दूध में भांग मिला के नौकरानी के साथ सेक्स
मैं आपको ऐसी मस्त सेक्स कहानी सुनाने वाला हूँ, जिसे
अन्तर्वासना सेक्स कहानी पढ़ने वाले मेरे सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार. मैं हरी अग्रवाल हरिद्वार से हूँ, मेरी उम्र 25 साल, अविवाहित हूँ.
मैं पेशे से डॉक्टर हूँ लेकिन बहुत कम प्रेक्टिस करता हूँ. लेकिन अब तक जिसका भी इलाज किया है, भगवान की कृपा से वह पूर्ण स्वस्थ हुआ है.
मैं अपने डॉक्टरी पेशे के प्रति पूर्ण निष्ठावान हूँ, अपने मरीजों का पूरी लगन से इलाज करता हूँ.
मैं एक बेहद शरीफ युवक हूँ, मैंने कभी किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था इस घटना से पहले. मेरे पास काफी महिला रोगी भी आती हैं लेकिन मैंने किसी को कभी कुदृष्टि से नहीं देखा.
लेकिन अभी कुछ समय पहले मेरे साथ एक ऎसी घटना घटित हुई जो मेरे व्यवहार के एकदम विपरीत थी. यह घटना पिछले साल दिसम्बर 2016 की है.
शहर से सटे गाँव में से एक महिला अपनी बेटी, जिसका नाम अंजना था, को लेकर मेरे पास आई. उसको दिमाग में बुखार था, जिसकी वजह से वह लड़की पागलों जैसा व्यवहार करती थी. मैंने रिपोर्ट देखी और लड़की की माँ को देखा. उसकी माँ की उम्र लगभग 34 साल की रही होगी. वो देखने में बड़ा ही मस्त माल लग रही थी. उसके मम्मे एकदम तोप से तने हुए थे, तिस पर वो अपना पल्लू भी कुछ इस तरह से डाले हुए थी कि उसकी चूचियों की क्लीवेज बड़ा ही दिलकश नजारा पेश कर रहा था. उसकी देहयष्टि बड़ी ही करारा माल थी. लम्बे बाल थे रसीले होंठ थे.. पतली कमर थी. अभी बैठी थी तो उसके चूतड़ों के आकार का नाप सही से समझ नहीं आ रहा था, पर मेरा अंदाज था कि इसके चूतड़ भी भरपूर मटकते होंगे. कुल मिलाकर मैं उसकी बेटी के इलाज को भूल कर उसकी फिगर को मापने लगा था और अपनी आँखों से चोदने लगा था.
मेरी इस नजर को वो भी भरपूर एन्जॉय कर रही थी और बिना मुझे टोके वो मेरी तरफ अपने हुस्न का दीदार कराती रही.
तभी जैसे मेरी तन्द्रा टूटी, मैंने उसको बताया कि अंजना का इलाज लम्बा चलेगा और इसके इलाज में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिये.
वो मेरी बात पर ध्यान न देकर मेरी तरफ़ देखती रही.
मैंने अपनी बात दुबारा बोली, तो वो हँस कर बोली- जी.. जी हाँ डॉक्टर साब, जो आप कहेंगे, हम वही करेंगे.
उसकी इस बात से मुझे भी कुछ ऐसा लगा कि ये भी मेरी तरफ कुछ आकर्षित सी हो रही है. मैंने भी अपने लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- हां, आपको इतना ख्याल तो रखना ही चाहिए, जो मैं कहूँ वो आप करो.
वो मेरे लंड को फूलते हुए देख रही थी और मुस्कुरा रही थी.
उसने कुछ नीचे गिरा दिया और उठाने का बहाना करते हुए कुछ ज्यादा ही झुक कर मुझे अपनी लगभग आधे से अधिक चूचों की झलक दिखाई और कहा- मुझे खुद भी ज्यादा ध्यान रखना है ताकि आपके इलाज से मुझे चैन मिल जाए.
मैंने उसकी चूचियों पर अपनी वासना भरी नजर डाले रखी और पूछा- मतलब.. आपको कैसा चैन..? मैं समझा नहीं?
वो उसी तरह झुके हुए कहने लगी- अरे जब मेरी बेटी ठीक हो जाएगी तो मुझे चैन मिलना तो तय ही है न.
मैंने उसकी मंशा भांप ली और बस मुस्कुरा दिया.
मैंने पर्चे पर दवाई लिख दी और दवा लेने का तरीका समझा दिया, वो अपनी गांड मटकाते हुए चली गई. मुझे उसकी गांड का मटकाना एक अलग सा इशारा दे रहा था.
एक सप्ताह बाद वो फ़िर आई तो बड़ी खुश थी, उसने मुझे बताया कि उसकी बेटी अंजना को मेरी दवाई से आराम हो रहा था. सुन कर मुझे भी खुशी हुई और फ़िर मैंने वही दवाएं कंटिन्यू कर दीं एक और सप्ताह के लिए. आज उसने मुझे बड़ी खुल कर बात की और वो मुझे बार बार धन्यवाद दे रही थी कि मेरी दवा से उसकी बेटी ठीक हो रही है. मुझे भी उसकी बातों से बड़ा सुकून मिला.
जब वो जाने लगी तो उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा और अपने घर का पता बताते हुए आने का न्योता दिया.. और मुझसे स्वीकृति लेकर चली गई.
चूंकि वो बड़े ही आग्रह से मुझे सोमवार को आने को कह कर गई.. तो मैंने सोचा चलो देखते हैं.. इसके घर भी चला जाता हूँ.
मुझे भी न जाने क्यों उसके द्वारा बुलाए जाने में एक ख़ुशी सी मिली थी.
मैं बतायी गई जगह पर पहुँचा तो वो औरत गजब का मेकअप किए हुए सूट सलवार में बैठी छज्जे पर मेरे आने का इंतजार कर रही थी. मुझे देखकर उसने आवाज़ देकर मुझे बुला लिया. सच में क्या गजब माल लग रही थी, जैसे कोई नवयौवना हो. आज उसको देख कर कोई कह नहीं सकता था कि वो 10 साल की बेटी की माँ होगी. मैंने उसके घर में जाकर उसका हाल चाल पूछा और अंजना की तबियत पूछी.
उसने बताया कि अंजना ठीक है और अपने पापा के साथ देहरादून गई है, रात तक लौटेगी.
वो मेरे लिए पानी लाई और चाय लाने की बात करके चली गई और पांच मिनट बाद ही वो चाय और नाश्ते की ट्रे लेकर आई. वो मेरी बगल में बैठ गई और मुझे नाश्ते की प्लेट लगा कर दी और आग्रह कर कर के मुझे खिलाने लगी.
चाय नाश्ता करके मैंने कहा- अब मैं चलता हूँ.
अंजना की माँ जिसका मैंने अब तक नाम नहीं बताया है. उसका नाम सोनिया था. उसने मेरा हाथ पकड़ कर बैठाते हुए कहा- मेरा भी इलाज कर दो.
मैंने उसकी तरफ लालसा भरी निगाहों से देखा और अश्शीलता से पैन्ट के अंदर खड़े अपने लंड पर हाथ फेर कर पूछा- क्या हुआ है आपको… आप तो अच्छी भली लग रही हो?
वो अपनी चूचियों को खुजाते हुए बोली- पहले आप कसम खाओ कि किसी को नहीं बताओगे.
मैंने लंड मसलते हुए कहा- आप अपना मर्ज तो बताओ.
सोनिया ने झुक कर अपने गोरे गोरे मम्मे दिखाए और कहा- पहले आप कसम लो..
मैंने उसकी चूचियों को आँखों से चोदते हुए कहा- चलो ली कसम.. किसी को नहीं बताऊँगा.
सोनिया शरमाते हुए कहने लगी कि आपको जब से मैंने आपके क्लिनिक पर देखा था, तब से पता नहीं मुझे कुछ हो गया है. मेरा मन आपके आगोश में आने को कर रहा है.
मेरे तो मन में उसी दिन समझ आ गया था कि इस औरत को लंड की ज़रूरत है. ये सोचते हुए मैंने कहा- सोनिया जी, आप क्लिनिक पर ही बता देतीं कि ये बात है. मैं भी काफी दिनों से किसी को अपने आगोश में लेने को तड़फ़ रहा था.
सोनिया ने मेरे करीब बैठते हुए कहा- डॉक्टर साब… तो कर दो न मेरा इलाज.
मैं- कल तुम मेरे क्लिनिक पर आ जाना, मैं तुम्हारा इलाज कर दूँगा. तुम कल 2 बजे आ जाना.
सोनिया- ठीक है.. कल मैं दो बजे आ जाऊँगी.
मैं- ठीक है अब चलता हूँ.
सोनिया- एक बार मुझे अपनी बांहों में तो ले लो.
मैंने बाँहें फैलाते हुए कहा- ठीक है.. आ जाओ.
मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया. आह.. क्या आनन्द था.. मजा आ गया.
मैंने उसको कसकर भींचा और उसकी चूचियों को मसल दिया. उसकी गरम आह निकल गई. मैंने उसके लबों पर अपने लब रख कर काफी देर तक उसे चूमा, हालांकि मेरा मन तो था कि आज ही इसको चोद कर लंड को मजा दे दूँ.. पर तब भी मैंने कुछ रुकना ठीक समझा.
अगले दिन मैंने ऑफिस बॉय को कहा कि आज सिर्फ बारह बजे तक ही पेशेंट देखूँगा.
बारह बजे के बाद ऑफिस बॉय ने मरीजों को कहना शुरू कर दिया कि आज डॉक्टर साब बिजी हैं, अब कल मिलेंगे.
वो मेरे पास आया तो मैंने उसे कहा- अब तुम भी जाओ.. आज तुम्हारी भी छुट्टी है और केबिन का लॉक करके चले जाओ.
ऑफिस बॉय चला गया और मैं सोनिया के इंतजार में बैठकर सोचने लगा कि यार बिना कुछ किए ही ये औरत कैसे मुझसे चुदने आ रही है.
ठीक 2 बजकर 5 मिनट पर सोनिया मेरे क्लिनिक पर आ गई. मैंने गेट खोला तो देखा आज तो वो और भी गजब दिख रही थी. उसने शिफोन की साड़ी पहनी हुई थी और गहरे गले के ब्लाउज से उसकी जवानी मुझसे कुचले जाने के लिए बेकरार दिख रही थी.
सोनिया ने मुस्कुरा कर कहा- नमस्ते डॉक्टर साब जी.
मैं- नमस्ते, कैसी हो सोनिया रानी??
सोनिया- मैं तो एकदम मस्त हूँ सर जी.. लेकिन आपके इलाज के बिना तड़फ़ रही हूँ.
मैं- यार, तड़फ़ तो कल से मैं भी रहा हूँ.
सोनिया- तो फिर जल्दी से मेरा इलाज शुरू करो ना.
मैं- ठीक है जानेमन…
मैंने गेट का लॉक लगाया, परदा डाला और सोनिया को बेड पर लेटने के लिए बोल दिया. सोनिया तो ऐसे बेड पर पैर खोल कर ऐसे लेट गई, जैसे जन्मों से चुदासी हो.
सोनिया अपनी बाँहें फैला कर बोली- अब आ जाओ डॉक्टर साहब.
मैं- ठीक है आता हूँ.
मैंने उसकी साड़ी ऊपर करके देखा कि इसने पैंटी नहीं पहनी हुई थी और उसकी चूत एकदम नंगी, क्लीन शेव थी. उसकी चुत पानी पानी हो रही है. मैंने कॉटन ली और सोनिया की चूत का पानी साफ किया. मैंने उसकी चूत की दरार में एक उंगली फिया ड़ी तो वो तड़प उठी और उसके पैन्ट के ऊपर से ही अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.
मैंने सोनिया को बोला- यार, पहले थोड़ा मेरे लंड को चूसो. फिर आगे का खेल खेलते हैं.
वो एकदम से तैयार हुई और खाई खेली रंडी की तरह मेरी पैंट और जॉकी उतार कर लंड चूसने लगी. मैं पहली बार किसी औरत को अपना लंड चुसा रहा था. मुझे वो मजा मिल रहा था, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. मेरा लंड चूस कर सोनिया ने लंड को लोहा कर दिया.
सोनिया- डॉक्टर साहब अब आ जाओ, मुझे अपने आगोश में ले लो, काफी समय से प्यासी हूँ. मेरे पति मेरे साथ सेक्स नहीं करते. आज मुझे अपने आगोश में लेकर मेरी प्यास बुझा दो.
मैं- सोनिया डार्लिंग, अपनी साड़ी उतार दो.
सोनिया ने साड़ी पेटीकोट ब्लाउज ब्रा, सब उतार दिए और नंगी मेरे सामने लेट गई. मैंने अपने लंड पर थोड़ी वैसलीन लगाई और सोनिया की दोनों टांगें ऊपर उठाकर चुत के छेद पर लंड सैट करके जोरदार धक्का लगा दिया. सोनिया की चीख निकल गई. मैं कुछ पल शांत रहा फ़िर मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए. लगभग 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गए. मैंने अपना माल उसकी चूत में ही गिरा दिया था, सोनिया को इस बात से कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि उसने मुझे बताया था कि वो गर्भ निरोधक गोली का सेवन करती है हर रोज.
उसके बाद से तो जब भी हम दोनों को मौका मिलता है, मैं उसके घर जाकर या सोनिया को कहीं भी बुला कर हम दोनों खूब चुदाई करते हैं.
ये मेरी पहली सेक्स की कहानी है मेरे पहले सेक्स की… मेरी कहानी आपको कैसी लगी, कमेंट ज़रूर कीजिएगा.
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