कम्प्यूटर क्लास की लड़की से प्यार
यह मेरी रियल कहानी तब की है जब मैं कंप्यूटर
दोस्तो, मेरा नाम समीर है, मेरी उम्र 27 साल है और मैं मुंबई का रहने वाला हूँ. कोई सेक्स कहानी मैं पहली बार लिख रहा हूँ.
बारिश का महीना था और तेज बारिश होन शुरू हो गई थी. मैं बाइक पर अपने घर जा रहा था. ऐसी तेज बारिश में रास्ते में एक बस स्टैंड दिखा. मैंने उधर रुकने का सोचा. मैं एक पल के लिए रुका भी, मगर फिर सोचा कि भीग तो जाऊंगा ही, क्या रुकना. मगर इस एक पल के ठहराव में मेरी निगाह उधर खड़ी एक आंटी पर चली गई.
मैं उनको देखते ही दंग रह गया. उफ़फ्फ़ क्या फिगर था उनका … मैंने एक गहरी निगाह उन पर ऊपर से नीचे तक फेंकी, तो उनका मस्त जिस्म मेरी आंखों में अपना नाप देने लगा. आंटी का फिगर 36-34-38 का रहा होगा. उनकी उम्र 50 साल के आसपास रही होगी.
उनको देख कर मैंने बाइक रोक दी और उनकी तरफ आशा से देखने लगा. उन्होंने भी मेरी तरफ देखा और न जाने कैसे वो मुझसे लिफ्ट मांगने लगीं.
मैंने पूछा- आंटी, आपको कहां जाना है?
उन्होंने अपना एड्रेस बताया. वो पता मेरे घर के आगे दो किलोमीटर की दूरी पर था.
तो मैंने कहा- ओके आंटी चलो … मैं छोड़ देता हूँ.
उन्होंने कहा- हां … अब जरा बारिश भी कम हो गई है, चलो चलते हैं.
मैंने मुस्कान दे दी.
उन्होंने भी स्माइल पास की और कहा- चलो.
वो मेरी बाइक पर मुझसे चिपक कर बैठ गईं और उन्होंने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया.
कुछ देर चलने के बाद मैंने आंटी से उनके बारे में पूछा, तो उन्होंने अपना नाम सुनीता बताया. मैंने भी उन्हें अपना परिचय दिया. हम दोनों की बातें होने लगीं.
सुनीता- समीर बाइक थोड़ा फास्ट चलाओ नहीं, पानी का कोई भरोसा नहीं है, कहीं फिर से तेज हो गई, तो हम दोनों पूरे भीग जाएंगे.
मैं- नहीं आंटी, बाइक फास्ट चलाऊंगा, तो बाइक स्लिप हो जाएगी.
सुनीता- समीर बारिश भी हो रही है … लगता है हम दोनों घर सही सलामत पहुंच नहीं पाएंगे.
मैं- अच्छा आंटी आप बस मुझे कसके पकड़ लो, मैं तेज चलाता हूँ … आपको मैं घर तक बिना भिगाए लेकर पहुंच जाऊंगा.
आंटी ने मुझे कसके पकड़ लिया. अब उनकी चूचियों की नर्मी मुझे मस्त करने लगी थी. आंटी मुझसे चिपक कर बात करने लगीं, जिससे उनकी गर्म सांसें मुझे कामुक करने लगीं.
सुनीता- समीर तुम क्या काम करते हो … और इतनी रात को कहां गए थे?
मैं- वो वो आंटी …
सुनीता- वो वो क्या लगा रखा है … बताओ न!
मैं- आंटी मैं मूवी देखने गया था.
आंटी समझ गईं कि जहां मैं उनको मिला था, वो एक रेड लाइट एरिया के पास का इलाका था.
सुनीता- अच्छा हां, तुम जवान हो … इसलिए इधर से निकल रहे थे. खैर इतनी रात को मत घूमा करो.
मैं- आंटी आप ग़लत समझ रही हो, मैं वैसा नहीं हूँ.
आंटी ने कुछ नहीं कहा … बस हंस दीं.
अचानक रास्ते में सामने एक कुत्ता आ गया, तो मैंने ब्रेक मार दिया और तभी आंटी एकदम से मुझसे चिपक गईं. इसी समय अचानक से उनका हाथ मेरी पैन्ट के ऊपर चला गया.
सुनीता- स..सॉरी!
मैं- इट्स ओके आंटी.
तभी फिर से ज़ोर से बारिश होने लगी. आंटी और मैं दोनों बारिश में भीग गए. पानी इतना तेजी से गिरने लगा कि हम दोनों कांपने लगे. आंटी मुझसे चिपक गईं, उनके बड़े बड़े चूचे मेरी पीठ पर चिपक गए. उनके चूचों की गर्मी से मुझे उस ठंड भरी बारिश में भी पसीना आने लगा. शायद आंटी समझ गईं. उन्होंने जब ये देखा कि मेरी पैन्ट के सामने वाला भाग टाइट हो रहा है, तब उन्होंने धीरे से हाथ मेरे पैन्ट के ऊपर लंड पर रख दिया.
सुनीता- समीर तुम बाइक धीरे धीरे चलाओ … नहीं तो मैं गिर जाऊंगी.
मैं समझ गया कि आंटी का मूड बनने लगा है.
मैंने कहा- जी आंटी.
कुछ देर के बाद हम दोनों एक दूसरे के जिस्म की गर्मी का मजा लेते हुए उनके घर की बिल्डिंग के नीचे पहुंच गए. आंटी का हाथ इस दौरान लगातार मेरे लंड पर ही रखा रहा.
मैंने आंटी को छोड़ने के बाद कहा- ओके आंटी बाय … अब मैं चलता हूँ.
तभी सुनीता आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझसे कहने लगीं- ऐसे कैसे जा सकते हो समीर … तुम पूरे भीग चुके हो, चलो घर में चाय पीकर जाना.
मैं उन्हें मना नहीं कर पाया और उनके पीछे पीछे सीढ़ियां चढ़ते आने लगा.
उनके पीछे पीछे चलते हुए मैं आंटी की बलखाती गांड को ही देखे जा रहा था, शायद आंटी की गांड इस वक्त कुछ ज्यादा ही मटकने लगी थीं.
उफ़फ्फ़ सीढ़ी चढ़ते हुए सुनीता आंटी की गांड क्या मस्त लग रही थी … यार उनको देख कर मेरे लंड ने फुंफकार भरना शुरू कर दी. अपने फ्लैट के सामने पहुंचते ही सुनीता आंटी ने अपने पर्स से चाभी निकाली और ताला खोल कर हम दोनों अन्दर चले गए. आंटी का घर काफ़ी ठीक ठाक लग रहा था.
सुनीता- समीर तुम अपने कपड़े निकालो, मैं तुमको अपने बेटे का नाइट पैन्ट देती हूँ.
मैंने उनके बेटे का जिक्र सुना तो चौंकते हुए कहा- आपका बेटा कहां है?
उन्होंने जवाब में कहा- वो गुजरात में जॉब करता है. मैं इधर घर पर अकेली रहती हूँ.
मुझे उनके अकेले घर में रहने से बड़ी तसल्ली हुई. हालांकि मैं उनके पति के बारे में पूछना चाहता था, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा.
मैं कपड़े चेंज करने लगा, तभी सुनीता आंटी ने मेरे सामने आ गईं. वो अपनी साड़ी खोल कर सिर्फ़ पेटीकोट ब्लाउज में नाइट पैन्ट लेकर आ गई थीं. मैंने उन्हें अपलक देखा और उनके सामने ही अपनी पैन्ट निकाल दी. मेरा 7 इंच का लंड टाइट हो कर मेरे अंडरवियर के अन्दर से ही आंटी की जवानी को सलामी दे रहा था.
वो मेरे खड़े लंड को देख कर मुस्कुरा दीं. मेरा लंड निहारते हुए आंटी बोलीं- मैं चाय बना देती हूँ, तुम तब तक नाइट पैन्ट पहन लो.
मैंने कहा- ओके.
सुनीता आंटी कसे हुए पेटीकोट और ब्लाउज में क्या मस्त माल लग रही थीं. उनकी बड़ी सी गांड, गदराया हुए जिस्म, बड़े बड़े चूचे … उफ़फ्फ़ …
आंटी अन्दर चली गईं. मैं आंटी की मदभरी काया देख कर लंड सहलाने लगा.
तभी उन्होंने आवाज देते हुए कहा- समीर रसोई में आ जाओ … गैस पर अपने हाथ सेंक लो … बाइक चलाते चलाते तुम्हारे हाथ काफ़ी ठंडे हो गए होंगे.
मैं बिना नाइट पैन्ट के उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया. मेरा लंड फुल टाइट हो गया था. मैं सुनीता आंटी की गदराई गांड से लंड टच करते हुए अपने हाथ आगे करके गैस पर सेंक रहा था. मेरे दोनों हाथ आंटी के शरीर के दोनों तरफ से निकल कर आगे थे. वो भी मेरे लंड का टच पाते ही थोड़ा सा पीछे को सरक गईं, जिससे मेरा लंड उनकी गांड की दरार में सैट हो गया.
सुनीता- समीर क्या बात है … तुमको सर्दी कुछ ज्यादा ही लग रही है और तुमने नाइट पैन्ट अब तक क्यों नहीं पहनी?
मैं- आंटी … वो मेरी अंडरवियर गीली है.
इस पर उन्होंने कहा कि गीली अंडरवियर नहीं पहनते … जाओ अंडरवियर उतार कर नाइट पैन्ट पहन लो.
मैंने कहा- आंटी आप बस ऐसे ही खड़ी रहो … मैं अंडरवियर उतार कर नाइट पैन्ट पहन लेता हूँ. मुझे आग में बदन को सेंकना अच्छा लग रहा है.
आंटी हंस दी.
मैंने अपनी अंडरवियर निकाल कर फेंक दी और पीछे से अपना नंगा लंड आंटी की गांड में लगा दिया. वो नंगे लंड का अहसास पाते ही और थोड़ा पीछे को सरक आईं. मैंने भी हिम्मत करके आंटी से चिपक गया और धीरे से आंटी की गर्दन पर किस कर दिया.
सुनीता आंटी खुद भी गर्म हो गयी थीं. फिर भी उन्होंने मुझे पीछे धक्का दे दिया. जब वो पीछे पलटीं, तब मेरा 9 इंच लंड, जो फुल टाइट हो चुका था … उसको देख कर कुछ कह ना पाईं. मैं उनके पास हो गया और उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगा दिया. वो कुछ ना बोलीं. मैंने उनको किस करना स्टार्ट कर दिया. एक दो पल की झिझक के बाद वो भी मेरा साथ देने लगीं.
तभी गैस पर रखी हुई चाय उबल गई और ज़मीन पर गिरने लगी. आंटी को एकदम से होश आया और उन्होंने पलट कर गैस बंद कर दी. मैंने उनको अपनी बांहों में ले लिया और धीरे से हाथ आगे करके उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया. पेटीकोट ने सुनीता आंटी की कमर को छोड़ दिया और वो नीचे गिर गया.
सुनीता आंटी काफ़ी गर्म हो गयी थीं. उनकी चिकनी टांगें देख कर मेरा काबू हवा हो गया.
उन्होंने थरथराते हुए कहा- आआहहह बेटा … ये क्या कर रहे हो … अपनी माँ के साथ!
मैं- आंटी ये आप क्या कह रही हो, आप सुनीता आंटी हो … मेरी माँ सुमन नहीं हो.
सुनीता आंटी का जवाब सुन कर मैं चौंक गया.
सुनीता- समीर, मैं हमेशा कामुक्ताज डॉट कॉम पर माँ बेटे की चुदाई की कहानियां पढ़ती हूँ. मुझे माँ बेटे का सेक्स बहुत अच्छा लगता है … तुम आज मेरे बेटे बन जाओ, मैं भी आज तुम्हारी माँ सुमन बन जाती हूँ.
मैं भी आंटी को चोदने का ये मौका नहीं जाने देना चाहता था. मैं भी कामुक्ताज डॉट कॉम पर माँ बेटे की चुदाई कहानियां पढ़ना पसंद करता हूँ. अपने सामने इतनी सेक्सी औरत हो, तो कौन चोदना नहीं चाहेगा.
मैंने अपनी बांहें फैला कर उनको पास बुलाया. तब वो मुझसे चिपक कर मुझे बेताबी से किस करने लगीं- मैं बहुत प्यासी हूँ समीर मेरे बेटे … आहह आज तुम अपनी माँ की प्यास बुझा दो बेटा.
मैं- उम्महा मुउहा उफ मम्मी … आपका बेटा आज आपको चोदना चाहता है … तुम कितनी सेक्सी हो मम्मी.
अब मुझे मेरे सामने अपनी मम्मी दिखने लगी थीं. मैं आज आंटी को अपनी मम्मी सुमन समझ कर चोदने की कल्पना करने लगा.
सुनीता- उम्महाअ समीर बेटे … आज तेरी माँ अपने बेटे से चुदवाएगी.
मैं मम्मी को बेडरूम में लेकर गया और बेड पर लिटा दिया. मैं उनको किस कर रहा था, वो भी मेरा साथ दे रही थीं. उनके होंठों को किस करते करते मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया. वो ब्रा पैन्टी में क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं.
मैं उनको किस करते करते उनके मम्मों को दबा रहा था. मम्मी के चूचे काफ़ी मुलायम लग रहे थे.
रोल प्ले करते करते सुनीता मम्मी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया- आहह बेटा … तेरा लंड तो बहुत बड़ा है बेटे … मैंने अभी तक इतना बड़ा लंड कभी नहीं देखा … आह इतना बड़ा लंड मेरी रियल लाइफ में पहली बार मुझे चोदेगा.
मैंने उनकी ब्रा और पैन्टी को निकाल दिया. अब हम दोनों माँ बेटे पूरे नंगे हो गए थे. मैंने मम्मी की चूचियां चूसते हुए कहा- आहह मम्मी तुम्हारा जिस्म बहुत सेक्सी है मम्मी.
सुनीता माँ- आह चूस लो … चाट लो आज अपनी माँ के दूध निचोड़ लो मेरी जान … अपनी माँ के प्यासे जिस्म की आग बुझा दो बेटा.
मैं सुनीता मम्मी के निप्पलों को चूसते हुए अपने एक हाथ दो उंगलियों को उनकी चुत में डाले जा रहा था. मम्मी की चुत एकदम सफाचट थी और थोड़ी बड़ी थी. ऐसे लग रही थी कि जैसे उनकी चुत बिल्कुल मेरे लंड के लिए ही बनी हो.
सुनीता मम्मी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… उईईइइ ममाँआ … बेटा आहह चूस ले अपनी माँ के दूध को आहह … और चूस मेरे बेटे.
मम्मी इतना गर्म हो गयी थीं कि अपनी गांड नीचे से ऊपर उठा उठा कर अपनी चुत में फिंगरिंग का मज़ा ले रही थीं.
मैं- उम्म्महाआ आहह मम्मी … आज से तुम इस बेटे की रंडी माँ बन गयी हो. मैं हमेशा तुम्हें चोदूँगा … आह अपनी माँ को बहुत प्यार करूँगा.
फिर मैं धीरे धीरे मम्मी के मम्मों से नीचे होते हुए उनकी नाभि में जीभ डाल कर चाटने लगा. वो तो समझो बस लंड के लिए तड़प रही थीं.
फिर मैंने उनको सीधा लिटाया और उनकी चुत को चाटने लगा. उफफफ्फ़ कितनी टेस्टी चुत थी. चुत में से नमकीन रस निकल रहा था. मैं पूरी जीभ चुत में डाल कर मम्मी को मज़ा दे रहा था. वो मेरे सर के बाल पकड़ कर चुत पर दबा रही थीं. मैं उनकी प्यासी चुत को चाटे जा रहा था.
फिर तभी मैंने उनकी गांड के छेद में एक उंगली डाल दी.
सुनीता मम्मी- आहह समीर बेटे आहह उउउंम्म उउऊइई माँआआ आहह चाट ले अपनी मम्मी की चुत को. मुझे भी अपने बेटे का लंड चूसना है.
ये सुनकर मैं कुछ पल बाद 69 की पोज़िशन में आ गया. अब वो मेरे लंड को चूस रही थीं. साथ ही नीचे से गांड उठा उठा कर चुत चुसवा रही थीं.
अचानक उन्होंने अपनी कमर ऊपर को उठाते हुए पानी छोड़ दिया. मैंने उनका नमकीन पानी पी लिया. मैं अब अपनी सुनीता मम्मी को चोदना चाहता था. मैंने उसकी दोनों टांगों अपने कंधे पर रखा और लंड को चुत पर सैट कर दिया.
मैं- मम्मी, आपकी चुत में अपने बेटे का लंड जाने वाला है.
मम्मी ने बस नीचे से कमर उठा कर हम्मह कहा.
“हां मम्मी, अपने बेटे के लंड के लिए तैयार है.”
मैंने एक ही झटके में अपना पूरा 9 इंच का लंड चुत में डाल दिया. वो लंड के झटके को बर्दाश्त नहीं कर पाईं- आहाहह मर गई बेटे … तेरा लंड बहुत बड़ा है … आहह मैं बहुत दिनों बाद चुदवा रही हूँ … जरा धीरे चोद बेटा.
मैंने उनकी बात को अनसुना कर दिया और दूसरा झटका मार दिया. वो मेरे लंड के तगड़े झटकों को बर्दाश्त नहीं कर पाईं और चिल्लाने लगीं- साले मादरचोद … धीरे चोद.
मैं उनकी चिल्लपौं को सुने बिना तेजी से दबादब चोदे जा रहा था. एक मिनट बाद वो भी मस्त हो गईं और अब वो भी खुल कर चुदवाने लगी थीं.
मैं- आह मम्मी लो अपने बेटे का लंड … आपके बेटे का लंड आज आपकी चुत फाड़ देगा.
“उफ्फ़ बेटा आअहह … चोद दे अपनी माँ को … अपने मूसल जैसे लंड से फाड़ दे चुत को … आआहह!”
लगातार 30 मिनट की चुदाई के बाद जब मेरा पानी निकलने वाला था, तो मैंने कहा- मम्मी मेरा रस निकलने वाला है … कहां डालूं?
वो कहने लगीं- बेटे मेरी चुत बहुत प्यासी है … अन्दर ही डाल दे अपनी मम्मी की चुत में!
कुछ तेज धक्कों के साथ में मैंने सुनीता मम्मी की चुत में अपना गर्मागर्म वीर्य निकाल दिया.
हम दोनों थक कर लेट गए.
इसके बाद तो आंटी मेरी पक्की जुगाड़ बन गई थीं. बाद में मालूम हुआ कि उनके पति भी उनको छोड़ कर चले गए थे.
दोस्तो, कैसी लगी मेरी रोल प्ले मम्मी की चुदाई की कहानी … प्लीज़ रिप्लाई ज़रूर देना.
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