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यह हिंदी सेक्सी चुत कहानी है मेरी दोस्त की चुदाई की जब वो मेरे रूम में रहने के लिए आई. ये हम दोनों की पहली मुलाकात थी. हमारे बीच क्या हुआ?

नमस्कार दोस्तो, मैं हैप्पी सिंह आपकी सेवा में फिर से हाज़िर हूं.
मैं अपनी आपबीती आप लोगों को बता रहा था.

इस हिंदी सेक्सी चुत कहानी के पहले भाग
खूबसूरत हसीना के साथ ओरल सेक्स का मजा
में मैंने आपको बताया था कि मेरी मुलाकात अपर्णा नाम की एक लड़की से फेसबुक के जरिये हुई.

हम दोनों में प्यार हो गया और वो एक बार काम से मुम्बई आई. वो तीन दिन मेरे घर रहने वाली थी. उसको वहां पर कुछ काम था.
पहली रात को ही हम एक दूसरे के प्यार में खो गये और हम दोनों ने एक दूसरे का कामरस पीया.

अब आगे की हिंदी सेक्सी चुत कहानी:

मैं और अपर्णा पहले राउंड के बाद नंगे ही एक दूसरे से लिपटे हुए थे और एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे।
उसके उरोज़ों को सहला रहा था मैं … और उसके निप्पलों को खींच रहा था.
वो भी मेरे लन्ड को हाथ से सहला रही थी।

हमारी जाँघें एक दूसरे से लिपटी हुई थीं और हम फिर से एक दूसरे को चूमने लगे।
मैं उसके होंठों को काट रहा था और वो मेरे होंठों को काट रही थी.
हम एक दूसरे की जीभ को मुंह में डाल कर चूस रहे थे.

इसी बीच मेरे लन्ड ने भी सिग्नल देना शुरू कर दिया कि वो दूसरे राउंड के लिए तैयार है.
मेरा लन्ड अपर्णा की चूत को छूने लगा.
उसको भी पता लग गया कि उसकी चूत में जाने के लिए उसके आशिक का हथियार एक बार फिर से तैयार है.

अपर्णा को गर्म करने के लिए मैं उसके बूब्स दबाने लगा और एक बोबे को आम की तरह चूसने लगा जिससे अपर्णा फिर से गर्म होने लगी.
फिर मैंने जोर से उसके चूचों को चूसा.

बारी बारी से मैंने दोनों चूचों को चूसा और उसको फिर से उत्तेजित कर दिया.
वो मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी. मैं भी उसकी चूचियों में सिर को जोर जोर से घुसाने लगा ताकि उसकी चूत की आग तेजी से भड़क जाये.

फिर मैं चूमते हुए नीचे पेट की ओर जाने लगा. उसकी नाभि को मैंने जीभ घुमा घुमाकर चूसा.
वो पागल सी होने लगी. चूमते हुए मैं उसकी झांटों की जगह पर पहुंचा और उसको चूत के ऊपर से चाटने लगा.

अब मैं अपर्णा की दोनों टांगों के बीच आ गया और उसके पैरों को अपने कंधे पर रखा.
मैंने उसकी चूत में मुंह लगा दिया और जीभ अंदर घुसाकर फिर से उसकी चूत के रस को खींचने लगा.

वो सिसकार उठी- आह्ह … ओह्हो … हम्म … ओह्ह … उफ्फ … ओह् गॉड … फक मी हैप्पी … आह्ह … चूस जा इसे … चोद दे … आह्ह … तुम कितना मजा देते हो … ओह्ह … ओह्ह … मेरी चूत .. आईई … आह्ह … मेरी चूत।

जितनी तेजी से उसकी सिसकारी निकल रही थी उतनी ही तेजी से मैं उसकी चूत को चाट रहा था.
मुझे उतना ही ज्यादा जोश चढ़ता जा रहा था.
उसकी चूत को चाट चाट कर मैंने उसे पागल कर दिया.

फिर मैंने पास में रखी तेल की शीशी उठाई और उसकी चूत व अपने लंड पर तेल लगाने लगा.
मैंने उसकी चूत और अपने लंड को पूरी तरह से तेल में तर कर लिया.

इससे उसको चुदास चढ़ गयी.

अब मैं उसकी चूत फाड़ने के लिए तैयार था. मैं तेल लगाने के बाद लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. अपर्णा पूरी तरह से सिहर उठी.

वो अपने हाथों से अपने बूब्स को दबाने लगी. उसकी चूचियों को चूस चूस कर मैंने पहले ही लाल कर दिया था.

अब चूत पर लंड के रगड़े जाने से उसकी उत्तेजना के कारण उसकी चूचियों के निप्पल तन कर नुकीले हो गये.
वो अपनी चूत को मेरे लंड पर खुद से ही रगड़ने की कोशिश कर रही थी.

मैं उसके मन की बात जान गया था कि अब उसकी चूत को लंड की सख्त जरूरत है. वैसे भी मैंने उसके सभी अंगों को चूस चाटकर उसे पूरी तरह से चुदासी कर दिया था.

मैंने भी अब देर न करते हुए अपने लन्ड को अपर्णा की चूत पर टिका दिया.
वो मेरे चेहरे की ओर देख रही थी और इंतजार में थी कि कब उसकी चूत में लंड उतरेगा.

उसके चेहरे को मैं भी देख रहा था. वो लंड की प्यासी हो चुकी थी और मेरा लंड भी उसकी चूत की प्यास में तड़प गया था.
फिर मैंने एक धक्का दिया और लंड उसकी चूत में उतार दिया.

अपर्णा की चूत बहुत टाइट थी लेकिन तेल मैंने बहुत ज्यादा लगा दिया था.
चूत और लंड की चिकनाहट इतनी ज्यादा थी कि चूत में लंड फिसलता चला गया और ऐसे जा घुसा जैसे कि केक में चाकू घुस जाता है.

मैंने अपने आप को अपर्णा के ऊपर लिटा दिया और उसके होंठों को जोर जोर से पीने लगा.
वो भी मेरे लंड को लेकर जैसे धन्य हो गयी थी और पूरी शिद्दत के साथ मेरे होंठों से होंठों को मिलाकर मेरा साथ दे रही थी.

मैं अपनी गति में आ गया. मैंने गांड को हिलाते हुए धीरे धीरे उसकी चूत में चोदना शुरू किया.
उसकी चूत में मेरा लन्ड फच्च फच्च की आवाज के साथ अंदर बाहर होने लगा।

मैं अपर्णा के होंठों को चूसने के साथ साथ बीच बीच में उसकी गर्दन और गालों पर भी चूम रहा था. कभी उसके उरोज़ों से दूध पीता तो कभी निप्पलों को चूसता।

वो भी मेरे चूतड़ों को पकड़ कर अपनी चूत में जोर जोर के धक्के लगवा रही थी. उसकी टांगें पूरी तरह से मेरी कमर पर लिपटी हुई थीं और वो चूत को पूरी खोलकर लेटी हुई थी ताकि उसकी चूत में लंड की चोट अंदर तक लगे.

चुदाई की काफी शौकीन लग रही थी वो!

करीब दस मिनट तक हम ऐसे ही चुदाई करते रहे.

फिर मैंने अपर्णा को अपने ऊपर आने के लिए कहा और मैं नीचे लेट गया.
अपर्णा मेरे ऊपर आ गयी।

वो मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने तक ले गयी और चूत से मेरे लन्ड को चोदने लगी.
मैं उसके तने हुए मोटे उरोज़ों को दबाने में मशगूल हो गया।

अपर्णा मेरे ऊपर ही लेट गयी और हम किस करने लगे.
इसी बीच अपर्णा स्खलित हो गई.

मैंने उसको खड़ी किया और हम दोनों नंगे ही बालकनी में पहुंच गए. मैंने उसको बालकनी की रेलिंग पर झुका लिया और पीछे से उसकी चूत चोदने लगा.
बाहर हो रही हल्की बारिश की बूंदें हमारे शरीर पर गिर रही थीं और उसी बारिश में मैं अपर्णा को चोद रहा था।

ऐसे बारिश में मैं पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था और अपर्णा के लिए भी ये पहली बार का ही बिल्कुल ही एक नयी तरह का अनुभव था.

वैसे तो रात का अंधेरा था और बारिश भी तेज थी तो बालकनी में सेक्स करने में कोई डर नहीं था.
इसलिए हम मजे से चुदाई करने में लगे हुए थे.

वैसे भी अगर कोई दूर से देख भी लेता तो लंड या चूत तो दिखने वाले थे नहीं.

मुंबई में कौन किसको चोद रहा है और कहां खड़ी करके चोद रहा है इससे लोगों को कम ही फर्क पड़ता है.
वहां पर किसी को किसी की निजी जिन्दगी से ज्यादा कुछ मतलब नहीं रहता है.

खुले में चुदाई करने में भी पूरा मजा आ रहा था. फिर मैंने लन्ड को बाहर निकाला और उसकी गांड में डालने की नाकाम कोशिश करने लगा.

लेकिन उसने गांड में लंड डालने से मना कर दिया. वो कहने लगी कि उसने कभी गांड नहीं मरवाई है.
तो फिर मैंने भी ज्यादा ज़िद नहीं की और उसको नीचे बिठाकर लन्ड चुसवाने लगा.

थोड़ी देर तक लन्ड चुसवाने के बाद उसको मैं कमरे में लेकर आया और पलंग पर लिटा दिया.

फिर मैंने उसकी टाँगों को कंधे पर रख कर लन्ड को उसकी चूत में डाल दिया।

अपर्णा की चूत चुद चुदकर लाल हो गयी थी. मैं उसकी चूत चोदने के साथ साथ उसकी गांड में भी उंगली डाल रहा था।

इसी चुदाई के दौरान अपर्णा दूसरी बार भी झड़ गयी लेकिन मेरे लन्ड में जान अभी बाकी थी.
अपर्णा की चूत फूलकर पाव रोटी की तरह हो गयी थी.

मैंने अब लन्ड को चूत में से निकाल कर उसके बूब्स के बीच में फंसा दिया और दोनों हाथों से उसके चूचों को भींच लिया. फिर उसने भी अपने दोनों चूचों को अपने हाथों से थाम लिया.

धक्के लगाते हुए मैं उसके बोबों की घाटी को चोदने लगा. मेरा लन्ड बूब्स को चोदने में उसके मुंह तक जा रहा था.
अपर्णा जीभ से लन्ड को चाटने भी लगी थी.

मेरा जोश अब पूरे उफान पर था. मैं किसी भी वक्त स्खलित हो सकता था इसलिए मैं उसके चूचों को जोर से भींचकर पूरा जोर लगाकर लंड को आगे पीछे कर रहा था.
फिर मैं अपने चरम पर पहुंच गया और थोड़ी देर में मेरे लन्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी.

जैसे ही वीर्य से पहली पिचकारी छूटी तो उसने लंड को झट से मुंह में भर लिया और मेरे चूतड़ों को अपने मुंह की ओर दबा लिया.
मेरे लंड से बची हुई पिचकारियां उसके गले में गिरने लगीं.

झटके दर झटके मैंने सारा वीर्य उसके मुंह में खाली कर दिया.

मेरे वीर्य को अपर्णा ने पूरा गटक लिया और लन्ड को जीभ से चाट कर साफ कर दिया.
मैं थक गया था और हांफता हुआ मैं अपर्णा के ऊपर ही लेट गया।

अपर्णा अपनी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट हो गयी थी. वो मेरी पीठ को सहला रही थी तो कभी मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी. कभी मेरे गालों को चूम रही थी तो कभी कंधे पर किस कर रही थी.

उसके मुंह से बार बार एक ही शब्द निकल रहा था- आई लव यू हैप्पी … आई लव यू जान!
मैं भी उसके चूचों के ऊपर लेटा हुआ बहुत राहत महसूस कर रहा था. बड़े दिनों के बाद खुलकर लंड ने वीर्य फेंका था.

फिर हम एक दूसरे को चूमते हुए हम दोनों एक दूसरे की बांहों में कब सो गए पता ही नहीं चला.

सुबह चार बजे के आसपास मेरी नींद खुली तो देखा कि अपर्णा मेरी बांहों में निश्चिंत होकर सो रही है।

ऐसे उसे अपनी बांहों में उसको नंगी देख कर मेरे लन्ड ने भी सलामी देना शुरू कर दिया.
मैं अपर्णा के बूब्स को मुंह में भर कर उनका दूध पीने लगा जिससे अपर्णा की भी नींद खुल गयी.

वो कच्ची नींद में ही मेरे बालों में हाथ फिराने लगी और फिर वो पूरी तरह से जाग गयी.
हम दोनों के होंठ फिर से मिल गये. जल्दी ही हाथ एक दूसरे के सेक्स अंगों को सहलाने लगे.

वो मेरे लंड को मुठियाने लगी और मैं उसकी चूत को उंगली से कुरेदने लगा.

जल्दी ही चुदाई की आग भड़क उठी और मैंने फिर से एक बार उसकी चूत में लंड पेल दिया.

हमने चुदाई का एक जोशीला राउंड खेला और फिर दोनों ही झड़कर शांत हो गये.
बहुत मजा आया उसके साथ चुदाई का ये खेल खेलकर। बहुत दिनों के बाद मैंने ऐसी सेक्सी चूत की चुदाई की थी.

अपर्णा मेरे साथ तीन दिन तक रही जिस दौरान हमने कई बार सेक्स किया.
हमने हर तरह का सेक्स किया- रफ सेक्स, स्मूथ सेक्स, बाथरूम में भी सेक्स किया. हमने किचन में भी सेक्स किया.

मैंने फिर उसको मनाकर उसकी गांड चुदाई भी कर दी. उसने गांड भी चुदवा ली और वो भी अनुभव भी उसका अच्छा रहा.

अब उसके लौटने का दिन भी आ गया.
जब मैं उसको छोड़ने नासिक गया तो स्लीपर बस में केबिन बन्द करके भी हमने चलती हुई बस में चुदाई का मजा लिया।
दोस्तो, चलती हुई स्लीपर बस में चुदाई करने का भी अपना एक मजा है।

इस तरह मैंने अपर्णा की हिंदी सेक्सी चुत की चुदाई की। उसको भी मेरे साथ वो तीन दिन गुजार कर बहुत अच्छा लगा. उसके बाद और क्या क्या हुआ वो सब मैं आपको आने वाले समय में बताऊंगा.

आपको ये स्टोरी कैसी लगी मुझे अपनी राय में जरूर लिखें. बतायें कि कहानी का कौन सा हिस्सा आपको सबसे अच्छा लगा. मुझे आप लोगों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा.

आपके रेस्पोन्स से प्रेरित होकर मैं अपने और अपर्णा के बाकी सेक्स अनुभवों को आप सबके साथ साझा कर सकूंगा कि कैसे मैंने अपर्णा की गांड की चुदाई की और उसके अलावा और भी बहुत कुछ किया.

स्लीपर बस में चुदाई की स्टोरी आपको काफी पसंद आयेगी इसलिए अपनी राय जरूर भेजें.

आप मुझे मेरी ईमेल पर मैसेज के द्वारा संपर्क कर सकते हैं. यदि कहानी के बारे में कुछ जिज्ञासा रह गयी हो तो वो भी पूछ सकते हैं.

मेरी हिंदी सेक्सी चुत कहानी पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद। अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी की सेक्स कहानियों का ऐसे ही मजा लेते रहें और चुदाई का आनंद लेते रहें.
धन्यवाद।

Related Tags : खुले में चुदाई, गांड में उंगली, चुदास, रियल सेक्स स्टोरी, हॉट सेक्स स्टोरी
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