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नई चुत की एडल्ट हिंदी कहानी में पढ़ें कि मैंने अपने साले की बड़ी बेटी की मदद से उसकी छोटी बहन की चूत चुदाई का जुगाड़ किया. उसे होटल में लेजाकर चोदा.

दोस्तो, मैं चन्दन सिंह फिर से अपनी नई चुत की एडल्ट हिंदी कहानी लेकर आप सभी के सामने हाजिर हूँ.

आपको मेरी सेक्स कहानी के एक भाग में इस बात की जानकारी होगी कि मैंने अपनी भतीजी अनु की चुदाई करते समय उससे अपनी एक इच्छा जाहिर की थी कि मुझे अनु की छोटी बहन अविना की शादी से पहले उसकी चुत चोदने का मन है.

इस बात पर अनु ने हंस कर हामी भर दी थी. वो बात किस तरह से आगे बढ़ी इसका जिक्र मैंने अपनी इस सेक्स कहानी में किया है.

अब आगे नई चुत की एडल्ट हिंदी कहानी:

सील पैक लौंडिया की चुत फाड़ने के बाद मैं फारिग हुआ और कपड़े पहन कर कमल दुकान पर आ गया.
उसकी दुकान पर आते ही मैं बोला- कमल मुझे घर जाना है.

चूंकि मैं बहुत टुन्न था, तो कमल ने अपने नौकर को मुझे घर तक भेजने की हिदायत दी और उसे मेरे साथ भेज दिया.
हम दोनों घर की ओर लौट आए.

घर आकर मैं अपने साले की बेटी अनु के ऊपर चढ़ गया और उसे एक बार हचक कर चोदने के बाद सो गया.

वीणा मौसी को अचानक जाना पड़ गया था. इस बात की जानकारी मुझे तब हुई, जब मैं सोकर उठा.

मैं उठ कर बाहर आया तो देखा कि अनु और कमल दोनों बैठ कर पैग जमा रहे थे.
उसी समय मेरे घर से मेरे बेटे का फोन आ गया और उसने मुझे तुरन्त घर वापस आने को बोला.

मैंने जाने की तैयारी की, तो कमल मेरी तरफ लालसा से देखने लगा.

कमल के अकाउंट में मैंने दो लाख ट्रान्सफर कर दिया. कमल खुश हो गया.

मैंने उसको एक कार टैक्सी लेने भेज दिया. क्योंकि वो भी टुन्न था और मेरे साथ मुझे छोड़ने जाने से अच्छा था कि मैं टैक्सी से ही चला जाऊं.
फिर मुझे जाते वक्त एक बार अनु को और चोदने का मन भी कर रहा था.

कमल मेरे लिए टैक्सी लेने चला गया. इधर अनु और मैंने जल्दी जल्दी अपना सामान पैक किया.

पता नहीं क्यों कमल को देर हो रही थी. मैंने अनु की तरफ देखा तो उसने बताया कि मैंने ही उससे देर से आने को कहा था.

मैं समझ गया मेरा मन तो खुद ही अनु की चुदाई करने का था.

उसी समय मैं अनु के साथ एक जल्दी वाली छोटी सी चुदाई करने लगा. अनु मेरे नीचे से अपनी गांड उचकाते हुए मुझसे बार बार खुद को मुंबई शिफ्ट करवाने को बोल रही थी.

मैं लंड चलाने में मस्त था. चूंकि मैं जल्दी झड़ता नहीं हूँ … लेकिन जैसे तैसे मैं स्खलित हुआ.

अपनी भतीजी अनु की चुदाई के बाद मैंने एक सिगरेट सुलगाई और कश खींचने लगा. कुछ ही देर में कमल टैक्सी कार लेकर आ गया.

मैं उधर से अनु और कमल को जल्दी मुम्बई बुलाने का वादा करके मेहसाणा से निकलने लगा. जाने से पहले अनु ने पानी, कुछ नमकीन, दो शराब की बोतलें और सर्दी से बचने को एक कंबल कार में रख दिया था.

मैं सुबह मुम्बई पहुंच गया. कुछ दिन ठहर कर एक मकान और दुकान देख कर मैंने अनु और कमल को मुम्बई बुला कर शिफ्ट कर दिया.

अब जब भी मेरा मन होता, तब अनु के घर चला जाता और उसकी मस्त चुदाई कर लिया करता.

कमल का भी बिजनेस इधर सैट करवा दिया था. वो अपने काम के सिलसिले में ज्यादातर घर से बाहर रहने लगा था. इसलिए मुझे और अनु को खुल कर चुदाई का खेल खेलने में सुविधा होने लगी थी.

मैंने एक दिन अनु को चोदते हुए उससे अविना की चुदाई की बात याद दिलाई.

अनु ने अपने वादे के मुताबिक अपनी छोटी बहन को अपने पास बुला लिया.

अविना के आने के बाद अनु के घर मेरा आना जाना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया. कमल, अनु और अविना के साथ रोजाना किसी अच्छे होटल में जाते, बियर मंगवा कर पीते हुए मौज करने लगे थे.

पहले दिन तो अविना ने बियर पीने से मना कर दिया था, मगर अनु अविना को साइड में ले जाकर उसे समझा बुझा कर ले आई.

पहली बार अविना को बियर पीने में कुछ कठिनाई हुई. आधी बोतल पीने के बाद अविना बहकने लगी.

अनु ने मुझे सीट बदलने का इशारा किया. अनु मेरी जगह आकर बैठ गयी और मैं अनु की जगह आकर बैठ गया.

सोफा की साइज छोटी होने के कारण मुझे अविना से चिपक कर बैठना पड़ा.

अब अविना कोई पत्थर की मूर्ति तो थी नहीं … उसे भी मेरा बदन अपने बदन से चिपका होने का अहसास था, परन्तु बियर का नशा होने के कारण उसमें भी मादकता आई हुई थी.

अनु ने बियर खाली देख कर और बियर का ऑर्डर दे दिया. अविना धीरे धीरे डेढ़ बोतल डकार गई. वो बियर पीने के बाद मुझसे और अनु से खुल कर बातें करने लगी.

हमारी बातें बड़ी सेक्सी हो रही थीं. मैंने अविना के मादक बदन पर भी हाथ से टच करके मजा ले लिया था.

इस तरह कुछ देर हम सभी ने एन्जॉय किया. फिर उसी होटल में खाना खाकर वापस आने लगे.

आते वक्त टैक्सी में बैठते समय अनु ने पहले खुद बैठ कर मुझे बीच में बैठा दिया. मेरे पास अविना बैठ गई थी. आगे ड्राइवर के पास कमल बैठ गया था. इस तरह तीन चार दिन हम लोग इसी तरह से मजा लेते रहे.

एक दिन होटल से वापसी के समय अनु ने अपना बायां हाथ मेरे गले में डाल दिया. कुछ देर अविना ने ये महसूस किया मगर वो उस समय कुछ नहीं बोली.

रास्ते में जहां कहीं सड़क पर अंधेरा आता, तब अनु मेरे लंड को सहलाने लगती. अविना ये सब कनखियों से देख रही थी.
इस बात का पता दूसरे दिन मुझे अनु के फोन से मिला.

दूसरे दिन अनु ने सारी बात बताई और साथ में ये भी बोली कि उसने अविना को सच्चाई बता दी है कि किस तरह शादी होने के बाद भी वो प्यासी रह जाती थी. यह तो संयोग हुआ था कि फूफाजी मिल गए थे. वरना आज तक उसकी प्यास को बुझाने वाला कोई नहीं था.

अनु ने अविना को सब डिटेल में बताया था कि उसकी शादी के दो साल तक सब ठीक रहा था. उसके बाद कमल नकारा हो गया. इसलिए मुझे फूफाजी का साथ मिल गया था और हमारे रिश्ते के बारे में कमल को भी सब मालूम है.

मैंने अनु से ये सुना, तो मैंने उससे पूछा कि ये सब तो ठीक किया, मगर अविना को मेरे साथ सैट करने के लिए तूने क्या किया?

अनु बोली- मैंने अविना को अपना सुझाव दिया है कि जिस्म का सुख लेने में कोई बात नहीं होती है. मैंने फूफाजी के बड़े लंड का खूब मजा लिया है. मैंने उससे कहा कि मैं तेरी बड़ी बहन हूँ, तू भी चाहे तो ये सुख ले सकती है. कहीं ऐसा न हो कि एक दिन तेरा भी मेरे जैसा हाल हो जाए.

मैं अनु की बात सुनकर खुश हुआ कि उसने अविना को मेरे मजबूत लंड के बारे में बता दिया है.

फिर अनु ने आगे बताया कि उसने अविना को कहा कि मान ले आज तेरी सगाई हो चुकी है, कुछ महीने बाद शादी भी हो जाएगी. एक दो साल बात करते निकल जाएंगे, फिर मेरे जैसी तू भी तड़पती रहना. अभी फूफाजी तुम्हारे ऊपर फ़िदा हैं. एक बार तू फूफाजी को खुश कर दे. तेरी शादी बाद तुझे मुम्बई में किसी मकान में शिफ्ट कर लेंगे.

इस तरह से अनु ने एक हफ्ते में किसी तरह से अविना को राजी कर लिया था.

अविना को मनाने के अनु ने मुझे फोन किया और खुशखबरी सुनाई.

उस दिन अविना और मैं दोनों ही होटल की और निकल पड़े, आज कमल और अनु को मैंने साथ नहीं लिया था.

हम दोनों एक फाइव स्टार होटल में चले गए. उधर जाकर बियर पीने लगे.

कुछ देर के बाद मैंने अविना की जांघ पर हाथ रख दिया. हम बार में कोने में बैठे थे, वहां रोशनी बहुत कम मात्रा में आ रही थी.
अविना की जांघ पर हाथ रखने से अविना ने एतराज नहीं किया. इस दरम्यान बियर खत्म हो चुकी थी. हम नई बियर मंगवा कर पीने लगे.

जब मैंने देखा कि अविना पूर्ण रूप से होश में नहीं रह गई है, तो मैं उठ कर काउन्टर पर गया और उधर एक कमरा बुक करवा आया.

मैं कमरे को देख कर कमरे की चाबी भी ले आया.

जब मैं वापिस बार में पहुंचा, तब तक अविना की जुबान लड़खड़ा रही थी. मैंने अविना की कमर में हाथ डाला और रेस्टोरेन्ट में पहुंच कुछ खाया. खाने के बाद मैंने अविना को निम्बू पानी पिलाया. अब अविना की जुबान लड़खड़ा नहीं रही थी. अविना के साथ बिल अदा करके हम तीनों होटल के उसी कमरे में पहुंच गए.

कमरे में पहुंचते ही मैंने अन्दर का दरवाजा बन्द कर लिया और अविना को लेकर बिस्तर में घुस गया. उसके होंठों से होंठों को मिला कर मैं उस गर्म माल का चुम्बन लेने लगा.

कुछ ही देर में अविना भी काफी गर्म हो चुकी थी. मैंने अविना के सारे कपड़े खोल कर उसको नंगी कर दिया.

कुंवारी अविना का मस्त जिस्म मेरे सामने खुला पड़ा था. मैंने एक बार नजर भर कर उसकी जवानी को देखा और अगले ही पल उसी कमसिन बुर में जीभ डाल कर चुत चूसने लगा.

अविना को पहले से ही मस्ती चढ़ी हुई थी.
अब वो थोड़ा डरने लगी, मगर मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और अविना के पैरों से चुंबन लेते लेते ऊपर तक पहुंच गया.

इस समय मेरा लंड उसकी नई चुत पर टकरा रहा था. कुछ देर लंड को उसकी बुर पर ऊपर से नीचे तक फिराने लगा.

अविना की हालत जल बिन मछली की तरह हो गयी थी. वो लंड अन्दर लेने के लिए मचल रही थी.
मैं उचित मौका देख कर लंड को उसकी बुर में धीरे धीरे पेलने लगा. जब तक मेरा एक चौथाई लंड नई चुत के अन्दर पहुंचा, तब तक तो अविना ने आसानी से लंड सहन कर लिया.

फिर अचानक से अविना अपनी गांड को उठा कर ऊपर नीचे होने लगी. मुझे मौका अच्छा दिखा. मैंने उसके होंठों को होंठों से कस कर पकड़ कर लंड को जोर से धक्का दे दिया. एक बार में ही लंड आधे से ज्यादा चुत चीरता हुआ घुस गया.

अविना की चीख निकल गयी. वो छूटने के लिए मचलने लगी. मगर में बलिष्ठ भुजाओं की कैद से वो नाजनीन अलग हो ही न सकी.

मैंने अविना की नई चुत का उद्घाटन कर दिया था. मैंने एक पल के लिए बिस्तर की सफ़ेद चादर पर देखा … तो चुत फटने से उसका खून बिखरा हुआ था.

मैं कुछ देर रुक गया और अविना को विश्राम करने दिया. जब अविना को दर्द होना कम हुआ, तो मैं फिर से धीरे धीरे लंड नई चुत में पेलने लगा.

कुछ ही देर बाद चुदाई अपनी मस्ती में होना शुरू हो गई. अविना भी लंड को झेल चुकी थी और वो भी चुत चुदाई का मजा ले रही थी.

आधा घटा तक मैंने अविना को लगातार पेला. फिर हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए. अविना ने स्वर्ग जैसा सुख पहली बार महसूस किया था. इस कारण उसने मुझे अपनी बांहों में कस कर जकड़ लिया था. वो अपने दोनों पैरों को मेरे पैरों से लपेट कर लेट गयी. कुछ देर बाद आवेग समाप्त हो गया था.

अविना ने बहुत बढ़िया चुंबन मेरे होंठों पर दिए … फिर वो बताने लगी कि किस तरह अनु ने उसे राजी किया थ.

मुझे अविना को फिर से चोदने का हुआ तो मैं फिर से उसकी चुदाई में मग्न हो गया. उस रात में मैंने अविना की चार बार चुदाई की सुबह हम दोनों ने बाथरूम में जाकर स्नान किया.

घर वापिस आकर अविना बोली- फूफाजी, जिस तरह आप अनु को रख रहे हैं … मेरी शादी के बाद आपको मुझे भी मुम्बई में रखना होगा.
मैंने वादा कर लिया.

सुबह के इस वक्त पांच बज रहे थे. टैक्सी में बैठ कर मैंने अविना को बताया कि मेरी तुम्हारे साथ हनीमून मनाने की इच्छा है.
अविना बोली- मेरी भी है … आप प्रोग्राम बनाओ … किसी हिल स्टेशन चलते हैं.

तभी टैक्सी घर पहुंच गयी. मैंने अनु को फोन पर रिंग दी और अनु ने दरवाजा खोल कर हम दोनों को अन्दर ले लिया, साथ ही वो मुस्करा पड़ी.

चाय के साथ हम तीनों कमरे में बैठ किसी हिल स्टेशन का प्रोग्राम बनाने लगे. इसी दरम्यान सुबह के सात बज चुके थे.

तभी मेरे मोबाईल पर फोन आया.
अनु बोली- फूफाजी, मौसी का फोन है. आप ही उनसे बात करो.
मैंने फोन लिया, तो वीणा मौसी ने पहले तो अपने मुँह से मुझे ढेर सारी गालियां निकालीं.

उसके बाद साली गिड़गिड़ाने लगी. मौसी बोली- अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.
मैंने एक दो दिन में ही उसे मुम्बई बुलाने का आश्वासन दे कर फोन बन्द कर दिया.

इसके आगे की चुदाई की कहानी में मौसी, अविना और अनु को मैं एक हिल स्टेशन ले गया. आप सभी को वो सेक्स कहानी जल्द ही पढ़ने को मिलेगी.

दोस्तो, मेरी ये नई चुत की एडल्ट हिंदी कहानी आपको कैसी लगी. इस बारे में आप मुझे अपने कमेंट से जरूर बताना.

Related Tags : कुँवारी चूत, चूत चाटना, देसी गर्ल, हिंदी एडल्ट स्टोरीज़, होटल में सेक्स
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