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हिन्दी फुल सेक्सी कहानी के पिछले भाग
जवानी की अधूरी प्यास- 2
में आपने पढ़ा कि किस तरह मेरी और विक्रम जी के बीच जिस्मानी रिश्ता बन गया और किस तरह से मेरी पहली चुदाई हुई।

अब आगे की हिन्दी फुल सेक्सी कहानी:

पहली चुदाई के बाद हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे से लिपटे रहे. उस ठंड भरी रात में हम दोनों को एक दूसरे के जिस्म की गर्मी काफी अच्छी लग रही थी।

करीब आधे घंटे के बाद विक्रम जी उठे और बोले- मुझे बाथरूम जाना है।

पेशाब तो मुझे भी जोर की आई हुई थी. मैंने उनसे कहा- बाथरूम तो घर के पीछे है.
तो वो मुझे साथ चलने के लिए कहने लगे.

उनके कहने पर मैं अपनी चड्डी पहनने लगी मगर उन्होंने कहा- ऐसे ही चलो … क्या परेशानी है?

मैंने सबसे पहले पीछे तरफ की सभी लाइट बंद कर दी और आगे आगे चल पड़ी.
पीछे पीछे विक्रम जी भी आ रहे थे।

बाथरूम में पहुँच कर मैंने उनको बताया तो वो अंदर चले गए।
पेशाब करते हुए उनकी तेज़ धार बाहर तक सुनाई दे रही थी।

उनके निकलने के बाद मैं अंदर गई और पेशाब करने बैठ गई।
मेरी भी तेज धार निकल पड़ी पेशाब के साथ साथ उनका वीर्य भी निकल रहा था।

पेशाब करने के बाद जैसे ही मैं उठी तो देखी विक्रम जी मेरे पीछे ही खड़े होकर मुझे पेशाब करती हुई देख रहे थे।
मुझे उस वक्त बहुत ही शर्म आई और मैं मुस्कुराती हुई उनकी बगल से निकल गई।

हम दोनों वापस कमरे में आ गए.

मैं जानती थी कि अभी वो और चुदाई करेंगे.
इसलिए मैंने कपड़े नहीं पहने और बिस्तर पर लेट गई।

वो तुरंत ही आकर मेरे ऊपर लेट गए और मेरी आँखों में देखते हुए बोले- एक बात बोलूं?
“जी बोलिये।”
“तुम इतने दिन क्यों नहीं मिली?”
“क्यों?”

“तुम्हारी जैसे पार्टनर हर किसी को नहीं मिलती. यार तुमको चोदने का मजा ही अलग है।”
“तुम जिस तरह से मेरा साथ दे रही थी … उससे चुदाई का मजा दुगना हो रहा था।”
“मुझे लग नहीं था कि तुमको पहली बार चोद रहा हूँ. तुम इतनी खुल कर चुदवा रही थी।”

“तुम्हारी चुदाई से पता चल रहा था कि तुम कितनी प्यासी थी और अभी तक तुम्हारी अच्छे से चुदाई नहीं हुई थी। मगर अब चिंता मत करो तुमको चुदाई का पूरा मजा मिलेगा।”

ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरे निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया.
मैंने भी बिना शरमाये हाथ बढ़ा कर उनका लंड थाम लिया और सहलाने लगी।

कुछ देर बाद उन्होंने मेरे दोनों हाथ ऊपर करते हुए मेरे अंडरआर्म में अपना मुँह लगाया और जीभ से चाटने लगे।

बाद में उन्होंने कहा- मुझे तुम्हारे गोरे और चिकने अंडरआर्म बहुत पसंद आये. तुम अपनी बॉडी का बहुत ख्याल रखती हो. हर जगह साफ सफाई रखी है।

फिर वे अपने एक हाथ को मेरी चूत पर ले गए और एक उगली मेरी चूत में डाल कर बोले- तुम्हारा छेद अभी भी काफी छोटा सा है. तुमको आज तक मेरे जैसा लंड नहीं मिला क्या?
“मुझे जितना भी मिला … सब एक जैसे ही थे. बस आप पहले हो जिनका इतना बड़ा है! कितना लंबा है आपका पूरा अंदर तक चला जाता है।”

“मैं भी अपने शरीर के साथ साथ लंड का ख्याल रखता हूँ और इसकी भी मालिश करता रहता हूँ। इसलिए ये इतना हट्टा कट्टा है। तुमको पसंद आया या नहीं?”
“बहुत पसंद आया।”

अब उन्होंने फिर से मेरे दोनों पैरों को फैला दिया और लंड को चूत पर रगड़ने लगे।
वो अपने घुटनों के बल मेरी चूत के पास बैठे हुए थे और मेरे पैरों को अपने कंधे पर रख लिए।
मेरी चूत और गांड उठ कर उनके सामने आ गई।

चूत में लंड रगड़ते हुए उंगली से मेरी गांड की छेद को छूते हुए बोले- तुम्हारा ये भी इतना छोटा सा है. लगता है कि इसका उद्घाटन अभी तक नहीं हुआ।
मैं समझ गई कि वो गांड की बात कर रहे हैं.

तो मैं बोली- नहीं ऐसा नहीं है उद्धघाटन हो चुका है. मगर आपका मैं सह नहीं पाऊँगी वहाँ!
“नहीं ऐसा नहीं है. सब सह लोगी. बस अंदर जाने की देर है, तुमको खुद मजा आएगा।”

ऐसा बोलते हुए उन्होंने मेरे पैरों को अपने हाथों में फंसाया. मेरे ऊपर आ गए और बोले- शुरू करूं? मैं तो गर्म हो गया हूँ।
मैंने भी आंखों के इशारे से हामी भर दी।

उन्होंने तुरंत लंड मेरी चूत में उतार दिया एक ही धक्के में पूरा लंड मेरी चूत के अंदर था।
मेरी एक आह निकली- आआ आआह आआआ आह।

इसके बाद उन्होंने अपनी रफ्तार तेज करते हुए दनादन मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी।
हम दोनों ही एक दूसरे से कस कर लिपटे हुए थे।

करीब 5 मिनट बिना रुके चोदने के बाद उन्होंने लंड बाहर निकल लिया और मुझे पलटने को बोले.
मैं समझ गई कि वो मुझे घोड़ी बनने के लिए बोल रहे हैं.
और मैं पलट कर घुटनों के बल हो गई।

उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को सहलाया और चूमने लगे।
फिर उसके बाद अपने लंड को चूत पर लगाया और अंदर पेल दिया। मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया और फट फट फट के आवाज के साथ मेरी चुदाई चालू कर दी।

उनके धक्के इतने तेज़ थे कि लग रहा था मेरी आँखें बाहर आ जायेंगी।

वो दनादन चोदते रहे और झुक कर मेरी पीठ पर अपने दांतों से हल्के हल्के काटना शुरू कर दिया।

अब तो मेरा सह पाना मुश्किल हो रहा था और मैं झड़ गई मेरी चूत का पानी निकलते हुए मेरी जांघ और बिस्तर पर गिरने लगा।

उस वक्त मैं अपने पति को याद करते हुए सोच रही थी कि काश मेरे पति भी ऐसे चोद सकते तो मुझे किसी दूसरे आदमी को बिस्तर तक नहीं लाना पड़ता।
मैं ये सब सोच ही रही थी और विक्रम जी मेरी चुदाई किये जा रहे थे।

बहुत दर्द भरी आवाज में मैंने पूछा- आपका कब होगा? जल्दी करो, सहन नहीं होता।
वो तेज रफ्तार में चोदते हुए बोले- अभी नहीं होगा. मेरा दूसरी बार में बहुत समय लगता है।

मैं समझ गई थी कि जब तक इनका होगा तब तक मैं कई बार झड़ चुकी होऊँ गी।

बार बार मेरे चूतड़ों पर पड़ रहे उनके धक्के से मेरे चूतड़ दर्द करने लगे थे।
मैं उस वक्त चुदाई की गहराई में गोता लगा रही थी।

बहुत देर बाद उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और तुरंत मुझे पेट के बल लिटा दिया।
उन्होंने मुझसे हाथ से चूतड़ों को फैलाने के लिए कहा.

मैंने दोनों हाथों से अपने चूतड़ों को फैला दिया।

अब उन्होंने अपने मुँह से अपना थूक निकाल कर मेरी गांड के छेद पर लगा दिया।
मैंने तुरंत कहा- आज वहाँ मत करो, फिर किसी दिन कर लेना।
मगर वो बोले- आज हो या कल … करना तो है ही! कुछ नहीं होगा. बस लेटी रहो।

उन्होंने अपना लंड छेद में लगाया और मेरे ऊपर लेट गए।

अपने दोनों हाथ मेरे बगल से लाकर मेरे दूध को थाम लिया.

उनका पूरा वजन अब मेरे ऊपर ही आ गया था। मेरे मुख से आआ आआह आआआआह निकल रहा था।

अब उन्होंने लंड को अंदर करना शुरू कर दिया और जल्द ही उसका सुपारा मेरी गांड में घुस गया।
मुझे तेज़ दर्द हुआ- ऊऊऊ ऊऊईई ईईईई मा मम्मी आआआह!

वो रुके नहीं और पूरा लंड मेरी गांड में पेल दिया।

मैंने अपने होंठों को मुख में दबा लिया. दर्द इतना था कि बता नहीं सकती. बस मैं दर्द सह रही थी।

कुछ समय तक लंड डाले रहे और फिर हल्के हल्के अंदर बाहर शुरू कर दिया।

लंड छेद में बहुत ही टाइट जा रहा था. मेरी तो आवाज ही नहीं निकल रही थी।

वो बहुत ही धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहे थे ताकि मुझे तकलीफ न हो। वो समझ चुके थे कि मेरी गांड ज्यादा नहीं चुदी थी और उनका मोटा लंबा लंड मेरे लिए बहुत बड़ा था।

बहुत देर तक उन्होंने छेद को ढीला किया. जब लंड कुछ आराम से अंदर होने लगा तो उन्होंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और अपने हाथों को बिस्तर पर टिका कर गांड चोदना शुरू कर दिया.

अब मुझे भी दर्द कम हो रहा था और मैं लेटे हुए मजा ले रही थी।

मेरी गांड से बहुत ही गंदी आवाजें आ रही थी- फोचच चच फोचच्च्च!

उनका हर एक धक्का किसी हथोड़े की तरह मेरे चूतड़ों पर लग रहा था।
वो झुक कर मेरे गालों को चूमते हुए मेरी गांड चोदे जा रहे थे।

करीब 15 मिनट की चुदाई करने के बाद उन्होंने अपना सारा माल मेरी गांड में भर दिया।

उनके लंड निकालने के बाद ऐसा लग रहा था कि मेरा छेद खुला ही है.

जैसे ही मैं पलटी तो उनका पूरा वीर्य बिस्तर पर गिर गया।

हम दोनों ही थक चुके थे और एक दूसरे के बगल में लेट गए।

3 बजे रात एक बार मेरी और चुदाई हुई. उस बार भी मैं तीन बार झड़ी।
और सुबह 5 बजे वो अपने घर के लिए निकल गए।

सुबह जब मैं सो कर उठी तो सारा बदन दर्द से भरा हुआ था।
जब मैं टॉयलेट गई तो वहाँ बैठने में मुझे काफी परेशानी हुई।

आज तक कभी भी चुदाई के बाद ऐसी तकलीफ़ नहीं हुई थी.
उस दिन मुझे पता चला कि चुदाई क्या होती हैं।

अगली रात भी वो मेरे पास आये और फिर से तीन बार चुदाई हुई।
इस तरह जितने दिन मेरे पति बाहर थे, वो रात में आते थे।

हम दोनों ही मौके को देखते हुए इस प्रकार मिलने लगे. और जब भी मेरे पति शहर से बाहर जाते तो रात भर वो मेरे साथ ही रहते।

उनके मिलने से अब मुझे किसी दूसरे मर्द की जरूरत नहीं महसूस होती थी. उनको ही झेल पाना मेरे लिए बहुत था।

उनकी ही चुदाई से मैं कई बार प्रग्नेंट हुई. मगर दवाई खा लिया करती थी.

मगर 2017 में उनके ही एक बेटे को मैंने जन्म दिया।
हमारा मिलना आज भी जारी है और हम दोनों एक दूसरे से काफी खुश हैं।

उम्मीद है आपको मेरी जिंदगी का ये अहम हिस्सा पसंद आया होगा। हिन्दी फुल सेक्सी कहानी पर अपने विचार जरूर बताएं.
धन्यवाद।

Related Tags : गांड, चोदन स्टोरीज, देसी गर्ल, नंगा बदन, हॉट सेक्स स्टोरी
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