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कामवासना कहानी में पढ़ें कि मैं अपने गेस्ट हाउस में अपने अफ्रीकी मेहमान के साथ उसके बिस्तर में थी. हम दोनों ने काफी पी ली थी. उसके बाद क्या हुआ?

नमस्कार दोस्तो।

कामवासना कहानी के पिछले भाग
अफ्रीकी गेस्ट के साथ चुदाई की शुरुआत
में आपने पढ़ा कि कैसे मैं जॉन्सन के बिस्तर तक पहुँच गई।

चुदाई की भूख कुछ भी करवा सकती है।
मगर मेरे लिए ये चुदाई बहुत ही खास होने वाली थी।

मेरी जिंदगी की ऐसी चुदाई थी जिसमें मुझे ऐसा आनंद मिला जो शायद ही दुबारा मुझे मिले।
मेरी इस चुदाई में मुझे सब कुछ मिला; दर्द भी मजा भी;
और एक ऐसा अहसास जो कभी सोचा भी नहीं था।

करीब पांच मिनट के बाद उसने फिर से मुझे बिस्तर पर धक्का दिया और मैं बिस्तर पर लेट गई।

अब वो मेरे ऊपर आ गया और मेरे होंठ और दूध को जोरों से चूसना शुरू कर दिया।

अब मेरे लिए बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो रहा था। चूत में ऐसा लग रहा था जैसे हजारों चीटियां काट रही हों।

वो भी मेरी चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार था और मैं भी चुदाई के लिए आतुर हो गई थी।

अब आगे की कामवासना कहानी:

मैं और जॉन्सन दोनों ही चुदाई करने के लिए बिल्कुल ही तैयार हो चुके थे। दोनों ही पूरी तरह से गर्म हो गए थे.

उसका चमकता हुआ काला जिस्म मेरे दमकता हुआ गोरे मुलायम बदन को निचोड़ने के लिए बिल्कुल तैयार था। मैं भी जानती थी कि ये चुदाई मेरे लिए आसान नहीं होने वाली … मगर मैं फिर भी पूरी तरह से तैयार थी।

जॉन्सन ने मेरी दोनों जाँघों को सहलाते हुए फैलाया और अपने घुटनों के बल मेरी चूत के पास बैठ गया। उसने अपने हाथों से अपने लंड को थाम लिया और उसके सुपारे को चूत पर ऊपर नीचे करते हुए रगड़ने लगा। मैंने अपनी आँख बंद कर ली क्योंकि मेरे अंदर एक डर था कि इतना मोटा और लंबा लंड कैसे अंदर जाएगा। उसने चूत की छेद पर सुपारा लगाया और हल्का सा दबाव दिया।

उसका सुपारा चूत की पंखुड़ियों को फैलता हुआ चूत के अंदर प्रवेश कर गया। मेरे मुंह से आवाज आई- अऊ उफ़्फ़ आआआ आहह हहहह! उसने लंड पर दवाब देना जारी रखा और लंड मेरी चूत के पानी के कारण फिसलता हुआ अंदर जाता गया। लंड बिल्कुल अंदर चूत के अंदरूनी हिस्से तक चला गया। उस अहसास से मेरा सीना अपने आप ऊपर उठ गया।

मेरे मुंह से तेज़ आवाज में निकला- मम्मीईईई ईईईआ ईईयय आआआ आहहह हहहह हहह! मैंने थोड़ा सा अपने सर को उठाया और चूत में घुसे हुए लंड को देखा। अभी लंड पूरा अंदर नहीं गया था और करीब तीन इंच बचा हुआ था।

हम दोनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा और जॉन्सन के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई। उसने कहा- कूल कूल बेबी! और फिर अपने शरीर को सीधा करते हुए मेरे ऊपर लेट गया। अपने सीने से मेरे उभरे हुए दोनों दूध को दबाते हुए मसलने लगा। उसके दोनों हाथ मेरी मोटी मोटी जाँघों को सहला रहे थे। मैंने अपने हाथों से चादर को जोर से पकड़ लिया था।

उसने अब आधा लंड बाहर निकाला और एक जोरदार धक्के के साथ वापस अंदर पेल दिया। मेरी तो जान ही निकल गई मुँह से बस इतनी आवाज निकली- आआआ आह हहह मम्मीईई ईईई अइई ओह हहहह! उसने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रखे और पूरा सीधा लेट गया।

उसने अपना एक भी वजन मेरे ऊपर नहीं डाला था। बस मेरे कंधे को जोर से पकड़ा हुआ था। अब उसने हल्के हल्के मेरी चुदाई करनी शुरू की। अपना चेहरा मेरे चेहरे पर लाकर होंठों को चूमता और गप्प गप्प गप्प लंड पेलता रहा था। मेरी गर्म सांसें उसके मुँह के अंदर ही जा रही थी। अभी मुझे बस ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा गर्म रॉड चूत में घुस रहा है। हल्के दर्द के साथ ही मजा भी आ रहा था।

अब मेरा डर कुछ कम हुआ क्योंकि जितना मैंने सोचा था उतना दर्द नहीं हो रहा था। मगर मैं क्या जानती थी कि अभी तो उसने शुरुआत ही की थी और अभी तो उसका पूरा लंड भी अंदर नहीं गया था। पर उस वक्त मजा बहुत आ रहा था क्योंकि लंड चूत पर बिल्कुल चिपका हुआ था लंड और चूत के बीच बिल्कुल भी जगह नहीं थी।

वो बहुत ही आराम से मेरी चुदाई कर रहा था। उसके आराम से चोदने से मुझे काफी मजा आ रहा था क्योंकि उसका लंड अच्छा खासा लम्बा मोटा था इसलिए चूत में घर्षण अच्छे से हो रहा था. और यही तो एक लड़की को चाहिए होता है। मगर दोस्तो, वो चुदाई में मास्टर आदमी था.

वो तो बस अभी तक मेरी चूत में अपने लंड के लिए जगह ही बना रहा था। करीब 5 मिनट तक उसने हल्के हल्के मेरी चुदाई की. मैं आँख बंद किये हुए उसकी चुदाई से मिलने वाला मजा ले रही थी। फिर वो रुका और अपने पैरों से मेरी जाँघों को दबा लिया और अपने शरीर का वजन मुझ पर डाल दिया.

उसने अपने हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे होंठों को एक बार चूमते हुए बोला- अब लो असली मजा बेबी! और उसने एक बहुत जोर का धक्का लगाया उसका लंड मेरी बच्चेदानी में धंस सा गया। मैं बहुत जोर से चीखी- ऊऊईई ई ईई माआआआ आह्ह! अब वो रुक रुक कर हर सेकंड वैसा ही धक्का लगा रहा था।

मैं बस चीखे जा रही थी- मम्मीईईई आआआह आआ आआह! नो नोओ नोओ प्लीज स्लो प्लीज! मगर अब वो रुकने वाला नहीं था; लगातार रुक रुक कर धक्के पे धक्का लगाए जा रहा था। वो बहुत ही जोर से धक्का मार रहा था; अपने पैरों से उसने मेरे पैरों को पूरा फैला दिया था। अब उसने अपनी रफ्तार तेज करनी शुरू कर दी। और देखते ही देखते किसी मशीन की तरह मेरी चूत को फाड़ने में लगा हुआ था।

मेरी चूत में उसका लंड पूरा का पूरा समा जा रहा था। चूत से अब फच फच फच की आवाज आने लगी। मैं किसी तरह से उसकी रफ्तार धीमी करना चाहती थी इसलिए मैंने उसकी कमर को दोनों हाथों से रोकने का प्रयास किया. मगर मुझमें इतनी ताकत नहीं थी कि उस दानव को रोक सकती। कुछ ही देर में मैं थक चुकी थी और मुझमे ताकत नहीं बची।

वो बस लगातार दनादन मेरी चुदाई में लगा रहा। मुझे तकलीफ तो बहुत हो रही थी मगर अब मजा भी आ रहा था। मैंने उसकी पीठ पर अपने हाथों से दबाव बनाना शुरू कर दिया। कुछ देर चोदने के बाद उसने अपना आसान बदलने का मन बनाया और वो रुक कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया। वो बिस्तर से नीचे उतरा और मेरा पैर पकड़ कर मुझे खींच लिया और मुझे बिस्तर पर कमर तक लिटा दिया और पैरों को अपने कमर पर रख कर लंड चूत में घुसा दिया।

उसने मेरी कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और झुक कर दनादन चुदाई शुरू कर दी। मेरी चूत पानी से लबालब भरी हुई थी और उसमें से फच फच की गंदी सी आवाज चारो तरफ गूंज रही थी।

मैं अपना सर बार बार उठा कर चूत की तरफ देख रही थी. उसका लंड किसी बिजली की तेजी से मेरी चूत में जा रहा था।

उसकी रफ्तार इतनी तेज थी कि जैसे कोई मशीन चल रही हो। मेरे चूत का पानी उसकी चुदाई से किसी झाग की तरह बन गया था और चूत के बाहर निकल कर चूत के चारों तरफ जमा हो गया था।

आज तक मेरी इतनी तेज चुदाई किसी ने नहीं की थी। उस चुदाई का मजा मैं ज्यादा समय तक नहीं बर्दाश्त कर सकी और झड़ गई। मैं इतनी बुरी तरह से झड़ रही थी कि लग रहा था कि मैं पेशाब कर रही हूँ. एक तेज़ धार रुक रुक कर मेरी चूत से निकल रही थी. ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था. उस समय जब मैं झड़ रही थी वो मजा इतना अच्छा लगा कि ऐसा मजा मिलना ही मुश्किल है।

मगर वो झड़ने का नाम नहीं ले रहा था और दनादन चुदाई किये जा रहा था। बीच बीच में वो मेरी जाँघों पर थप्पड़ लगा रहा था जिससे मेरी गोरी जांघ लाल हो गई थी।

उस बेहद ही ठंड रात में भी हम दोनों पसीने से भीग रहे थे। उसने पहले ही मेरे दूध पर अपना वीर्य गिरा दिया था जो कि पसीने के साथ मिलकर एक बेहद ही कामुक गंध पैदा कर रही थी। उस तरह चुदते हुए मुझे 10 मिनट हो गए थे.

मगर वो बस लगा हुआ था; किसी भी तरह वो झड़ने की हालत में नहीं लग रहा था। कुछ देर बाद एक बार फिर वो रुका, मैं समझ गई कि ये फिर अपना आसन बदलने वाला है।

वो मेरे ऊपर पूरी तरह से झुक गया एक बार मेरे होंठों को चूमा और मेरे दोनों हाथों को अपने गले में डाल लिया.

मैंने भी उसके गले को जोर से पकड़ लिया लंड अभी भी चूत की गहराई तक घुसा हुआ था। मेरे दोनों पैरों को अपने कमर में लिपटा लिया और मेरी गांड को थाम कर किसी बच्ची की तरह मुझे उठा लिया।

अब मैं उसकी गोद में थी और लंड मेरी चूत में। उसने मेरी गांड को थाम रखा था और मुझे जोर जोर से अपने लंड पर उचकाने लगा।

इस तरह तो लंड इतना अंदर जा रहा था कि मेरी आँखें बाहर आने लगी। गपागप वो मुझे लंड पर कुदाने लगा। आज मेरी चूत का भोसड़ा बनना तय था.

मुझे तो ऐसा लग रहा था कि आज के बाद मेरी चूत किसी के काबिल बचेगी भी या नहीं। जॉन्सन का घोड़े जैसा लंड मेरी चूत की उस गहराई तक पहुँच रहा था जहाँ तक आज से पहले किसी का लंड पहुँच नहीं पाया था।

मैं बस उसके लंड को किसी तरह झेल रही थी. उसने अपने दोनों हाथों से मेरी बड़ी बड़ी चूतड़ को कस कर पकड़ा हुआ था.

उसने अपनी एक उंगली को मेरी गांड के छेद पर लगाया और मुझे उचकाने के साथ साथ उंगली से छेद को रगड़ने लगा।

मैं तो किसी बेल की तरह बस उससे लिपटी हुई थी। इस तरह उसके गोद मे उचक उचक कर चुदते मुझे 10 मिनट से ज्यादा हो गए थे।

अब उसने मुझे उचकाना बंद किया और नीचे से अपने लंड का धक्का देना शुरू कर दिया। उसकी रफ़्तार इस बार भी काफी तेज थी।

मैं उसी पोजीशन में उससे लिपटी हुई थी। मैं उसके इतनी रफ़्तार को सह नहीं सकी और झड़ गई. ये मेरा दूसरा मौका था कि मैं पेशाब की तरह झड़ रही थी।

मेरी चूत का पानी गांड की दरार से होता हुआ जॉन्सन की जांघ पर गिर रहा था। अब मैं इतनी इतनी ज्यादा थक चुकी थी कि लग रहा था कि कब ये मुझे आजाद कर दे।

इतनी देर से लगातार चोदने के बाद भी पता नहीं वो कब झड़ता। अब उसने मुझे नीचे उतारा और मेरे होंठों पर जोरदार चुम्बन लेने के बाद मुझे पलट कर पलंग पर टिका दिया।

वो मेरे पीछे आ गया और मेरे चूतड़ों पर दो तीन बार चपेट लगाई और लंड चूत पर लगा कर एक धक्के के साथ पूरा अंदर तक उतार दिया। उसने दोनों हाथों से मेरी कमर को कसके पकड़ लिया और फटफट की आवाज के साथ चोदना शुरू कर दिया। मैंने झुक कर अपना सर बिस्तर पर रख दिया. मेरे पैर बिल्कुल सीधे थे और कमर झुकी हुई वो मुझे इतनी बुरी तरह से चोद रहा था कि अब मुझे रोना ही बाकी रह गया था।

मैं 2 बार झड़ चुकी थी मेरी हालत बहुत ही खराब होने लगी मगर वो बिना रुके बस मेरी चुदाई किये जा रहा था। मेरी गोरी गांड उसके धक्कों से सुर्ख लाल हो गई थी। पूरे शरीर से पसीने की धार छूट गई थी मेरा पूरा बदन पसीने से भीग चुका था जबकि बाहर जोरदार बर्फबारी हो रही थी। मैं बस यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि मैंने इसके साथ वाइन पी ली थी और उसके नशे में दर्द का अहसास कम था।

अब वो भी मेरे ऊपर झुक गया था और मेरी पीठ पर अपने दांतों से हल्के हल्के काटने लगा। अब उसने अपना एक हाथ मेरे पेट पर लगाया और दूसरे हाथ से मेरी कमर पकड़े हुए था।

अब उसने रुक रुक कर बहुत ही जोर जोर से धक्का मारना शुरू कर दिया। “आआह आओआह उह आआह नोओ नोओ ओ ओ ओ ओ!” मगर मेरी चीख उसने अनसुना कर दिया और मुझे पेलना चालू रखा। फिर उसने अपनी रफ्तार बढ़ाई और फिर से मशीन की तरह चोदना शुरू कर दिया।

जल्द ही उसकी आहें निकलने लगी और उसने अपना लंड जल्दी से बाहर निकाल लिया और हाथों से जोर जोर से हिलाते हुए अपना पूरा माल मेरी गांड और पीठ पर उड़ेल दिया। उसका वीर्य इतना था कि कोई भी चाय का कप आधा भर जाता। अब वो मुझे छोड़ कर बिस्तर पर लेट गया मैं एक कपड़ा लेकर बाथरूम चली गई।

बाथरूम में अपनी पीठ और गांड को साफ किया और सामने लगे आईने में अपनी चूत को देखी. वो किसी गोलगप्पे की तरह फूल चुकी थी और बहुत जलन हो रही थी। चूत का छेद भी पहले की अपेक्षा बड़ा दिख रहा था और अभी भी खुला हुआ था। रूम में वापस आकर मैंने अपने कपड़े पहने और कुछ देर उसके साथ लेटी रही।

इसके बाद मुझे नींद आने लगी तो मैं वापस आ गई। मुझे लग रहा था कि कहीं इसका दुबारा मन किया तो मेरी चूत की शामत आ जायेगी।

उसने भी मुझे नहीं रोका और अपना नाईट गाउन पहन कर मुझे बाहर तक छोड़ने आया।

अपने कमरे में आकर मैं चुपचाप सो गई और अगली सुबह 8 बजे ही उठी। उठते ही पिछली रात का दर्द मेरे पूरे शरीर को जकड़े हुआ था।

चूत और पेट में बहुत ही दर्द था। फिर भी मैं उठी और तैयार होकर उन दोनों के लिए नाश्ते का इंतजाम किया।

दोस्तो, मेरी चुदाई अभी खत्म नहीं हुई थी.

अगली रात भी मेरी भयानक चुदाई आप कामवासना कहानी के अगले भाग में जरूर पढ़ें कि किस तरह से मेरी गांड की वो चुदाई हुई थी कि मैं मरते दम तक उस चुदाई को नहीं भूल सकती।

कामवासना कहानी का अगला भाग: गेस्ट हाउस की मालकिन- 4

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