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दोस्तो, मेरा नाम रणबीर है, उम्र 25 साल है. रंग सांवला है, कद 5.2 फिट है. मैं कुछ नाटा सा हूँ, पर दिखने में बहुत अच्छा हूँ. मेरी शरीर भी बहुत अच्छी है.. क्योंकि मैं सुबह एक्सरसाईज करता हूँ.

यह बात 2 साल पहले से शुरू हुई थी. मुझे मेरी 2 साल की मेहनत का फल अब जाकर मिला है.

यह बात मेरे मौसी की बेटी की है. मेरी मौसी हमारे घर के पास ही रहती हैं. मौसी की बेटी का नाम ज्योति (बदला हुआ नाम). उसकी उम्र 18 साल की थी और वो दिखने में बहुत सुन्दर है. उसकी गोरी देह और खूबसूरत चूचे बहुत ही अच्छे हैं. उसके चुचे ज्यादा बड़े तो नहीं हैं, पर हाथ में आ जाएं, ऐसे मुलायम हैं, जैसे मक्खन हों. उसकी गांड तो बहुत ही शेप्ड और मदमस्त कर देने वाली अच्छी उभरी हुई है.

मेरी घर पर अक्सर मेरे मौसी की बेटी काम करने के लिए मेरी मॉम बुलाती रहती थीं.

ऐसे ही एक दिन की बात है, मेरी मॉम कुछ काम के लिए घर के बाहर जाना पड़ा. उस वक्त मेरी मौसी की बेटी ज्योति मेरे ही घर पर थी. वो कुछ काम कर रही थी.

वैसे मैंने पहले बहुत बार उस पर ट्राय मारा, पर कभी मौका नहीं मिला.

उस दिन चूंकि घर पे कोई नहीं था.. तो मैंने कुछ देर बाद नीचे जाके देखा कि ज्योति रसोई में कुछ काम कर रही थी. मैंने नीचे जाके पहले अपना मुँह थोड़ा पानी डाल के साफ़ किया, फिर टॉवल से मुँह पौंछ कर साफ़ किया. इसके बाद मैं पानी पीने किचन में चला गया.

मैंने अचानक से उसको बोला- ज्योति मुझे एक किस दो न.
वो अचानक से ऐसा सुनते ही चौंक गई और मना करने लगी. लेकिन मैंने उसको पकड़ा और अपनी तरफ खींच के अपनी बांहों में भर लिया. मैं उसको किस करने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा.

वो अचानक से हुए इस हमले के लिए तैयार ही नहीं थी. वो मुझे मना करने लगी और मेरा साथ नहीं दे रही थी. कुछ देर किस करने के बाद मैं अपना हाथ उसकी चूत पे रगड़ने लगा और उसकी सलवार के अन्दर हाथ डाल के चूत पे ले गया. उसकी कुंवारी चूत पर थोड़े रेशमी बाल थे. उसे किस करते करते मुझे 10 मिनट हो गया था. वो अब मेरा ज्यादा विरोध नहीं कर रही थी, पर साथ भी नहीं दे रही थी.

तभी दरवाजे की घंटी बजी.. और हम अलग हो गए.

दरवाजे पे मेरी मौसी खड़ी थीं. फिर हम दोनों ने कुछ नहीं किया और बस ऐसे ही टाइम निकाल गया.

हालांकि उस दिन के बाद से वो मुझे एक अलग नजर से देखने लगी. मैं भी जब तब उसकी चूचियां दबा देता था, वो चिहुंक कर अलग हो जाती थी, पर शायद उसे भी मेरा ये करना अच्छा लगने लगा था.

एक दिन उसके घर पे कोई नहीं था. मैं वहां गया और दरवाजे की बेल बजाई.
उसने दरवाजा खोला.
मैंने अन्दर जाके कुछ देर टीवी देखा, फिर उसको अपने करीब आने इशारा करते हुए बोला- चलो अब क्या इरादा है?
उसने मना किया, फिर कुछ देर ज़िद करने से वो मान गई.

उसने सब दरवाजे लॉक कर दिए. हम दोनों खड़े खड़े ही किस करने लगे. मैं उसके मम्मों को भी दबा रहा था. वो गर्म होने लगी थी. मैंने उसके बूब्स को बाहर निकाला और उनसे खेलने लगा. उसके बूब्स एकदम गोरे थे और ऊपर से ब्रॉउन निप्पल एकदम कमलगटा से तने हुए थे.

मैं उसके एक निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा, गालों पर भी हाथ फेर कर उसे प्यार करने लगा.

करीब 15 मिनट तक हमने ये सब किया. फिर मैं उसके कपड़े निकालने ही वाला था कि दरवाजे की घंटी बज उठी. हम दोनों झट से अलग हो गए.

ज्योति ने दरवाजा खोला तो सामने वाली आंटी आई थीं, उनको ज्योति से कोई काम था. इस वजह से उस दिन कुछ नहीं हो सका. मैं भी कुछ देर बैठा रहा, पर आंटी के जम कर बैठने का इरादा देख कर मैं वहां फिर निकल गया. वो आंटी ज्योति के घर अपने कुछ कपड़ों की सिलाई करने आई थीं. उस दिन आंटी के कारण कुछ नहीं हो सका.

ऐसे ही कई दिन निकल रहे थे और मैं कभी कभी उसको नहाते हुए भी देख लेता था. चूंकि उसका बाथरूम लास्ट में है, वहां कोई नहीं आता. इसलिए उसके दूध देखने का ऐसा मौका मैं कभी नहीं छोड़ता था.

फिर एक दिन मेरे और मौसी के घर वालों को किसी रिश्तेदार के वहां किसी की मृत्यु हो गई, तो मेरे माता पिता के साथ उन सबको भी वहां जाना पड़ा.

मैं कॉलेज के आने के बाद ज्योति के घर गया, क्योंकि मेरे खाने का इंतजाम उसके घर पर ही था.

जैसे ही मैं वहां पहुंचा, तो ज्योति को देखा. आह वो क्या मस्त माल लग रही थी. एकदम सेक्सी आइटम बन कर वो रेडी थी. शायद उसको भी पता था कि आज उसकी चुदाई पक्के में होगी.

मैंने सबसे पहले अपने हाथ पैर धोए और ड्राइंग रूम में बैठ कर टीवी देखने लगा. अभी वो खाना बना रही थी. उनके ड्राइंग रूम से ही किचन साफ़ दिखता था. मैं उसकी मोटी गांड को मटकते हुए देख रहा था. क्या मस्त कचौड़ी सी गदर माल लग रही थी. वो भी मुझे देख के अनदेखा कर रही थी.

जब खाना बन गया, तो उसने खाना टेबल पर लगाया और हम दोनों ने साथ ही बैठ कर खाना खाया. फिर मैं कुछ देर आराम करने चला गया, पर उसको लगा कि मैं सोने गया हूँ.

ऐसा उसको लगा या पता नहीं, उसने क्या सोचा.. मुझे नहीं मालूम, पर मैंने फिलहाल कुछ देर रुकने का तय किया था. वो भी कुछ काम करके थोड़ी देर बाद दूसरे रूम में सो गई.

जब वो दूसरे कमरे में चली गई तो मैं भी उठ कर उसके पास आ गया. पहले तो मैंने उसे जी भर के ऐसे ही देखा. फिर धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर उसके मम्मों को दबाया और सहलाया. फिर ऐसे ही नीचे तक उसकी चुत को टच किया. वो भी समझ गई कि छेद खुलने का मुहूर्त आ गया है. हालांकि वो शांत पड़ी रही.

पर जब मेरी हरकतें उसको गर्म करने लगीं, तो वो उठ गई, वो बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैंने बोला- तुमको प्यार कर रहा हूँ.

वो कुछ नहीं बोली. मैं उसके होंठों को किस करने लगा. कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी. वो तो चुदने के हिसाब से ही रेडी हुई थी, उसे देख कर साफ़ दिखाई दे रहा था.

ऐसे 10 मिनट की किस करने के बाद मैंने उसकी कुर्ती को निकाल दिया और फिर उसकी नई नेट की ब्रा से ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाने लगा. ब्रा के ऊपर से ही दूध पर मुँह लगा कर निप्पल को पीने लगा, मम्मों को मसलने लगा. साथ ही उसको किस भी करने लगा.

वो भी कसमसा रही थी. मैंने देर न करते हुए उसकी लैगीज को भी निकाल दिया. अब वो मेरी सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी के नए सैट में ही पड़ी थी. उसका ये सैट जाली वाला एकदम हॉट एंड सेक्सी था. ऐसे सैट नई दुल्हनें अपनी सुहागरात पर पहनती हैं.

फिर मैंने उसके पूरे शरीर को चाटा और नीचे को आते हुए उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही किस करने लगा और काटने लगा. वो आहें भरने लगी. उसकी ‘उफ्फ्फ आआहह..’ को आवाजें आने लगीं.

मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को उतार फेंका और फिर उसने भी मेरी टी-शर्ट और जींस को निकाल दिया. मेरी चड्डी में मेरे गुर्राते हुए शेर को देख कर उसने झट से मेरे अंडरवियर के अन्दर हाथ डाल दिया. वो मेरे लंड को सहलाने लगी और बोली कि बहुत लंबा है.
मैंने कहा- इसी से खुदाई होनी है.
वो शर्मा गई.

फिर हम दोनों किस करने लगे और उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया. मैं उसको अपनी गोद में उठा कर उसके ही बेडरूम में ले गया. रूम में ले जाकर मैंने उसको बेड पे लुढ़का दिया और खुद भी मैं उसके ऊपर चढ़ गया.
मैं उस नंगी परी को बेतहाशा किस करने लगा. किस के साथ ही मैं एक हाथ से उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से दबाता रहा और दूसरे हाथ उसकी सफाचट चुत को सहलाता रहा. वो भी मेरे लंड को अपने हाथ से ऊपर नीचे कर रही थी.

फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. मैंने उसकी चूत को देखा, जो साफ़ साफ़ समझ आ रही थी कि लौंडिया अनटच माल है. अभी उसकी सील कम्पनी से पैक दिख रही थी. क्योंकि उसकी बुर में मेरी उंगली भी नहीं जा रही थी.

फिर कुछ देर चुत चाटने के बाद मैंने जोर लगाते हुए अपनी एक उंगली अन्दर डाली, तो वो उछल के ‘आआहह उफ्फ्फ..’ करने लगी.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो दर्द से बोले जा रही थी- प्लीज़ बाहर निकालो … दर्द हो रहा है.
मैंने उसकी एक ना सुनी और अपनी उंगली को अन्दर बाहर करना शुरू किया.

इधर मेरी उंगली उसकी चूत को खुजला रही थी, उधर वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी. मुझे डबल मजा आ रहा था. ज़न्नत मिल गई हो, ऐसा लग रहा था. फिर मैंने उसकी चुत के दाने को रगड़ना शुरू किया, तो वो आहें भरने लगी.

मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत के दाने को चाटा. इसके बाद उसकी चुत की पूरी फांक में जीभ को ऊपर से नीचे तक फेरते हुए चूत चाटने लगा. जैसे ही मैंने जीभ चुत में डाली, वो बहुत जोर जोर से उछलने लगी और बोलने लगी- आह रणबीर … मजा आ गया और चाटो.
वो भी ऐसे ही वो मेरे लंड चाटने में लग गई थी. हम दोनों को एक दूसरे के लंड चूत को चूसने और चाटने का मजा मिल रहा था.

फिर कुछ देर बाद मैंने उसके मुँह में ही पानी छोड़ दिया और वो सब रस पी गई. इधर मैं उसकी चुत को चाट रहा था, तो वो भी अब अकड़ने लगी थी. इससे मुझे लग गया कि अब इसका भी पानी निकलने वाला है. अगले ही पल उसने अपने पैरों से मेरे मुँह को बहुत जोर से पकड़ लिया और फिर उसने भी अपना पानी छोड़ दिया. मैं भी उसका पूरा नमकीन अमृत पी गया.

फिर मैं उठा और उसको किस करने लगा और उसके मम्मों को चूसते हुए दबाने लगा. मैं उसके गुलाबी रंग के निप्पलों को काट भी रहा था. जब मैं उसके निप्पल को काटता, तो वो बहुत जोर के आवाज निकालती. वो फिर से मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी और लंड खड़ा कर दिया.

कुछ देर उसके मम्मों को दबाने और चूसने के बाद मैंने उसको सीधा लेटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया. मैं अपने खड़े लंड को उसकी चुत के ऊपर ऐसे मार रहा था और रगड़ रहा था. जैसे कोई घुड़सवार घोड़ी की घुड़सवारी करने से पहले उसके जिस्म को थपथपा कर उसको तैयार करता है.

वो मुझसे बोलने लगी- प्लीज़ अब डाल दो … अब नहीं रुका जाता.

मैंने लंड को उसकी चुत की फांकों पर रख दिया और जोर लगा कर लंड अन्दर डालने लगा. पर कसी हुई चूत के अन्दर लंड जा ही नहीं पा रहा था. चूंकि उसका छेद अभी तक एकदम कोरा था.. वो कभी चुदी ही नहीं थी. इसलिए बहुत बार कोशिश करने पर भी मेरा लंड उसकी कमसिन चूत में नहीं घुस पा रहा था.

फिर मैं तेल लेकर आया और उसकी चूत मैं और अपने लंड पे लगाया. एक बार फिर से मैं लंड घुसेड़ने की तैयारी में लग गया. मैं उसको किस करते हुए उसके मम्मों को भी दबाने लगा. उसको भी मजा आने लगा था.

वो इसी मजे में मस्त थी कि तभी मैंने अपने लंड को उसकी चूत की फांकों में घिसा और एक तेज झटका दे मारा.

उसको लंड के झटके लगने का पता ही नहीं था और इधर लंड का टोपा अन्दर घुस गया. लौड़ा क्या घुसा, उसके मुँह से आवाज निकलने ही वाली थी. पर मैं उसको किस कर रहा था इसलिए उसकी आवाज घुट कर रह गई. वो अपने मुँह से आवाज निकाल ही नहीं पायी.

अभी मेरे लंड का सिर्फ सुपारा ही अन्दर घुसा था. उसका दर्द कम करने के लिए मैं उसको सहलाने लगा, लेकिन अपने होंठों का ढक्कन उसके होंठों पर लगाए रखा.

अब तक लंड ने चूत में जगह बना ली थी. फिर कुछ देर रुकने के बाद मैंने फिर से एक जोरदार झटका मारा, तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था. वो अब रोने लगी थी और मुझे धक्का दिए जा रही थी.

मैं उसको लगातार सहलाता रहा, उसके दूध मसलता रहा, निप्पल मींजते रहा. इससे उसको थोड़ी राहत मिली. उसके चेहरे से दर्द की रेखाएं खत्म हो चली थीं. मुझे उसकी कमर भी हिलती सी महसूस हुई.

फिर कुछ देर बाद उसको दर्द कम हुआ तो मैं समझ गया. मैं इस बार पूरा लंड बाहर निकाल कर जोर का झटका दे दिया.. मेरा मूसल लंड उसकी बुर फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया. इसी के साथ में मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डालने ही वाला था, पर उसी पल उसको मौका मिल गया और वो जोर से चीख पड़ी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
वो रोने लगी, बोलने लगी कि निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है.
ये कहते हुए वो बेहोश सी हो गई.

मैंने उसके मुँह को फिर से अपने होंठों के ढक्कन से बंद कर दिया और उसे दुबारा से सहलाने लगा. कुछ देर किस और मम्मों को दबाने के बाद उसको होश आ गया. तो मैंने फिर से उसको झटके देना शुरू किया.

दस बीस धक्के के बाद वो भी अब नीचे से गांड उठाते हुए ऊपर को झटके देने लगी. उसका दर्द मजे में बदल चुका था. अब मैं भी जोर जोर से झटके देने लगा. वो भी चुदाई की मस्ती में मादक आवाज निकाल रही थी. उसकी ‘आह.. ऊह ऊह.. और जोर से और जोर से..’ की आवाज मुझे उत्तेजित करने लगी थी. वो तेज तेज चोदने के लिए बोले जा रही थी. पूरे रूम में चुदाई का मधुर संगीत पछ पछ गूंज रहा था.

बीस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के दौरान वो दो बार अपना पानी छोड़ चुकी थी. इस समय उसकी रसीली हो चुकी चूत को मैं भी पूरे जोश में उसको चोद रहा था.

कुछ 10 मिनट के बाद मेरा रस भी निकलने वाला हो गया था. मैंने उससे पूछा- कहां निकालूँ?
वो बोली- अन्दर ही.

फिर मैंने जोर के झटकों के साथ ही अपना रस उसकी चूत में ही डाल दिया उसी वक्त उसने भी एक बार फिर से अपना पानी छोड़ दिया.

झड़ जाने के कुछ देर तक मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा. फिर बगल में लेट गया. कुछ देर जब हम दोनों उठे, तो देखा कि चादर पे रक्त था. उसकी चुत पर भी खून लगा था. वो डर गई, लेकिन मैंने उसे समझाया तो वो शांत हो गई.

आधे घंटे बाद मैंने उसको किस किया और उसके मम्मों को फिर से दबाने लगा और वो मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी. मेरा शेरू फिर से एक बार खड़ा हो गया. मैंने उसको डॉगी स्टाइल में होने को बोला और वो हो गई.

फिर मैं पीछे से उसकी चूत में लंड डालने लगा. अब की बार लंड अन्दर तो आराम से चला गया, पर आधा ही गया था कि वो फिर से चिल्ला पड़ी ‘आह आह ऊह ऊई माँ!’
मैं उसकी गांड के छेद में उंगली हिला के चूची चूसने लगा और लंड अन्दर डालने लगा. लंड अन्दर तक पेलने के बाद फिर से ताबड़तोड़ चुदाई का खेला शुरू हो गया.

अबकी बार कुछ 10 मिनट की चुदाई के दौरान मैं उसकी गांड में भी उंगली डाल रहा था. इससे उसका पिछवाड़ा खुल गया और फिर लंड चूत से बाहर निकाल कर गांड के अन्दर डालने लगा.

उसने मना किया- वहां दर्द होगा.
मैंने उसको बोला- मैं आराम से करूँगा जानू.
वो मान गई.

फिर गांड पे लंड रख कर अन्दर पेलने लगा. पर लंड का टोपा ही अन्दर गया होगा कि वो चिल्ला पड़ी, वो रोने लगी. कुछ देर बाद वो शांत हुई और फिर मैंने जोर का झटका मारकर पूरा लंड अन्दर कर दिया. वो मुझे पीछे धक्का देने लगी और मैं उसके मम्मों को दबाने लगा.

कुछ 5 मिनट के बाद दर्द कम हुआ और मैं उसकी गांड को चोदने लगा. वो ‘उम्म.. आह आह..’ की आवाज निकाल रही थी. मैंने उसकी चूत में उंगली करना चालू कर दी थी, जिससे उसको डबल मजा आने लगा था.

करीब 20 मिनट की गांड चुदाई के बाद मैं और उसने दोनों ने साथ में ही पानी छोड़ दिया. मैंने अपना पानी उसकी गांड के अन्दर डाल दिया.

दो बार की चुदाई के बाद थकान होने लगी थी. हम दोनों चिपक कर लेट गए. कुछ देर फिर वो उठी और मैं भी. वो चलने की कोशिश कर रही थी.. पर उससे चलते नहीं बन रहा था. मैंने उसको गोदी में उठाया और बाथरूम में लेके गया.

उधर मैंने उसको नहलाया और उसने मुझको. उसने अपनी चुदी हुई चुत की तरफ देखा, जो सूज गई थी और लाल हो गई थी.

उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दी. उस रात हम दोनों ने दो बार चुदाई का मजा और लिया क्योंकि मुझे आज की रात उसके साथ ही रुकने का कहा गया था.

ये थी मेरी मौसेरी बहन ज्योति की सील तोड़ चुदाई की कहानी. आपको कैसी लगी, प्लीज़ कमेंट करके मेरा हौसला बढ़ाएं ताकि मैं उसके साथ की अपनी आगे की कहानी भी लिख सकूँ.
धन्यवाद.
रणवीर सिंह चौहान

Related Tags : इंडियन सेक्स स्टोरीज, कुँवारी चूत, चचेरी बहन, चूत चाटना
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