़ोन किया कि कल रूम पर चलना है.
वो बोली- ठीक है, लेकिन सुरक्षित जगह है कि नहीं, वहां कोई परेशानी तो नहीं होगी ना?
मैंने उसको बोला- बाबू मेरा विश्वास करो कुछ भी नहीं होगा.
उसने बोला- विश्वास है, तभी तो ये सबके लिए हां की है.

हम दोनों ने दूसरे दिन मिलना तय कर लिया. कल 9 बजे का समय मिलने का तय था.

मैंने आने वाले कल के बारे में सोच कर एक बार और मुट्ठ मार ली. फिर कल की तैयारी होने लगी. मैं भी खुश था कि कल रेशमा को जी भर के चोदूंगा.
उसने मुझसे बोला- मेट्रो पे मिलना.

जैसे-तैसे रात बीती. सुबह मैं तैयार हुआ, फिर अपनी बाइक लेकर मेट्रो स्टेशन पर गया. वो पहले से ही मेरा इंतजार कर रही थी. मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया. आज वो पहले से ज्यादा खूबसूरत लग रही थी. उसने जीन्स और टॉप पहना हुआ था. काले कलर का जीन्स और हरे कलर के टॉप में रेशमा क़यामत लग रही थी.

वो आयी और मेरी बाइक के पीछे वाली सीट पर मुझसे चिपक कर बैठ गयी. जब मैं बाइक की ब्रेक मारता, तो उसकी चुचियां मेरी पीठ से छू जातीं. वो आज से पहले ऐसे कभी भी मेरी बाइक पर नहीं बैठी थी. मुझे आज स्पोर्ट बाइक लेने का मजा मिल रहा था. सच में आज ही ऐसा लगा कि मेरा बाइक लेना आज सफल हुआ.

मैं दोस्त के रूम पर पहुंच कर दरवाज़ा खोलकर उसे अन्दर ले लिया. वो अन्दर आकर बेड के पास नीचे सर करके खड़ी हो गयी. वो शर्मा रही थी. मैं दरवाजा बंद करके उसके सामने खड़ा होकर उसका हाथ अपने हाथों में पकड़ लिया. वो तुरंत मुझसे लिपट गयी. वो ऐसे लिपटी कि जैसे मेरे जिस्म में समा जाएगी.

हम ऐसे ही 2 मिनट खड़े रहे, उसके बाद मैंने धीरे से उसका सर अपने हाथों से पकड़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये. गुलाब की पंखुड़ियों जैसे उसके होंठ मेरे होंठों में थे. मैं उसके होंठों को चूसता रहा. कुछ समय बाद वो भी मेरा साथ देने लगी. हम दोनों ऐसे ही 10 मिनट तक एक दूसरे को चूसते रहे.

उसके बाद मैंने अपने हाथों को उसके सर से हटा कर उसके चुचियों पर रख दिए. धीरे धीरे फेरने लगा. इससे उसकी चुचिया एकदम टाईट हो गयी थीं, वो सिहर सी गयी थी. लेकिन मैंने उसके होंठों को चूसना नहीं छोड़ा और टॉप के ऊपर से ही उसकी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगा.

फिर धीरे धीरे मैं उसके होंठों से हटकर उसके गर्दन पर चूमने और चाटने लगा. ऐसे करते हमें लगभग 20 मिनट हो गए थे. हम लोग अभी तक खड़े ही थे. उसके बाद मैं उससे अलग होकर उसको बेड पर लिटा दिया. फिर उसके बगल में लेट कर उसको चूमना शुरू कर दिया और उसको टॉप निकालने के लिए बोला.
वो बोली- तुम खुद ही निकाल दो.

मैंने तुरंत उसके टॉप को निकाल कर रख दिया. वो काले रंग की ब्रा में इतनी सुंदर लग रही थी कि क्या बताऊं दोस्तो … मैं वो पल बयान ही नहीं कर पा रहा हूँ.

अब मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके चुचियों को जोर जोर से दबाने लगा. उसके निप्पल टाइट हो गए थे. मैंने उसके पेट को चूमना शुरू कर दिया. फिर मैं उसकी नाभि में अपनी जीभ डालकर चूसने लगा. उसके बाद मैं नाभि से नीचे जाने लगा तो उसकी जीन्स बीच में आ गई.

मैंने उससे कहा- बाबू, इसे भी निकाल दो.
उसने बोला- जो भी करना है, तुमको ही करना है … मैं नहीं कुछ करूँगी.
यह कहकर रेशमा हंस दी.

मैंने तुरंत उसकी जीन्स को उतार दिया. अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में ही थी. काले रंग की ब्रा पैंटी में वो जन्नत की अप्सरा लग रही थी. दूध जैसा गोरा बदन था उसका. मैंने उसको फिर से चूमना चालू कर दिया. मैंने उसके पेट पर से शुरू किया, फिर धीरे धीरे नीचे आने लगा और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसके चूत को चूमने और चाटने लगा. उसकी पैंटी अब तक गीली हो गयी थी और मुझे कुछ अजीब सी महक आ रही थी और स्वाद भी.

वो पूरी तरह से अब पागल हुए जा रही थी लेकिन फिर भी कुछ मुँह से बोल नहीं रही थी.

मैंने सही समय समझ कर पहले उसकी ब्रा और फिर पैंटी को उसके शरीर से अलग कर दिया. उसकी चुत पर एक भी बाल नहीं था, उसने कल ही शायद चूत को शेव किया था.

मैंने अपने कपड़े भी निकाल दिए, मैं सिर्फ निक्कर में हो गया. वो तो शर्मा कर सिमट गई और उसने अपनी जांघों को सटा कर अपनी चूत को ढक लिया और अपने हाथों से अपने चुचियों को छिपाने लगी.

मैंने बहुत प्यार से उसके हाथों को हटाया और उसकी चुचियों को अपने मुँह में लेकर जोर से चूसने लगा. निप्पल चूसने काटने के दर्द से उसकी चीख निकल गयी. मेरे दांतों के निशान उसके मम्मों पर पड़ गए थे.

मैं उसकी चुचियों को छोड़कर उसके होंठों पर आ गया औऱ एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा. फिर धीरे धीरे करके मैं उसकी चूत में उंगली डालने लगा, लेकिन चूत टाईट होने की वजह से उंगली अन्दर नहीं जा रही थी.
फिर मैं उसके नाभि को चाटने लगा और चाटते चाटते उसकी चूत तक पहुंच गया. मैं उसकी चूत को चूसने लगा, जिससे उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया. इसी के साथ उसने मेरा सर अपनी चुत पर दबा लिया. उसकी चुत का सारा पानी मेरे मुँह पर आ गया और कुछ पानी मेरे मुँह में भी चला गया. अजीब सा स्वाद था. मैं उसकी चुत को ऐसे ही 5 मिनट तक चाटता रहा.

अब वो पूरी तरह से गर्म हो गयी थी लेकिन मैं उसको अभी लंड भी चुसाना चाहता था.
मैंने उसको बोला- बाबू मेरा मुँह में लोगी?

उसने कुछ नहीं बोला, तो मैंने उसके मुँह के पास अपना लंड कर दिया. पहले तो उसने अपने हाथों मेरे निक्कर से मेरे लंड को बाहर निकाला, जो कि एकदम तनकर 8 इंच का हो गया था.
वो लम्बा लंड देखकर डर सी गयी और बोली- ये इतना लंबा … कैसे जाएगा मेरे अन्दर?

मैं सिर्फ हंस दिया. फिर वो धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगी और फिर मेरे दोबारा कहने पर उसने अपने होंठों से मेरे लंड के सुपारे को अपने होंठों पर रख दिया. मैंने इतने में थोड़ा सा धक्का दे दिया. मेरा 2 इंच लंड उसके मुँह में चला गया और उसने डरकर तुरन्त मुँह से लंड को बाहर निकाल दिया.
वो बोली- मैं नहीं चूसूंगी … इतना मोटा है.

मुझे अपना लंड लड़कियों को चुसाना बहुत पसंद है.. लेकिन रेशमा मान नहीं रही थी. मैंने भी उस पर कोई दबाव नहीं डाला. मैंने उसको लिटा दिया.

मैं उसकी गुलाबी सी चुत को देख रहा था तो बोली- देखते ही रहोगे क्या, अब कुछ करो ना … नहीं तो मैं मर जाऊँगी. मुझे मालूम नहीं मेरे अन्दर कुछ हो रहा है.
मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया जिससे उसकी चुत खुल गई. मैंने पास में रखी एक जैली क्रीम से उसकी चुत भर दी. फिर मैं अपने लंड पर भी क्रीम लगा ली और धीरे से उसकी चुत पर रखकर रगड़ने लगा.

वो तो जैसे पागल हुए जा रही थी. मैंने उसकी जांघों को अपने हाथों से पकड़ कर एक धक्का लगाया, वो सिहर सी गयी और मेरा लंड फिसल गया. मैंने फिर अपने हाथों से उसकी चुत को खोलकर लंड को सैट करके फिर एक जोरदार झटका मारा. इस बार मेरा लगभग 3 इंच लंड उसकी चुत में चला गया. उसके मुँह से इतनी जोर से चीख निकली उम्म्ह… अहह… हय… याह… कि बता नहीं सकता. वो जोर जोर से रोने लगी, कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन बोल ही नहीं पा रही थी. वो मूर्छित सी हो गई थी.

मैं ऐसे ही कुछ समय तक शान्त रहा, उसे सहलाता रहा. फिर उसका दर्द कुछ कम हुआ, तो उसने रोना बन्द किया और मैं भी उसके होंठों को चूमने लगा.

अब वो सामान्य हो गयी थी. फिर मैंने एक जोर का झटका मारा, अबकी बार मेरा आधा से ज्यादा लंड उसकी चुत में घुस गया था. वो चिल्लाना चाहती थी लेकिन मेरे होंठों में उसके होंठ होने की वजह से अन्दर ही घुट कर रह गयी.

मैंने उसी समय फिर से एक झटका दे मारा, जिससे कि मेरा पूरा लंड उसकी छोटी सी चुत में चला गया था. वो रो भी नहीं पा रही थी, बस अपने नाखूनों से मेरे पीठ में चुभा रही थी. मैंने उसको कस कर पकड़ा हुआ था, जिससे कि वो चाहकर भी अलग नहीं हो सकती थी. मैं लगातार धक्के लगाए जा रहा था.

करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चुत में ही झड़ गया क्योंकि बहुत दिन बाद चुत मिली थी, तो मैं जल्दी झड़ गया. उसके बाद मैंने देखा कि उसकी चुत से खून निकल कर मेरे लंड औऱ उसकी चुत व जांघों पर लग गया था. वो अब तक किसी से चुदी नहीं थी इसलिए पहली बार चूत की सील टूटने का खून था.

उसके बाद मैंने अपने लंड को साफ किया और उसकी चुत को भी पौंछा. फिर मैं उसको उठाने लगा, तो वो उठ ही नहीं पा रही थी. मैं उसको अपनी गोद में उठाकर वाशरूम ले गया. फिर हम दोनों ने साथ में अपने आपको साफ किया.

उस दिन हम दोनों ने 2 बार और चुदाई की. वो दर्द के बावजूद कैसे हुआ, दोस्तों मैं आपको अगली कहानी में बताऊँगा.

आप मुझे कमेंट कीजिए कि आपको मेरी ये चुदाई की कहानी कैसी लगी ताकि मैं और कहानी लिख सकूं.

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