Search

You may also like

tongueconfused
1710 Views
पुलिस वाली की चूत का चक्कर-2
चुदाई की कहानी भाभी की चुदाई

पुलिस वाली की चूत का चक्कर-2

मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग पुलिस वाली की चूत

2000 Views
प्यार में पहले सेक्स का मजा
चुदाई की कहानी भाभी की चुदाई

प्यार में पहले सेक्स का मजा

दोस्तो … मेरा नाम शैलेश है और मैं भोपाल से

surprise
1263 Views
भाभीजान के साथ मेरी पहली लम्बी चुदाई
चुदाई की कहानी भाभी की चुदाई

भाभीजान के साथ मेरी पहली लम्बी चुदाई

हैलो दोस्तो … मेरा नाम सोनू (बदला हुआ नाम) है.

पड़ोसन भाभी का प्यार या वासना- 2

भाभी का सेक्स प्ले कहानी में पढ़ें कि मेरे पड़ोस की भाभी की अपने पति से बनती नहीं थी. वो मुझसे प्यार पाना चाहती थी लेकिन साथ ही मुझे सेक्स के लिए भी कहती थी.

हैलो फ्रेंड्स, मैं रमित फिर से एक बार आपको अपनी मुहब्बत नैना के साथ हुई सेक्स कहानी को आगे लिख रहा हूँ. भाभी का सेक्स प्ले कहानी के पहले भाग
पड़ोसन भाभी का प्यार या वासना- 1
में आपने अब तक पढ़ा था कि नैना और मैं एक दूसरे के साथ होंठों से होंठों को लगाए हुए चुम्बन में मस्त थे. फिर वो अपने घर चली गई.

अब आगे की भाभी का सेक्स प्ले कहानी:

मैं सारा दिन ऑफिस में उसके बारे में ही सोचता रहा, मेरे ऊपर भी थोड़ी वासना हावी होने लगी थी. मैं नैना को फिर से पा लेना चाहता था.

फिर मैंने अपने आपको कुछ सयंत किया और नैना के ख्यालों को झटक दिया. मुझे कुछ आत्मग्लानि भी महसूस हुई.

अगले दिन शनिवार था और इस बार फैक्ट्री में छुट्टी में थी. सुबह देर तक मैं सोता रहा, फ्लैट की एक चाबी नैना के पास ही रहती थी, तो वो उस चाबी से खोल कर अन्दर आ गयी. मुझे सोया देख वो सीधा बेडरूम में ही आ गयी.

चाय का कप साइड में टेबल पर रख कर उसने मुझे मेरे होंठों पर किस करके मुझे जगाया.
मैं एकदम से सिहरते हुए उठ गया.

वो बड़ी अदा से मुस्कराती हुई बोली- अरे उठो न … आज ऑफिस नहीं जाना क्या?
मैं कुछ नहीं बोला, तो वो मेरे ऊपर ही लेट गयी.

मैंने बोला- ये कर रही हो?
तो बोली- तुमसे प्यार … क्या है यार … कभी तो थोड़ी सी तुम्हारी बीवी वाली फीलिंग ले लेने दिया करो.
मैं आंखें मलने लगा.

वो बोली- चलो जल्दी से चाय पियो और फ्रेश हो कर ब्रेकफास्ट करने आ जाओ. ऑफिस भी तो जाना है या नहीं!
मैंने बोला- नहीं, आज छुट्टी है.
वो बोली- ठीक है … बाद में साथ ही करेंगे. मैं अभी दिवेश और सुरभि को ब्रेकफास्ट करवा के भेज देती हूँ.

फिर वो चली गयी.

मैंने कुछ देर बाद नैना के घर जाकर उसके साथ ब्रेकफास्ट किया और मैं अपने फ्लैट पर वापस आ गया.

मैंने अपने ड्राइंग रूम में एक कार्नर में म्यूजिक सिस्टम लगाया हुआ था. वहीं एक काउच रखा था और कुछ बुक्स भी.

मैंने म्यूजिक सिस्टम पर आबिदा परवीन की गज़ल लगाई … और एक बुक लेकर काउच पर लेट कर पढ़ने लगा.

आज बहुत दिनों बाद ऐसा टाइम मिला था. ये मेरा छुट्टी वाले दिन टाइम पास करने का पसंदीदा तरीका था. मैं बुक पढ़ने में बिजी था, तो नैना कॉफ़ी का मग ले कर आ गयी और मेरे साथ ही काउच पर बैठ गयी.

हमने कॉफी पी.

नैना मुझसे निशा के बारे में बात करने लगी. वो मुझसे निशा की पसंद और न पसंद के बारे में पूछने लगी और फिर सेक्स के बारे में.
मैं उसकी बातों पर ‘हूँ हां..’ करता हुआ बुक पढ़ने में बिजी हो गया.

वो झुंझला कर बोली- मैं तुमसे बात कर रही हूँ और तुम हो कि किताब में व्यस्त हो.
इतना कह कर उसने मुझसे किताब छीननी चाही, तो मैंने किताब पीछे कर ली.

इसी छीना झपटी में वो मेरे ऊपर चढ़ गयी. उसने अपनी बांहें मेरे गले में डाल दीं और आराम से लेट गयी.
मैंने उसे टोका तो बोली- थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहो न रमित … अच्छा लग रहा है.

मैं भी कुछ सोच कर चुप हो गया और थोड़ी देर बाद मैंने भी अपनी बांहें नैना की पीठ के इर्द-गिर्द डाल दीं. फिर एक हाथ उसके बालों में फिराने लगा. मेरा एक हाथ उसकी कमर को भी सहला रहा था.

मैंने बोला- नैना!
तो वो आंखें बंद किए हुए ‘हूँ..’ बोली.
मैं- तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो?
वो बोली- अपनी जान से भी ज्यादा.

मैंने पूछा- और दिवेश से!
तो बोली- हम्म … वो मेरे पति हैं, मेरे बेटे के पिता है … और ये ज़िन्दगी तो मुझे उनके साथ ही निभानी ही है. मेरी ज़िन्दगी पर, मेरे तन पर दिवेश का पूरा अधिकार है … पर मन पर सिर्फ तुम्हारा हक़ है रमित. मैंने शादी से पहले कभी भी किसी को अपने मन में नहीं बसाया था … और शादी के बाद दिवेश को भी न बसा पायी. ऐसा नहीं है कि मैंने कोशिश नहीं की, पर शायद वो मेरे जैसा है ही नहीं है. इसी लिए अपना तन तो उसे सौंप दिया, पर अपना मन नहीं. उसने कभी जानने की कोशिश भी नहीं की. जानते हो रमित, जिस दिन हम सब कुछ भूल कर एक दूसरे में समा गए थे … पता नहीं और ना जाने क्यों, उस दिन मैं सिर्फ तन से नहीं, मन से भी तुम्हारी हो गयी थी. मेरा तन तो दिवेश की बांहों में होता है, पर मन सिर्फ तुम्हारे पास. मैं चाह कर भी तुमसे अपना मन नहीं हटा पाती हूँ. तुम ही बोलो, मैं क्या करूं?
मैंने बोला- कुछ नहीं … बस ऐसे ही लेटी रहो.

उसने अपना सर उठाया और मेरे होंठों पर हल्की सी किस कर दी. मैं भी उसके होंठों पर किस करने लगा. कभी उसका ऊपर वाला होंठ अपने होंठों में ले कर चूसता, तो कभी नीचे वाला. फिर मैंने नैना को पलट दिया और उसे अपने नीचे ले लिया.

मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगा, उसकी कान की लौ को चूमने लगा, लौ को चूसा भी. फिर गर्दन से किस करता हुआ मैं उसके नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैं उसे बेतहाशा चूम रहा था और वो आंखें बंद किए हुए बस ‘आह रमित उफ़..’ बोले जा रही थी. उसकी सांसें तेज हो रही थीं.

मैंने उसके कुर्ते के ऊपर से उसके बूब्स पर चुम्बन लिए और उसके बड़े मम्मों को हाथ से मसलने लगा. मेरे पर अब पूरी तरह से वासना हावी हो चुकी थी. मैं सही गलत का फर्क भूल चुका था. मैंने नैना का कुरता थोड़ा सा ऊपर उठा कर उसके पेट पर चूमा, तो वो चिहुंक उठी.

मैं अपनी जीभ उसकी नाभि में घुमाने लगा. वो अपना सर इधर उधर मारने लगी. मैं और नीचे सरकता हुआ उसके लोअर को नीचे सरकाने लगा. लोअर नीचे सरकाते हुए मैंने उसकी वैस्ट लाइन को चूमना शुरू कर दिया था.

लोअर सरकाते हुए मैंने उसकी पैंटी लाइन पर किस किया. फिर पैंटी के ऊपर से उसकी उभरी हुई चूत को चूम लिया.
चूत पर चूमने के बाद मैंने उसे पूरा मुँह में भर लिया, जिससे नैना और गर्म हो गयी.

लोअर को और नीचे सरकाते हुए अब मैं उसकी जांघों को चूम रहा था. अन्दर बाहर दोनों तरफ से मैं उसकी मलाई सी जांघों को लगभग खाने लगा था.
फिर मैं उसकी पिंडलियों को चूमते हुए उसके पांव के अंगूठे को मुँह में लेकर चूसने लगा. वो लगातार ‘ओह आह … उफ़.’ की आवाजें कर रही थी.

तभी नैना बैठी हुई और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी, मेरे होंठों को चूमने लगी.

उसने मेरी टी-शर्ट उतारी और मुझे नीचे लिटा दिया. वो खुद एक भूखी बिल्ली सी मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरी छाती पर चूमने लगी. मेरे निप्पलों पर उसने जीभ फिराई, तो इस बार आह निकलने की बारी मेरी थी.

फिर मेरे पेट से चूमते हुए उसने मेरा लोअर निकाल दिया और मेरे जॉकी के ऊपर से ही मेरे हथियार को चूमने लगी.

जैसे मैंने नैना की चूत को पैंटी के ऊपर से ही मुँह में भर लिया था, उसने भी मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से होंठों में भर लिया.

फिर वो मेरे सीने की तरफ आयी. मेरे होंठों पर चूमा और अपनी जीभ मेरे मेरे मुँह में डाल दी.

मैंने उसकी जीभ को चूसा, तो उसने मेरी जीभ को भी भर लिया. मैंने हाथ पीछे करके उसकी ब्रा के हुक खोल दिए. अब हमारे बीच कोई संवाद नहीं हो रहा था. बस हमारे होंठों और शरीर के बीच ही संवाद हो रहा था. मैंने धीरे से झुक कर उसके मम्मों पर चूम लिया, फिर अपनी जीभ को उसके निप्पल पर घुमाने लगा. मैं नैना के दोनों बूब्स को बारी बारी से चूसने लगा.

नैना वासना की मस्ती में ‘उफ़ आह..’ कर रही थी, साथ में बोल रही थी- ओह रमित, बहुत मज़ा आ रहा है … प्लीज चूसो … इन्हें खा जाओ आज … आह कितने दिन बाद चूसा है तुमने …
मैंने भी बोला- हां नैना बहुत मज़ा आ रहा है … आज तो इन्हें मैं खा ही जाऊंगा.

मैं नैना के दोनों आमों को चूसने लगा. किस करता हुआ मैं उसके पेट पर चूमने लगा, उसकी नाभि में जीभ डाल कर घुमाने लगा. उसकी वैस्ट लाइन को चूमने लगा.

नैना की मादक सिसकारियों की आवाज बढ़ने लगी. फिर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूमने लगा. उसने अपनी टांगें हवा में उठा दीं तो मैं समझ गया और मैं उसकी पैंटी उतारने लगा.

पैंटी को जांघों तक उतारते ही मैं उसकी चूत को चूमने लगा. फिर उसकी पैंटी मैंने उसकी टांगों से निकाल के नीचे फैंक दी. मैं उसकी जांघों को चूमते हुए फिर से उसकी चूत को चाटने लगा. मैं अपनी जीभ नैना की चूत पर फिराने लगा.

इससे नैना तड़पने लगी. वो अपना सर छटपटाहट में इधर उधर मार रही थी. मैंने अपनी जीभ को नैना की चूत के काफी अन्दर तक ठेल दिया और ऊपर से नीचे की ओर चुत चाटते हुए चलाने लगा.

फिर मैंने उसकी चूत की एक फांक को अपने होंठों में भर लिया और खींचते हुए चूसने लगा, वो कलप उठी. मैं नहीं रुका और मैंने उसी तरह से उसकी चुत की दूसरी फांक को भी खींचते हुए चूसा.
उसका हाथ मेरे सर पर जम गया था. मैं अपनी पूरी जीभ फिर से उसकी चूत के अन्दर चलाने लगा. उसकी चूत को चाटने लगा.

नैना मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी और कभी अपनी कमर उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह के साथ लगा देती थी.

अब वो अपनी कमर मेरी जीभ के साथ चलाने लगी और अपने मुँह से ‘उह्ह आह …’ की आवाजें भी कर रही थी.

तभी मैंने अपना मुँह उसकी चूत से हटा लिया. वो एकदम से तड़फ उठी और बोली- क्या हुआ … और करो न … कितना अच्छा लग रहा था.

मैं अपने घुटनों पर होकर अपना अंडरवियर उतारने लगा, तो उसने झट से नीचे कर दिया और मेरा लंड हाथों में पकड़ कर मसलने लगी और चूमने लगी. फिर उसने लंड को मुँह में ले लिया. जितना अन्दर ले सकती थी, उतना अन्दर तक लंड ले लिया और चूसने लगी.

थोड़ी देर लंड चूस कर वो सीधी लेट गयी और बोली- रमित आ जाओ … अब बस और मत तड़फाओ.

मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर सैट करते हुए अन्दर डाल दिया.
उसकी एक आह निकली और वो मेरे लंड को गड़प कर गई.

मैं धीरे धीरे लंड चुत के अन्दर बाहर करने लगा और नैना के होंठों को चूसने लगा. वो भी पूरा साथ दे रही थी. वो कभी मेरी जीभ चूसती, कभी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देती. इस तरह मैं नैना को धीरे धीरे चोदने लगा.

नैना बोली- रमित बहुत मज़ा आ रहा है … बस ऐसे ही धीरे धीरे करते रहो.
मैंने पूछा- क्या करता रहूँ नैना … बोलो न!
वो बोली- जो कर रहे हो वो.
मैंने फिर से पूछा- हां नैना, वही तो पूछ रहा हूँ … क्या करता रहूँ!
वो बोली- नहीं, मैं नहीं बोलूंगी, तुम आज इतने बेशरम क्यों बन रहे हो!
मैंने बोला- नैना ये सब करते हुए बोलना गलत नहीं है … प्लीज एक बार बोलो न!
नैना बोली- रमित ऐसे ही धीरे धीरे मुझे …

मैं रुक गया.

फिर वो रुक कर धीरे से मेरे कान में बोली- ऐसे ही चोदते रहो.
मैंने बोला- ओह नैना … मैं दिन भर तुम्हें ऐसे ही चोदता रहूंगा.
वो बोली- हां रमित, प्लीज दिन भर मुझे अपनी बांहों में रखो … मुझे अपने से अलग मत करना.
मैंने बोला- हां नैना अब मैं तुम्हें अपने से अलग नहीं करूंगा, तुम्हें अपने बच्चे की मां बनाऊंगा … बोलो नैना तुम होगी न मुझसे प्रेग्नेंट!
वो बोली- हां रमित मुझे अपने प्यार की निशानी दे दो.

ऐसे ही बोलते मेरी चुदाई की स्पीड बढ़ने लगी.

नैना टांगें हवा में उठाते हुए बोली- आह रमित बहुत मज़ा आ रहा यार … आह रगड़ रगड़ कर मजा दो मेरी जान.

मैं लंड चुत में पेल कर रगड़ने लगा.

तभी वो बोली- रमित अभी मत डिस्चार्ज होना … अभी दूसरी पोजीशन में करते हैं.
मैंने रुकते हुए बोला- कौन सी?
वो बोली- तुम नीचे आ जाओ और मैं ऊपर.

अब मैं नीचे लेट गया और नैना मेरे ऊपर आ गयी. मैंने हाथ से पकड़ के अपना लंड नैना की चूत के अन्दर कर दिया.

वो धीरे धीरे नीचे होती गयी और उसने अपनी चुत में पूरा लंड अन्दर तक ले लिया. फिर वो थोड़ा मेरी तरफ झुक गयी और आगे पीछे होने लगी. मैं उसके एक थन को अपने हाथ से मसलने लगा और दूसरे को चूसने लगा.

नैना दूध चुसवाते हुए बोली- आह … बहुत मज़ा आ रहा है … रमित …

उसने अपनी कमर की स्पीड बढ़ा दी. चुत लंड का खेल इंजिन के पिस्टन सा होने लगा.

अब नैना थोड़ा थकने लगी, तो मैंने उसे अपने नीचे ले लिया और तेज़ी से चोदने लगा. नैना की ‘आह याह आह..’ की आवाजें बढ़ने लगी थीं.
वो एकदम से अपने जिस्म को अकड़ाते हुए बोली- आह रमित … मैं आने वाली हूँ.
मैंने बोला- मैं भी …

बस ये कहते ही मैंने भी अपना पानी नैना की चूत अन्दर ही छोड़ दिया और नैना के ऊपर ही लेट गया.

थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे. फिर मैं साइड में हुआ, तो नैना मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठों पर किस करने लगी. वो मेरी छाती में सर छुपा कर लेट गयी.

कुछ देर हम ऐसे ही रहे, फिर उठे और नैना बाथरूम में चली गयी. वो बाहर आयी, तो उसने मेरी शर्ट पहनी हुई थी नीचे उसने कुछ नहीं पहना था.

वो सीधा किचन में गयी और दो कप कॉफ़ी बना लायी. फिर हम लोग मेरे बेडरूम में चले गए. हमने कॉफ़ी खत्म की और फिर से एक दूसरे की बांहों में आ गए.

नैना बोली- रमित मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ … बस जो भी पल या लम्हा तुम्हारे साथ बिताने का मिले, उसे भरपूर जी लेना चाहती हूँ. अब मुझे ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं है.
मैं उसे प्यार से देख रहा था.

फिर वो बोली- मैंने दिवेश से बोला कि मैं दूसरा बच्चा करना चाहती हूँ.
मैंने उसकी तरफ देखा- तो उसने क्या कहा?
वो बोली- पहले तो वो बोला कि नैना, अब राहुल बड़ा हो चुका है … वो 6वीं क्लास में पढ़ता है … क्या अब दूसरा बच्चा करना ठीक होगा? फिर मैंने बोला कि नहीं … कुछ भी हो … मुझे करना है. अगर लड़की हो जाए तो मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी. दिवेश मान गया है. अब तुम भी मान जाओ.

मैंने बोला- अरे यार दिवेश मान गया है, तो इसमें मेरे मानने न मानने से क्या होता है?
वो बोली- जनाब सब आप पर ही डिपेंड करता है … क्योंकि ये बच्चा मैं आपसे ही करना चाहती हूँ.
मैंने बोला- अरे तुम्हारे पति को पता लगेगा तो!
वो बोली- कैसे लगेगा … मैं उसके साथ कल ही सब कर लूंगी, तो उसे कैसे पता लगेगा.

इतना बोलकर वो फिर से मेरे ऊपर चढ़ गयी और मुझे चूमने लगी.

जल्दी ही हमारे कपड़े नीचे फर्श पर पड़े थे. इस बार मैंने नैना को घोड़ी भी बनाया. चुदाई के बाद हम बहुत देर तक एक दूसरे की बांहों में सोते रहे. जब उठे तो दोपहर के तीन बज चुके थे.

नैना बोली- मैं जाकर तुम्हारे लिए खाना बनाती हूँ.

हम दोनों ने कपड़े पहने और बाहर ड्राइंगरूम में आ गए.

नैना बोली- ओह शिट … मैंने दरवाज़ा खुला ही छोड़ दिया था और अपने फ्लैट को भी लॉक नहीं करके आयी.

मुझे भी लगा कि जैसे कोई ड्राइंग रूम में आया हो … पर फिर मैंने इसे अपना वहम समझ कर सर झटक दिया.

नैना अपने फ्लैट पर चली गयी तो उसने देखा उसकी बहन सुरभि पहले से आ चुकी थी.
वो बोली- दीदी आप कहां थीं … मैंने कितनी घंटी बजायी … वो तो शुक्र है कि मेरे पास चाबी थी घर की.
नैना बोली- अरे मैं यहीं रमित के ड्राइंगरूम में बैठी टीवी पर मूवी देख रही थी.

मुझे पता नहीं क्यों, ऐसा लगा कि सुरभि हमारे बारे में अब जान चुकी है और वो अनजान बने रहने का नाटक कर रही है. अब सुरभि को पता लगा या नहीं … ये मैं अगली किसी सेक्स कहानी में बताऊंगा.

दोस्तो, मेरी भाभी का सेक्स प्ले कहानी आपको कैसी लगी … मुझे कमेंट पर जरूर लिखें.

Related Tags : इंडियन भाभी, गैर मर्द, चुदास, नोन वेज स्टोरी, हिंदी सेक्सी स्टोरी
Next post Previous post

Your Reaction to this Story?

  • LOL

    0

  • Money

    0

  • Cool

    0

  • Fail

    0

  • Cry

    0

  • HORNY

    0

  • BORED

    0

  • HOT

    0

  • Crazy

    0

  • SEXY

    0

You may also Like These Hot Stories

surprise
1176 Views
सेक्सी भाभी ने मेरी चोरी पकड़ ली
Bhabhi Sex Story

सेक्सी भाभी ने मेरी चोरी पकड़ ली

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राज है. मैं रोहतक, हरियाणा से

wink
3408 Views
डर के आगे चाची की चूत है
चाची की चुदाई

डर के आगे चाची की चूत है

  दोस्तो, मेरा नाम राज है। अब मैं जॉब में

1625 Views
मेरी अम्मी की गैरमर्द से चुत चुदाई
चुदाई की कहानी

मेरी अम्मी की गैरमर्द से चुत चुदाई

चीटिंग सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी सेक्सी