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जिगोलो बनकर टीचर का नया साल मनवाया

नमस्कार दोस्तो, मैं किंग एक बार फिर से आपके सामने हाज़िर हूँ अपनी नई प्रस्तुति के साथ।

सबसे पहले मेरी पिछली सभी कहानियों को इतना प्यार देने के लिए मैं आप सब का दिल से आभारी हूं।
मेरी पिछली कहानी थी: बुआ ने दिलाया जिगोलो का काम

दोस्तो, आज जो हक़ीकत मैं आपको बताने जा रहा हूँ वो मेरा एक पुराना सपना पूरा होने जैसी है। सपने हम सब देखते हैं पर हम नहीं जानते कि वो कब और किस मोड़ पर पूरे होंगे।

मैं मनोज जिससे कभी एक लड़की भी नहीं पट रही थी, वो 2 साल से अलग अलग हुस्न का स्वाद चख रहा है. जिसमें मेरी खुद की माँ भी है. जो मैं पिछली कहानियों में आपको बता चुका हूं।

अब मैं आपका और ज़्यादा समय व्यर्थ न करते हुए उन बातों पर आता हूँ जिसके लिए आप मुझे इतना प्यार करते हैं।

2 साल में बहुत किस्से है जो मैं आपको बताना चाहता हूँ पर मुझे सबसे पहले जो खुशी आपको नए साल पर हुए अनुभव की बताने में हो रही है वो खुशी पिछले 2 साल में कभी नहीं हुई थी इसीलिए आपको अपना सबसे नया अनुभव बता रहा हूँ।

31 दिसंबर की रात को मेरे पास एक बुकिंग आयी जिसमें मुझे एक किटी पार्टी में जाना था। नया साल में अपने घर पर अपनी माँ के साथ मनाना चाहता था इसीलिए मैंने मना कर दिया।
पर क्लाइंट की फ़ोटो ने मुझे इतना आकर्षित किया कि मैंने फैसला किया कि मैं ये मीटिंग करूँगा।
और किटी पार्टी थी तो पैसे भी अच्छे मिल रहे थे।

पर मैं पैसे की न सोचकर सिर्फ वो मीटिंग करना चाहता रहा था क्योंकि उस फ़ोटो में जो चेहरा था उसके बारे में सोचकर मैंने अपना पूरा बचपन मुट्ठी मारकर बिताया था।

खैर … मैं 10 बजे तक मीटिंग की लोकेशन पर पहुंच कर मेडिकल से फ्री हो चुका था और मीटिंग के लिए रेडी था।

वो किटी पार्टी नहीं थी. पर जैसा मुझे बताया गया था कि मुझे 3 महिलाओं को सर्विस देनी थी तो उसमें से पहली महिला जिसका नाम सुमन था, वो मेरे पास आयी।

“तुम तो काफी यंग हो। पक्का तुम ठीक से कर लोगे न?” पहली लाइन थी उनकी!
जिसके जवाब में मैं सिर्फ मुस्कुरा गया.

और उन्होंने बुझे हुए मन से मुझे उनके साथ आने के लिए बोला जो इस बात का इशारा कर रहे थे कि उन्हें भरोसा नहीं है कि मैं उन्हें खुश कर पाऊंगा।

खैर मैं सुमन के पीछे गया और हम रूम में गये जहाँ बाकी की दोनों महिलायें पहले से मेरा इंतज़ार कर रही थी. और मैं भी उस दूसरी महिला का … जिसके लिए मैं आया था।
“अरे यार … यह तो छोटा है. रहने दो … आज के सारे सपने बेकार हो गए।“ मुझे देख कर दूसरी महिला ने भी बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला।

मेरा मन तो कर रहा था कि अभी उसे बता दो की मेरा नाम किंग क्यों है पर मैंने खुद पर काबू करते हुए बोला- इंदु वर्मा, इंग्लिश टीचर!
और वो आवाक होकर मेरी तरफ देखने लगी।

“कौन है आप?”
“मैडम मैं मनोज। आपका फेवरेट स्टूडेंट … या बोल सकती हो आपका दीवाना।“
“मनोज … अच्छा हाँ, याद आया। बड़े हो गए हो और ये क्या काम करने लगे हो?”
“बस मैडम आपके बारे में सोचकर सबको खुश करने की कोशिश कर रहा हूँ।“
“आप पागल हो क्या? मैं आपकी टीचर हूँ.”
“ठीक है तो मैं चला जाता हूँ पर इस टाइम कोई दूसरा मेंबर नहीं आ पायेगा।“

फिर वो सोच में पड़ गयी और तीनों आपस में बात करने लगी। तब तक मैं आपको बता देता हूँ कि सुमन एक 40 साल के आसपास की पहाड़ी महिला थी जो ब्लू गाउन में थी। भरे हुए और चमकदार हुस्न की मल्लिका थी।

इंदु की खूबसूरती जितनी बताऊँ वो कम है। मैं बहुत बड़ा दीवाना हूँ उसका। इंदु नए साल में 43 साल 14 दिन की हो गयी थी। ब्लू टाइट जीन्स पर टाइट क्रीम कलर की टीशर्ट पर पिंक फर वाला कोट और फर वाले ही शूज।

तीसरी महिला पायल जो 35 के आस पास की होगी पर उन दोनों के सामने ज़्यादा खास नहीं थी। शरीर भी ठीक था परंतु आकर्षक नहीं था. वो सलवार कमीज में थी और थोड़ी शर्मीली भी थी।

खैर वो जानती थी कि उनके पास मेरे सिवा कोई रास्ता नहीं है. पर इंदु नहीं चाहती थी मैं उसके साथ सेक्स करूं. इसलिए वो सब ड्रिंक करने लगी और आपस में बात करने लगी.
और मैं इंदु के हुस्न को ताड़ रहा था।

“मेरे साथ दूसरे रूम में आओ। मुझे बात करनी है।“ कहकर इंदु दूसरे रूम में चली गयी और मैं उनके पीछे चला गया।
“मनोज, तुम बताओ कि मैं अपने स्टूडेंट के साथ कैसे?”

मैंने इंदु की बात पूरी भी नहीं होने दी और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए और उसके दोनों हाथ अपने हाथों में पकड़ के उनके पीछे की तरफ कर दिए जिससे वो मुझे हटा न सके।
जीवन में पहली बार मैंने क्लाइंट से खुद शुरुआत की।

इंदु के मुँह से ऊ…ऊऊऊ.. की आवाज़ आ रही थी और वो गर्दन हिला रही थी जैसे उसे कुछ करना ही नहीं।

मैंने उसके होंठों को छोड़ कर उसके मासूम चेहरे को देखा. उनकी आंखें गुस्से से मुझे देख रही थी पर उनके हाथ अब मुझसे छूटने की कोशिश नहीं कर रहे थे।

उनकी सांसें बहुत तेज़ थी जिससे उनके चूचे मेरी छाती पर हिल रहे थे। और वो मेरी सपनों की परी मेरी बांहों में बिना कुछ बोले बस एक मुझे गुस्से या अचंभे के भाव से देख रही थी।

मैंने अपनी जीभ उनके मुलायम होंठों पर दो बार फेरी और फिर से उनको होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया। अब वो मुझसे छूटना नहीं चाहती थी पर मेरा साथ भी नहीं दे रही थी।

मैंने उन्हें उल्टा करके अपनी छाती को उनकी पीठ से लगाया और उनके बाल साइड में कर के उनकी गर्दन पर चूमने और काटने लगा।
इस प्रक्रिया में मेरे दोनों हाथ लगातार उनके चूचों को मसल रहे थे. मेरा लौड़ा मैम की गांड में दबाव दे रहा था जो वो महसूस कर रही थी और अपनी गांड को पीछे की तरफ धकेल कर मेरा भरपूर साथ देने लगी थी।

“यार इंदु, तू तो इससे बात करने आई थी और हमे अकेला छोड़ कर खुद शुरू हो गयी?”सुमन की आयी अचानक उस आवाज़ ने हमारा सम्मोहन तोड़ा और एहसास कराया कि मैं यहाँ तीनों को सर्विस देने आया हूँ।

“तुम जानती हो चिंटू (इंदु मैडम का पति) कुछ नहीं कर पाता। इतने दिन बाद इसका टच मुझे मदहोश कर गया। मैंने फील किया है मनोज को। मुझे लगता है ये हमे खुश कर देगा।“

इंदु के मुँह से निकले ये शब्द मेरे लिए बहुत थे. जो इशारा थे कि मनोज अब मेरे को सोच कर हाथ से करना बंद कर और जल्दी से मुझे घोड़ी बना कर मेरी सवारी कर।

“अच्छा … हम भी तो देखें ऐसी क्या बात है इसमें?“ ये पायल थी।
कितनी खूबसूरत आवाज़ थी उसकी। जो पायल मुझे उन दोनों के मुकाबले कुछ भी नहीं लग रही थी उसका हाथ मेरे पैंट के ऊपर से मेरे खड़े हुए हथियार को सहला रहे थे.
वो मुझे अब कुछ ज़्यादा ही खूबसूरत लग रही थी।

2 साल से मैंने पता नहीं कितनी महिलाओं को खुशी दी थी पर आज मैं खुद ऐसा महसूस कर रहा था जैसा मैं जीवन में पहली बार किसी से सेक्स कर रहा हूँ।
मुझे फर्क नहीं था कि कौन कैसी दिखती है।

पायल और सुमन सिर्फ मेरी क्लाइंट थी। पर इंदु का दीवाना था मैं। इंदु के बारे में सोच कर पता नहीं कितनी बार मुट्ठी मारी थी। आज वो हर पोजीशन सच में इस्तेमाल करने का समय आ गया था।

इंदु मेरा साइज अपनी गांड पर महसूस कर चुकी थी और पायल ने भी हाथ से मेरा नाप ले लिया था। अब समय था अपनी तीनों घोड़ियों की सवारी करने का।

मैं पहले पायल और सुमन का सर्विस देकर सुलाना चाहता था क्योंकि इंदु के लिए जितना तड़पा हूँ, मैं उतना उसे तड़पाना चाहता था।

शुरुआत मैंने पायल के होंठों से की और एक हाथ से सुमन की कमर सहला रहा था। पायल बहुत प्यासी लग रही थी। उसने अपनी जीभ निकाली और मेरे मुंह में घुमा रही थी। उसका एक हाथ मेरे बाल और दूसरा हाथ मेरे लंड को सहला रहा था।

और मैं सुमन को चूचों की गोलाइयों को नाप रहा था। तीनों के चूचे इतने मोटे थे कि किसी का भी एक पूरा चूचा मेरे एक हाथ में नहीं आ सकता था।
मैंने पायल और सुमन दोनों को अपनी बांहों में ले रखा था और एक एक कर के दोनों के होंठ चूस रहा था.
इंदु बेड पर बैठी अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी।

मैं फॉरसम पहली बार कर रहा था। मुझे लगता था ग्रुप मीटिंग में एक एक कर के महिलाओं के साथ करना पड़ता होगा. पर वो सब बहुत उत्तेजित थी और सच बताऊँ तो मैं भी बहुत उत्तेजित था।
मैंने देर न करते हुए अपना हथियार निकाल दिया और पायल के हाथ में दे दिया और सुमन के होंठ चूसने लगा।

मेरा लौड़ा देख के इंदु की आंखों में चमक आ गयी और वो मेरे पास आने लगी. पर मैं उसे तड़पाना चाहता था।

मैंने सुमन के गाउन में हाथ डाला और उसके चूचों को दबाते हुए उसके होंठ चूस रहा था। पायल शायद मेरे लौड़ा मुँह में नहीं लेना चाहती थी इसीलिए बैठ कर वो बस उसे हिला रही थी।

अचानक उसने अपने मुलायम होंठों में मेरा लौड़ा लिया और जितना हो सकता था अंदर लेने की कोशिश करने लगी.
पर मेरा नाम किंग है। ऐसे ही पूरा कोई मुँह में नहीं ले पाती। मैंने उसके सिर पर दवाब बनाया और उसके गले तक अपना लौड़ा फंसा दिया और हल्के से झटके देने लगा।

अचानक आयी उसकी खाँसी से मेरा और सुमन का ध्यान टूटा और देखा कि मेरा लौड़ा इंदु चूस रही थी और पायल बराबर में बैठी है।

हम सबके चेहरे पर हँसी की लहर दौड़ गयी. मैंने सुमन को बेड पर झुकाया और उसका गाउन ऊपर कर के उसकी जालीदार पैंटी को उसकी चिकनी चूत से दूर कर दिया। और प्यार से मैंने अपना आधा लौड़ा एक झटके में अंदर डाल दिया।

“आ… आह.. धीरे यार!“ उसकी सुरीली दर्दभरी आवाज उसके गले से निकली।
“ये क्या है? मैंने बुक किया था इसे और मुझे ही चांस नहीं मिला। सुमन जब नहीं लिया जा रहा तो क्यों पागल हो रही थी इतनी देर से?” इंदु ने उससे बोला.
और मेरी तरफ नज़र करके बोली- छोड़ दो मनोज उसे … और पहले मेरे पास आओ।

“परेशान मत हो मैडम। मैं सबको बराबर सर्विस दूंगा.” मैंने प्यार से इंदु से बोला- अगर आप चाहती हो तो आप भी साथ में आ जाओ।
मेरे मुंह से शब्द खत्म भी नहीं हुए थे कि पायल और इंदु दोनों अपने पूरे कपड़े उतार कर मेरे बराबर आ गयी और बोली- बताओ क्या करना है?

इंदु का शरीर जन्नत की परी से कम नहीं था। गौरे चिकने हुस्न की मल्लिका है वो! गोल चूचे, चिकनी नाभि, गुलाबी चूत जितना सोचा था उससे बहुत खूबसूरत शरीर की मालकिन थी। सुमन और पायल जैसी महिलाओं को तो 2 साल से सर्विस दे रहा था।

मैंने सोचा कि पहले सुमन और पायल को एक एक बार कर दूँगा और रात भर इंदु का जिस्म तोडूंगा इसीलिए एक बार में सुमन की चूत में पूरा लौड़ा डाल दिया।
इसके लिए वो तैयार नहीं थी और एक धीमी चीख के साथ अपनी चूत से मेरा लौड़ा निकालने के लिए हिलने लगी।

पर मुझे 2 साल का अनुभव था। उसकी नाकामयाब कोशिश को और दर्द देने के लिए मैंने पूरा लौड़ा निकाल कर तेज़ झटके के साथ फिर से डाल दिया जो उसकी सोच से परे था।
“छोड़ दो मुझे प्लीज रुक जाओ!” उसने रुआंसी सी हालत में बोला।

मैंने अपना लंड निकाल लिया और वो अपनी चूत पकड़ के बैठ गयी। इंदु खुश थी.

मैं इंदु के होंठ चूसने लगा और एक उंगली इंदु की चूत में डाल कर हिलाने लगा, दूसरे हाथ से पायल के चूचे दबाने लगा।

“मनोज, रुक नहीं पा रही हूँ मैं अब। कर दो मेरे साथ!“ मन तो कर रहा था कि अभी चोद दूँ इंदु को … पर 10 साल से इंदु के नाम की मुट्ठी मार रहा था।
“सुमन और पायल को एक एक बार सर्विस दे दूँ फिर रात भर हम ही करेंगे.” इंदु के कान को काटते हुए धीरे से बोला मैंने।
“नहीं। मैं रुक नहीं पाऊँगी। प्लीज पहले मेरे साथ कर दो यार। बस एक बार कर दो पर पहले मेरे साथ।“

“पायल जी, बेड पर लेट जाओ। इंदु, सुमन की चूत जीभ से थोड़ी सहला दो उसे आराम मिलेगा।“ मेरे शब्द उसे समझा रहे थे कि सब्र का फल मीठा होता है।

फिर मैंने पायल को सीधा लेटाया और उसके ऊपर आ गया और जितना वो ले सकती थी उतना डालते हुए उसे चोदने लगा।
इंदु सुमन की चूत को चाटने और सहलाने लगी जिससे उसे भी आराम मिलने लगा।

12-15 मिनट में पायल ने एक मीठी सीत्कार के साथ पानी छोड़ दिया.
और फिर मैंने सुमन को चोदा जिसने मुश्किल से 2 से 3 मिनट में पानी छोड़ दिया और वो दोनों निढाल हो कर लेट गयी. और शायद ड्रिंक की वजह से या थकान की वजह से सो गई।

अब मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और इंदु के नंगे शरीर को अपनी बांहों में भर लिया. मैम के मोटे चूचे मेरी छाती से सटे हुए थे और मेरा लौड़ा उसकी गुलाबी चिकनी चूत को चूम रहा था।
मैंने उसकी गर्दन, गाल, होंठ, आँख, नाक, हर अंग को चूमना चूसना और चाटना शुरूकर दिया और इंदु मुझे बांहों में भर कर मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए पूरा साथ दे रही थी।

“तुम सच में बड़े हो गए हो मनोज!” मेरे लौड़े पर हाथ फेरते हुए इंदु बोली। उसकी नशीली आँखों में चमक थी।

मैंने उसके एक निप्पल को मुँह में लिया और दोनों हाथों से उसके चूचे दबाने लगा।
“बस आपको देख कर और आपको सोच कर ही बड़ा हुआ हूँ मैडम!“

अब हम दोनों बेड पर 69 की पोजीशन में आ गए और दोनों के नाज़ुक अंगों पर एक दूसरे के होंठ कमाल दिखाने लगे।

“प्लीज मनोज अब तो कर दो। नहीं तो तुम भी चिंटू की तरह झड़ गए तो तुम्हारा तो बहुत देर में खड़ा होगा। और वैसे भी मेरा मुँह दर्द करने लगा है अब।“
“किंग नाम है मेरा। आपको जब तक शांत नहीं कर दूंगा तब तक नहीं रुकूँगा।“ कहते हुए इंदु को सीधा लेटाया और उसके होंठ चूसने लगा.

पर उससे अब रुका नहीं जा रहा था और वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
वैसे इंतज़ार तो अब मुझसे भी नहीं हो रहा था और मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़े हुए ही उसकी चूत पर दबाव बनाकर टोपा अंदर डाल दिया।
उसने मीठी सी प्यारी सी सीत्कार के साथ अपने नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए।

“दर्द तो नहीं हो रहा मैडम?” मैंने थोड़ा दबाव बढ़ाते हुए पूछा।
उसने होंठों को तेज दबाते हुए आंखों को कस के बंद किया हुआ था और सिर हिलाकर न का इशारा किया।
“पूरा डाल दूँ न?”
उसने इशारे से हाँ बोला.

और मैंने धीरे धीरे पूरा लौड़ा उसकी गुलाबी चूत में डाल दिया जो उसकी बच्चेदानी को चूमने लगा।

उसने अपने पैरों से मुझे बांध लिया था और मुझे कस के सीने से लगा लिया और आ… आ…आह … मनोज! की तेज सीत्कार के साथ बहने लगी।
“इतनी जल्दी? आप तो बोल रही थी कि चिंटू जी जल्दी झड़ जाते है पर मैंने तो अभी शुरू भी नहीं किया और आपने पानी छोड़ दिया।“

उसने कुछ नहीं कहा और न ही मेरा लौड़ा अपनी चूत से निकाला बस पकड़ ढीली कर दी और बंद आंखों के साथ ही धीरे धीरे मेरे होंठ चूमने लगी।
उनके चेहरे पर संतुष्टि की मुस्कान थी।

पर मैं 10 साल का प्यासा था। मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। उन्होंने मेरे शरीर को जकड़ते हुए हुए भाव से रुकने का इशारा किया।
“आई लव यू मनोज। आई एम रियली सॉरी … मैं कभी तुम्हारी फीलिंग नहीं समझ पायी।“
“मैं नादाँ था मैडम। आप कभी गलत नहीं थी। आपको देख कर कोई भी आपका दीवाना हो जाएगा तो मैं पागल हो गया आपको पाने के लिए इसमें न आप गलत हो न मैं!“

“मनोज जब तुमने डाला तब मैं समझ पायी कि सुमन और पायल क्यों सो गयी। तुम में जादू है तुम किसी भी औरत को थका दोगे। मुझे भी बहुत दर्द हो रहा है पर मैं तुम्हारा प्यार अपने लिए महसूस कर रही हूँ और कितना भी दर्द हो मैं तुम्हे नहीं रोकूंगी आज। इंदु आज से हमेशा के लिए तुम्हारी है मनोज। तुम्हें जो भी जैसे भी करना है तुम कर सकते हो।“

“दस साल से आपको ख्यालों में रख कर हाथ से कर रहा हूँ। हर क्लाइंट में आपको देखता हूँ। सोच लो मैडम। मैं आज ही 10 साल का घूमार उतार दूंगा।“

“तुम भी जानते हो इंदु जुबान की पक्की है। आज से इंदु सिर्फ और सिर्फ मनोज की।“ ये बोलते हुए उन्होंने मेरे होंठों को धीरे से चूमा और अपनी सोने की चैन उतार कर मेरे गले में डाल दी।

“मैडम, थोड़ा दर्द होगा आपको पर आप मेरा साथ दोगी न?” मैंने मासूमियत से पूछा।
“आखिरी साँस तक!” कह कर उसने मेरे होंठों को अपने होंठ पर दबा दिया और मुझे कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया।
“नया साल मुबारक हो इंदु! आई लव यू।“
“आई लव यू टू मनोज!”

मैंने झटके से स्पीड बढ़ा दी और लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद दोनों एक साथ स्खलित हो गए।

उसे दर्द हो रहा था जो शुरू में उसकी आँखों से बहने वाले आँसू बयाँ कर रहे थे पर थोड़ी देर में उसका शरीर दर्द को सहने लगा था और मेरा साथ देने लगी थी।

इंदु ज़ुबान की एक पक्की महिला थी। उसके पति का लन्ड मेरे लौड़े का आधा था और वो 1 मिनट से ज़्यादा नहीं कर पाता था।
3 साल से उसने सेक्स नहीं किया था पर सुमन और पायल के आने के बाद लेस्बियन करने लगी थी इसीलिए तीनों एक दूसरे के सामने नंगी हो गयी थी।

मैंने उस रात इंदु को घोड़ी बना कर 2 बार गांड मारी। वो दर्द सह नहीं पा रही थी, रो रही थी पर फिर भी हिलते हुए मेरे साथ दे रही थी।

उसके बाद तीनों के साथ एक एक बार और किया मैंने और सुबह घर वापिस आ गया।

दोस्तो, सपने जब तक देखेंगे नहीं तब तक सच कैसे होंगे।
2 साल की सर्विस में बहुत अनुभव हैं जो मैं आपको बताऊंगा।

बस सपने देखो और उनके पीछे भागो। हर सपना सच होगा। जिंदगी में रिस्क तो लेना ही पड़ता है। रिस्क नहीं लेता तो न कभी छाया से मिलता, न कभी मम्मी को चोद पाता और न आज मुझे इंदु मिलती।

दोस्तो। ये थी मेरे जीवन की एक और हक़ीक़त। उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आई होगी। कृपया अपने सुझाव मुझे कमेंट करें।
धन्यवाद।
आपका अपना किंग

Related Tags : इंडियन सेक्स स्टोरीज, कामुकता, गैर मर्द, चूत चाटना, टीचर सेक्स स्टोरी, हिंदी एडल्ट स्टोरीज़
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