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मेरी प्यासी चूत को कमसिन लंड मिल ही गया

दोस्तो, मैं आपकी नई दोस्त, प्रीति शर्मा; एक ऐसी दोस्त, जिसकी चूत में हर वक़्त आग लगी रहती है। ये समझ लो कि बस जब मुझे महीना आता है, उन 5 दिनों में ही मजबूरी होती है, तो मैं अपनी चूत में कुछ नहीं डालती, वरना मुझे रोज़ अपनी चूत में लंड चाहिए। मेरे तन में कामुकता कूट कूट कर भरी थी.
तो मजा लें मेरी सेक्स कहानी का!
चार साल पहले जब नई नई शादी हुई थी, तब तो पति रोज़ मेरी बजाते थे, मैं भी उनको हर आसन में खुशी खुशी देती थी।
फिर बिटिया हो गई, और पति ने भी अपना काम काज बढ़ा लिया, अब मुझ में लंड की आवा-जाही कम हो गई।

मैंने अपने पति से रोज़ सेक्स की ज़िद की तो उन्होंने मुझे पहले एक और बाद में एक और डिल्डो ला दिये कि जब चूत में आग लगे तो इन डिल्डो से बुझा लो। अब उन्हें कैसे समझाऊँ कि मर्द का जो स्पर्श है, उसका कोई विकल्प नहीं है। मुझे असली, ज़िंदा लंड चाहिए, ये बेजान प्लास्टिक का टुकड़ा नहीं।
मैंने बहुत कोशिश की, मगर मुझे न तो हस्तमैथुन में मजा आया, और न ही उस बेकार से डिल्डो में!

धीरे धीरे मेरी पति से दूरी बढ़ती गई और साथ साथ मेरी कामुकता भी… मैं अक्सर दिन में फ्री टाइम में कामुक्ताज डॉट कॉम पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ती, खूब गर्म हो जाती, घर में नंगी घूमती, कभी कभी तो खिड़की के पास भी जा कर खड़ी हो जाती कि कोई आस पड़ोस वाला मुझे देखे और आ जाए, और मैं उसके लंड का स्वाद ले सकूँ।
पर कभी कभी सोचती कि क्या ऐसा करना ठीक है, सिर्फ कुछ देर के मज़े के लिए, अपने पति को धोखा देना सही होगा।

मगर जब काम ज्वाला मेरे मन में भड़कती तो सोचती, माँ चुदवाए पति, और ये खोखले सामाजिक रीति रिवाज; मुझे लंड चाहिए, और बस लंड चाहिए।

हमारे मोहल्ले की औरतों ने एक किट्टी पार्टी क्लब बना रखा है, हर महीने उसकी मीटिंग होती है, किसी न किसी के घर पे!
एक दिन हमारे पड़ोसी गुप्ता जी के घर पर क्लब की मीटिंग और पार्टी थी। मैं भी सज धज कर उनके घर गई, और भी सब महिलाएं, पूरा फैशन करके आई थी। हंसने बोलने तक तो ठीक था, मगर मुझे उनके पार्टी गेम्स में कोई मजा नहीं आ रहा था, तो मैं अपनी ड्रिंक ले कर छत पर चली गई।

छत पे घूमते हुये मेरा ध्यान नीचे गली में गया, वहाँ एक कुत्ता एक कुत्ती पर चढ़ा हुआ था, और 3 कुत्ते उसके आस पास खड़े देख रहे थे। मैं तो वहीं जम गई। क्या पेल रहा था वो कुत्ता उसे… और बाकी कैसी भूखी नज़रों से उस बेचारी कुतिया को देख रहे थे, मेरे दिल में पहले ख्याल ही ये आया “काश मैं वो कुतिया होती”
फिर उन दोनों का सिस्टम लॉक हो गया।
कुतिया हल्की सी चीख के साथ नीचे को ही गिर गई। मैं भी उसे देख कर खड़ी न रह सकी मेरी कामुकता काबू से बाहर हो गई और मैंने ग्रिल पर अपने हाथ टिका दिये, कहीं मैं भी उस कुतिया के तरह नीचे को न गिर जाऊँ।

कितनी देर वो वैसे ही फंसे रहे और मैं छत पर खड़ी उनके खुलने का इंतज़ार करने लगी। फिर काफी देर बाद वो दोनों अलग हुये।
“हे भगवान” मेरे मुँह से निकल गया, जब मैंने उस कुत्ते का लंड देखा, जो उस कुतिया की चूत से निकला काफी लंबा, गुलाबी लंड था। उसका लंड बाहर निकला तो काफी सारा पानी सा भी निकला, शायद उस कुत्ते का वीर्य था, या कुतिया की चूत का पानी, मगर मेरी चूत ने भी पानी की जैसे पिचकारी मार दी हो। मुझे साफ महसूस हुआ कि मेरी पैन्टी में कुछ गीला गीला हुआ है।

मैं देख ही रही थी कि तभी सभी कुत्ते उस कुतिया के पीछे पीछे कहीं और को चले गए।

मैं खड़ी देखती रही; मेरा दिल कह रहा था ‘सालो इधर आ जाओ, यहाँ भी एक कुतिया गीली चूत लेकर खड़ी है, मगर ये संभव नहीं था।’

तभी पीछे से मिसेज़ गुप्ता का बेटा राहुल आया और बोला- अरे आंटी आप यहाँ खड़ी है, मम्मी ने आपको नीचे बुलाया है।
मैंने उसे देखा, 18 साल का नौजवान लड़का, जैसे तारक मेहता वाले सीरियल में टप्पू है, काफी कुछ वैसा ही। तभी मेरे दिल में एक विचार कौंधा, ये भी तो जवान है। इसकी जीन्स में भी एक पूरे आकार का लंड होगा। इसने कौन सा अभी सेक्स किया होगा, अगर ये मुझे पकड़ ले तो पेल के रख देगा। सच में मुझे बिल्कुल वो वैसे लगा जैसे शेरनी को अपना शिकार लगता है।

मैंने उसे बड़े प्यार से अपने आगोश में लिया और जान बूझ कर अपने बूब्स उसकी बाजू पर टच करवाए, ताकि वो अपनी आंटी के नर्म बूब्स को महसूस कर सके, और वैसे ही अपने मम्मे उसकी बाजू पर घिसाते हुये मैं उसके साथ नीचे गई।
एक दो बार उसने भी जान बूझ कर अपनी कोहनी मेरे मम्मे में गड़ाई, मैं समझ गई कि लौंडा मजे ले रहा है, मैंने उसे मना नहीं किया, बल्कि पूरे मज़े लेने दिये।

मुझे लगता था कि अगर ये मेरा इशारा समझ गया, तो कल को ये मेरे घर होना चाहिए।

अगले दिन करीब 12 बजे मेरे घर की बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो बाहर राहुल खड़ा था। हाथ में एक कटोरी थी, और कुछ और भी सामान था।
“हैलो आंटी, मम्मी ने ये समान भेजा है, आपके लिए!”

मैंने उसे हैलो कह कर अंदर बुलाया; वो मेरे पीछे पीछे किचन तक आया; उस वक़्त मैंने एक शॉर्ट टी शर्ट और टाइट केप्री पहनी हुई थी।
वो बेशक मेरे पीछे आ रहा था, मगर मुझे पता चल गया था कि वो मेरे पीछे आता हुआ, मेरे हिलते हुये चूतड़ देख रहा था।

मैंने उसे साइड पे पड़े स्टूल पर बैठने को कहा और फ्रिज से एक जूस निकाल कर एक गिलास भर कर दिया।
वो थैंक्स बोल कर पीने लगा।
मैंने सोचा आज अगर ये आया है, तो क्यों न इसको पटा कर देखा जाए… मैंने जान बूझ कर एक आलू नीचे गिरा दिया और फिर अपनी गांड उसकी तरफ करके मैंने ऐसे झुक कर आलू उठाया के मेरी गांड की पूरी गोलाई बने और उसकी फुल शेप दिखे, मैंने उठते हुये पलट कर देखा, उसका ध्यान मेरी गांड पर ही था।
मैंने खुद से कहा ‘प्रीति, अगर आज तूने कच्चा केला खाना है, तो इसको अपने जिस्म के जाल में उलझा ले। ये मत देख के कौन है, क्या है, कितनी उम्र है इसकी। बस ये देख इसके पास वो है, जो तुझे चाहिए।

बस मैंने उसे कहा- यहाँ किचन में गर्मी लगेगी, आओ बाहर बैठते हैं।
बाहर कहा, मगर मैं अपने बेडरूम में चली गई, वो भी मेरे पीछे, मेरे बेडरूम में आ गया।

घर में सिर्फ हम दो थे, और मेरी एक छोटी से 1 साल की बेटी; गुड़िया उस वक़्त बैठी खेल रही थी। मगर मैंने जानबूझ कर गुड़िया को उठाया और अपनी गोद में लेटा कर उसको दूध पिलाने लगी, जबकि बहाने से मुझे राहुल को अपने बूब्स निकाल कर दिखने थे बस।

पहले तो मैं बेड पर बैठ कर अपनी बेबी को दूध पिला रही थी, मगर जब मैंने देखा के इस तरह से राहुल को मेरे बूब्स ठीक तरह से नहीं दिख रहे होंगे, तो मैं सीधा लेट गई और मैंने बेबी को अपने पेट पर लेटा लिया। इस हालत में मेरी टीशर्ट और ऊपर को चढ़ गई, तो मैंने अपनी पूरी टीशर्ट ही ऊपर उठा दी, और दोनों मम्मे बाहर निकाल लिए। राहुल की तो जैसे आँखें फटी की फटी रह गई। उसके मुँह से निकल ही गया- वाओ…

मैंने उसकी और मुस्कुरा कर देखा और पूछा- क्या वाओ?
वो बोला- आंटी आपके ये!
मैंने कहा- मेरे बूब्स?
उसने हां में सर हिलाया।
“तुम्हें अच्छे लगे?” मैंने फिर पूछा।
उसने फिर हाँ में सर हिलाया।

मैंने पूछा- पिएगा?
उसने फिर हाँ में सर हिलाया तो मैंने उसे अपने पास बुलाया; वो बेड पर खिसक कर मेरे पास आया। बिल्कुल मेरे चूचे के पास, मगर उसने मेरा निप्पल अपने मुँह में नहीं लिया बल्कि हाथ में पकड़ कर दबा कर देखा तो उस में से दूध की धार निकली।
वो बहुत खुश हुआ, हंसा और फिर दबा दबा कर मेरे दूध की पिचकारियाँ इधर उधर मारने लगा।

मैंने कहा- खेलता क्या है, पी के देख!
उसने ना में सर हिला दिया।
मैंने कहा- चल खेल ले… पर मुझे भी खेलने के लिए चाहिए।
उसने पूछा- क्या आंटी?
मैंने उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके लंड को छू कर कहा- मुझे इस से खेलना है।

उसकी पैन्ट में उसका लंड तो पहले से तना पड़ा था। वो थोड़ा सा सकपकाया मगर फिर मेरी तरफ देख कर उसने हाँ कर दी।
मैंने बेबी को साइड पे लेटाया और उसकी बेल्ट और पैन्ट खोल कर उतार दी; नीचे चड्डी में उसका लंड अपना पूरा आकार ले चुका था।
मैंने झटपट चड्डी नीचे खिसकाई और “अरे वाह, क्या शानदार लंड था छोरे का”
सात इंच का मोटा मूसल, बिल्कुल सीधा और लोहे की तरह सख्त।

मैंने उसके लंड को पकड़ते ही अपने मुँह में ले लिया और चूस लिया। कुछ देर चूस कर मैंने उस से पूछा- मजा आया?
वो बोला- बहुत मजा आ रहा है आंटी.
मैंने कहा- और मजा लेना है?
वो बोला- हाँ लेना है.

तो बिना वक़्त गँवाए मैंने अपनी केप्री उतार दी और अपनी नंगी गांड उसकी तरफ घूमा कर बोली- इसमें डाल और मजा ले।
उसने अपना लंड मेरी गांड पर रख दिया।
मैंने कहा- अरे पगले, यहाँ नहीं, नीचे डाल।

फिर मैंने ही उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा; और अगले ही पल एक मोटा गोला मेरी चूत में घुसता हुआ मुझे आनंदित कर गया। इसी चीज़ की तो मैं दीवानी थी, असली मर्दाना लंड, न के कोई बेजान, ठंडा प्लास्टिक का डिल्डो।
मैं उसे बताती गई और वो मुझे चोदता गया।

कुछ देर मैं घोड़ी बन कर चुदी; फिर मैंने अपनी टी शर्ट भी उतार फेंकी और सीधी पीठ के बल लेट गई; मैंने उसे भी पूरा नंगा कर दिया; शानदार चढ़ती जवानी वाला जिस्म, पतला, मगर जानदार। अब तो उसने खुद ही अपना लंड मेरी चूत में डाला और लगा पेलने।
अब मुझे उसे ज़्यादा बताने की ज़रूरत नहीं पड़ी।
कोई 5-6 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गई; कल का लौंडा आज एक शानदार मर्द बन चुका था। मेरे बदन के अंदर टकराता उसके नौजवान लंड का टोपा, मुझे हर झटके के साथ कामुक संतुष्टि दे रहा था।

एक बार झड़ कर भी मैं तृप्त नहीं हुई थी। उसने लगतार 12-13 मिनट मेरी चुदाई की। मेरी बेटी मेरी बगल में लेटी सब देख रही थी, मगर उसे अभी इन सब चीजों की कोई समझ नहीं थी। थोड़ी देर बाद मेरा एक और स्खलन हुआ, और साथ ही उसका भी। अपने जीवन के पहले संभोग में उसने मेरी चूत को अपने पहले वीर्य से भर दिया। जब उसके गर्म वीर्य की धार मेरे जिस्म के अंदर फूटी तो मुझे अनन्त तृप्ति का एहसास हुआ।

मुझे चोद कर सखलित होने के बाद वो मेरे ऊपर ही लेट गया।
मैंने उसकी पीठ सहला कर पूछा- थक गए बेटा?
वो बोला- नहीं आंटी, मैं तो और भी तरो ताज़ा हो गया हूँ। आपकी चोद कर मजा आ गया.

मैंने पूछा- तुझे पता है कि इसे चोदने कहते हैं?
वो बोला- हाँ आंटी, मैंने बहुत से ब्लू फिल्में देखी हैं। आज की तारीख में तो पाँचवी क्लास के बच्चे को भी पता है कि पॉर्न क्या होता है।
मैंने उसकी पीठ थपथपाई, और फिर किचन में जाकर एक गर्म दूध, चॉकलेट वाला उसके लिए बना कर लाई; उसे पिलाया।

दूध पीने के बाद वो बोला- आंटी, मैं न… आपको हमेशा से ही पसंद करता था, और हमेशा आपके साथ सेक्स करना चाहता था, पर आज आपने अपने आप ही मेरी इच्छा पूरी कर दी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं डीयर, अगर फिर भी कभी दिल करे तो आ जाया करना, और किसी को बताना नहीं।
वो बोला- ओ के आंटी!
और मेरे होंठों को चूम कर चला गया।

और मैं नंगी ही बिस्तर पर लेटी सोचने लगी, कुतिया अब तेरी चूत ठंडी करा करेगा ये लौंडा।
मैं अपनी सफलता पर खुशी से मुस्कुरा झूम उठी।
मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी?

Related Tags : आंटी की चुदाई, कामुकता, चुदास, लंड चुसाई, सेक्सी कहानी
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