परिवार में बेनाम से मधुर रिश्ते
स्टोरी ऑफ़ सेक्स इन फैमिली में पढ़ें कि कैसे मेरे
देसी आंटी की चुदाई का मजा मुझे दिया मेरे भाई की सास ने! मैं उनके साथ स्लीपर बस में था. उनकी मोटी गांड देख मेरा लंड खड़ा होने लगा था. उसके बाद क्या हुआ?
प्रिय दोस्तो, आप सभी पाठकों को मेरा प्रणाम. यह मेरे सेक्स के पहले अनुभव पर आधारित Desi Aunty Chudai Kahani है.
मेरा नाम रोहन (बदला हुआ) है. मैं बिहार के समस्तीपुर जिले का रहने वाला हूँ.
मेरे परिवार में मम्मी पापा, भईया भाभी और उनका एक साल का बेटा है.
मेरा कद 5 फुट 7 इंच है और रंग सामान्य है. मैं एक साधारण सा दिखने वाला युवा हूँ.
मैंने इसी साल अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई खत्म की है और फिलहाल मैं घर में रह कर नौकरी के लिए तैयारी कर रहा हूँ.
घर में लगभग दो महीने से रहकर मैं काफी बोरियत महसूस करने लगा था.
मैंने सोचा था कि घर जाने के बाद दोस्तों के साथ घूमने जाऊंगा लेकिन हुआ उल्टा, मैं लॉकडाउन के कारण घर में ही फंस कर रह गया.
दो महीने से सेक्स स्टोरी पढ़ रहा हूँ. अब मुझे भी सेक्स की चाहत होने लगी थी.
मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी तो मैं अपना हथियार अपने हाथ से ही हिला कर खुद को संतुष्ट कर लिया करता था.
लगभग 2 महीने बीतने के बाद भैया ने बोला- तेरी भाभी को मायके जाना है. तुम अपनी भाभी के साथ चले जाओ.
भैया को कुछ काम था, जिस वजह से वो नहीं जा पा रहे थे.
थोड़ा सोचने के बाद मैंने हां कर दी और जाकर भाभी से मजाक में पूछने लगा- भाभी आपकी कोई बहन तो है न मेरे लिए?
भाभी ने भी मेरे साथ मजाक करते हुए कहा- जब मैं हूँ तेरे साथ, तो मेरी बहन की क्या जरूरत?
ऐसा बोल कर भाभी खिलखिला कर हंसने लगीं.
उस दिन तो मैंने कुछ नहीं सोचा, पर बाद में जब मैंने सेक्स का सुख ले लिया तब भाभी की बात कुछ कुछ समझ में आई थी.
वो 21 अक्तूबर का दिन था. उस दिन हम दोनों के जाने का टिकट था और शाम के 8 बजे ट्रेन थी.
हम लोग शाम 7:30 बजे स्टेशन पहुंच गए और ट्रेन के आने का इंतजार करने लगे.
ट्रेन सही समय पर आ गई और हम लोग बैठ गए.
सुबह 7 बजे ट्रेन रांची पहुंच गई.
वहां हम लोगों को लेने के लिए चाचा जी आए हुए थे … दस मिनट बाद ऑटो में बैठ कर हम सब घर पहुंच गए. वहां पर हमारा स्वागत बड़ी ही गर्मजोशी से किया गया.
भाभी के मायके में उनके मम्मी पापा, दो बहनें और चाची चाचा थे. चाची की भी एक बेटी थी.
भाई की तीन सालियां होने के बाद भी मेरी किस्मत खराब थी क्योंकि सबकी सब मुझसे आठ दस साल छोटी थीं. भाभी भी मुझसे दो साल छोटी थीं.
भाभी की मम्मी का नाम मीना था, उनकी उम्र 42 साल की थी. पापा का नाम राजेश था और उनकी उम्र 48 साल थी.
भाभी की दोनों बहनों के नाम अंजलि और रूपाली थे और दोनों अभी कमसिन थीं.
चाचा का नाम रंजन, उम्र 45 साल, चाची संतोषी उम्र 39 और उनकी बेटी उम्र 19 साल की थी.
इनमें सबसे ज्यादा खूबसूरत चाची की बेटी थी क्योंकि वो भरी हुई गदराये बदन की मालकिन थी, रंग गोरा … एकदम माल लगती थी.
लेकिन मेरी उससे बात करने की हिम्मत नहीं हुई.
वो भी कम बोलती थी, अपना ज्यादा समय पढ़ाई में देती थी.
कुछ दिन बीतने के बाद भाभी की मम्मी को कॉल आया कि भाभी के मामा की तबियत खराब हुई है और उनको बुलाया गया है.
ये बात भाभी ने मुझसे कही और वो बोलीं- क्या तुम मेरी मम्मी के साथ मेरे मामा घर चले जाओगे क्योंकि पापा को ड्यूटी से छुट्टी नहीं मिल सकती है और उनके साथ जाने वाला कोई नहीं है.
थोड़ी नानुकुर करने के बाद मैं मान गया.
मैंने पूछा- ज्यादा दिन तो नहीं रुकना पड़ेगा न?
भाभी ने कहा- नहीं.
फिर 27 तारीख को बस से जाना था. रात के 11 बजे की बस थी. मेरे साथ भाभी की मम्मी यानि भैया की सास थीं.
हम दोनों को बस पर छोड़ने चाचा आए. जाने के लिए बस में स्लीपर बुक की थी.
बस में भीड़ भी कुछ कम थी. आगे तरफ बस पूरी भरी थी जबकि पीछे तरफ कुछ कुछ स्लीपर्स में लोग थे. रात में अधिकांश लोग परिवार के साथ ही सफर करते हैं.
हमारे बगल के स्लीपर में भी एक कपल थे.
बस चले हुए लगभग एक घंटा हो गया था. भाभी की मम्मी, उनका नाम मीना था, स्लीपर में सोई थीं और मैं नीचे सीट पर बैठा था.
कहानी में मैं आगे भाभी की मम्मी को मीना नाम से संबोधित करूंगा आसानी के लिए.
भाई की सास ने आवाज़ दी- बेटा नींद आ रही होगी, ऊपर आकर सो जाओ रोहन, बहुत दूर जाना है. बैठे बैठे नींद नहीं आएगी.
मैं उठ कर स्लीपर में सोने आ गया और सास के बाजू में लेट कर सोने लगा.
मेरी आंख लग गयी थी.
लगभग 11:30 में सामने वाले स्लीपर से कुछ ‘ऊउमाह्ह …’ जैसी अज़ीब अज़ीब सी आवाजें आने लगीं.
मैं समझ गया कि सामने चुदाई शुरू हो गई है. मैं मीना के पैर की तरफ सोया था.
उधर चुदाई जोर से होने लगी थी.
‘आई ईईई उउह उउ उफ्फ …’ की आवाज सुनकर ना चाहते भी मेरा लंड खड़ा होकर लोहे जैसा हो गया था.
अब मेरे मन में भी चुदाई का ख्याल आने लगा.
कुछ देर बाद बस में लाईट जली, तो मैंने देखा कि मीना भी चुदाई की आवाज से उठ गई थीं.
तभी बस के कंडक्टर ने सबको आवाज देकर सूचना दी कि बस यहां कुछ देर रूकेगी, जिसको फ्रेश होना है, हो जाओ.
सामने ढाबा था.
उस समय रात के एक बजे थे. सब उतर कर चाय पानी और नाश्ता आदि खाने लगे.
मैंने भी जल्दी से जाकर अपने लंड को हिलाया और राहत पाई.
लंड बहुत देर से खड़ा था.
फिर आधा घंटा बाद बस स्टार्ट हो गई. सब बस में बैठ गए.
हम दोनों भी अपने स्लीपर में आ गए और मीना सोने लगीं.
मैं मोबाइल चलाने लगा.
कुछ देर बाद सामने फिर से चुदाई शुरू हो गई. फिर से लंड मेरा टाईट होने लगा. मैंने मोबाईल की लाईट से देखा कि मीना भी चुदाई देखने की कोशिश कर रही थीं.
कुछ देर बाद आवाज आना बंद हो गई और अब मीना भी सोने लगीं.
लेकिन मेरी नींद उड़ चुकी थी और लंड के टाईट होने से मेरा बुरा हाल था.
कुछ देर बाद मैंने मोबाईल की लाईट से मीना की ओर देखा, तो वो सो गई थीं. वो अपनी पीठ मेरी तरफ किए हुई लेटी थीं.
मेरी नजर उनकी गांड पर पड़ी.
उठी हुई गांड देखकर मेरा लंड फनफनाने लगा.
मीना दिखने में साधारण थीं लेकिन उनकी मोटी गांड और भरी हुई 34 नाप की चुची देख कर मेरी नियत खराब हो गई और मैं देसी आंटी की चुदाई की सोचने लगा.
लेकिन हिम्मत नहीं थी तो कुछ नहीं कर पा रहा था.
जब बर्दाश्त नहीं कर पाया तो मैं अपना लंड मीना की गांड में सटाने लगा.
मुझे मजा आने लगा.
मदहोशी में मैंने अपना लंड जोर से मीना की गांड में धांस दिया. सास अकबका कर उठ कर बैठ गईं.
डर के मारे मैंने अपनी आंख बंद कर लीं और सोने का नाटक करने लगा.
मेरा लंड भी डर से बैठ गया.
मुझे लगा कि मीना मुझे बहुत डांटेंगी.
लेकिन शायद बदनामी के डर से वो कुछ नहीं बोलीं.
बस में बहुत सारे लोग थे, उसका भी कुछ असर था.
तब भी डर के मारे मेरा लंड किशमिश हो गया था.
फिर से सोने का नाटक करते करते मैं कब सो गया, पता नहीं चला.
सुबह उठा तो देखा कि मीना भी उठ गई थीं.
उनको देख कर लगा कि जैसा उनको रात के बारे में कुछ पता नहीं है.
उन्होंने सामान्य व्यवहार करते हुए मुझसे कहा- बेटा, अब हम लोग पहुंचने वाले हैं अपना सब सामान देख लो.
मैंने उठ कर बैग आदि सब उतार लिया.
बस बिहार के मुरादाबाद में रुकी तो हम दोनों उतर गए.
वहां लेने के लिए भाभी के मामा का बेटा नाम आशीष गाड़ी लेकर आया था.
हम लोग गाड़ी में बैठ कर घर चले गए.
मैं बहुत थक गया था तो मीना ने कहा कि बेटा पहले नहा लो. फिर आराम कर लेना.
मैं नहा कर आराम करने लगा और मीना अपने भाई से बातचीत करने लगीं.
मामा का एक्सिडेंट से पैर टूटा था.
मुझको लगा था कि कुछ बीमार हैं.
मैं सो गया.
दोपहर दो बजे मीना उठाने आईं और बोलीं- बेटा खाना खा लो.
मैंने पूछा- आशीष ने खा लिया?
सास ने बताया कि आशीष दुकान में है. वो टिफ़िन लेकर जाता है.
मैं खाना खाकर मामा का हालचाल देखने गया और उनसे कुछ देर बात की.
शाम को आशीष आया और हम दोनों घूमने चले गए. दारू की जुगाड़ करके दोनों घर आ गए.
बिहार में दारू मिलना बहुत मुश्क़िल है लेकिन आशीष को सब पहचानते थे इसलिए हम लोगों को दारू मिल गई.
घर की छत पर जाकर हम दोनों ने दारू पी और इधर-उधर की बातें करने लगे.
आशीष ने बताया कि उसने बहुत सारी लड़कियों के साथ सेक्स किया है.
उसने मुझसे पूछा तो मैंने ना कर दिया.
मैं मन ही मन सोचने लगा कि तेरी बुआ चोदने देगी, तब तो उसे चोदूंगा.
कुछ देर बाद खाना आदि खाकर हम दोनों सो गए.
दो दिन बाद मीना बोलीं कि रात में 10 बजे की वापसी की बस है.
मैं मन ही मन खुश हो गया कि आज भी मीना की गांड में लंड सटाऊंगा. हो सकता है कि आज काम बन जाए.
सारा दिन मैं मीना को चोदने का प्लान बनाता रहा और मन ही मन खुश होता रहा.
करीब 9:30 बजे खाना खाकर हम दोनों बस स्टैंड चले गए.
बस 10 बजे आ गई और हम दोनों बस में बैठ गए.
स्लीपर बुक किया था.
मीना मुझसे यहां वहां की बातें करने लगीं.
‘अब क्या करोगे पढ़ाई के बाद?’
जॉब आदि के बारे में बात करते करते मीना को नींद आने लगी और वो मेरी तरफ अपनी गांड करके सोने लगीं.
कुछ देर बाद मुझे उनकी गांड देख कर नशा होने लगा. मैं सोचने लगा कि आज जरूर चोदूंगा, मीना की गांड मारूंगा.
ग्यारह बजे मैंने हिम्मत करके अपने लंड को बाहर निकाला और मीना की गांड से सटाने लगा. साथ ही मीना की ओर देखने लगा कि जाग रही हैं या सो रही हैं.
मैं जोर से दबाव बढ़ाने लगा.
करीब आधा घंटा बाद मैं हिम्मत करके मीना की साड़ी उठाने लगा. साड़ी घुटने तक उठाने के बाद साड़ी और ऊपर नहीं उठ रही थी.
जब मेरी नाकाम कोशिश को मीना ने महसूस किया. तो मीना ने सोने का नाटक करते हुए अपनी साड़ी से पकड़ कम की.
कुछ देर बाद मैंने उनकी साड़ी कमर तक उठा दी.
मीना की नंगी गांड देख कर मैं पागल सा हो गया. आज मीना ने पैंटी भी नहीं पहनी थी. मीना की बड़ी गांड देख कर मेरा लंड तड़फने लगा.
मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ, तो मैं लंड गांड में सटाने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था. मीना भी अब गर्म होने लगी थीं.
मीना अपनी गांड का दबाब मेरे लंड पर बढ़ाने लगीं. मीना के ऐसा करने से मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं बेख़ौफ़ लंड को गांड के छेद में डालने लगा.
तभी मीना ने मुझे रोक लिया और बोलीं- यहां नहीं. इधर करो.
ये कह कर वो मेरी ओर घूम गईं.
मैंने मीना के होंठों को चूसने लगा और किस करने लगा. मीना भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.
अब हम दोनों बहुत गर्म हो चुके थे.
तभी मीना ने अलग होकर कहा- बेटा, ये सब गलत है.
लेकिन मैं रूकना नहीं चाहता था और मीना भी रोकना नहीं चाहती थीं. वो सिर्फ ड्रामा कर रही थीं.
मैंने तुरंत मीना की साड़ी खोल दी और ब्लाउज को खोल दिया.
अब मीना सिर्फ ब्रा में थीं. मैं ब्रा नहीं खोल पा रहा था, तो मीना ने मेरी मदद करते हुए अपनी ब्रा खोल दी.
ब्रा के खुलते ही मीना की बड़ी बड़ी चूचियां मेरे सामने आ गईं.
मैं मीना की एक चूची को जोर जोर से चूसने लगा. मीना के दूध बहुत बड़े बड़े थे और ऐसे हिल रहे थे मानो मुझे आमंत्रित कर रहे हों चूसने के लिए.
मैं बच्चों की तरह मीना की चूची चूसने लगा.
मीना भी एकदम से गर्म हो चुकी थीं और मादक आवाजें करने लगी थीं.
‘उम्म उफ्फ उईस्स …’
मीना मदहोशी में कुछ तेज आवाज करने लगीं.
मैंने तुरंत मीना का मुँह बंद कर दिया और धीरे से उनके कान में बोला- बस में बहुत लोग हैं, हल्ला मत कीजिए.
मीना चुप हो गईं.
मैंने उंगली को मीना की चूत के छेद में डाला, तो उनकी चूत पूरी गीली हो गई थी.
मैंने चुत की तरफ मुँह किया और मीना की चूत को जीभ से चाटने लगा.
चूत बिल्कुल गर्म थी.
उफ्फ उईई उम्म्म की आवाज के साथ हमारा स्लीपर ऐसे गूंज रहा था मानो दोनों का डर खत्म हो गया हो. किसी की कोई परवाह ही न हो.
मैंने अपना लंड मीना के मुँह में डाल दिया और मीना मेरा लंड चूसने लगीं.
मीना के मुँह में मैं अपना लंड देख कर असीम आनन्द का अनुभव कर रहा था.
हम दोनों का बहुत बुरा हाल हो चुका था.
मीना ने कहा- बेटा अब और मत तड़पाओ … अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.
मैंने ‘जी मांजी …’ बोला ओर अपना लंड मीना की चूत में पेल दिया.
मीना के मुँह से मीठी आह के साथ मस्त देसी आंटी की चुदाई शुरू हो गई.
मीना मदहोश होकर सीत्कार करने लगीं- आंह और चोदो बेटा और जोर से चोदो.
मैं भी पागलों के जैसे मीना को चोदने लगा. कभी मीना मेरे ऊपर, तो कभी मैं उनके ऊपर.
धकापेल चुदाई हो रही थी.
मीना भी अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुदवा रही थीं.
हम दोनों मीना दामाद चुदाई में मदहोश हो गए थे.
लगभग आधा घंटा की चुदाई के बाद मेरा रस मीना की चूत में गिर गया. इसी दौरान मीना दो बार झड़ गई थीं.
चुदाई के बाद हम दोनों अलग हो गए और एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कराने लगे.
मीना ने मुझसे कहा कि अब तक कितनों के साथ चुदाई की है?
मेरा जवाब सुन कर मीना को विश्वास नहीं हुआ कि आज मेरा पहला सेक्स है.
मीना ने बताया कि तेरे ससुर जी कभी इतनी देर तक नहीं चोद पाए.
फिर बात करते करते हम दोनों ने दो बार और चुदाई की और एक दूसरे से चिपक कर सो गए.
सुबह पहुंचने से पहले हम दोनों ने कपड़े पहने और किस करने लगे.
फिर रांची में हमें दुबारा चुदाई का मौका नहीं मिला.
यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है, मैं आशा करता हूँ कि आप सभी को देसी आंटी की चुदाई बहुत पसंद आई होगी.
कमेंट्स करके मुझे बताएं.
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दोस्तो, आपने मेरी पिछली सेक्सी कहानी पड़ोस की देसी सेक्सी