जीजा का ढीला लंड साली की गर्म चूत
नमस्कार मेरे प्यारे दोस्तो, मैं सपना राठौर आपके साथ
यह मेरी रियल कहानी तब की है जब मैं कंप्यूटर कोर्स कर रहा था. मैं कंप्यूटर में तेज़ हूँ क्योंकि मुझे कंप्यूटर पढ़ना बहुत अच्छा लगता है.
ओह माफ कीजियेगा, मैं तो अपना परिचय देना ही भूल गया. मेरा नाम मनजीत है, मैं दिल्ली में रहता हूँ. मेरा बदन ना ज्यादा पतला है ना ज्यादा मोटा. मेरी हाइट पांच फीट ग्यारह इंच है और मेरे लंड का साइज़ 6″ और 4″ मोटा है.
अब मैं कहानी शुरू करता हूँ.
जब मैंने इंस्टिट्यूट में एडमिशन लिया तो कंप्यूटर का बैच कुछ आगे निकल गया था.
सर ने कहा- मैं अभी तुम्हें बैच में नहीं रख सकता.
मैंने कहा- सर, कोर्स कितना आगे निकला है?
उन्होंने कहा- ज्यादा नहीं … पर फिर भी है.
मैंने कहा- कोई बात नहीं सर, मैं मैनेज कर लूँगा, आप सिर्फ मेरे को एक बार बता देना, बाकी मैं खुद कर लूँगा.
सर ने कहा- ठीक है.
फिर मैं दूसरे दिन क्लास में गया. मैंने देखा कि वहां लड़कियां ज्यादा और लड़के कम थे. मेरी एक आदत है कि मैं किसी से बात नहीं करता हूँ जब तक सामने वाला आदमी मेरे से बात ना करे. और लड़कियों से तो बिल्कुल नहीं क्योंकि मैं थोड़ा शर्मीले टाइप का हूँ.
जैसा कि मैंने आप लोगों को बताया कि मैं कंप्यूटर में तेज़ हूँ तो मैं मात्र 15 दिन में ही सब स्टूडेंट्स के बराबर में आ गया.
हमारे इंस्टिट्यूट में हमारे सर अकेले थे, कोई दूसरा टीचर नहीं था. कभी कभी उनको कुछ काम पड़ जाता तो मुझे कह देते थे बाकी स्टूडेंटस को बताने पढ़ाने को … और स्टूडेंट्स को भी बोल देते कि मुझसे पूछ लें.
लेकिन पता नहीं क्यों … सारे लड़के एक एक करके भाग गए. फिर मैं अकेला बच गया. उस क्लास में दो आंटी भी थी, वो दोनों बहुत भूलने वाली थी. कुछ भी बताओ दस मिनट के बाद भूल जाती थी और वो मेरे बगल में ही बैठती थी.
सर भी तंग हो गए थे बताते बताते! तो मैं उनकी कुछ हेल्प कर देता था. मेरे द्वारा बताया हुआ उनको याद रहता था क्योंकि मैं एक एक चीज़ समझा कर बताता था पर सर वैसे नहीं बताते थे.
फिर सर को कुछ काम आ गया तो वो बिना बताये चले गए.
दूसरे दिन मैं जब आया तो वहां सर थे ही नहीं. डायरेक्टर सर के पास जाने पर पता चला कि सर यह जॉब छोड़ कर चले गए.
तो उस दिन सिर्फ प्रैक्टिकल करके सब चले गए.
दूसरे दिन सब आये तब एक आंटी डायरेक्टर सर के पास गयी और उनसे बोली- हम लोग कैसे पढ़ेंगे जब सर ही नहीं हैं तो?
कुछ देर बाद डायरेक्टर सर ने मुझे बुलाया और कहा- जब तक दूसरे सर नहीं आ जाते, तब तक तुम उन लोगों को हेल्प कर देना.
कुछ देर सोचने के बाद मैंने ओके कह दिया.
फिर मैं किताब से उन्हें पढ़ा देता और कंप्यूटर पर प्रैक्टिकल पर करवा देता था. सब कुछ ठीक चल रहा था. हम लोग खूब मजाक करके पढ़ाई करते थे.
एक लड़की थी जिसका नाम खुशबू था. मैंने मजाक में ही बोल दिया कि तुम्हें खाना बनाना आता ही नहीं, तुम मम्मी के हाथ का बना खाना खाती हो और पढ़ाई ठीक से करती ही नहीं.
वो बुरा मान गयी और दूसरे दिन ही खाना बना कर लायी. उसने सबको खिलाया. खाना मस्त स्वादिष्ट था.
फिर मेरे मुख से निकल गया- तुम रोज़ मेरे लिए खाना बना कर लाना!
वो सच में रोज़ खाना लाने लगी. मैंने सोचा कि देखता हूँ कि कब तक लाती है. लेकिन वो लाती ही रही. तो मैंने उसे मना किया पर वो मान ही नहीं रही थी. फिर मैंने उसे मना किया और कहा- मत लाना, बाकी स्टूडेंट गलत सोचेंगे.
तब जाकर वो मानी.
लेकिन कभी कभी वो मेरे लिए खाना ले आती थी.
कुछ दिन बाद मैंने नोटिस किया कि उसका ध्यान मेरे ऊपर ज्यादा ही था.
फिर मजाक में ही मैंने सबसे पूछा- कौन सुबह में जल्दी उठता है?
मैंने कहा- मैं 5 बजे उठ जाता हूँ.
सबने बताया अपना उठने का समय … कोई 7 बजे तो कोई 8 से 9 के बीच उठता था.
फिर मुझे खुशबू ने अपना नंबर दिया और कहा- अगर तुम 5 बजे उठते हो तो मुझे भी जगा देना.
मैंने कहा- ठीक है, इसमें कौन सी बड़ी बात है.
फिर मैं उसके पास 5 बजे कॉल कर देता था.
इसी तरह दिन बीतते गए. फिर एक दिन कंप्यूटर का बोर्ड का वायर टूट गया. उसे सोल्डिंग करने के लिए मैं उसका पेस्ट का डब्बा खोल रहा था, वो खुल ही नहीं रहा था, मैं स्क्रू ड्राईवर से खोल रहा था तभी मेरा हाथ कट गया. मैं पानी से हाथ धोने लगा तभी आंटी ने उससे जाकर बोल दिया. वो आई मेरा हाथ का खून साफ़ करने लगी तो मैंने अपना हाथ झटके से खींच लिया. उसके बाद सब क्लास में चले गए.
मेरी और उसकी बात धीरे धीरे बढ़ती गयी और मजाक गया कब प्यार में बदल गया पता ही नहीं चला.
फिर मैंने इंस्टिट्यूट छोड़ दिया. अब हम लोग एक दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताते थे, वो इंस्टिट्यूट का बहाने मेरे से पार्क में मिलने आती थी, हम लोग खूब बातें करते थे. कोई ऐसा दिन ना हो जब हम लोग न मिलें.
एक दिन मेरी बुआ को किसी काम से कहीं जाना था 4 दिन के लिए. बातों के दौरान मैंने उसे बताया कि मेरे घरवाले 4 दिन के लिए कहीं गये हैं, मैं घर पर अकेला हूँ.
वो बोली- मैं आ जाऊँ क्या?
मैंने कहा- पागल हो क्या? कोई देख लेगा.
उसने कहा- इतना डरते हो?
मैंने कहा- आ जाओ.
उसने कहा- मुझे रास्ते से रिसीव कर लेना!
फिर मैं गया और उसको मेन रोड से लेकर आया.
वो बोली- मैं कपड़े चेंज कर लेती हूँ.
मैंने कहा- ओके!
मैंने उसे अपनी मॉम की नाइटी दे दी, उसने वो पहन ली. फिर उसने टीवी ओपन किया, गाना चलाया और आकर सोफे पर बैठ गयी.
मैं कुछ दूरी पर चेयर पर बैठा था, उसने कहा- मेरे पास आकर बैठो न.
मैं उठ कर उसके पास बैठ गया.
10 मिनट के बाद अचानक उसने मुझे पकड़ कर बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर आकर किस करने लगी. मैंने सोचा इसे क्या हुआ.
उसके बाद वो मुझे लगातार किस किये जा रही थी. फिर कुछ देर बाद मैंने भी उसका साथ दिया. कभी वो मेरे ऊपर आती, कभी मैं उसके ऊपर आ जाता. जब वो मेरे ऊपर आती तो वो अपनी चूत मेरे लंड पर दबाती.
काफी लम्बी चूमा चाटी के बाद हम अलग हुए.
फिर वो बोली- सेक्स करोगे?
मैंने कहा- शादी के बाद.
उसके बाद वो कुछ नहीं बोली.
दूसरे दिन फिर वही हुआ, उसने मुझे जैम कर चूमा चाटा. उसने फिर मुझे सेक्स करने के लिए कहा. मैंने मना किया लेकिन वो जिद करने लगी. फिर मैं गया और कंडोम लाया.
उसके बाद हम लोग किस करने लगे. किस करते करते एक दूसरे के कपड़े उतार दिए. अब हम लोग एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे. मैंने उसके पूरे बदन को किस किया वो सिर्फ किस्सिंग से ही उत्तेजित हो गयी.
मैं अपना लंड उसकी चूत के अंदर डालने वाला था, लंड को चूत के छेद पर टिका रहा था कि मेरी उंगली उसकी चुत से टच हुई, उसकी चूत पूरी गीली हो गयी थी, पानी बाहर तक टपक रहा था. मैंने सोचा इसे और तड़पाना चाहिए. मैंने लंड चूत में डालने का विचार छोड़ कर अपना मुख उसकी चूत पर टिका दिया. उसकी पूरी चूत ढक गयी. और मैं चूत चूसने लगा. वो तड़पने लगी, वो अपने दोनों पैरों से मेरे सर को दबाने लगी.
कुछ देर बाद उसने अपनी चूत का पानी मेरे मुख में छोड़ दिया.
वाह … क्या टेस्ट था … पूरा साल्टी!
फिर हम दोनों ने किस्सिंग शुरु की. अब मेरे लंड को भी बरदाश्त नहीं हो रहा था. मैंने अपना लंड उसकी चूत के छिद्र पर रखा और धीरे धीरे अंदर डालने लगा.
वो चिल्लाने लगी- बाहर निकालो!
मैंने उसकी बात नहीं सुनी और धीरे धीरे पूरा लंड अन्दर डाल दिया. चूत गीली होने के कारण लंड आराम से अन्दर चला गया.
थोड़ी देर रुक कर मैंने चोदना शुरू किया. धीरे धीरे मैंने स्पीड बढ़ा दी. अब वो मज़े लेने लगी और बोलने लगी- फ़क मी फ़क मी … आह ऊऊह्ह्ह्ह!
वो लगातार उम्म्ह… अहह… हय… याह… ईईईइ ह्ह्ह्ह कर रही थी. मैं अपने लब उसके लबों पर रख कर किस्सिंग करने लगा और स्पीड के साथ उसको चोदने लगा. इस बीच वो एक बार झड़ी.
अब मैं भी झड़ने वाला था. मैंने उसकी चुत में ही अपना पानी छोड़ दिया. उस दिन हमलोग पुरे दिन में 10 बार सेक्स किया किचन में, बाथरूम में, सोकर, बैठ के … घोड़ी बना के. उसके बाद मैंने उसको घर छोड़ दिया.
अगले दिन फिर वो आने वाली थी, वो आई और हमने खूब चुदाई की.
अब उसकी शादी हो गयी है इसी साल में.
दोस्तो, आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी? मुझे कमेंट जरूर लिखिए. अगर कुछ गलती हुई हो तो माफ़ कीजियेगा.
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